Wednesday, December 19, 2012

औचित्य है? फेयर प्राइस शाप का खोलने का क्या औचित्य?


 एक कहावत है कि नई बोतल में पुरानी शराब भरने से कुछ नहीं होता, क्या राज्य सरकार की ओर से शोर-शराबे के साथ खोली गई छह ‘फेयर प्राइस शाप’ की दुकानें भी महज दिखावा है? पुरानी शराब नई के मुकाबले महंगी होती है, इसी तरह सरकारी अस्पतालों में ‘जनौषधी’ की दुकानें बंद करके यह दुकानें खोली जा रही हैं, जिनकी कीमत पुरानी दुकानों के मुकाबले ज्यादा है।
गौरतलब है कि सरकारी अस्पताल में गरीब मरीजों को महंगी दवा खरीदने में परेशानी होती थी इसलिए केंद्र सरकार की परियोजना से सस्ती दवाई की ‘जनौषधी’ दुकाने खोली गई थी। इन दुकानों में बहुत कम कीमत पर दवाएं मिलती थी। लेकिन परियोजना के नाकाम बताते हुए इन दुकानों को बंद कर दिया गया। अब राज्य में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत राज्य में कुल मिलाकर ‘फेयर प्राइस शाप’ की छह दुकानें खोली गई हैं। इस बारे में प्रचारित किया गया है कि यहां 66 फीसद तक खुदरा विक्रय मूल्य से कम कीमत पर यहां दवाईयां मिल सकेंगी।  लेकिन कई डाक्टरों का कहना है कि इन दुकानों की उपयोगिता ही सवालों के घेरे में है। इसकाकारण बताते  हुए एक डाक्टर का कहना है कि राजस्थान, पंजाब और दक्षिण के राज्यों में सफल ‘जनौषधी’ दुकानों की परियोजना पश्चिम बंगाल में नाकाम हो गई थी ,राज्य सरकार की नाकामी इसकी मुख्य वजह थी।
सूत्रों ने बताया कि मेटफर्मिन नामक 500 एमजी (10 टैबलेट) राज्य में 50 रुपए में बिक रही है, जबकि फेयर प्राइस शाप में इसकी कीमत साढ़े सोलह रुपए है। यह दवा राजस्थान में एक रुपए 89 पैसे में बिकती है। इसी तरह एक ग्राम मेरोपेनेम (सिंगल डायल) का मूल्य 2490 रुपए और 821 रुपए 70 पैसे में मिल रही है, राजस्थान में इसकी कीमत 227 रुपए है। इसी तरह सिप्रोफ्लेससिन 67 फीसद छूट देने के बाद 19 रुपए 47 पैसे, राजस्थान में 10 रुपए 44 पैसे, को-एमक्सिक्रेव 87.45 रुपए के बजाए 26.31 रुपए, एलबेंडाजोल 7.26 व राजस्थान में 6.30 रुपए में उपलब्ध है।
सूत्रों का कहना है कि सस्ती दवाएं गरीबों को देने के लिए 2008 में शुरू हुई ‘जनौषधी’ परियोजना राजस्थान में सबसे ज्यादा सफल रही है। राज्य में इसे 2010 में खोला गया था। मांग कम होने के कारण सिर्फ तीन जगह दुकानें खोली गई थी, जिसे बंद करना पड़ा। इसका कारण बताया जाता है कि वहां दवाई कंपनी से सीधे दवा खरीद ली जाती है। इसके साथ ही छोटी-बड़ी गैर सरकारी संस्थाओं की दवाएं भी खरीदी जाती हैं। महज बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भरोसे नहीं रहा जाता। तीसरा कारण दवा की गुणवत्ता पर लगातार कड़ी नजर रखी जाती है। राजस्थान में दवाएं सीधे कंपनी से खरीदी जाती हैं लेकिन यहां  ‘जनौषधी’ की बात हो या ‘फेयर प्राइस शाप’ दुकानों की दवाएं राज्य सरकार सीधे तौर पर नहीं खरीदती है। इसलिए राजस्थान में 461 प्रकार की दवाएं मिलती हैं लेकिन यहां महज 142 दवाएं रखने की बात की गई है। जबकि जनौषधी तो 50 प्रकार की दवाइयों का आंकड़ा पार नहीं कर सकी थी। भले ही राज्य सरकार की ओर से सस्ती दवाएं देने का दावा किया जा रहा हो लेकिन लोगों का कहना है कि जब दवा की कीमत कम नहीं है तो ऐसी दुकानें खोलने का क्या

Sunday, December 16, 2012

फेयर प्राइस शाप की दुकान में महंगी दवाएं


  कोलकाता, 16 दिसंबर (जनसत्ता)। राज्य सरकार के प्रयास से सस्ती दवा की दुकानें खोली गई हैं। लेकिन सस्ती दवा के नाम पर लोगों को महज धोखा दिया जा रहा है। धर्मतला की मेट्रो गली या आसपास के इलाके में बैठे दुकानदार किसी भी सामान की कीमत दोगुनी बताते हैं और मोलभाव करने पर कई बार एक हजार रुपए का सामान 200-250 रुपए में मिल जाता है। सरकारी अस्पताल के फेयर प्राइस शाप नामक दवा दुकान में भी ऐसा ही हो रहा है।
सूत्रों के मुताबिक दवा की दुकान में 100 रुपए में मिलने वाली दवा की फेयर प्राइस शाप में जेरेरिक दवा का खुदरा विक्रय मूल्य (एमआरपी) 300 रुपए लिखा गया है। सरकारी और प्राइवेट सहयोग (पीपीपी माडल) से खुली दुकान में 66 फीसद छूट पर वह दवा 100 रुपए में मिल रही है। इस तरह लोगों का आरोप है कि दवा की दुकान में सौ रुपए की दवा सौ रुपए में ही मिल रही है। इसमें एक रुपए की भी बचत नहीं हो रही है। लोगों का कहना है कि सरकार और आधुनिक खुदरा विक्रय (रिटेल मार्केटिंग) फार्मूले के तहत कम मूल्य की दवाएं तो मिल ही नहीं हैं, फेयर प्राइस शाप में मिलने वाली 142 जेनेरिक दवाओं में लगभग आधी दवाएं खुले बाजार की दुकानों में कम मूल्य में मिल रही हैं। सरकारी डाक्टरों का एक हिस्सा मानता है कि बहुत सस्ती दवाएं मिलने का सरकारी दावा लोगों को गुमराह करने वाला है। जबकि स्वास्थ्य विभाग के लोगों का कहना है कि छूट तो मिल रही है यही बहुत बड़ी बात है।
हावड़ा जिले के शिवपुर में रहने वाले अशोक राय दमे से पीड़िÞत होकर एक सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए गए थे। वहां डाक्टर ने दवा लाने के लिए कहा तो फेयर प्राइस शाप से जाकर को-आमेक्सिक्लेव नामक दवा 89 रुपए में खरीदी। दवा लेकर वे बहुत खुश हुए क्योंकि दवा पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) 265 रुपए छपा हुआ था। लेकिन अपने इलाके की दुकानों में जब उसी दवा की कीमत के बारे में पूछताछ की तो पता चला कि 90 रुपए से लेकर 100 रुपए में वह दवा बिक रही है।
फेयर प्राइस शाप और हावड़ा जिले के दवा दुकानों की तुलना की जाए तो इस तरह दिखता है कि मेटोफर्मिन 500 ग्राम (10 टैबलेट) की एमआरपी 50 रुपए है तो हावड़ा में 15 रुपए में दवा मिल रही है। मेरोपेनेम एक ग्राम (सिंगल डायल) 2490 रुपए तो सामान्य दुकान में 500 रुपए, सिप्रोफ्लेकसिन 500 (10 टैबलेट) 265 रुपए और 100 रुपए, एलबेंडोजल 22 रुपए और आठ रुपए में मिल रही है।

