Thursday, September 29, 2011

Double Decker train on Oct 1

Railway Minister Dinesh Trivedi
will flag off the superfast Double Decker train at Howrah
station on October One as a Puja gift to passengers.
Eastern Railway today said that 12383-up/12384-dn
Howrah-Dhanbad Express (double decker) will run five-day week
between Howrah and Dhanbad.
The fully air-conditioned train will have nine
coaches, including seven AC chair cars having 128 seats in
each coach and two generator cars.
The Double-Decker train will stop at Bardhaman,
Durgapur, Asansol, Barakar, Kumardubi.
The train will have maximum speed of 110 kmph and will
run via Howrah-Bardhaman chord line.

Wednesday, September 28, 2011

Singur Ka Faisla

Upholding the Singur Land Rehabilitation and Development Act 2011as constitutional and valid, the Calcutta High Court in its judgment today pointed out that the provision of compensation laid in the act was vague and uncertain. The High Court stayed the operation of the Singur Act till November 2 which prohibits the state to distribute the land among the unwilling farmers now.

Delivering the final verdict on the Singur Land Development Act, Justice I P Mukherjee said that the compensation is to be awarded by applying the principle of compensation mentioned in the section 23 and 24 of the Land Acquisition Act 1894, the central act. The High Court pointed out '' Although, there is an intention expressed by the legislature to pay compensation, the intention expressed is vague and uncertain''. Therefore section 23 and 24 of the Land Acquisition Act which are deemed to be incorporated in the Sigur act for deciding compensation, said in the verdict.


Justice Mukherjee said that the Tata Motors would have to apply to District Judge, Hoogly for getting the compensation. The High Court also directed that the payment of compensation would be decided by the District Judge within six months. The High Court also said '' If the government admits any compensation in its rejoinder to the application to be filed by the Tatas, the government should pay it immediately'' said High Court.

The state government took over the possession of the land at Singur on June 21 evening applying the Singur Act, passed in the state assembly on June 14 . Following that the Tata Motors moved to the Calcutta High Court challenging the validity of the act. The Tata Motors conusel argueed that the provision of compensation in the act was not clear and land was taken over by the police not in legal manner.



Regarding the manner in which possession of land was taken, the High Court observed that the district officials exceeded their powers without any notice to the Tata Motors and acting so hastly. The High Court today appointed District Magistrate and Superintendent of Police, jointly as special officer to ensure safe and smooth transition of the Land from the Tatas to the state.

The High Court also directed that the Tata Motors would be allowed to remove their material from the site if any with in two months.

The Calcutta High Court today put a seal on the the public purpose, the main objective of the act. According to the act, it was introduced to distribute the land among the unwilling farmers who did not receive the any compensation. The High Court also accepted the plea of the state government that the Tata Motors abandoned the Signur site and the land remained unutilised for nearly three years. The High Court today observed that said that the act can not be called arbitrary legislation which was targeted at a particular person or corporate body to victimise it.

It was the contention of the state counsels that the act was introduced under the provision of the state list. But the Tata Motors counsel argued that the Singur act interferred with central act Land Acquisition Act, 1894 on the ground the new act should be struck down by the court.

Today Justice Mukherjee said that the act was not wholly an exercise of power of the state legislature under state list, but also an exercise of its power under concurrent list also. But the High Court also said that sufficient public purpose is made out in the act.

Explaining to put the stay, Justice Mukherjee said that any aggrieved party should be given chance to move an appeal to the higher forum.

1. September 26-- Mamata Banerjee staged a Dharna at BDO office Singur in protest against the acquisition of land in the third week of September,2006.

2. October 4- 2006 Land at Singur was handed over to the Tata Motors.

3. February 23,2007--Calcutta High Court wanted to get details on the acquisition of Singur land .
4. January 18,2008- Calcutta High Court upheld land acquisition at Singur.
5. October 3,2008-- The Tata Motor announced to withdraw the project.
6. June 14, 2011-- The Singur Land Rehabilitation and Development Act was passed in the assembly.
7. June 21, 2011-- The state government took over the possesion of the land at Singur from Tata Motors.
8. June 22, 2011---Tata Motors moved to the Calcutta High Court challenging Singur Act.
9. September 28,2011--The Calcutta High Court held Singur Act constitutional and valid.

ममता बनर्जी ने भवानीपुर सीट जीती

पश्चिम बंगाल के भवानीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के लिए बुधवार को हुई मतगणना में मुख्यमंत्नी ममता बनर्जी अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की एन.मुखर्जी को 54218 मतों से हरा दिया है।

राज्य के लोकनिर्माण मंत्नी सुब्रत बख्शी ने सुश्री बनर्जी के लिए भवानीपुर सीट से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद यह सीट खाली थी।


बशीरहाट (उत्तर) विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस के ए.टी.एम.अब्दुल्ला ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के साबिर अली गाजी को आज 30941 मतों से पराजित करके इस सीट पर कब्जा कर लिया।


गत 25 सितम्बर को इस सीट पर हुए उप चुनाव में अब्दुल्ला और गाजी के अलावा भारतीय जनता पार्टी के सुबोध कुमार चक्रवर्ती और निर्दलीय अजित प्रमाणिक भी मैदान में थे। माकपा प्रत्याशी के इस सीट पर पराजित होने के बाद राज्य विधानसभा में अब वाममोर्चा के सदस्यों की संख्या घटकर 63 रह गई है।


बशीरहाट (उत्तर) सीट से माकपा विधायक मुस्तफा बिन कासिम का निधन होने के कारण इस सीट पर उपचुनाव कराया गया था।
गत 25 सितम्बर को इन दोनों सीटों पर हुए उपचुनाव के लिए आज सुबह आठ बजे मतगणना शुरू हुई थी।

Monday, September 26, 2011

नहीं कर सकेंगे 100 सौ से अधिक एसएमएस

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का प्रति सिम प्रतिदिन एक सौ एसएमएस का नियम मंगलवार से लागू हो जाएगा। ट्राई ने देशभर के मोबाइलधारकों को अवांछित विज्ञापन वाले एसएमएस से छुटकारा दिलाने के उद्देश्य से यह नियम लागू कर रहा है। हालांकि उसके इस कदम से दोस्तों और रिश्तेदारों से एसएमएस के जरिये जुडे रहने वाले उन युवाओं को अधिक परेशानी होगी जो रातदिन एसएमएस करने में लगे रहते हैं।

ट्राई ने गत पांच सितंबर को अवांछित काल और एसएमएस पर रोक लगाने की घोषणा की थी। यह नियम 27 सितंबर से लागू हो रही है। ट्राई ने इसके साथ ही दूरसंचार कंपनियों को प्रति सिम प्रतिदिन एक सौ से अधिक एसएमएस की अनुमति नहीं देने का आदेश दिया था। हालांकि यह नियम त्योहारों के अवसर पर लागू नहीं होगा और उस दिन उपभोक्ता असीमित एसएमएस कर सकेंगे।

ट्राई ने कहा है कि पोस्टपेड कनेक्शन के मामले में आपरेटर प्रति महीने तीन हजार से अधिक एसएमएस की अनुमति नहीं दे सकते हैं। ट्राई के इन सुझावों के लागू होने के साथ ही उन उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी जो डू नाट काल रजिस्ट्री में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। ट्राई को अपने इस सुझाव पर अमल करने बीच के दूरसंचार कंपनियों के संगठन सेलुलर आपरेटर एयोसियेशन आफ इंडिया (सीओएआई) ने नियामक से इस पर दोबारा विचार करने का आग्रह करते हुए कहा है कि इस तरह के नियम से आम उपभोक्ताओं के मौलिक अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।

सीओएआई ने कहा है कि कई मौके पर एसएमएस संचार का महत्वपूर्ण माध्यम होता है। संगठन के महानिदेशक राजन एस मैथ्यु ने पिछले सप्ताह ट्राई को भेजे पत्र में कहा कि किसी ग्राहक के साथ एक समय ऎसी स्थिति आ सकती है जब वह एसएमएस की इस सीमा को पूरा कर चुका होगा लेकिन अचानक उसके समक्ष अपात स्थिति उत्पन्न हो जाए। उन्होंने कहा कि इस तरह के नियम से उस ग्राहक की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

Friday, September 23, 2011

कठिन समय में प्रेम मौसम

मुख्य कलाकार : शाहिद कपूर, सोनम कपूर, अदिति शर्मा, सुप्रिया पाठक और अनुपम खेर आदि।
निर्देशक : पंकज कपूर
तकनीकी टीम : निर्माता- शीतल विनोद तलवार, सुनील लुल्ला, कथा-पटकथा-संवाद- पंकज कपूर, गीत- इरशाद कामिल, संगीत- प्रीतम चक्रवर्ती
पंकज कपूर की मौसम मिलन और वियोग की रोमांटिक कहानी है। हिंदी फिल्मों की प्रेमकहानी में आम तौर पर सामाजिक-राजनीतिक घटनाओं की पृष्ठभूमि नहीं रहती। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक और गंभीर अभिनेता जब निर्देशक की कुर्सी पर बैठते हैं तो वे अपनी सोच और पक्षधरता से प्रेरित होकर अपनी सृजनात्मक संतुष्टि के साथ महत्वपूर्ण फिल्म बनाने की कोशिश करते हैं। हिंदी फिल्मों के लोकप्रिय ढांचे और उनकी सोच में सही तालमेल बैठ पाना मुश्किल ही होता है। अनुपम खेर और नसीरुद्दीन शाह के बाद अब पंकज कपूर अपने निर्देशकीय प्रयास में मौसम ले आए हैं।
पंकज कपूर ने इस प्रेमकहानी के लिए 1992 से 2002 के बीच की अवधि चुनी है। इन दस-ग्यारह सालों में हरेन्द्र उर्फ हैरी और आयत तीन बार मिलते और बिछुड़ते हैं। उनका मिलना एक संयोग होता है, लेकिन बिछुड़ने के पीछे कोई न कोई सामाजिक-राजनीतिक घटना होती है। फिल्म में पंकज कपूर ने बाबरी मस्जिद, कारगिल युद्ध और अमेरिका के व‌र्ल्ड ट्रेड सेंटर के आतंकी हमले का जिक्र किया है। पहली घटना में दोनों में से कोई भी शरीक नहीं है। दूसरी घटना में हैरी शरीक है। तीसरी घटना से आयत प्रभावित होती है। आखिरकार अहमदाबाद के दंगे की चौथी घटना में दोनों फंसते हैं और यहीं उनका मिलन भी होता है। पंकज कपूर ने प्रेमकहानी में वियोग का कारण बन रही इन घटनाओं पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की है। अंत में अवश्य ही हैरी कुछ भयानक सायों का उल्लेख करता है, जिनके न चेहरे होते हैं और न नाम। निर्देशक अप्रत्यक्ष तरीकेसे सांप्रदायिकता, घुसपैठ और आतंकवाद के बरक्स हैरी और आयत की अदम्य प्रेमकहानी खड़ी करते हैं।
पंकज कपूर ने पंजाब के हिस्से का बहुत सुंदर चित्रण किया है। हैरी और आयत के बीच पनपते प्रेम को उन्होंने गंवई कोमलता के साथ पेश किया है। गांव के नौजवान प्रेमी के रूप में शाहिद जंचते हैं और सोनम कपूर भी सुंदर एवं भोली लगती हैं। दोनों के बीच का अव्यक्त प्रेम भाता है। दूसरे मौसम में स्काटलैंड में एयरफोर्स ऑफिसर के रूप में भी शाहिद कपूर ने सार्थक मेहनत की है। यहां सोनम कपूर खिल गई हैं। इसके बाद की घटनाओं, प्रसंगों और चरित्रों के निर्वाह में निर्देशक की पकड़ ढीली हो गई है। आरंभिक आकर्षण कम होता गया है। कई दृश्य लंबे और बोझिल हो गए हैं। इंटरवल के बाद के हिस्से में निर्देशक आत्मलिप्त हो गए हैं और अपने सृजन से चिपक गए हैं।
फिल्म के अंतिम दृश्य बनावटी, नकली और फिल्मी हो गए हैं। एक संवेदनशील, भावुक और अदम्य प्रेमकहानी फिल्मी फार्मूले का शिकार हो जाती है। अचानक सामान्य अदम्य प्रेमी हैरी हीरो बन जाता है। यहां पंकज कपूर बुरी तरह से चूक जाते हैं और फिल्म अपने आरंभिक प्रभाव को खो देती है। यह फिल्म पूरी तरह से शाहिद कपूर और सोनम कपूर पर निर्भर करती है। दोनों ने अपने तई निराश नहीं किया है। फिल्म अपने नैरेशन और क्लाइमेक्स में कमजोर पड़ती है।

Thursday, September 22, 2011

सिर्फ 32 रुपये की कमाई पर गुजर-बसर

क्या महानगर में कोई रोजाना सिर्फ 32 रुपये की कमाई पर गुजर-बसर कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दाखिल हलफनामे में योजना आयोग ने गरीबी रेखा की जो नई परिभाषा तय की है, उसमें कहा गया है कि महानगरों में अगर चार लोगों का परिवार महीने में 3,860 रुपये से ज्यादा खर्च करता है तो उसे गरीब नहीं माना जाएगा। चार लोगों के लिए 3,860 रुपये का मतलब है एक आदमी पर महज 32 रुपये प्रतिदिन। इसी तरह योजना आयोग के मुताबिक अगर ग्रामीण क्षेत्रों में कोई शख्स हर रोज 26 रुपये से ज्यादा खर्च करता है तो वो गरीब नहीं कहलाएगा। उसे गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों के लिए चलने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलेगा। सब्जी की कीमतों में आग लगी हुई है। दूध के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। खाने-पीने की चीजों के भाव आसमान छू रहे हैं। महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़कर रख दी है, लेकिन योजना आयोग की दलील है कि जो हर रोज 32 रुपए खर्च कर सकता है, वो भला गरीब कैसे हो सकता है! आम जनता ने योजना आयोग की इस रिपोर्ट को कड़वा मजाक करार दिया है। पंकज ढनढनिया ने कहा कि आज 32 रुपये में ठीक से प्यास नहीं बुझती तो भला एक दिन का खर्च चलाने के बारे में कैसे सोचा जा सकता है? आज अगर तीन लीटर स्वच्छ पेयजल खरीदने जाएंगे तो इसमें 36 रुपये लग जाएंगे। बांधाघाट में रहने वाले पवन अग्रवाल ने कहा कि गरीबी की इस नयी परिभाषा का कोई मतलब नहीं है। एक व्यक्ति जब घर से निकलता है तो उसका सुबह से शाम तक बस, आटो और रिक्शा का किराया ही 50 रुपए से ज्यादा लग जाता है। कभी-कभी तो सिर्फ रिक्शा का किराया ही 30 रुपये से ज्यादा देना पड़ता है। यमुना प्रसाद ने कहा कि आये दिन नून-तेल के दाम आसमान छूते जा रहे हैं। वहां 32 रुपये में गुजारा करने वालों को गरीबी की श्रेणी से बाहर रखने का फैसला आम जनता के साथ कड़वा मजाक है। हमारे नेता करोड़ों की संपत्ति रखे हुए हैं और आम जनता 32 रुपये में अपना खर्च चलाए। अहिरीटोला के शंकर साव का कहना है कि उनके परिवार का गुजारा बाटी-चोखा की दुकान से चलता है। उनके दिनभर का खर्च ही 100 है। मुट्ठी मिस कर खर्च करने पर भी एक दिन का खर्च 100 रुपया पड़ जाता है। वे यूपी के मिर्जापुर के रहने वाले हैं। वर्षों पहले उनके दादा जी ने यह दुकान लगायी थी और इसी से उनके पूरे परिवार का खर्च चलता है हावड़ा के नंदीबगान में रहने वाले गुड्डू राय ने कहा कि सरकार ने 32 रुपया खर्च करने वालों को खुशहाल की श्रेणी में रखने का फैसला करके देश की जनता की गरीबी का मजाक उड़ाया है। आज जिस तरह से महंगाई मुंह बाए खड़ी है, उसमें उनके जैसे मध्यम श्रेणी के लोगों की तो दूर की बात है, अच्छे वेतन वाले लोगों को भी गुजारा करना कठिन हो रहा है

Badal slams Centre for making mockery of poor

Punjab Chief Minister Parkash
Singh Badal today said he was shocked to learn that in the
eyes of the Centre a person earning Rs 25 in villages and Rs
32 in urban areas was rich.
"This is the most cruel joke ever played on the poor in
this country and amounts to rubbing salt into their wounds. It
is beyond anyone's understanding as to how a government can
base its policies on such weird presumptions," he said.
"By these standards India has suddenly been transformed
into a land of the rich. Is this the UPA's way of removing
poverty in the country? the Chief Minister posed.
Badal said that the spiralling prices of essential
commodities had not only broken the back of the already
suffering common man but had also unleashed new inflationary
trends which in turn would further slow down the growth rate.

Tuesday, September 20, 2011

32 रुपए में खर्चा चलाने वाला आदमी गरीब नहीं: योजना आयोग

आये दिन पेट्रोल के दाम बढ़ाने वाली केंद्र सरकार ने गरीबों के साथ घटिया मजाक किया है। देश के विकास के लिए योजनाएं बनाने वाली सबसे बड़ी संस्‍था योजना आयोग ने कहा है कि जो व्‍यक्ति शहर में 32 रुपए और गांव में 26 रुपए प्रति दिन में खर्चा चला सकते हैं, वो गरीबी रेखा से ऊपर माने जायेंगे। गरीबी रेखा की नई परिभाषा में सरकार ने कहा कि मुंबई, दिल्‍ली, बेंगलुरु या चेन्‍नई में चार लोगों के परिवार का खर्चा 3,860 रुपए में चल सकता है। उन्‍हें गरीबी रेखा में नहीं गिना जायेगा।

खास बात यह है कि यह योजना हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्‍व वाली कमेटी ने बनायी है। देश के वित्‍तमंत्री रह चुके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अर्थशास्‍त्र कहता है कि एक दिन में एक आदमी प्रति दिन अगर 5.50 रुपए दाल पर, 1.02 रुपए चावल, रोटी पर, 2.33 रुपए दूध, 1.55 रुपए तेल, 1.95 रुपए साग-सब्‍जी, 44 पैसे फल पर, 70 पैसे चीनी पर, 78 पैसे नमक व मसालों पर, 1.51 पैसे अन्‍य खाद्य पदार्थों पर, 3.75 पैसे ईंधन पर खर्च करे तो वह एक स्‍वस्‍थ्‍य जीवन यापन कर सकता है। साथ में एक व्‍यक्ति अगर 49.10 रुपए मासिक किराया दे तो आराम से जीवन बिता सकता है और उसे गरीब नहीं कहा जायेगा।

सुरेश तेंदुलकर कमेटी द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि स्‍वस्‍थ्‍य रहने के लिए 39.70 रुपए पर्याप्‍त हैं। शिक्षा पर 99 पैसे प्रति दिन या 29.60 रुपए प्रति माह का खर्च, 61.30 रुपये प्रति माह में कपड़े, 9.60 रुपए जूते-चप्‍पल और 28.80 पैसे अन्‍य सामान पर खर्च करे तो वो गरीब नहीं कहलायेगा। खास बात यह है कि योजना आयोग ने यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को हलफनामे के तौर पर प्रस्‍तुत की है। इस रिपोर्ट पर खुद प्रधानमंत्री ने हस्‍ताक्षर किये हैं। हालांकि रिपोर्ट में अंत में कहा गया है कि गरीबी रेखा पर अंतिम रिपोर्ट एनएसएसओ सर्वेक्षण 2011-12 के बाद पेश की जायेगी।

Sunday, September 18, 2011

After IAF, Shahid's 'Mausam' raises hackles of Railways

Pankaj Kapoor's upcoming movie
'Mausam' is in fresh trouble with the Railway Ministry taking
"strong" objection to a scene, where the actor is seen
speeding in a car through an unmanned level crossing in front
of an approaching train, as it feels that it could encourage
youngsters to engage in such dangerous actions.
Concerned over increase in number of mishaps at unmanned
crossings which have claimed more than 130 lives in recent
past, Railways have decided to take up the matter with the
makers of the movie asking them to carry a disclaimer that the
they do not endorse such acts and these should not be
replicated.
"The scene apart, we are also concerned over the fact
that it is enacted by actor Shahid Kapoor who is popular among
the youths," said a senior railway official, adding, a letter
would be sent to the film unit soon. The promos with the
particular scene are currently being aired by TV channels.
The movie had earlier raised hackles of Air Force which
objected to a 30-second aerial action sequence with Shahid
who plays an Air Force pilot.
Last week, the Indian Air Force (IAF) had objected to
certain action scenes in the film, where the actor plays
the role of a fighter pilot.