Friday, December 14, 2012

275 साल पुरातन हस्तलिखित श्री गुरु ग्रंथ साहिब


  रंजीत लुधियानवी
कोलकाता, 14 नवंबर  । राज्य के लोगों के लिए श्री गुरु ग्रंथ साहिब के तीन दुर्लभ स्वरुप के दर्शन  डनलप से हावड़ा पहुंच रहे हैं। इनमें एक पौने तीन सौ साल पुराना तो दूसरा सवा दो सौ साल पुराना है। तीसरा ग्रंथ तो महज एक इंच की आकृति का है।  हावड़ा में 275 साल पुरातन हस्त लिखित श्री गुरु ग्रंथ साहिब स्वरुप के शनिवार को दर्शन किए जा सकेंगे। आलमपुर स्थित गुरुद्वार सिख संगत में यह रहेंगे। यह जानकारी श्री गुरु सिंह सभा, मायथान (आगरा) उत्तर प्रदेश के मुख्य प्रचारक भाई ओंकार सिंह ने शुक्रवार को एक विशेष बातचीत के दौरान दी। उन्होंने बताया कि सिख धर्म के नौंवे गुरु श्री गुरु तेग बहादुर उत्तर प्रदेश के इस गुरुद्वारे में पहुंचे थे। यहां पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब के तीन दुर्लभ स्वरूप मौजूद हैं। सिख धर्म के प्रचार-प्रसार और लोगों को इस दुर्लभ स्वरुप के दर्शन कराने के लिए पश्चिम बंगाल में इन्हें लाया गया है।
उन्होंने बताया कि इनमें पहला स्वरुप 1730 ईसवी से लेकर 1737 ईसवी तक लगातार पांच साल के कठिन परिश्रम के बाद 275 साल पुराना हस्तलिखित स्वरुप तैयार किया गया था। जपुजी साहिब से प्रथम  शब्दों  सोना, नीलम और मानिक की स्याही बनाकर कलात्मक चित्रकारी से लिखा गया है। इसके साथ ही 225 साल पुरातन एक स्वरुप भी है। इसे पत्थर के ब्लाक से तैयार किया गया था। लाहौर के दो मुसलमान भाईयों ने संपूर्ण गुरुवाणी की पत्थर की डाइयों से इसे छापा गया था। इसलिए इसे लोगों की ओर से पत्थर छाप स्वरुप माना जाने लगा।
उत्तर प्रदेश से यहां लाए गए तीन प्राचीन श्री गुरु ग्रंथ साहिब में एक स्वरुप महज एक इंच का है। सौ साल पुराने ग्रंथ को पढ़ने के लिए मैग्नीफाइंग ग्लास की आवश्यकता पड़ती है। मालूम हो कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सिख सैनिक भारी संख्या में ब्रिटिश सरकार में शामिल थे। लेकिन जब उन्हें युद्ध में जाने के लिए कहा गया तो उन्होंने इंकार कर दिया। उनका कहना था कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब के बगैर हमलोग कहीं नहीं जा सकते। जब तक हम अपने गुरु के सामने अरदास नहीं करते, कोई काम नहीं करते। सिखों को युद्ध में जोश के लिए भी गुरू की मौजूदगी जरुरी है। इसके बाद अंग्रेज सरकार ने योजना बनाई और जर्मन की एक प्रिंटिंग प्रेस में मौजूदा श्री गुरु ग्रंथ साहिब की फोटो करवा कर एक इंच के आकार का ग्रंथ तैयार करवाया ।इस तरह के कुल मिलाकर 13 स्वरुप तैयार किए गए। इसके बाद सिख सैनिक युद्ध के लिए रवाना हुए।
 गुरुद्वारा सिख संगत,डनलप ब्रीज से भाई सोहन सिंह, कुलविंदर सिंह , सुंदर सिंह, महंगा सिंह, केवल सिंह, बलवंत सिंह समेत कई लोग दुर्लभ स्वरुप लेकर यहां पहुंचे हैं। लुधियाना के रास्ते उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीस गढ़, झारखंड और ओडिसा के बाद यहां पहुंचे ग्रंथ को देखने  के लिए बीते तीन दिन डनलप गुरुद्वारा में श्रृद्धालुओं का तांता लगा रहा।

Wednesday, December 5, 2012

11 दिसंबर से 6 सरकारी अस्पतालों में राजस्थान मॉडल


 लंबे समय बाद आखिर सस्ती दवा की दुकानें खुलने जा रही हैं।  राज्य सरकार की ओर से इस बारे से बीते कई महीनों से कहा जा रहा था। सबसे पहले छह अस्पतालों में सस्ती दवाकी दुकानें खोली जा रही हैं। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से दूसरे 29 अस्पतालों में दुकाने चालू होंगी। आगामी ग्यारह दिसंबर को प्रथम चरण की दुकानों का उद्घाटन होगा।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी मॉडल) के तहत राज्य सरकार सस्ती दवाकी दुकानें खोल रही है। मालूम हो कि राजस्थान सरकार ने इस तरह की दुकानें खोल कर दवाओं की कीमतों में भारी कमी करने में पहले ही सफलता प्राप्त की है। बताया जाता है कि  हालात ऐसे हो गए हैं कि अब वहां दवा बेचने वाले दुकानदार और प्राइवेट अस्पताल वाले भी ‘फेयर प्राइस स्टोर’ से दवाएं खरीद रहे हैं। इसलिए राज्य सरकार की ओर से राजस्थान मॉडल को लागू करने का प्रयास किया जा रहा है।
  स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट््टाचार्य का कहना है कि सस्ती दवाकी दुकानें खोलने की परियोजना के तहत सबसे पहले आगामी 11 दिसंबर को कोलकाता मेडिकल कालेज, उत्तर बंगाल मेडिकल कालेज, जलपाईगुड़ी अस्पताल, बारासात अस्पताल, एमआर बांगुर और मेदिनीपुर मेडिकल कालेज अस्पताल में उन्हें खोला जा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कलकत्ता मेडिकल कालेज अस्पताल में सस्ती दवा की दुकान का उद्घाटन करेंगी जबकि उसी दिन दूसरे सभी अस्पतालों में राज्य के दूसरे मंत्री दुकानों का उद्घाटन करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक सस्ती दवा की दुकानें ‘फेयर प्राइस स्टोर’ लगातार 24 घंटा खुले रहेंगे और वहां 142 प्रकार की जेनेरिक दवाएं उपलब्ध होंगी। यहां दवा पर छपी कीमत ( एमआरपी) पर 66 फीसद तक छूट प्राप्त होगी। माना जा रहा है कि ऐसी दवा की दुकानों की बिक्री बढ़ने से दवाएं सस्ती होंगी और डाक्टरों और दलालों के प्रकोप से मरीज और उनके रिश्तेदारों को राहत मिल सकेगी।

Friday, November 30, 2012

पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल का निधन



 पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल का शुक्रवार को यहां मेदांता सिटी अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह किडनी और फेफड़े में संक्रमण के कारण पिछले 10 दिनों से वेंटिलेटर पर थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 93 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री को यहां सेक्टर 38 स्थित मेदांता सिटी अस्पताल में 19 नवंबर को भर्ती कराया गया था। यहां सांस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन आज उनकी हालत बिगड़ गई और उन्होंने दोपहर तीन बजे के करीब अंतिम सांस ली।
पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार समेत सभी पार्टियों के नेताओं ने दुख प्रकट किया है।
तीसरे मोर्चे की ओर से 21 अप्रैल 1997 से 19 मार्च 1998 के बीच 11 महीने तक प्रधानमंत्री पद संभालने वाले आइ के गुजराल की पत्नी का पिछले साल ही निधन हो चुका है। उनके दो बेटे नरेश गुजराल और विशाल गुजराल हैं। बड़े पुत्र नरेश गुजराल राज्यसभा के सदस्य हैं।