Friday, September 16, 2011

मूल्यवृद्धि पर भड़की ममता, केंद्र को चेताया

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो व राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महंगाई के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र को सावधान करते हुए पेट्रोल की बढ़ी कीमतें तत्काल वापस लेने की मांग की है। सुश्री बनर्जी ने शुक्रवार को राइटर्स बिल्डिंग में संवाददाताओं से कहा कि आम जनता महंगाई से पहले से ही त्रस्त है। बार-बार पेट्रोल का दाम बढ़ाने से आम जनता पर ही बोझ बढ़ेगा। वह तेल के दाम बढ़ाने के केंद्र के निर्णय से सहमत नहीं हैं। उनके निर्देश पर केंद्रीय जहाजरानी राज्यमंत्री मुकुल राय ने केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से फोन कर आपत्ति जतायी। कहा कि पेट्रोल की कीमत बढ़ाने के निर्णय से वह सहमत नहीं हैं और उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र के समक्ष अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।
सुश्री बनर्जी ने कहा कि उन्होंने राज्य में अपने स्तर पर महंगाई कम करने का प्रयास किया है। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद उन्होंने सब्सिडी देकर रसोई गैस की कीमतें घटायी। इस बीच तृणमूल कांग्रेस ने पेट्रोल की बढ़ी कीमत को वापस लेने के लिए केंद्र पर चौतरफा दबाव बनाना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी के साथ राइटर्स बिल्डिंग में हुई बैठक में भी इस मुद्दे पर कड़ी आपत्ति जतायी। इससे पहले सुश्री बनर्जी ने रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को दिल्ली में केंद्र के समक्ष तृणमूल कांग्रेस की ओर से पेट्रोल की मूल्य वृद्धि पर विरोध दर्ज कराने का निर्देश दिया। इसके बाद श्री त्रिवेदी ने केंद्र के समक्ष इस मुद्दे पर अपनी कड़ी आपत्ति जतायी। उन्होंने तृणमूल काग्रेस की ओर से पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी को वापस लिए जाने की माग की और कहा कि यह आम आदमी को प्रभावित करेगा। बाद में श्री त्रिवेदी ने वहां संवाददाता सम्मेलन बुलाकर कहा कि तृणमूल काग्रेस चाहती है कि पेट्रोल की कीमतों में बढोतरी को वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि कीमतें बढ़ाने से पहले उनकी पार्टी की राय नहीं मागी गई। उन्होंने एलपीजी की कीमतों में प्रस्तावित वृद्धि का भी विरोध किया और कहा कि यह कोई लक्जरी नहीं है, बल्कि आम आदमी के लिए अत्यंत जरूरी है और इसे और नहीं बढ़ाया जाना चाहिए।

Thursday, September 15, 2011

आम आदमी की सरकार के 77 फीसदी मंत्री करोड़पति

मनमोहन सिंह की सरकार में 77 फीसदी मंत्री करोड़पति हैं. गौर करने की बात ये है कि मंत्री सिर्फ करोड़पति नहीं है, बल्कि उनकी संपत्ति में दो साल के भीतर 1000 फीसदी से ज्यादा तक का इजाफा दर्ज किया गया है. मंत्रियों की संपत्तियों पर आंख खोल देने वाली रिपोर्ट गुरुवार को ही जारी हुई है.
जनता महंगाई और भ्रष्टाचार से बेहाल है लेकिन मनमोहन के मंत्री तो मालामाल हैं. सरकार के आधे से ज्यादा मंत्री ना सिर्फ करोड़पति हैं, बल्कि दो साल में कइयों की संपत्ति 100 गुना से भी ज्यादा बढ़ गयी है. पिछले दिनों केंद्रीय मंत्रियों ने पीएमओ में अपनी सपंत्ति का ब्योरा सार्वजनिक किया था. उन आंकड़ों का जब एसोसिएसन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म और इलेक्शन नेशनल वॉच ने विश्लेषण किया तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए.

एडीआर और एनईडब्ल्यू के मुताबिक सूचना और प्रसारण राज्यमंत्री डीएमके के डॉक्टर एस जगतरक्षकन की संपत्ति 2 साल में 1092 फीसदी बढ़ी है. 2009 में जगतरक्षकन की संपत्ति करीब 6 करोड़ थी, जो अब बढ़कर 70 करोड़ से ज्यादा हो गई है. यानी दो साल में उनकी संपत्ति में 64 करोड़ से ज्यादा का इजाफा हुआ है.

इतना ज्यादा इजाफा तो केंद्रीय मंत्रियों में सबसे अमीर प्रफुल्ल पटेल की संपत्ति में भी नहीं हुआ. 2009 में प्रफुल्ल पटेल ने अपनी संपत्ति 78 करोड़ 82 लाख से ज्यादा बताई थी, जो 2011 में बढ़कर 1 अरब 22 करोड़ से ज्यादा हो गई है. पटेल की संपत्ति में करीब 42 करोड़ का इजाफा हुआ है.

अमीर मंत्रियों में तीसरे नंबर पर कमलनाथ हैं. जिनकी संपत्ति दो साल में 189 फीसदी बढ़ी है. 2009 में कमलनाथ ने अपनी संपत्ति 14 करोड़ 17 लाख, 70 हजार 37 रुपये बताई थी, 2011 में उन्होंने इससे 26 करोड़ ज्यादा संपत्ति बताई है. धनी मंत्रिय़ों में दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल भी पीछे नहीं हैं. उनकी संपत्ति 38 करोड़ से ज्यादा है. हालांकि, 2009 में भी उनके पास 30 करोड़ से ज्यादा की सपंत्ति थी.

एडीआर और एनईडब्ल्यू के मुताबिक मनमोहन सरकार के कई और मंत्रियों की संपत्ति में भारी इजाफा हुआ है. कपड़ा राज्य मंत्री पानाबाका लक्ष्मी की संपत्ति दो साल में 828 फीसदी बढ़ी है. उनकी संपत्ति करीब पौने दो करोड़ से बढ़कर 16 करोड़ के ऊपर पहुंच गई है. जनजातीय कार्य राज्यमंत्री तुषारभाई चौधरी की संपत्ति में भी करीब 705 फीसदी का इजाफा हुआ है.

वायलार रवि की संपत्ति में भी 502 फीसदी का इजाफा दर्ज हुआ है. संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला 2009 में करीब 8 करोड़ के मालिक थे, अब उनकी संपत्ति 30 करोड़ से ऊपर पहुंच गई है. यानी 294 फीसदी का इजाफा. अश्विनी कुमार की संपत्ति करीब साढ़े आठ करोड़ से बढ़कर 25 करोड़ से ऊपर चली गई है. यानी इजाफा 193 फीसदी. जयंति नटराजन भी पीछे नहीं हैं. उनके पास अब 23 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है, जो 2009 की तुलना में 191 फीसदी ज्यादा है.

केंद्रीय कानून सलमान खुर्शीद ढाई करोड़ से सवा छह करोड़ की संपत्ति के स्वामी बन चुके हैं. संपत्ति में इजाफा 139 फीसदी. देश के सबसे अमीर मंत्रियों में शुमार वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की संपत्ति 14 करोड़ 90 लाख से बढ़कर 32 करोड़ 66 लाख हो गई है. ज्योतिरादित्य की संपत्ति में दो साल में 119 फीसदी का इजाफा हुआ है.

सुशील कुमार शिंदे ने इस बार अपनी संपत्ति 17 करोड़ 80 लाख से ज्यादा बताई है. ये 2009 की तुलना में 9 करोड़ ज्यादा है. यानी 107 फीसदी का इजाफा. एडीआर और एनईडब्ल्यू के मुताबिक मिलिंद देवड़ा की संपत्ति में 89 फीसदी का इजाफा हुआ है. देवड़ा की संपत्ति पहले साढ़े 17 करोड़ थी जो बढ़कर 33 करोड़ को पार कर गई है. कृषि मंत्री शरद पवार की संपत्ति में भी 43 फीसदी का इजाफा हुआ है.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सपंत्ति में भी 16 फीसदी इजाफा हुआ है. एडीआर और एनईडब्ल्यू के मुताबिक 77 में 59 मंत्री यानी 77 करीब फीसदी मंत्री करोड़पति हैं. 2009 में मंत्रियों की औसत संपत्ति 7.3 करोड़ थी. ये बढ़कर 10.6 करोड़ हो गई है. यानी मंत्रियों की संपत्ति में औसतन 3.3 करोड़ की बढ़ोत्तरी हुई.

दो साल में मंत्रियों की संपत्ति में 45 फीसदी का इजाफा. यकीनन ये आंकड़े आम आदमी की सरकार की छवि से मेल नहीं खाते. एक तरफ देश के ज्यादातर वेतनभोगी पिछले दो साल से मंदी और महंगाई की मार से परेशान हैं, दूसरी तरफ करोड़पति मंत्री. कहीं यही वजह तो नहीं कि सरकार आम आदमी का दर्द नहीं समझ पा रही.

जिन मंत्रियों की संपत्ति में आई गिरावट
जहां मनमोहन मंत्रिमंडल के 24 मंत्रियों की संपत्ति दो साल में सौ फीसदी से ज्यादा बढ़ गई, 15 मंत्री ऐसे भी हैं जिनकी संपत्ति में गिरावट दर्ज हुई है. कम से कम पीएमओ में उन्होंने जो संपत्ति जाहिर की है, उससे तो यही मतलब निकलता है. इन मंत्रियों की फेहरिस्त में शामिल हैं केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम, विदेश मंत्री एसएम कृष्‍णा, फारुख अब्दुल्ला, वीरप्पा मोइली और जयपाल रेड्डी जैसे धाकड़ मंत्री.

नि मंत्रियों ने 2009 की तुलना में अपनी संपत्ति में कमी बताई है. इसमें सबसे ऊपर हैं प्रनीत कौर. प्रनीत कौर ने 2009 में 42 करोड़ की संपत्ति बताई थी, लेकिन इस बार उन्होंने महज 1 करोड़ 89 लाख की संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक किया. इस लिहाज से प्रनीत कौर की संपत्ति दो साल में 96 फीसदी घटी है. वीरप्पा मोइली की संपत्ति में भी 95 फीसदी की गिरावट आई है. 2009 में मोइली 2 करोड़ 93 लाख के मालिक थे. मोइली के मुताबिक अब उनके पास सिर्फ 13 लाख 33 हजार की संपत्ति है.

फारुख अब्दुल्ला की संपत्ति में भी 93 फीसदी तक की गिरावट आई है. जयपाल रेड्डी की संपत्ति करीब साढ़े पांच करोड़ से घटकर 2011 में 60 लाख पर आ गई है. यानी रेड्डी की संपत्ति 89 फीसदी घटी है. पीएमओ में दिए गए ब्योरे के मुताबिक विदेश मंत्री एसएम कृष्णा की सपंत्ति भी 2009 के 5 करोड़ 34 लाख 94 हजार 748 रुपये से घटकर 2011 में 3 करोड़ 97 लाख 14 हजार 224 रुपये रह गई है.

यूं तो गृहमंत्री पी चिदंबरम अभी भी करीब 25 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं, लेकिन 2009 की तुलना में उनकी संपत्ति भी 11 फीसदी घटी है. मनमोहन सरकार की युवा मंत्री अगाथा संगमा की संपत्ति 66 लाख से घटकर 62 लाख रह गई है. इसी तरह जितिन प्रसाद की संपत्ति सवा तीन करोड़ से घटकर अब करीब डेढ़ करोड़ रह गई है. 2009 की तुलना में मंत्रियों की संपत्ति में फर्क का आंकड़ा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और नेशनल इलेक्शन वॉच ने जारी किया है.

Students, teachers to be barred from attending rally in WB

Kolkata, Sep 15 The West Bengal government today
told the Calcutta High Court that no student, teacher and
other staff of schools would be allowed to participate in any
political rally during school hours.
The state's school education secretary informed a
division bench comprising Chief Justice J N Patel and Justice
A K Roy that the government has decided to issue a
notification prohibiting all students, teaching and non-
teaching staff of schools from participating in such rallies
during school hours.
The government today filed an affidavit pursuant to a
direction of the court following a media report that children
from a city school had been forcibly taken to participate in a
political rally at the behest of some teachers.
It alleged that around 35 students of Sahapur Mathuranath
Vidyapith were forced to attend a demonstration on September
eight by AIDSO, the students' wing of SUCI (Communist) party.
Advocate Tapas Bhanja brought the matter to the notice of
the division bench which directed the school education
department secretary to file a report on the incident stating
steps taken against the persons who were responsible for
taking the students.
The government immediately formed a four-member inquiry
committee headed by N N Dutta, joint-secretary in the school
education department, which gave its finding and
recommendations to the government.

Wednesday, September 14, 2011

नई भूमि नीति पर कैबिनेट की मुहर

पश्चिम बंगाल सरकार की नई भूमि नीति के तहत वह उद्योग के लिए नहीं बल्कि जनहित कार्यो के लिए ही भूमि अधिग्रहण करेगी। उद्योग लगाने के लिए अब उद्यमियों को खुद जमीन खरीदना पड़ेगा। सरकार खेत मजदूरों के लिए लग नीति बनाने का फैसला किया है। जनहित कार्यो के लिए सरकार जिस व्यक्ति से जमीन लेगी उसे के लिए बेहतर पुनर्वास पैकेज तैयार की है, जिसमें एक मुश्त राशि के अलावा नौकरी या फिर पेंशन का प्रावधान है। यदि किसी का आवासीय जमीन ली जाएगी तो उसे 1.50 लाख रुपए घर बनाने के लिए दिया जाएगा। साथ ही वर्ष 2015 तक राज्य के प्रत्येक परिवार को जमीन व घर उपलब्ध कराने के लिए 'माई लैंड, माई होम' नामक योजना तैयार की गई है। बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में नई भूमि नीति व पुनर्वास पैकेज पर मुहर लगा दी गई।
राइटर्स सूत्रों के मुताबिक बुधवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में नई भूमि नीति पर बैठक हुई। जिसमें मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के सभी वरिष्ठ मंत्री उपस्थित थे। बैठक तीन बजे शुरू हुई जो शाम करीब पौने पांच बजे तक चली। इस बैठक का ब्यौरा मुख्यमंत्री, मंत्री या फिर गृह सचिव ने नहीं दी क्योंकि उपचुनाव को लेकर जारी आचार संहिता का उल्लंघन न हो जाए। एक मंत्री ने नाम न उजागर करने की शर्त पर हामी भरी की कैबिनेट ने नई भूमि नीति पर मुहर लगा दी है।
नई उद्योग नीति के तहत भूमि देने वाले परिवार को एक मुश्त दो लाख रुपए और एक व्यक्ति को नौकरी दी जायेगी, यदि किसी के परिवार में नौकरी नहीं लेने की सूरत में उसे पेंशन दी जाएगी।बीस वर्षो तक पेंशन दी जाएगी। इस बाबत प्रथम वर्ष प्रति माह तीन हजार रुपए तथा बाकी अवधि में दो-दो हजार रुपए दिए जाएंगे। आवासीय जमीन अधिग्रहण होने की स्थिति में डेढ़ लाख रुपए मकान बनाने के लिए अतिरिक्त दी जाएगी। सरकार नई भूमि नीति के तहत रेल, सड़क, स्वास्थ्य, सिंचाई, तटबंध आदि जनहित कार्यो के लिए तैयार होने वाली परियोजना के लिए ही भूमि अधिग्रहण करेगी।
इसमें 2015 तक राज्य में किसी को भूमिहीन व गृहहीन नहीं रहने देने का भी मसौदा तैयार किया गया है। इस योजना का नाम 'निज गृह निज भूमि' दिया गया है। पता चला है कि गरीबों का अधिक ध्यान रखा गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि इस सिलसिले में गरीबों के हितों की अनदेखी नहीं की जाएगी। बहरहाल इस पर सर्वदलीय बैठक में भी चर्चा की जायेगी और उसके बाद विधानसभा पेश किया जायेगा। अगर अधिक विरोध हुआ तो इसमें फेरबदल भी किया जा सकता है।

Tuesday, September 13, 2011

मुंबई में सतर्कता के बाद कोलकाता एयरपोर्ट पर भी बढ़ी सुरक्षा

मुम्बई के छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से विमान अगवा कर आतंकी हमले की खुफिया विभाग द्वारा आशंका व्यक्त किए जाने के बाद बरती जा रही सतर्कता का असर कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी दिखा। यहां भी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल पर सुरक्षा कई गुणा बढ़ा दी गई है। एयर पोर्ट आने वाले यात्रियों व आगंतुकों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। यहां तक कि एयर पोर्ट के आपरेटिंग एरिया में जाने वाले हवाई अड्डा कर्मियों की भी सघन जांच के बाद ही अंदर दाखिल होने की अनुमति दी जा रही है। विमान में सवार होने से पहले यात्रियों व उनके सामानों की बारीकी से पड़ताल करने के बाद ही अंदर प्रवेश करने की इजाजत दी जा रही है। एयर पोर्ट के बाहर व अंदर सीसीटीवी, मेटल डिटेक्टर और अन्य उपकरणों से पूरी गतिविधियों पर सुरक्षा कर्मी पैनी नजर रखे हुए हैं।
एयर पोर्ट परिसर में त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा तैयार किया गया है जहां केंद्रीय औद्योगिक बल(सीआईएसएफ), राज्य पुलिस और सिविल एविएशन के सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। सीआईएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोलकाता एयर पोर्ट को लेकर आतंकी हमले की कोई आशंका नहीं जताई गई है। इसके बावजूद एहतियात के तौर पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। उन्होंने कहा कि मुंबई एयर पोर्ट से छोटे विमान अगवा कर आतंकी हमले करने की सूचना खुफिया विभाग ने दी है। परंतु कोलकाता के संदर्भ में किसी प्रकार की ऐसी कोई सूचना नहीं है। एयर पोर्ट की इमारत के आसपास पार्किग जोन को छोड़ कर अन्य स्थानों पर वाहनों की पार्किग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बम निरोधी दस्ते व डाग स्क्वाड भी सतर्क है।

Monday, September 12, 2011

एशियाई चैंपियंस हॉकी: पाक को पराजित कर भारत चैंपियन

ओरडोस (चीन)। भारत ने चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को रोमांचक मुकाबले में हराकर पहला एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी हॉकी प्रतियोगिता जीत ली है।

चीन के शहर ओरडोस में रविवार को खिताबी मुकाबले का परिणाम निर्धारित समय में नहीं आ पाया। 15 मिनट के अतिरिक्त समय में भी दोनों टीमें गोलरहित बराबरी पर रहीं। इसके बाद टाई-ब्रेकर में खिंचे पेनल्टी शूटआउट के जरिए मुकाबले का परिणाम आया।

भारतीय टीम ने पेनल्टी शूटआउट के जरिए पाकिस्तान को 4-2 से हरा दिया। इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान से पिछले हार का बदला भी चुकता कर लिया।

इससे पहले, पाकिस्तान ने इस वर्ष मई में मलेशिया में खेले गए सुल्तान अजलान शाह हॉकी टूर्नामेंट में भारत को 3-1 से पराजित किया था।

भारत की ओर से पेनल्टी शूटआउट में कप्तान राजपाल सिंह, दानिश मुज्तबा, युवराज वाल्मीकि और सरवनजीत सिंह ने विपक्षी गोलकीपर को छकाते हुए कुल चार गोल किए जबकि गुरविंदर सिंह चांडी का प्रयास असफल रहा।

उल्लेखनीय है कि भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में अजेय रही है। भारत ने लीग के अपने पहले मुकाबले में चीन को 5-0 से हराया था जबकि जापान के साथ उसने 1-1 से ड्रॉ खेला था।

तीसरे मुकाबले में भारत ने दक्षिण कोरिया को 5-3 से पटखनी दी थी वहीं मलेशिया के खिलाफ उसका मुकाबला 2-2 से बराबरी पर छूटा था।

इसके बाद भारत ने पाकिस्तान को 2-2 की बराबरी पर रोका था। इस वर्ष भारत और पाकिस्तान की यह दूसरी भिड़ंत थी।