Thursday, November 29, 2012

अब बेलून पर चढ़कर देख सकेंगे कोलकाता


  कोलकाता, 29 नवंबर (जनसत्ता)।अब आप आकाश पर चढ़कर ऊंचाई से कोलकाता को देख सकेंगे। इसके लिए हवाई जहाज का टिकट कटाने की जरुरत नहीं है। एक बेलून की मदद से बीच आकाश से कोलकाता दर्शन कि ए जा सकेंगे। यह महज कल्पना नहीं है। जमीन से 500 फीट ऊपर बेलून की मदद से हिंडोले पर खड़े होकर नजारा देखना दो महीने में संभव हो सकेगा। राज्य की दो सरकारी संस्थाओं की ओर से यह काम किया जा रहा है। कोलकाता इंप्रूवमेंट ट्रस्ट (केआईटी)  और कोलकाता मेट्रोपोलिटन डेवलपमेंट अथारिटी (एएमडीए) की ओर से इस बारे में व्यापक स्तर पर काम किया जा रहा है।
सूत्रों से पता चला है कि महानगर के रवींद्र सरोवर में इसके लिए बाकायदा स्टेशन बनाया जा रहा है। इसके बाद 3500 घनमीटर हिलीयम गैस से भरे हुए बेलून की मदद से कोलकाता को आकाश से देखा जा सकेगा। एक बार बेलून की मदद से उपर पहुंचे नहीं कि सफेदी में जगमगाता विक्टोरिया, हावड़ा पुल ( रवींद्र सेतु) दिखाई देगा। हवा की मदद से बेलून दूसरी ओर सरकने लगेगा तो आपको द्वितिय हुगली सेतु या विवेकानंद ब्रीज दिखाई देगा। साइंस सिटी से लेकर महानगर के दूसरे महत्वपूर्ण स्थान पंछी की तरह देखे जा सकेंगे। मंजूरी मिलने पर रात के अंधेरे में जगमगाता कोलकाता भी देखा जा सकता है।
सूत्रों ने बताया कि देश में सबसे पहले गुजरात में बेलून की मदद से नजारा देखने की व्यवस्था शुरू हुई थी। इसके बाद कश्मीर में यह मशीन खरीदी गई। हालांकि वहां अभी तक वह चालू नहीं हुई है। इस तरह कोलकाता देश का दूसरा ऐसा स्थान होगा जहां लोग बेलून की मदद से हिंडोले पर बैठकर महानगर का नजारा ले सकेंगे। आम तौर पर एक हजार फीट के बिजली के तार (विंच) की मदद से बेलून को नियंत्रित किया जाता है। लेकिन जब हवा तेजी से बहती है तो उसकी लंबाई घटा दी जाती है। हालांकि यह काम खासा महंगा है इसलिए दोनों संस्थाओं कीओर से पीपीडी माडल के तहत एक प्राइवेट संस्था को साथ लेकर काम किया जा रहा है। इसके लिए कोलकाता एयरपोर्ट के एटीसी से मंजूरी लेने की जरुरत पड़ती है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि जमीन से 500 फीट उपर दक्षिण कोलकाता में हवाई उडान में किसी तरह की समस्या नहीं होगी। इसका कारण यह है कि तब तक पूर्व कोलकाता में ही विमान 2500 फीट उपर चला जाएगा। इतना जरुर है कि बेलून पर सदैव एटीसी की नजर रहेगी।
सूत्रों से पता चला है कि बेंलून समेत हिंडोले की ऊंचाई लगभग 100 फीट है। अभी तक इस हवाई बेलून का नाम तय नहीं किया जा सका है। बेलून के नीचे लोगों के खड़ा होने की जगह होगी। इसका वजन 270 किलोग्राम है। यहां 25 से लेकर 30 यात्री खड़ा हो सकेंगे। 19 मीटर परिधि के बेलून का वजन लगभग तीन हजार किलोग्राम है। हालांकि आकाश से कोलकाता दर्शन करने के लिए कितने रुपए खर्च करने होंगे अभी तक इसका कुछ पता नहीं चल सका है। माना जा रहा है कि आगामी कुछ दिनों में ही संस्था की ओर से इसका एलान किया जाएगा।


पश्चिमी सभ्यता से अलग है सिख धर्म


  रंजीत लुधियानवी
कोलकाता, 28 नवंबर। सिख धर्मa में कर्मकांड और अंधविश्वास की कोई जगह नहीं है, लेकिन लोग अज्ञान के चक्कर में पड़ कर ऐसी हरकतें करते है,ं जिनका सिख धर्म से कोई संबंध नहीं है। श्री दरबार साहिब (हरमंदिर साहिब, अमृतसर) के हेड ग्रंथी ज्ञानी जसवंत सिंह ने बुधवार को यह विचार व्यक्त किए। गुरु नानक देव जी के 544 वें पावन प्रकाश उत्सव के मौके पर महानगर कोलकाता के शहीद मिनार में आयोजित तीन दिवसीय गुरमति समागम के अंतिम दिन उन्होंने यह विचार प्रकट किए। श्री गुरू सिंह सभा,कोलकाता की ओर से गुरु नानक जयंती के मौके पर यह आयोजन किया गया। इस मौके पर स्थानीय धर्म प्रचारकों के अलावा पंजाब से पहुंचे कई प्रचारकों ने भी कथा,कीर्तन किया। मालूम हो कि अखंड पाठ के शुभारंभ के दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी यहां पहुंची थी। आज यहां आने वालों में कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चट््टोपाध्याय समेत कई लोग थे।
ज्ञानी जसवंत सिंह ने इस मौके पर कहा कि विवाह के पहले सिखों में रिंग सेरेमनी करना का प्रचलन इन दिनों खासा चल रहा है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सामने फेरे लेने से पहले यह रस्म की जा रही है। गुरू के सामने विवाह से पहले सिख धर्म में किसी पुरुष के लिए दूसरी महिला का हाथ पकड़ना और किसी महिला की ओर से दूसरे पुरुष का हाथ पकड़ना पूरी तरह से गलत है। जब तक शादी नहीं होती दोनों एक दूसरे को स्पर्श भी नहीं कर सकते। क्या पता उनका विवाह होगा भी या नहीं। लेकिन लोग इससे पहले अंगुठी पहनाने की रस्म रिंग सेरेमनी कर रहे हैं।
इसी तरह सिख धर्म अंधविश्वास का खंडन करता है। गुरू नानक देव जी ने बचपन से इस दिशा में प्रचार शुरू कर दिया था जब उन्होंने जनेउ धारण करने से इंकार कर दिया था। इसके बाद दसवें गुरू श्री गुरू गोविंद सिंह जी की ओर से खालसा पंथ की स्थापना करने के बाद साफ तौर पर एलान कर दिया गया कि सिखों को सिर्फ श्री गुरू ग्रंथ साहिब के सामने शीश झुकाना है। इसके अलावा किसी के सामने नतमस्तक नहीं होना है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। यह सीधी तौर पर धर्म विरोधी काम है।
चाची, मौसी , मामी को आंटी कहकर पुकारने पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सिंह ने कहा कि इससे रिश्ते की पहचान नहीं रहती है जबकि हमारी भाषा में अलग-अलग रिश्तों की अलग पहचान है। उसका विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में रहने के लिए बांग्ला और अंग्रेजी भाषाओं का ज्ञान सभी पंजाबियों को होना चाहिए। इसमें कुछ गलत नहीं है। यह रोजगार और कारोबार के लिए बहुत जरुरी है। लेकिन इसके साथ ही पंजाबी भाषा का ज्ञान अति आवश्यक है। बंगाली या अंग्रेजी में कोई गुरुवाणी का सटीक उच्चारण कर ही नहीं सकता है जबकि पंजाबियों के लिए प्रतिदिन गुरुवाणी का पाठ करना जरुरी है। उन्होंने कहा कि सिख धर्म पश्चिमी सभ्यता से अलग है। इसलिए विदेशियों की नकल करके आप आगे नहीं बढ़ सकते हैं।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव का जन्म दिन मनाने की प्रक्रिया सबसे पहले एक मुसलमान राजा  राय बुलार ने शुरू की थी।  उन्होंने सात तोपों की सलामी दी थी। यह जन्मदिन जब मनाया गया तब पहले गुरू हमारे बीच मौजूद थे। लेकिन इन दिनों गुरु नानक जयंती का स्वरुप ही बदल गया है।
इस मौके पर कोलकाता के मेयर शोभन चट््टोपाध्याय ने कहा कि महानगर में रहने वाले सिखों की ओर से श्रृद्धा और उत्साह से अपने धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। नगर निगम इस मामले में सभी प्रकार की मदद करता है। किसी को समस्या हो तो सीधे संपर्क किया जा सकता है। अल्पसंख्यकों के लिए हमलोग सभी प्रकार की सहायता के लिए तैयार रहते हैं।
मालूम हो कि शहीद मिनार के साथ ही डनलप के गुरुद्वारा सिख संगत में भी नानक जयंती मनाई गई। इस मौके पर अखंड पाठ की समाप्ति के बाद लंगर वितरण किया गया। जिसमें हजारों लोगों ने लंगर छका। इसके साथ ही रक्त दान शिविर का भी आयोजन किया गया।