Sunday, September 11, 2011

शादी का गुनाह किया तो स्कूल से छुट््टी

कोलकाता, 11 सितंबर (रंजीत लुधियानवी )। दसवीं कक्षा की एक किशोरी ने शादी करने का गुनाह किया तो उसे प्रबंधन की ओर से स्कूल में प्रवेश पर मनाही जारी कर दी गई है। इसलिए बीते छह महीने से स्कूल के दरवाजे से छात्रा को वापस लौटना पड़ रहा है। छात्रा की मां ने इस बारे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के शिक्षा मंत्री से शिकायत की है। स्कूल में घुसने से रोके जाने पर छात्रा का भविष्य अंधकारमय हो गया है। हुगली जिले के चुंचूड़ा के पांच नंबर वार्ड के विक्रमनगर हरनाथ निरोदासुंदरी स्कूल की छात्रा है। वह बंडेल के नारायणपुर में रहती है। अपने आवेदन में शिकायत की गई है कि कई बार स्कूलजाने से रोका गया है लेकिन ऐसा नहीं करने दिया गया है।
छात्रा का कहना है कि राज्य सरकार एक ओर स्कूल छोड़ने वालों को स्कूल में वापस लौटाने का प्रयास किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर वह पढ़ना चाहती है तो उसे पढ़ने से रोका जा रहा है। विवाह के बाद महज चार दिन तक स्कूल में पढ़ने दिया गया था। तब उन्हें पता ही नहीं था कि शादी हुई है। जब शादी के बारे में पता चला तो स्कूल में घुसने से रोक दिया गया। बताया जा रहा है कि शादी हो गई है अब पढ़ाई छोड़ कर परिवार में ध्यान दो।
मालूम हो कि छात्रा के पिता सुनील हाजरा रिक्शा चलाते हैं। मां रुपा हाजरा लोगों के घरों में नौकरानी का काम करती है। बेटी ने अपनी मर्जी से शादी की है। हमलोगों ने सोचा था कि भले ही उसने गलती की है लेकिन घर में रहकर ही दसवीं कक्षा पास कर ले। बेटी की पढ़ाई के लिए ही लोगों के घरों में काम करती रही हूं। इस बारे में शिक्षकों से भी गुहार लगाई गई है लेकिन किसी ने मदद नहीं की। इलाके के लोगों से भी इस बारे में शिकायत की गई है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। क्या शादी करने के बाद पढ़ाई नहीं की जा सकती है।
स्कूल के प्राधानाध्यापक अनिमेष मुखर्जी के मुताबिक प्रबंधन समिति ने फैसला किया है कि शादीशुदा लड़कियां स्कूल में नहीं पढ़ सकती हैं। इससे स्कूल का अनुशासन भंग हो सकता है। इतना ही नहीं छात्रा की उम्र अभी 18 साल भी नहीं हुई है। उसे स्कूल में घुसने दिया तो लोग आरोप लगाएंगे कि बाल विवाह को बढ़ावा दिया जा रहा है। मैं क्या कानून से उपर हूं? चुंचूड़ा के एसडीओ जे चौधरी का कहना है कि छात्रा की शिकायत मिली है,इस बारे में डीआई को मामले की जांच का निर्देश दिया गया है।

Tuesday, September 6, 2011

बदलते जमाने में बदले हैं टीचिंग टिप्स

बदलते वक्त ने हर प्रफेशन की तरह टीचिंग को भी बदला है। ऐसे में टीचर्स कौन कौन सी नई टिप्स आजमा रहे हैं, टीचर्स डे (सोमवार) के मौके पर एनबीटी टीम आपको यही बता रही है टीचर्स से बात करके...
टीचर को बच्चों से बेहद संजीदगी से बात करनी चाहिए। इससे बच्चे अनुशासित रहते हैं और उनमें आज्ञाकारिता बनी रहती है। बच्चों को हमेशा यह अहसास दिलाना जरूरी है कि उनकी शरारतों की जगह स्कूल नहीं है। उन्हें यह भी बताते रहना चाहिए कि उनके हिस्से का काम क्या है और कहां उन्होंने लिमिट क्रॉस की है। लेकिन ऐसा करते हुए बच्चे को मारने या बुरी तरह डांटने से बचना चाहिए। मार या तेज डांट से उसकी सायकॉलजी पर बुरा असर पड़ता है। टीचर को अपने इमोशंस और गुस्से पर कंट्रोल रखना आना चाहिए।
हायर एजुकेशन में यह बर्ताव बदलता है। वहां ज्यादा से ज्यादा दोस्ताना बर्ताव करना चाहिए। स्टूडेंट्स को जब लगेगा कि आप उनकी उम्र और भावनाओं को समझने वालों में से एक हैं तो न सिर्फ वे आपके कहने में रहेंगे, बल्कि जो सब्जेक्ट्स आप उन्हें पढ़ाएंगे उसमें उनकी दिलचस्पी भी बढ़ेगी। हालांकि कई बार टीचर्स का दोस्ताना बर्ताव किसी स्टूडेंट में आपको लेकर एक खास किस्म की निजी दिलचस्पी भी पैदा कर सकता है। महिला टीचर को लड़कों से और पुरुष टीचर को लड़कियों से ऐसे अनएक्सपेक्टेट अट्रैक्शन से दो-चार होना पड़ता है। स्टूडेंट्स के मन में ग्रोइंग एज में ऐसा लगाव पैदा होना बहुत स्वाभाविक है। इसलिए आप कोशिश करें कि पूरी क्लास से आपका बर्ताव एक जैसा हो। आमतौर पर इस तरह के आकर्षण जल्दी खत्म हो जाते हैं। इसलिए इन्हें लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं।

अगर क्लास के अंदर टीचर के पढ़ाने के दौरान बच्चे शोर मचाते हैं तो इसमें बच्चों से ज्यादा टीचर की गलती है। यह बताता है कि कहीं-न-कहीं उनके पढ़ाने में कुछ कमी है, जिससे बच्चे क्लास में ध्यान नहीं लगा रहे। बच्चों का नेचर है शैतानी करना और शोर मचाना। टीचर क्लास में पूरे ध्यान से पढ़ाएं तो बच्चे भी ध्यान से पढ़ेंगे। छोटी क्लासेस में टीचर्स को शोर पर काबू पाने के लिए पनिशमेंट की बजाय पेशेंस का दांव खेलना चाहिए। कम उम्र के बच्चों को पनिश करना एक हद तक ही कारगर होता है, टीचर बार-बार इस नुस्खे को आजमाएंगे तो बच्चे सुधरने के बदले रिएक्ट करने लगेंगे। हां, धीरज से अगर उन्हें समझाया जाए और पढ़ाई में दिलचस्पी पैदा करने के लिए टीचर अपनी तरफ से कोशिश करें तो शोर का जोर कम पड़ता जाएगा।

बड़ी क्लासेस में यह काम स्टूडेंट्स के टेंपरामेंट (मिजाज) को समझकर आसानी से किया जा सकता है। स्टूडेंट्स के मिजाज को भांपने और उसके मुताबिक बदलने में टीचर को गुरेज नहीं करना चाहिए। दिक्कत तब पैदा होती है जब टीचर अपने सामने पढ़ने आए स्टूडेंट्स पर कोई राय कायम किए बिना कोर्स को सिर्फ पढ़ाने की गरज से पढ़ा कर क्लास का समय बिता देते हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स इंगेज नहीं हो पाते और क्लास में शोर करने के अलावा वैसी अनुशासनहीनता भी करते हैं जो उनकी फाउंडेशन को कमजोर करता है। यूनिवर्सिटी में जाकर यही स्टूडेंट्स पढ़ने की बजाय क्लास को कैसे बाधित किया जाए, इसमें एक्सपर्ट हो जाते हैं।

भटकाव और वापसी

प्राइमरी क्लासेस में टीचर बच्चों पर निगाह रखते हैं। उनकी हर हरकत पर ध्यान रखना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इसी उम्र में वे बहुत-सी अच्छी-बुरी आदतें सीखते हैं। ऐसे में उनसे सीधे बातचीत की दरकार होती है। इस सिलसिले में बच्चों से बहुत सीधा रिश्ता रखना चाहिए। उनकी घरेलू परिस्थितियों का भी पता रखना चाहिए। इससे बच्चों की गलती और उसके कारण को समझने में ही नहीं, बल्कि उन गलतियों से बच्चों को दूर रखने में भी मदद मिलती है।

बच्चों की गलतियों की ओर ध्यान खींचने जितना ही अहम है उसकी अच्छाइयों की ओर लगातार ध्यान दिलाना। इससे बच्चे भटकेंगे नहीं। जहां कहीं भटकाव दिखे, उसे वहीं मार्क करना और बच्चों को सही रास्ते पर लाने के लिए टीचर को समझदारी से वापसी के उन रास्तों को तलाशना चाहिए जिससे बच्चे फिर से राह पर आ सकें। मिसाल के तौर पर, एक टीचर ने जब किसी लड़के को लड़कियों में जरूरत से ज्यादा दिलचस्पी लेते देखा तो वह खुद उसके पास गए और कहा कि मैं तुम्हारे घरवालों से बात करूंगा कि वे तुम्हारी शादी कर दें। यहां आकर पैसा और वक्त बर्बाद करने की जरूरत नहीं है। लड़का घबरा गया। इसके बाद टीचर ने उसे समझाया कि तुम्हारी उम्र में पढ़ाई सबसे जरूरी है। इन कामों का वक्त अभी नहीं आया है। लड़के ने पढ़ाई में मन लगाना शुरू कर दिया।

एक टीचर की सबसे बड़ी खासियत स्टूडेंट्स को इंगेज कर पाने की उसकी क्षमता है। जो टीचर पढ़ाते हुए स्टूडेंट्स को इंगेज कर पाते हैं, सब्जेक्ट के प्रति प्रेम पैदा कर पाते हैं, उसमें आगे बढ़ने और एक्सप्लोर करने के लिए बच्चों को उकसा पाते हैं, उनके लिए पढ़ाना आनंददायक काम साबित होता है। खुद स्टूडेंट्स ऐसे टीचर से बहुत दूर तक जोड़े रहते हैं और उनके कहे पर अमल भी करते हैं। अगर टीचर इंगेज नहीं कर पाते तो यह उनकी सबसे बड़ी नाकामी है।

एक पुरानी चाइनीज कहावत है : You tell me, I will forget, you show me, I may remember, you involve me, I will understand. टीचर को सबसे ज्यादा इस कहावत के आखिरी हिस्से पर अमल करना चाहिए। उसे हर तरह से स्टूडेंट को इंवॉल्व करने का हुनर आना चाहिए। खासकर एक ऐसे वक्त में जब स्टूडेंट्स के पास सूचना और जानकारी पाने के स्त्रोत बढ़ गए हैं, टीचर को इसे अपने लिए एक चुनौती की तरह लेना चाहिए। वह यह देखें कि कैसे टेक्नीकल एंडवांसमेंट के साथ अपने टीचिंग मेथड का तालमेल बिठा सकते हैं।

मार्शल मैकलूहान ने कहा था कि टेक्नॉलजी हमारे दिमाग का ही एक्सटेंशन है। ऐसे में जब टीचर स्टूडेंट के साथ इंटरेक्ट करें, खासकर बड़ी क्लासेस में, तो तकनीकी रूप से उनकी बेहतरी को उन्हें अपने लिए एक चुनौती और मौके के तौर पर लेना चाहिए। चुनौती इस मामले में कि अब वे कुछ भी पढ़ा कर क्लास से निकल नहीं सकते, सजग स्टूडेंट दूसरे स्त्रोतों से जानकारी इकट्ठा कर दिक्कत पैदा करेंगे। लेकिन अगर टीचर खुद ज्ञान के इन नए फोरम से अपने को जोड़ेंगे तो स्टूडेंट्स के साथ उनका इंटरैक्शन बेहतर और आसान हो जाएगा। मिसाल के तौर पर हर क्लास में प्रोजेक्ट वर्क होते हैं। एक छोटा सा उदाहरण लेते हैं। टीचर स्टूडेंट्स के साथ मिलकर एक फोरम बना लें। फेसबुक पर फोरम बनाकर प्रोजेक्ट के बारे में दूसरे लोगों से भी विचार मांगे और स्टूडेंट्स से भी पूछे। इससे स्टूडेंट्स को काफी कुछ जानने का मौका मिलेगा और उसकी रुचि भी पढ़ाई में और बढ़ेगी।

छोटी क्लासेस में भी स्टूडेंट्स को ज्यादातर वे टीचर पसंद आते हैं जो बोझिल से बोझिल सब्जेक्ट को भी दिलचस्प अंदाज में पढ़ाते हैं। ऐसा करते वक्त आम जिंदगी में उस सब्जेक्ट से जुड़े ऐप्लिकेशन बच्चों के सामने रखना चाहिए जिससे बच्चे आसानी से रिलेट कर सकें। किताबी पढ़ाई के साथ-साथ प्रैक्टिकल चीजों की जानकारी देना जरूरी है। इसलिए उसे असल जिंदगी के अनुभवों के साथ जोड़कर बताएं। उदाहरण के लिए अगर बच्चे को बारिश पर कोई कविता याद करा रहे हों तो उनकी उम्र के हिसाब से किसी फिल्मी गाने को जोड़कर समझा सकते हैं। स्पोर्ट्स की जानकारी देनी हो तो बड़े खिलाडि़यों का जिक्र करके बता सकते हैं। सब्जेक्ट्स को सवाल-जवाब के जरिए पढ़ाएं। इसके लिए खुद भी तैयारी करें। ग्राफिक टेक्नीक का इस्तेमाल करें क्योंकि बच्चों को शब्दों से ज्यादा तस्वीरें अपने करीब खींचती हैं। टीचिंग टूल्स का यूज करें।

- कई टीचर्स की आदत होती है कि वे स्कूल के दूसरे टीचर्स की बुराई स्टूडेंट्स के सामने करने लगते हैं। इससे स्टूडेंट्स के मन में टीचर्स की इज्जत कम होती है। इसके अलावा स्टूडेंट्स भी अगर दूसरे टीचर्स की बुराई किसी टीचर के सामने करते हैं तो उसमें रस लेने की बजाय उन्हें रोकें। साफ संदेश दें कि मेरी क्लास में टीचर्स की बुराई न तो की जाएगी और न सुनी जाएगी।

- ब्लैकबोर्ड पर लिखते वक्त कई बार स्टूडेंट्स टीचर्स के पीठ पीछे शरारतें करते हैं। कई बार चॉक मारने या कागजी हवाई जहाज फेंकने के वाकये सामने आते हैं। ऐसी स्थितियों से बचने के लिए बोर्ड पर इस तरह खड़े हों कि आपकी एक नजर क्लास पर भी रहे। यानी क्लास की तरफ पूरी तरह पीठ करके खड़े होकर न लिखें। लेकिन किसी की गलती पकड़ने के बाद आप सिचुएशन को कैसे हैंडल करते हैं, यह बहुत महत्वपूर्ण है। एक बार 8वीं क्लास के किसी बच्चे ने ब्लैकबोर्ड पर लिख रही अपनी टीचर पर कागज का हवाई जहाज बना कर फेंका। बजाय इस हरकत पर गुस्सा करने और क्लास को पनिश करने के टीचर ने यह कहा कि मुझे कागज का हवाई जहाज बनाना कभी नहीं आया और यह बचपन से मेरी इच्छा रही कि कोई मुझे इतना सुंदर कागजी हवाई जहाज बनाना सिखा दे। क्लास के बच्चों में से एक उठा और उसने सॉरी कहते हुए अपनी गलती न दुहराने का वादा किया। टीचर ने उसे माफ करने में एक पल न गंवाया और उससे कहा कि तुम नर्सरी के बच्चों को दो दिन उनकी क्लास में जाकर कागज के सुंदर हवाई जहाज बनाना सिखाओ और उन्हें यह भी बताओ कि वे इसे आर्ट एंड क्राफ्ट की क्लास में बनाएं, न कि दूसरे सब्जेक्ट्स की क्लास में, जब टीचर ब्लैकबोर्ड पर लिख रही हों।

- छठी क्लास की एक लड़की को उसका भाई फिजिकली अब्यूज कर रहा था। लड़की को हमेशा गुम-सुम देखकर टीचर ने उससे पूछा। पहले वह कुछ नहीं बोली। बाद में टीचर के लगातार यह विश्वास दिलाने पर कि तुम्हारा सीक्रेट मेरा सीक्रेट है और कोई तुम पर नहीं हंसेगा, लड़की ने धीरे-धीरे सारी बात बताई। टीचर ने लड़की के पैरंट्स से कॉन्टैट किया और भाई के खिलाफ केस भी कराया। लेकिन, इस कामयाबी में और लड़की का भरोसा जीतने में टीचर को महीनों मेहनत करनी पड़ी।

- सरकारी स्कूल में पढ़ाना किसी चुनौती से कम नहीं होता। उसमें स्टूडेंट खासे बिगड़ैल होते हैं। एक बार एक स्टूडेंट ने स्कूल से बाहर एक छात्रा को परेशान किया। उसे पुलिस पकड़ कर स्कूल ले आई, लेकिन स्कूल टीचर्स ने उस स्टूडेंट को पुलिस से बचाया। ऐसा करके उसे सिर्फ यह बताया गया कि हम तुम्हारी गलती पर पर्दा नहीं डाल रहे, बल्कि तुम्हें यह बता रहे कि जो शरारत तुमने की थी, उसकी सजा गंभीर भी हो सकती है। इस घटना के बाद उस स्टूडेंट ने कभी ऐसी हरकत नहीं की। गलती का अहसास होने पर ही स्टूडेंट बदलता है, मारने- पीटने से फायदा नहीं होता। इसके अलावा अगर स्टूडेंट अपनी आदतों में सुधार न करें तो उसके पैरंट्स को जरूर बताना चाहिए। कई बार देखने में आता है कि पैरंट्स को बुलाने की बात जब सामने आती है तो स्टूडेंट अपनी आदतों में बदलाव लाता है।
- बच्चे के साथ लगाव और गाइडेंस जरूरी है। ऐसा तभी होगा जब टीचर बच्चे की खासियतों और खामियों, दोनों को समझने की कोशिश करें।

- क्लास के सभी बच्चों के साथ बराबर इंटरेक्ट करें। कई बार दूसरे बच्चे साथी बच्चों की ऐसी कमजोरियां बता देते हैं, जो टीचर नहीं देख पाते।

- बच्चों को रेग्युलर पॉजिटिव फीडबैक दें। किसी बच्चे में थोड़ा भी सुधार हो तो उसी वक्त फीडबैक दे दें कि तुमने कितना अच्छा किया है। आलोचना करने से बचें।

- बच्चे को उसकी खूबियां बताएं और खुद भी उन्हीं पर फोकस करें। मसलन, हो सकता है कि कोई बच्चा लिखने में अच्छा नहीं हो लेकिन बोलने में अच्छा हो। इसी बात को उसका स्ट्रॉन्ग पॉइंट बना दें। उसे ऐसे काम ही ज्यादा दें।

- हर बच्चे में यह भावना जगाएं कि वह क्लास और स्कूल का हिस्सा है। गतिविधियों में किसी-न-किसी रूप में हर बच्चे का योगदान होना चाहिए।

- कंट्रोल्ड ऑटोनमी दें यानी बच्चे को यह छूट दें कि वह क्लास में अपनी बात रख सकता है, लेकिन एक निश्चित सीमा में रहकर ही।

- टीचर को अपडेट होना चाहिए क्योंकि टीचर की इंटेलिजेंस से बच्चे बहुत प्रभावित होते हैं। अगर किसी सवाल का जवाब नहीं मालूम तो साफ बोलें कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। कल बताऊंगा।

- एक कॉलेज में फिजिक्स पढ़ाने वाले एक टीचर बोर्ड पर एक बार में पूरी फिगर बनाकर क्लास के सबसे पीछे जाकर खड़े हो जाते थे और वहीं से बोर्ड की तरफ देखकर बोलते थे और समझाते थे। इससे पूरी क्लास की गतिविधि पर उनकी नजर रहती थी और बच्चों की नजर रहती थी सिर्फ बोर्ड पर।

- एक टीचर साफ तौर पर क्लास में कह देते थे कि स्टूडेंट्स आपस में नहीं हंसेंगे। अगर कोई बात हंसने की है तो पूरी क्लास को बताओ और फिर पूरी क्लास के साथ मैं भी उस बात पर हंसूंगा।

- स्टूडेंट्स को ऐसे एक्टिविटी में शामिल करें, जिनमें वह दिलचस्पी रखता हो।
आमतौर पर बच्चों को रेड पेन से कॉपी चेक कराना अच्छा नहीं लगता। बेहतर है कि टीचर ब्लू या ब्लैक पेन से मार्किंग

Monday, September 5, 2011

रेड्डी ब्रदर्स : चिट फंड कंपनी से 8000 करोड़ की मिल्कियत


अवैध खनन घोटाले में सीबीआई ने किया रेड्डी बंधुओ को गिरफ्तार
बैंगलुरू । सोमवार सुबह कर्नाटक के लिए काफी हतप्रभ रही क्योंकि सुबह साढ़े छह बजे सीबीआई ने अवैध खनन के मामले में कर्नाटक के रेड्डी बंधुओं को गिरफ्तार कर लिया है। इस गिरफ्तारी के साथ ही कई अहम दस्तावेज भी बरामद किये गये हैं। उन्हें लेकर सीबीआई आज हैदराबाद पहुंची है, जहां उम्मीद है कि दिन के तीन बजे उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया जायेगा।