Sunday, November 25, 2012

कंप्यूटर की जानकारी नहीं रखने वाले अब क्लर्क भी नहीं बन सकेंगे


  कोलकाता, 25 नवंबर (जनसत्ता)। अब क्लर्क की नौकरी के लिए भी कंप्यूटर की जानकारी होनी चाहिए। राज्य सरकार के दफ्तरों में लोअर डिवीजन क्लर्क (एलडीसी) पद के लिए कंप्यूटर की जानकारी आवश्यक की गई है। इस बारे में वित्त विभाग की ओर से एक सर्कुलर जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि क्लर्क पद के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त संस्था से कम से कम छह महीने का कंप्यूटर पाठ्यक्रम किया होना चाहिए। इतना ही नहीं कंप्यूटर के बारे में जानकारी रखने के साथ ही अंग्रेजी और बांग्ला में टाइप करना भी आना चाहिए । अंग्रेजी में प्रति मिनट 35 और बांग्ला में 25 शब्द टाइप करने की स्पीड होनी चाहिए।
राज्य सरकार के सर्कुलर में कहा गया है कि नौकरी की परीक्षा में कंप्यूटर की परीक्षा नहीं ली जाएगी। लेकिन नौकरी मिलने के बाद इस बारे में परीक्षा ली जाएगी। राज्य में सरकारी कर्मचारियों के लिए साल में दो बार कंप्यूटर परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। परीक्षा में फेल होने वाले सरकारी कर्मचारियों की सालाना वेतन वृद्धि या इंक्रीमेंट रोक दिया जाएगा। वित्त सचिव की ओर से जारी की गई विज्ञप्ति में कहा ग  या है कि पब्लिक सर्विस कमिशन (पीसीएस) और स्टाफ सिलेक्शन कमिशन (एसएससी) के माध्यम से क्लर्क की नियुक्ति के लिए उक्त प्रावधान लागू होंगे। ग्रूप डी में नियुक्त हुए कर्मचारी प्रमोशन पाकर क्लर्क बनेंगे तो उन्हें भी कंप्यूटर की परीक्षा देनी होगी।
मालूम हो कि पहले राज्य में क्लर्क बनने के लिए टाइपिंग जानना जरुरी था। इसके लिए एक स्पीड भी तय की गई थी। नौकरी मिलने के बाद कनफर्म होने के लिए इसकी परीक्षा ली जाती थी। लेकिन 1984 में यह परीक्षा बंद कर दी गई। इन दिनों सरकारी दफ्तरों में टाइपराइटर का काम लगभग बंद हो गया है। यह काम अब कंप्यूटर के माध्यम से किया जाता है। टाइप कैडर को इस बीच डाइंग घोषित किया गया है। 2003 तक राज्य में टाइपिंग के लिए लोगों की नियुक्ति की गई थी। विभिन्न विभागों में कई हजार बांग्ला और अंग्रेजी टाइपिस्ट काम कर रहे हैं। ऐसे कर्मचारियों का क्या किया जाएगा, इस बारे में राज्य सरकार के अधिकारी चिंतित हैं। कुछ टाइपिस्ट तो कंप्यूटर पर काम करते हैं लेकिन बताया जाता है कि ज्यादातर बेकार हैं।
सूत्रों ने बताया कि राईटर्स बिल्डिंग में कर्मचारी और प्रशासनिक संस्था के सचिव ने टाइपिस्टों के भविष्य को लेकर कर्मचारी संगठन के साथ बैठक की थी। इसमें उन्होंने टाइपिस्टों को एलडीसी करने का सुझाव पेश किया,कर्मचारी संगठनों ने इस बारे में नाराजगी प्रकटकी है। उनका कहना है कि सालों से काम करने वाले कर्मचारी की वरिष्ठता प्रभावित हो सकती है। एलडीसी बनने पर ग्रेडेशन सूची में उनका नाम सबसे नीचे होगा। उनसे पहले जुनियर कर्मचारियों को पहले प्रमोशन मिल जाएगा। हालांकि बैठक में इस बारे में कोई सहमति नहीं बन सकी लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि सरकारी काम में तेजी लाने के लिए कंप्यूटर की जानकारी जरुरी है। बगैर काम के लोगों को बैठा कर वेतन नहीं दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सरकारी कर्मचारियों की नौकरी की उम्र बढ़ाने की घोषणा की थी। इसके मद्देनजर क्लर्को की भर्ती के लिए उम्र 18 साल से लेकर 40 साल तक की गई है।

Tuesday, November 6, 2012

9002020721 इस नंबर पर रेलवे को सूचित करें


 रेलवे की ओर से रेल यात्रियों की सुविधा के लिए एक विशेष नंबर की जानकारी दी गई है। पूर्व रेलवे सूत्रों के मुताबिक मोबाइल फोन नंबर 9002020721 पर कोई भी यात्री रेलवे स्टेशन और रेलगाड़ी में होने वाली किसी भी गलत कार्रवाई की जानकारी दे सकता है।
सूत्रों ने बताया कि रेलवे में गैर कानूनी सामान लेकर जाने वाले किसी व्यक्ति, विस्फोटक सामान देखने पर और समाजविरोधी लोगों की ओर से किसी तरह की घटना की जानकारी उक्त नंबर पर दी जा सकती है।
पूर्व रेलवे सूत्रों ने बताया कि विशेष मोबाइल फोन नंबर 9002020721 नंबर रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के जोनल सिक्युरिटी कंट्रोल में काम करेगा। यह नंबर कोलकाता स्थित पूर्व रेलवे के इंस्पेक्टर जनरल (आईजी) - रेलवे सुरक्षा आयुक्त के कक्ष में लोगा। आगामी 7 नवंबर से यह नंबर काम करने लगेगा।

Tuesday, October 30, 2012

सेट टाप बाक्स के मुद्दे पर ममता ने दी आंदोलन की धमकी


 मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि 31 अक्तूबर के बाद  टेलीविजन ट्रांसमिशन को डिजीटाइजेशन के कारण बंद किया गया तो आंदोलन किया जाएगा। इस  मुद्दे पर उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र राज्यों के साथ टकराव के रास्ते पर जा रहा है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जब सेट टाप बाक्स पास में नहीं हैं, तब केबल टीवी वाला एनालाग सिस्टम जारी रखा जाना चाहिए। केंद्र सरकार को इसका अधिकार नहीं है कि वह टीवी ब्लैक आउट कर दे। हम केंद्र के इस फैसले को आसानी से स्वीकार नहीं कर सकते।
उन्होंने जून महीने में केंद्र सरकार को टीवी डिजीटाइजेशन की अवधि बढ़ाने के लिए लिखा था। लेकिन इस बारे में किसी तरह का जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने खेद जाहिर किया। उन्होंने कहा कि अगर जरुरत हुई तो हमलोग राज्य स्तर पर आंदोलन करेंगे और बाद में देश भर में आंदोलन किया जाएगा। उन्होेंने इस मौके पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहाकि टीवी के डिजीटाइजेशन के मुद्दे पर केंद्र राज्यों के साथ टकराव के मूड में है।
इस बीच नगर विकास मंत्री फिरहाद हाकिम ने आज एमएसओ के साथ सेट टाप बाक्स की स्थित और 31 अक्तूबर के बाद की स्थित पर विचार-विमर्श किया। मालूम हो कि राज्य के सचिव और नगर विकास मंत्री ने केंद्र सरकार को अलग-अलग पत्र लिख कर मांग की थी कि फिलहाल एनालाग सिस्टम चलने दिया जाए। लेनिक केंद्र की ओर से किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया गया। इस बीच नगर विकास मंत्री ने एमएसओ से अपील की है कि 31 अक्तूबर के बाद केबल टीवी का प्रसारण बंद नहीं किया जाए। लेकिन सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार के मौजूदा रवैये को देख कर नहीं लगता कि टीवी के पर्दे पर अंधेरा नहीं छाएगा।
इधर जैसे-जैसे अंतिम तिथि नजदीक आती जा रही है, लोग ज्यादा से ज्यादा सेट टाप बाक्स लगा रहे हैं। बीते कुछ दिनों में रिकार्ड संख्या में डीटीएच और सेट टाप बाक्स लगाए गए हैं। मंगलवार को महानगर कोलकाता और हावड़ा में ज्यादातर लोगों में टीवी स्क्रीन पर अंधेरा छाने और डीटीएच व्यवस्था लगवाने के लिए दुकानों में भीड़ सुबह से ही देखी जा रही थी। आंदुल रोड पर ऐसे ही एक विक्रेता ने बताया कि पिछले छह महीनों में जितने डीटीएच कनेक्शन नहीं लगे उतने बीतेएक हफ्ते में लग गए हैं। बुधवार आखरी दिन उम्मीद है कि सारे रिकार्ड टूट जाएंगे।
कें द्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक ज्यादातर लोग डीटीएच या सेट टाप बाक्स लगवा चुके हैं जबकि एक एमएसओ के मुताबिक सोमवार तक मुश्किल से 50 फीसद लोगों के घरों में सेट टाप बाक्स ही लग सकें हैं।


Monday, October 29, 2012

घटिया दर्जे की फिल्मों ने मणि को निर्देशन के लिए प्रेरित किया


    रोजा, बांबे और दिलसे जैसी   फिल्में बनाने वाले प्रसिद्ध  फिल्मकार मणि रत्नम का कहना है कि फिल्मों में आना महज एक हादसा है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान  कहा  कि करीब 35 साल पहले एक प्रमुख  बिजनेस स्कूल से एमबीए करने के बाद वह प्रबंधन सहालकार के रूप में अच्छा धन कमा  रहे थे और बेहतर जीवन गुजार रहे थे और यह संयोग ही था कि वे अचानक फिल्म उद्योग से जुड़ गए ।
 फिल्म जगत से जुड़ने के दिनों को याद करते हुए मणि बताते हैं कि वह महज एक हादसा था। मुझे फिल्मों से एक दर्शक से ज्यादा कुछ लगाव नहीं था। कभी भी यह नहीं सोचा था कि इसे कैरियर के तौर पर अपनाना है। यह भी नहीं सोचा था कि बैठ कर लिखुगां और वास्तव में फिल्म निर्देशन करूंगा। दूसरे दर्जे की तामिल फिल्में देख-देख कर व्यथित हुए मणि ने ठान लिया कि घटिया फिल्मों का दौर बदलना जरुरी है।
कमर्शियल तौर पर सफल और आलोचकों की प्रशंसा बटोरने वाले मणि आज भी मानते हैं कि तामिल में अच्छी फिल्मों का निर्माण किया जाता तो वे आज एक फिल्मकार नहीं बनते। उन दिनों की याद करते हुए वे कहते हैं कि बालाचंदर और महेंद्रन को छोड़ कर ज्यादातर लोगों से बनाई जाने वाली फिल्में अच्छी नहीं थी। तामिल सिनेमा जगत का रवैया स्थिरता वाला था। आम तौर पर साधारण स्तर की फिल्मों का निर्माण किया जा रहा था। फिल्मों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखने वालों को भी लगता था कि इससे बेहतर कुछ किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि जब उनके मित्र रवि शंकर ने 1979 में कन्नड़ भाषा में एक फिल्म बनाने की तैयारी शुरू की तो पहली बार उन्होंने फिल्मों के लिए कलम थामी और उस फिल्म की पटकथा लिखी। हालांकि तब तक लिखने से मात्र इतना संबंध था कि होटल से पिता को पत्र लिखता था रुपए मांगने के लिए, इसके अलावा कभी कुछ नहीं लिखा था। पटकथा लेखन से कैरियर बदलने का सोचा और फिल्म निर्देशन करने का फैसला किया। यह फैसला तब किया गया जब यह पता चल गया कि मैं पटकथा लिख कर निर्देशक को बेच सकता हूं। इस बारे में सारी जानकारी प्राप्त करने के बाद ही फिल्म जगत में जाने के बारे में सोचा गया।
उनकी पहली फिल्म कन्नड़ भाषा में पल्लवी अनुपल्लवी (1983) थी, इसके नायक अनिल कपूर थे। इसके बाद उन्होंने कला और वाणिज्य में तालमेल रखते हुए फिल्में बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने कई दक्षिण भारतीय भाषाओं में फिल्म निर्माण किया। कमल हासन के अभिनय से सजी उनकी नायकन को टाईम पत्रिका ने सौ सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की सूची में शामिल किया था। हालांकि फिरोज खान ने जब इसे हिंदी में दयावान के नाम से बनाया तो फिल्म फ्लाप हो गई।
मणि निर्देशित युवा और बांबे को समाज के कई वर्ग की ओर से खास तौर पर सराहा गया। हालांकि उनका मानना है कि फिल्में संदेश देने के लिए नहीं बनाता। फिल्में अपने अनुभव को दूसरे से बांटने या किसी विषय पर अपने विचार प्रकट करना है। एक समय पर एक ही फिल्म निर्देशित करने वाले मणि ने एक पुस्तक में अपने विचार प्रकट किये हैं। उनका मानना है कि यहां आने वाला व्यक्ति यहीं का होकर रह जाता है।

Monday, October 15, 2012

पत्रकार रंजीत सिंह लुधियानवी



पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद सुल्तान अहमद ने महालया के दिन एक भव्य समारोह में पत्रकार रंजीत सिंह लुधियानवी को सम्मानित किया गया। ऋषि अरविंद चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से राज्य के वरिष्ठ पत्रकारों को पत्रकारिताके क्षेत्र में उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया। जनसत्ता, अजीत समाचार, अजीत और उनके पंजाबी मासिक पत्रिका के माध्यम से समाज को रोशनी देने की खासतौर पर प्रशंसा की गई। इस मौके पर आल इंडिया रेडियो के पत्रकार मोहम्मद मोहिसन, एबीपी आनंद के सुनीत हालदार, टेलीग्राफ की मीता मुखर्जी, पंचायत वार्ता के फटिक साव को सम्मानित किया गया।
इस मौके पर ट्रस्ट की ओर से साप्ताहिक बांग्ला ग्रीन लैंड समाचार पत्र का अहमद ने लोकार्पण किया। समाचार पत्र के कार्यवाहक संपादक बंकिम चक्रवर्ती ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कारोबार की होड़ में यह समाचार पत्र शामिल नहीं होगा और पत्रकारिता के मानदंड की पहरेदारी करते हुए युवा पत्रकारों को बढ़ावा देने का काम करेगा। कार्यक्रम का संचालन शेख सोफियर रहमान और धन्यवाद ज्ञापन संजय पात्र ने किया।