आपको बता दें कि रेड्डी ब्रदर्स कर्नाटक राजनीति में उथल-पुथुल मचाने वाले अहम व्यक्ति हैं। रेड्डी ब्रदर्स तीन भाई हैं। जिनके नाम हैं.. जी करुणाकर रेड्डी, जी जनार्दन रेड्डी और सोमशेखर रेड्डी। ये तीनों भाई नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज के काफी करीबी माने जाते हैं। कर्नाटक सरकार में जी करुणाकर पूर्व राजस्‍व मंत्री पद पर रह चुके हैं। जबकि जी जनार्दन रेड्डी को पर्यटन विभाग संभाल चुके हैं। तीसरे भाई भी बीजेपी के ही विधायक है।

स्टार न्यूज के मुताबिक रेड्डी बंधुओं ने अपने करियर की शुरूआत साल 1990 में अपनी छोटी सी चिटफंड कंपनी के बंद करके सिर्फ 50 लाख के साथ ऑयरन माइनिंग यानी लौह अयस्क खनन के कारोबार की शुरूआत की थी। साल 1998 आते-आते इस कंपनी ने काफी नाम लिया था लेकिन इस कंपनी के हिस्से में नाम की जगह बदनामी ज्यादा आयी। साल 1998 में ही इस कंपनी में 200 करोड़ के घोटाले का आरोप लगा है।

कर्नाटक ही नहीं रेड्डी ब्रदर्स तो आंध्रप्रदेश की सीमा में भी अपना बिजनेस करते हैं जिसमें उनके साथ आंध्र प्रदेश के दिंवगत मुख्यमंत्री वाईएसआर के बेटे जगनमोहन रेड्डी के भी भागी दारी है। वहां भी इन को ऊपर धोखाधड़ी का आरोप लगा है। आज हालत ये है कि रेड्डी बंधु आज 8000 करोड़ रुपये के मालिक है।

जगमोहन मूंदड़ा का निधन


फिल्म निर्देशक जगमोहन मूंदड़ा का 4 सितम्बर, रविवार की सुबह निधन हो गया। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि मूंदड़ा (62) पिछले तीन दिन से अस्पताल में थे। मूंदड़ा को सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्मों के लिए पहचाना जाता था। उनकी मुख्य फिल्मों में नंदिता दास अभिनीत ‘बवंडर’ और ऐश्वर्या राय अभिनीत ‘प्रोवोक्ड’ प्रमुख थीं।

आईआईटी मुंबई से पढ़े मूंदड़ा इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए अमेरिका गए थे, लेकिन उन्होंने मार्केटिंग की पढ़ाई का विकल्प चुना। इसके बाद उन्होंने हॉलीवुड और बॉलीवुड के मार्केटिंग तरीकों पर एक शोध किया।

पीएचडी करने के बाद मूंदड़ा कैलिफोर्निया चले गए, जहां वे हॉलीवुड के संपर्क में आए। साल 1979 में उन्होंने पूरी तरह फिल्मकार बनने का फैसला किया। आने वाले दिनों में मूंदड़ा राजनीतिक व्यंग्य ‘किस्सा कुत्ते का’ बनाने वाले थे।

मूंदड़ा ने हॉलीवुड में भी कई फिल्में बनाईं, जिनमें ‘द जिग्सॉ मर्डर्स’, ‘हैलोवीन नाइट’, ‘नाइट आईज’, ‘एलए गॉडेस’, ‘सेक्सुअल मैलाइस’ और ‘टेल्स ऑफ द कामसूत्र-2 : मानसून’ मुख्य हैं।

बॉलीवुड की कई हस्तियों ने मूंदड़ा के निधन पर दुख व्यक्त किया है। फिल्मकार शेखर कपूर ने ट्विटर पर लिखा है कि जगमोहन मूंदड़ा और उनकी पत्नी चंद्रा लॉस एंजिल्स जाने वाले भारतीय फिल्म उद्योग के बहुत से लोगों को ठिकाना उपलब्ध कराते थे। जब मैं वहां पहली बार गया, तो उन्होंने मुझे भी कई महीने तक रखा। ऐसा कोई समय नहीं था, जब उनका घर मेहमानों के लिए खुला नहीं रहता हो। मुझे वे बहुत याद आएंगे।

अनुपम खेर ने लिखा है कि विश्वास नहीं हो रहा कि जगमोहन दुनिया छोड़कर चले गए। वे बहुत अच्छे व्यक्ति थे। गायिका श्रेया घोषाल के मुताबिक, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। आपको हमेशा याद किया जाएगा।

वरिष्ठ अभिनेता कबीर बेदी ने लिखा कि मेरे हॉलीवुड के समय के मित्र मूंदड़ा के निधन पर मुझे बहुत दुख हो रहा है। मैं उनसे अंतिम बार शम्मी कपूर के अंतिम संस्कार में मिला था। अभिनेत्री शबाना आजमी ने लिखा है कि जगमोहन मूंदड़ा का निधन बहुत दुख की खबर है।

Sunday, September 4, 2011

शीर्ष 9 कंपनियों को 89,000 करोड़ रुपए लाभ

देश की 10 सबसे बड़ी कंपनियों में से नौ कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण पिछले सप्ताह के दौरान 89,339.66 करोड़ रुपए बढ़ा जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज का बाजार पूंजीकरण सबसे अधिक बढ़ा।

बांबे स्टाक एक्सचेंज में शुक्रवार तक के कारोबार में रिलायंस इंडस्ट्रीज का बाजार मूल्य 28,125 करोड़ रुपए बढ़कर 2,63,696 करोड़ रुपए हो गया। कंपनी का शेयर भी पिछले सप्ताह करीब 12 फीसदी चढ़ा।

सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड का बाजार पूंजीकरण 17,148.92 करोड़ रुपए बढ़कर 2,44379.97 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।

आईटी क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों टीसीएस और इन्फोसिस ने मिलकर अपने बाजार पूंजीकरण में 20,563.1 करोड़ रुपए जोड़े। टीसीएस का बाजार मूल्य 1,99,957.34 करोड़ रुपए रहा जबकि इनफोसिस का बाजार मूल्य 1,32,954.25 करोड़ रुपए पहुंच गया।

एफएमसीजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी आईटीसी का बाजार पूंजीकरण 4,921 करोड़ रुपए बढ़कर 1,57,458 करोड़ रुपए हो गया। इसी तरह भारती एयरटेल, एसबीआई, एचडीएफसी बैंक और एनटीपीसी के बाजार पूंजीकरण के बाजार पूंजीकरण में बढ़ोतरी दर्ज हुई।

दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल का बाजार पूंजीकरण 3,759.54 करोड़ रुपए बढ़कर 1,55,185.65 करोड़ रुपए हो गया और बिजली उत्पादक एनटीपीसी का बाजार पूंजीकरण 577.18 करोड़ रुपए बढ़कर 1,37,616.73 करोड़ रुपए हो गया।

देश के सबसे बड़े ऋणदाता एसबीआई का बाजार मूल्य 6,676.92 करोड़ रुपए बढ़कर 1,26,610.66 करोड़ रुपए हो गया जबकि निजी ऋणदाता एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण 7,568 करोड़ रुपए बढ़कर 1,09,886 करोड़ रुपए हो गया।

टीम मनमोहन में करोड़पतियों की भरमार

भ्रष्टाचार को लेकर घिरी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार के मंत्रियों में करोड़पतियों की भरमार है। पीएमओ की वेबसाइट पर सार्वजनिक किए गए चल - अचल संपत्ति के आंकड़े के मुताबिक , कमलनाथ, कपिल सिब्बल , प्रफुल्ल पटेल और एम . के . अलागिरी सबसे रईस हैं , वहीं रक्षा मंत्री ए . के . एंटनी के पास सबसे कम संपत्ति है। कमलनाथ ने सबसे ज्यादा 263 करोड़ की संपत्ति की घोषणा की है। हालांकि , चौंकाने वाली बात यह है कि सभी मंत्रियों को 31 अगस्त तक यह ब्योरा पीएमओ को उपलब्ध कराने के निर्देश के बावजूद वी . किशोर चंद्र देव , विलास राव देशमुख , जयंती नटराजन , जितेंद्र सिंह , नमो नारायण मीणा और कृष्णा तीरथ समेत करीब 10 मंत्रियों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास गाड़ी के नाम पर सिर्फ 1996 मॉडल की एक मारुति 800 कार है। वहीं , उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्यों के पास एक से ज्यादा लग्जरी गाडि़यां हैं। प्रधानमंत्री के नाम खेती योग्य कोई जमीन नहीं है , जबकि उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों के पास कई हजार एकड़ कृषिभूमि है। जन लोकपाल विधेयक को लेकर हुए हालिया आंदोलन के दौरान टीम अन्ना के निशाने पर रहे सिब्बल के देश के कई शहरों में फ्लैट और दो राज्यों में खेती योग्य जमीन है।

प्रधानमंत्री के पास चंडीगढ़ में 4498.5 वर्गफुट क्षेत्रफल का एक फ्लैट है। उनके पास इसी शहर में 2907 वर्गफुट का एक और घर है जो 1987 में उन्होंने 8,62000 रुपये में खरीदा था। दोनों की कुल मौजूदा कीमत 90 लाख है। पीएम का एक फ्लैट वसंत कुंज में भी है , जिसकी मौजूदा कीमत 88.67 लाख बताई गई है। उनके पास 15 हजार रुपये ही नकद में हैं। बैंकों में उनकी जमापूंजी का ब्योरा देखें , तो सेंट्रल एसबीआई सेक्रेटेरिएट शाखा में 11,39,889 और 6,46,293 रुपये , एसबीआई संसद भवन शाखा में आठ लाख से ज्यादा की राशि जमा है।

पत्नी गुरशरण कौर के स्टेट बैंक ऑफ पटियाला में खाते में 11 लाख से अधिक राशि जमा है। एसबीआई में पीएम की एफडी करीब 50 लाख रुपये की है। एसबीआई की सेंट्रल सेक्रेटेरियट शाखा में टर्म डिपॉजिट 30 लाख , नब्बे लाख और अस्सी लाख के हैं। इसी तरह 7 लाख से ज्यादा के पोस्ट ऑफिस में एनएसएस भी मनमोहन ने ले रखे हैं। पीएम की पत्नी के पास 2.75 लाख के सोने के आभूषण हैं। पीएम के पास दूसरे मंत्रियों की तरह कोई कृषि या दूसरी जमीन नहीं है।

सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपनी कुल अचल संपत्ति 62,58279 रुपये की और चल संपत्ति 63,06327 होने की जानकारी दी है। कुल मिलाकर उनकी संपत्ति 1,25,64,606 रुपये की है। प्रणब ने अपने पास फोर्ड आइकॉन कार होने की जानकारी भी दी है। मुनीरका में उनके पास एक फ्लैट है , जिसकी कीमत 39.20 लाख है। प्रणब दा के पास कोलकाता में भी 21.12 लाख का एक फ्लैट है। पैतृक कृषि जमीन और मकान में उनका अच्छा खासा हिस्सा है।

रक्षा मंत्री ए . के . एंटनी संपत्ति - जमापूंजी के मामले में सबसे नीचे नजर आ रहे हैं। उनके पास न तो कोई घर है और न कार। कामकाजी पत्नी के पास एक कार जरूर है , वह भी सेकंड हैंड मारुति वैगनआर। इसे भी उन्होंने 1.30 लाख के लोन से खरीदा है। पत्नी के पास 15 लाख का एक घर केरल में है और इतनी की कीमत का एक प्लॉट उनके पास है।

गृहमंत्री पी . चिंदबरम की अचल और चल संपत्ति की कुल कीमत 11.16 करोड़ रुपये है। कृषि मंत्री शरद पवार की कुल अचल संपत्ति 3.46 करोड़ की है तो उनकी पत्नी की अचल संपत्ति की कुल कीमत 96.97 लाख है। हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली के नाम पर 1.65 करोड़ रुपये पवार परिवार के पास हैं। हैरानी की बात यह है कि पवार ने अपने पास कार नहीं होने की जानकारी दी है। विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के पास कुल पूंजी करीब 17.59 करोड़ जबकि अचल संपत्ति 32 लाख के करीब है।

कपिल सिब्बल के पास करीब 35 करोड़ की चल - अचल संपत्ति है। उनके पास बेंगलुरु , दिल्ली , फरीदाबाद और गुड़गांव में जमीन है। इसके अलावा सिकंदराबाद , पटना , दिल्ली और गुड़गांव में घर हैं। इसके अलावा नकदी करीब 3.11 लाख और वित्तीय संस्थान और गैर वित्तीय कंपनियों में जमा - करीब 76.91 लाख रुपये जमा हैं। उनके पास 5 गाड़ियां - टोयोटा कोरोला , ह्युंदै सोनाटा , सुजुकी जीप , एनफील्ड मोटरसाइकिल , रेवा इलेक्ट्रिक कार हैं।

प्रफुल्ल पटेल के पास खुद की करीब 33 करोड़ 94 लाख की और बच्चों के नाम 54 करोड़ 72 लाख की अचल संपत्ति है। इसके अलावा उनके पास करीब 4 करोड़ 33 लाख की चल संपत्ति भी है।

Friday, September 2, 2011

नौकरी पर सिख पहन सकेंगे पगड़ी


अमरीका के न्यूयॉर्क शहर में एक नया कानून मंज़ूर हुआ है. इसके तहत अब सरकारी या निजी दफ़्तरों में सिखों और मुसलमानों समेत किसी को भी काम के दौरान अपने धार्मिक कार्यों को अंजाम देने या खास तरह का लिबास या अन्य चीज़ें पहनने पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकेगी.

वर्कप्लेस रिलिजस फ़्रीडम नामक इस कानून को ऐतिहासिक कानून माना जा रहा है.इसके तहत अब सिख और मुसलमान नौकरी के दौरान भी अपनी पगड़ी, हिजाब और दाढ़ी के साथ काम कर सकेंगे.

न्यूयॉर्क के मेयर माईकल ब्लूम्बर्ग ने जिस नए कानून पर हस्ताक्षर किए हैं उसे न्यूयॉर्क के क्वींस इलाके के एक काउंसिल मैन मार्क हेपरिन ने काउंसिल में मंज़ूरी के लिए पेश किया था.

इस कानून का मकसद यह है कि लोगों को यह संदेश जाए कि किसी को भी अपनी नौकरी और अपने धर्म के पालन में से किसी एक को चुनना नहीं पड़ेगा. अब हमें आशा है कि इस बात का खास ख्याल रखा जाए कि किसी भी मुलाज़िम को उसके धर्म से संबंधित पहनावे या किसी प्रक्रिया को अंजाम देने पर रोक न लगाई जाए.
काउंसिल मैन मार्क हेपरिन
वह कहते हैं, "मुझे मेरे चुनावी इलाके में रहने वाले कई सिखों ने यह बताया था कि पगड़ी औऱ दाढ़ी को लेकर सिखो कों नौकरियों में कितनी मुश्किलें उठानी पड़ती हैं. तभी से मैं इस नए क़ानून के लिए काम में जुट गया था. मैने कई गुरूद्वारों के चक्कर लगाए, सिखों से मुलाकातें कीं और फिर एक बिल तैयार किया."

इस नए कानून के बारे में बीबीसी हिंदी से बात करते हुए मार्क हेपरिन कहते हैं, “इस कानून का मकसद यह है कि लोगों को यह संदेश जाए कि किसी को भी अपनी नौकरी और अपने धर्म के पालन में से किसी एक को चुनना नहीं पड़ेगा. अब हमें आशा है कि सरकारी और ग़ैर सरकारी सभी दफ़्तरों और कंपनियों में इस बात का खास ख्याल रखा जाए कि किसी भी मुलाज़िम को उसके धर्म से संबंधित पहनावे या किसी प्रक्रिया को अंजाम देने पर रोक न लगाई जाए.”

नहीं पहन सकते थे धार्मिक पहनावा


कउंसिल मैन हेपरि बताते हैं कि इससे पहले इसी सिलसिले में जो मानवाधिकार संबंधी कानून थे उसमें शर्त थी कि नौकरी पर इस तरह की धार्मिक आज़ादी दी जाए लेकिन अगर किसी को उससे तकलीफ़ न हो तो.

उनका कहना है कि इस शर्त के कारण बहुत से सिखों और मुसलमानों को नौकरी पर उनके धार्मिक फ़रीज़े या उनके पहनावे को लेकर मुशकिलें पैदा हुईं.

अब तक सिखों को खासकर उनकी पगड़ी पहनने के कारण कई विभागों में और दफ़्तरों में मुश्किल होती रही है. और कई लोगों को इसी के कारण या तो अपना काम छोड़ना पड़ा या फिर पेशा ही बदलना पड़ा.

केविन हैरिंग्टन एक सिख अमरीकी हैं. उन्हें न्यूयॉर्क की भूमिगत रेल सेवा में ट्रेन के ड्राईवर की नौकरी से इसलिए निकाल दिया गया था, क्यूंकि वह अपनी पगड़ी पर कंपनी का लोगो धार्मिक कारणों से नहीं लगाना चाहते थे.

नौकरियों के दौरान भेदभाव के कारण बहुत से सिखों ने निजी धंधे शुरू कर दिए हैं, कोई टैक्सी चलाने लगा है तो कोई इमारत के निर्माण के काम में चला गया है. सरकारी और निजी दोंनो क्षेत्रों में सिखों के खिलाफ़ भेदभाव किया जाता है. ”
केविन हैरिंग्टन, अमरीकी-सिख
केविन बताते हैं कि इसी तरह के बर्ताव के कारण बहुत से सिखों को अपनी नौकरियां छोड़नी पड़ीं औऱ अपना खुद का कोई काम करने पर मजबूर होना पड़ा.

वह कहते हैं,“नौकरियों के दौरान भेदभाव के कारण बहुत से सिखों ने निजी धंधे शुरू कर दिए हैं, कोई टैक्सी चलाने लगा है तो कोई इमारत के निर्माण के काम में चला गया है. सरकारी और निजी दोंनो क्षेत्रों में सिखों के खिलाफ़ भेदभाव किया जाता है. ”

केविन कहते हैं कि न्यूयॉर्क के इलाके में 70 प्रतिशत के आसपास सिखों ने इसी प्रकार से भेदभाव के कारण अपनी नौकरियां छोड़ीं और दूसरे काम या बिज़नेस शुरू करने पर मजबूर हुए हैं.

'ऐताहिसाक क़ानून'

अब बहुत से सिख औऱ मुसलमान भी खुश हैं कि अब एक ऐतिहासिक कानून लागू हो गया है जिससे उनके धार्मिक कामों में उनकी नौकरी आड़े नहीं आएगी.

मुबशिर अहमद न्यूयॉर्क में दो कंपनियों के मालिक हैं और वह भी इस कानून से खुश हैं.

वह कहते हैं, “यह बहुत ही अच्छा कानून है. हां नौकरी पर जो ज़िम्मेदारियां हैं वह तो पूरी होनी चाहिए, काम पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए. उसके अलावा किसी भी मालिक को इस बात से कोई मतलब नहीं होना चाहिए कि कौन क्या पहन के काम पर आ रहा है, या वह अपने धर्म से संबंधित किसी काम को अंजाम दे रहा है. यह तो बुनियादी आज़ादी के अंदर ही आता है.”

न्यूयॉर्क में बड़ी संख्या में सिख रहते हैं. शहर में 11 सितंबर के चरंपंथी हमलों के बाद से अमरीका भर में मुसलमानों औऱ सिखों के खिलाफ़ भेदभाव के मामले सामने आते रहे हैं.

खासकर नौकरीपेशा लोगों को अपने धार्मिक कामों या तौर तरीकों पर अमल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता रहा है. इसके अलावा सिखों को पगड़ी पहनने के कारण कई सरकारी विभागों जैसे पुलिस विभाग या सेना में भी दिक्कतें आती रही हैं.

न्यूयॉर्क की एक सिख संस्था सिख कोएलिशन के राजदीप सिंह कहते हैं कि वह इस कानून के लिए बहुत दिन से कोशिश कर रहे थे.

राजदीप सिंह कहते हैं, “सिख और हमारी संस्था इसी तरह के कानून के लिए कई वर्षों से कोशिश में लगे थे. पिछले 10 सालों में पूरे देश में कई सिखों को नौकरियों में मुश्किल हुई, उनसे कहा गया आप पगड़ी नहीं पहन सकते, आप दाढ़ी नहीं रख सकते. अब इस कानून के ज़रिए सभी नौकरियों में सबके साथ बराबरी का सलूक किया जाएगा.”

अब इन लोगों को उम्मीद है कि न्यूयॉर्क के इस कानून के बाद केंद्रीय स्तर पर भी इसी तरह का कानून लाया जाए जिससे अमरीकी संविधान के तहत सभी को धार्मिक आज़ादी का वादा पूरा हो सके.