दस रुपए में डाक्टर बाबू


  कोलकाता, 15 अक्तूबर (जनसत्ता)। साठ साल की उम्र में अवकाश ग्रहण करने के बाद ज्यादातर लोगों को आगे क्या करना है, इस बारे में सोचते ही रहते हैं। बहुत कम लोग ऐसे हैं जिन्हें अवकाश ग्रहण करने के बाद की जिंदगी योजनाबद्ध तरीके से प्लान कर ली हो। ऐसे ही लोगों में एक नाम डाक्टर कृष्णचंद्र बारुई का है। पूर्व स्वास्थ्य अधिकारी ने अवकाश प्राप्त करने के बाद लोगों को सस्ती डाक्टरी इलाज देने की ठान ली । इसके तहत वे लोगों का इलाज कर रहे हैं। एयरपोर्ट, श्यामबाजार और बारासात के बिसरपाड़ा में उनके तीन चेंबर हैं। एक जगह उनकी फीस 10 रुपए, दूसरी जगह 20 रुपए और तीसरी जगह 40 रुपए फीस है। पहला चेंबर उनका अपना है, इसलिए दस रुपए उनकी जेब में जाते हैं जबकि दूसरी जगह 10 रुपए किराये के तौर पर और तीसरी जगह पांच रुपए किराये के तौर पर मकान मालिक को देते हैं।
पहली बार 1973 में सरकारी नौकरी मिली और 2006 में स्वास्थ्य अधिकारी बने। अवकाश प्राप्त करने के बाद पांच साल तक स्वास्थ्य विभाग के सलाहकार के तौर पर नियुक्त किये गए लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया । इसके बाद ‘गरीबों के लिए डाक्टरखाना’ 2011 में शुरू किया। महानगर में कहीं 300, 500, एक हजार रुपए तो कहीं इससे भी ज्यादा डाक्टरों की विजिटिंग फीस है। इतना ही नहीं कई प्रसिद्ध डाक्टरों ने तो अपनी पीआर एजेंसी को ठेकादे रखा है। एजेंसी का काम डाक्टरों का प्रचार-प्रसार करना होता है।
डाक्टर बारुई अपना प्रचार तो कर रहे हैं लेकिन इसके लिए किसी एजेंसी का सहारा नहीं लिया गया है। हैंडबिल और टेबुल कैलेंडर छाप कर लोगों में बांटा जा रहा है। उनका कहनाहै कि 10 रुपए में गुजारा तो मुश्किल है लेकिन आम लोगों की भलाई के लिए यह काम किया जा रहा है।

Wednesday, October 10, 2012

एक से ज्यादा रसोई गैस के लिए कई लोग तलाक लेने को तैयार !



 रसोई गैस के लिए लोग तलाक तक लेने की सोचने लगे हैं। केंद्र सरकार की ओर से एक परिवार के लिए सबसिडी वाले रसोई गैस सिलिंडर के मामले में नया फरमान जारी करने से लोगों में दहशत, गुस्सा और नाराजगी देखी जा रही है क्योंकि चार सौ रुपए में मिलने वाला सातवां  सिलिंडर नौ रुपए से भी ज्यादा कीमत चुकाने के बाद ही मिल सकेगा। हालात ऐसे हो गए हैं लोग बढ़ी हुई कीमत का मुकाबला करने के लिए नए से नए तरीके सोच रहे हैं। कई लोग इंडक्शन कुकर खरीदने के बारे में सोच रहे हैं लेकिन कुछ लोग तो परिवार तोड़ने के बारे में ही सोचने लगे हैं।
सरकारी ऐलान के बाद रसोई गैस डीलरों से उपभोक्तायों की मानसिक हालात का पता चलता है कि अस्वाभाविक तौर पर बढ़ाई गई कीमत पर लोग कहां तक सोच सकते हैं। कई महिलाओं ने अपने ग्राहक के बारे में जानकारी देने वाले केवाईसी फार्म भरने से पहले डीलरों से पूछा कि हमारे घर में दो लोगों के नाम पर दो गैस कनेक्शन लिये गए हैं। फार्म में यह भरकर देने पर कि पति-पत्नी अलग हैं और एक साथ खाना नहीं पकता है तो क्या दो कनेक्शन रखे जा सकते हैं? जबकि कुछ लोगों का सवाल है कि क्या वकील से तलाक की चिट्ठी का इंतजाम करने के बाद अतिरिक्त सिलिंडर मिल सकेगा या नहीं। दक्षिण कोलकाता के एक डीलर का कहना है कि कई घरों में देखा जा रहा है कि मकान के नीचे सीढ़ी के आसपास साफ-सफाई की जा रही है। जिससे शादी के 30-32 साल बाद लोगों को यह दिखाया जा सके कि हम अलग-अलग हैं।
इसी तरह कई लोगों का कहना है कि हमारे ससुर शाकाहारी भोजन खाते हैं, इसलिए उन्होंने तय किया है कि अपना खाना खुद पका कर खाएंगे। बूढ़े ससुर को इसके लिए तो अतिरिक्त सिलिंडर मिलना ही चाहिए। रसोई गैस की कीमत में वृद्धि के एलान के बाद जहां कुछ लोग इंडक्शन कूकर खरीद रहे हैं वहीं यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि बिजली की लगातार बढ़ रही कीमत से इसका कोई फायदा भी होगा या नहीं। हालांकि दुकानदारों का कहना है कि पहले लोग इसके बारे में नहीं पूछते थे लेकिन अब खरीदने और इंडक्शन कूकर के बारे में पूछने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।
हालांकि इंडक्शन कूकर विक्रेताओं का दावा है कि इससे गैस के मुकाबले बहुत जल्दी खाना पकाया जा सकता है। यहां खाना जल्दी गर्म किया जा सकता है और बिजली का खर्च भी बहुत कम होगा। इसकी कीमत भी एक मध्यमवर्ग परिवार की क्रय शक्ति के भीतर  ही है। साधारण कूकर की कीमत तीन हजार रुपए से लेकर पांच हजार रुपए के बीच है। इसके साथ ही मुफ्त में तवा-प्रेशर कूकर भी मिल रहा है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि खामोश बैठने से कुछ होने वाला नहीं है। महंगाई का मुकाबला करने के लिए कुछ न कुछ करना ही होगा। इसलिए सभी परिवारों की ओर से कुछ न कुछ सोचा जा रहा है जिससे रसोई गैस की बढ़ी कीमतों को घटाया जा सके हालांकि लगातार बढ़ रही बिजली की दर लोगों को ज्यादा चिंतित कर रही है।
  गैस सिलिंडर वालों के लिए कुछ जरुरी तथ्य: रसोई गैस डीलरों की ओर से सबसिडी वाले छङ सिलिंडरों की सीमा निर्धारित किये जाने के बाद ग्राहकों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए केवाईसी फार्म भरे जा रहे हैं लेकिन इसमें गलत जानकारी देने वाले ग्राहकों के सभी कनेक्शन बंद हो सकते हैं। तेल कंपनियों और डीलरों से मिले आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल एक ही परिवार या एक ही ठिकाने पर एक से ज्यादा कनेक्शन लेने वालों को यह फार्म भरकर देना होगा। इतना ही नहीं एक व्यक्ति के दो अलग-अलग ठिकानों पर कनेक्शन हों, अलग कंपनियों के कई कनेक्शन हों प्राथमिक चरण में उन्हें ही यह फार्म भरना होगा। हालांकि बाद में सभी ग्राहकों को फार्म भरकर देना होगा।
केवाईसी फार्म ग्राहकों को मुफ्त में रसोई गैस वितरकों से मिल सकेगा। इसके लिए किसी भी तरह का मूल्य नहीं लिया जा सकता। कीमत लेना अपराध की श्रेणी में शामिल है। केवाईसी फार्म की जांच पहले पेट्रोलियम मंत्रालय का पोर्टल करेगा। इसके बाद वितरक की ओर से जांच की जाएगी। बाद में किसी तीसरे पक्ष से रैंडम तरीके से जांच करवाई जा सकती है। आगामी 31 अक्तूबर तक फार्म जमा देने की अंतिम तिथि है और पति-पत्नी और बच्चों के जितने भी रसोई घर हों, उसे एक ही परिवार माना जाएगा।
हाल तक सबसिडी वाले छह सिलिंडल लेने वाले ग्राहकों को भी 14 सितंबर के बाद सबसिडी वाले सिलिंडर मिल सकेंगे। बगैर सबसिडी वाले सिलिंडर की कीमत हर महीने की पहली तारीख को ग्राहकों को पता चल जाएगी। अभी तक अगर ग्राहकों के पास गैस की कापी या ब्लू बुक नहीं है तो ऐसे सभी ग्राहकों को  जल्दी से जल्दी प्राप्त करनी होगी। ग्राहक को मिलने वाली रसीद पर ही आगामी मार्च तक सबसिडी वाले तीन सिलेंडरों को ब्योरा दर्ज किया जाएगा।

Monday, October 8, 2012

सभी लोगों को केवाईसी फार्म भरने की आवश्यकता नहीं


 केंद्र सरकार की ओर से इस बीच घोषणा की गई है कि 14 सितंबर के बाद से आगामी 31 अक्तूबर तक सभी रसोई गैस के ग्राहकों को सबसिडी वाले ज्यादा से ज्यादा तीन सिलिंडर मिल सकेंगे। इसके बाद चौथा सिलिंडर बगैर सबसिडी के खरीदना होगा। इसकी कीमत बाजार दर से तय होगी। लेकिन बगैर सबसिडी वाले सिलिंडर क्या ज्यादा से ज्यादा खरीदे जा सकेंगे? तेल संस्था के अधिकारियों का कहना है कि नहीं ग्राहकों को इस तरह की छूट नहीं दी जाएगी। किसी ग्राहक की ओर से अस्वाभाविक संख्या में गैस सिलिंडर के लिए आर्डर मिला तो, ऐसे ग्राहकों पर नजर रखी जाएगी और जरुरत हुई तो कार्रवाई भी की जाएगी। इधर सिलिंडर पर एलपीजी डीलरों का कमिशन बढ़ा दिया है, इससे वे लोग खुश नहीं हैं और ज्यादा कमीशन की मांग कर रहे हैं।
हालांकि ग्राहकों का कहना है कि चार सौ रुपए का सिलिंडर सबसिडी के बगैर  दुगनी से भी ज्यादा कीमत पर मिलेगा, उस पर क्या निगरानी की जाएगी? ऐसे सिलिंडर तो जितनी जरुरत हो उतने मिलने ही चाहिए। इस बारे में आधिकारिक तौर पर गैस कंपनियों की ओर से कुछ नहीं कहा जा रहा है। लेकिन डीलरों का कहना है कि मनमर्जी के सिलिंडर नहीं मिल सकेंगे। इसका कारण पूछने पर एक डीलर ने बताया कि सबसिडी के बगैर दिया जाना वाला सिलिंडर पूरी तरह से सबसिडी मुक्त नहीं है। उनका कहना है कि फिलहाल कोलकाता में कमर्शियल गैस सिलिंडर की कीमत 1598 रुपए है। जबकि डीलर का कमीशन मिलाकर बगैर सबसिडी वाले सिलिंडर की कीमत लगभग 925 रुपए है। इस तरह 14.2 किलोग्राम बगैर सबसिडी वाले सिलिंडर की कीमत कमर्शियल मामले में लगभग 1200 रुपए होती है। इसका मतलब यह है कि केंद्र सरकार की ओर से अभी भी टैक्स छूट के मामले में तकरीबन 275 रुपए की छूट दी जा रही है। इस तरह घरेलू और कमर्शियल सिलिंडर की कीमत में अभी भी खासा फर्क देखा जा रहा है। इसलिए माना जा रहा है कि घरेलू सिलिंडर का दुरुपयोग हो सकता है। जिससे ऐसे आर्डर पर निगरानी की जरुरत महसूस की जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय का पोर्टल बनने के बाद इस बात का पता आसानी से चल जाएगा कि कौन कितने सिलिंडर का प्रयोग कर रहा है। साल में किसी परिवार के 12 सिलिंडर लगते हों और वह किसी साल 12 से लेकर 15 सिलिंडर की मांग करे तो इसे स्वाभाविक ही माना जाएगा। लेकिन ऐसे परिवार की ओर से 30 या इससे ज्यादा सिलिंडर की मांग की गई तो इसे अस्वाभाविक माना जाएगा।
इस बीच ग्राहकों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए कें द्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से केवाईसी फार्म भरने के लिए कहा है। इस बारे में भी एक निर्देशिका दी गई है। आमतौर पर माना जा रहा है कि सभी लोगों को यह फार्म भर कर देना होगा। लेकिन मंत्रालय का कहना है कि एक ही परिवार या एक ही ठिकाने में एक से ज्यादा कनेक्शन लेने वाले ग्राहकों को ही इस बात की जानकारी देनी होगी। कई लोगों के पास सिलिंडर का हिसाब रखने के लिए खाता (ब्लू बुकलेट) नहीं है। मंत्रालय का कहना है कि इसके लिए ग्राहकों को जल्दी से जल्दी अपने डीलर से संपर्क करना होगा। इसके साथ ही कंजुमर्स नंबर भी लिख कर देना होगा। आगामी 31 मार्च तक ग्राहकों को बगैर सबसिडी वाले तीन सिलिंडर मिलेंगे, उसका विवरण रसीद पर लिखा होगा। इसके तहत एक बाई तीन, दो बाई तीन या अंतिम सिलिंडर पर तीन बाई तीन लिखा होगा। केवाईसी फार्म भरने की अंतिम तिथि 31 अक्तूबर है।
इधर एलपीजी गैस डीलरों की ओर से बढ़ाए गए कमीशन को लेकर भारी नाराजगी जताई जा रही है। बगैर सबसिडी वाले सिलिंडर की कीमत कोलकाता में 913 रुपए और सबसिडी वाले सिलिंडर की कीमत अभी भी 401 रुपए ही है। पहले डीलरों को 25 रुपए 83 पैसे कमीशन मिलता था अब सबसिडी वाले सिलिंडर के लिए 37 रुपए 25 पैसे और दूसरे सिलिंडर के लिए 38 रुपए किया गया है। हालांकि डीलरों का कहना है कि उनका खर्च बहुत बढ़ गया है। बगैर सबसिडी वाला सिलिंडर 375 रुपए 25 पैसे में खरीदा जाता है। एक ट्रक में 306 सिलिंडर आते हैं। एक ट्रक का भाड़ा लगभग एक लाख 15 हजार रुपएदेना पड़ता है। अब बगैर सबसिडी वाला सिलिंडर 887 रुपए में मिलेगा तो इसके लिए  ट्रक का किराया दो लाख 72 हजार रुपए की राशि खर्च करनी होगी। इसके साथ ही अस्पताल, एनडीओ को दिये जाने वाले विशेष सिलिंडर भी शामिल हैं, जिनकी कीमत ज्यादा है। इस तरह हमारा खर्च तो कई गुना बढ़ गया है लेकिन आमदनी उस तरह नहीं बढ़ी है।

Sunday, October 7, 2012

पूजा की भीड़ में जेब बचाने के लिए सुंदरियों से रहें सावधान !


  न्यू मार्केट और लिंडसे स्ट्रीट में दुर्गापूजा के मौके पर प्रतिदिन भारी भीड़ उमड़ रही है। मौका का फायदा उठाते हुए चोर, लुटेरे और पाकेटमार भी सक्रिय हो गए हैं। इसमें महिलाएं भी शामिल हैं। हाथ की सफाई करने वाली एक महिला तो कार लेकर शान से लोगों के बीच उतरती है कि लोग देखते ही रह जाते हैं।
बागुईहाटी के इलाके में रहने वाली एक महिला खासी पैसे वाली है और उसका पति भी महानगर का प्रतिष्ठित व्यापारी है। लेकिन पत्नी को हाथ की सफाई करने का शौक है। कोलकाता पुलिस ने लोगों को सतर्क करते हुए कहा है कि महिला से सावधान रहें वह पर्स, वैनिटी बैग से लेकर मोबाइल तक कुछ भी उड़ा सकती है।
पुलिस के मुताबिक भीड़ में शापिंग कर रही किसी सुंदरी से बातचीत हो जाए और अचानक पता चले कि पर्स गायब है तो समझें कि गलती हो गई। पुलिस ने महिला को गिरफ्तार भी किया था लेकिन बीमारी का झांसा देकर वह अदालतसे छूट गई। पुलिस की मानें तो ऐसे 40 से 50 पाकेटमार पूजा की भीड़ में महानगर में सक्रिय रहते हैं। इनका मुख्  काम  मोबाइल,पर्स, महिलाओं के बैग गायब करना ही है।
पुलिस का कहना है कि कोलकाता के अलावा झाड़खंड, गुजरात और मध्य प्रदेश से ही पाकेटमारों का दल हर साल की तरह यहां पहुंच गया है। मगरा, बंडेल, कांचरापाड़ा, बारुईपुर जैसे इलाके में ऐसे लोग किराए के मकान में रहते हैं  और अपना काम करने के बाद आसानी से निकल जाते हैं। हालांकि कोलकाता पुलिस ने कुछ लोगों को पकड़ा भी है लेकिन इसमें खुश होने जैसी कोई बात नहीं है क्योंकि ऐसे लोगों की संख्या अनगिनत है।
इस बीच पुलिस ने चौकसी के लिए सादा वर्दी में पुलिस कर्मचारी विभिन्न इलाकों में तैनात किये हैं। दोपहर 12 बजे से लेकर रात नौ बजे तक इनकी ओर से खास इलाकों पर नजर रखी जाएगी। कोलकाता पुलिस के खुफिया प्रमुख पल्लव कांति घोष के मुताबिक कोलकाता की सड़कों को 19 और मार्केट और शापिंग माल को 15 जोन में बांटा गया है। सीआईडी के 3 लोगों की टीम सभी इलाकों पर नजर रखेगी। सभी मार्केट के सामने सीसीटीवी कैमरे लगाए जा चुके हैं यह सुरक्षा व्यवस्था आगामी 18 अक्तूबर तक जारी रहेगी। हालांकि महानगर के 65 पुलिस थानों में कर्मचारियों की कमी का संकट बरकरार है। खुफिया विभाग के वाच दल की ओर से पाकेटमारों और छिनताईबाजों पर नजर रखी जाती है। लेकिन इस टीम में कुल मिलाकर दो इंस्पेक्टर, 12 सब इंस्पेक्टर और 21 कांस्टेबल हैं।


वंदे मातरम से लेकर विश्व शांति की कामना के साथ मां दुर्गा का आगमन



रंजीत लुधियानवी
 मां दुर्गा के आगमन का भव्य स्वागत करने के लिए जोश-खरोश के साथ तैयारियां की जा रही हैं। एक ओर आम लोग जहां नए-नए कपड़े, टीवी, फ्रीज से लेकर दूसरा सामान खरीदने में व्यस्त हैं वहीं पूजा कमेटियों के आयोजकों की ओर से भी अपने-अपने पंडालों में ज्यादा से ज्यादा लोगों को आकर्षित करने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। हावड़ा ही नहीं हुगली और उत्तर चौबीस परगना जिलेसे हरसाल लोग बाली-बेलूड़-लिलुआ में पूजा देखने के लिए आते हैं। वंदेमातरम से लेकर विश्वशांति की थीम लेकर बाली नगर पालिका इलाके में बाली और बेलूड़ के पूजा आयोजक व्यस्त हैं।
बाली के सापुईपाड़ा इलाके में षष्ठीतला पूजा समिति की ओर से वंदे मातरम की थीम को लेकर तैयारी की जा रही है। दर्शनार्थियों को देश की आजादी के लिए लड़ने वालों की जानकारी देने के लिए पूजा कमेटी के आयोजकों की ओर से खासी मेहनत की गई है। जिससे यहां पहुंचने वाले एक बार तो सोचने के लिए मजबूर हो जाएं कि क्या यह वही देश है जिसके लिए इतने लोगों ने निस्वार्थ भाव से लड़ाई लड़ी और हंसते-हंसते अपनी जान कुर्बान कर दी। क्या आजादी के परवानों को सपने में भी इस बात की भनक थी कि देश आजाद होने के बाद घोटालों का गुलाम हो जाएगा? यहां बिचाली के घर में पंडाल के चारोंओर देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले 35 महापुरुषों की छवि लगाई जा रही है आजादी के इतिहास की स्मृतियों से पंडालका चौतरफा सजाया जाएगा। चार मंजिला मूल पंडाल में भारत माता के तौर पर मां दुर्गा दिखाई देंगी।
शांतिनगर सेवा समिति कीओर से मानवता की भलाई के लिए विश्वशांति की थीम लेकर तैयारी की जा रही है। गेरुआ कपड़े से रंगा किसी काल्पनिक मंदिर की आकृति का पंडाल देख कर लोग आकर्षित हुए बिना नहीं रहेंगे। देवी की मूर्ति पारंपरिक ही रहेगी।
नेताजी संघ ने इस बार लोगों को ओमाईगाड की तर्ज पर लोगों को स्वर्ग की सैर कराने की ठानी है। इसलिए यहां आने वालों को हिंसा के इस तौर में शांति का आनंद मिल सकेगा। देवी भी लोगों को शाति का संदेश ही देते दिखेंगी।  स्वर्ग राज्य की थीम को लेकर सिंह द्वार पार करने के बाद बादलों से गुजरते हुए यहां आने वालों को लगभग 20 फीट की चढ़ाई चढ़नी होगी। वहां देवराज इंद्र के दरबार में परियां और अप्सराएं दर्शनार्थियों का स्वागत करेंगी। यहां अप्सराओं का नृत्य देखने के बाद ही आप बगैर शस्त्र की देवी के दर्शन कर सकेंगे। देवी के दसों हाथों मेंं ही शांति का संदेश देते फूल रहेंगे।  आयोजकों का मानना है कि शांति का संदेश लेकर जाने वाले हिंसा से दूर होंगे और राज्य में हिंसा, बलात्कार जैसी घटनाओं पर रोक लगेगी।
बाली उ त्तरपल्ली सार्वजनिन (नव युवा संघ) ने 64 वें साल में पद्म फूल को अपनी थीम में पिरोते हुए पर्यावरण के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए फाईबर से 108 फूल बनाए जा रहे हैं। बाली देशबंधु क्लब सार्वजनिक दुर्गोत्सव कमेटी ने विधानसभा भवन को यहा लाने की अंतिम तैयारी कर दी है। सुरक्षा के ताम­ााम से गुजरने के बाद ही कहीं आप विधानसभा में प्रवेश कर सकेंगे। बरामदे में महान लोगों के चित्र और अंदर-बाहर लोगों को निहारते हुए सीसीटीवी कैमरें होंगे।
बाली बदामतलासार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी में राजस्थान की शिल्प कला दिखाई देगी। बाली-बैरकपुर सार्वजनिक दुर्गापूजा के पंडाल में इंद्र देव का राज दरबार पेश किया जा रहा है। बेलूड़ पालघाट लेन के इस पंडाल में प्लास्टर आफ पैरिस से बनाए दूसरे देवता भी मौजूद रहेंगे। मूर्ति कृष्णनगर से यहां लाई जाएगी, नवमी के दिन 51 किलोग्राम चावल से अन्न कूट का आयोजन होगा।
बेलूड़ निस्को हाउसिंग पूजा कमेटी की ओर से 35 फीट ऊंचा बांस का किला बनाया जा रहा है। यहां पहुंचने के लिए गहरे नाले को पार करना होगा। इस नाले में मगरमच्छ भी रहेंगे। कुमिल्लापाड़ा पल्लीमंगल समिति जयपुर के चंद्र महल की आकृति का पंडाल बना रही है। सापुईपाड़ा बालक संघ 12 नंबर पोल के नजदीक इस बार ब्हाईट हाउस की आकृति का पंडाल बना रहा है। निश्चिंदा बारोवारी पूजा कमेटी की ओर से राजबाड़ी के नाट्यमंदिर की आकृति का पूजा पंडाल बनाया जा रहा है। रजवाड़ों की याद दिलाता पंडाल, भीतर पारंपरिक मां दुर्गा देखते ही बनेगी।
दूसरी ओर लिलुआ मिताली संघ के आयोजकों की कल्पना ही अलग है। आधुनिकीकरण के दौर में जहां जमीन घटती जा रही । किसी जमाने में डाक्टर लोगों को सलाह देते थे कि सुबह घास पर चलना चाहिए, इससे तन-मन तो स्वस्थ रहता ही है आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। लेकिन जमीन नहीं रहने से महानगर के लोगों को घास के बारे में जानकारी ही नहीं है। नई पीढ़ी के लिए तो कंप्यूटर और इंटरनेट ही रह गया है। इसलिए पूजा कमेटी के आयोजकों ने लोगों को घास के बारे में बताने के लिए पूजा पंडाल ही घास से बनाने की ठान ली है।
घोषपाड़ा सार्वजनिक दुर्गापूजा  पहुंचने वालों को ऐसा महसूस होगा कि वे तिरुपति के मंदिर में पहुंच गए हैं। पंडाल के बाहर देव-देवताओं की तकरीबन 200 छोटी-बड़ी मूर्तियों के दर्शन होंगे जबकि भीतर लकड़ी की कारीगरी देखने लायक होगी। डानबास्को विवेकानंद सम्मेलनी ने   हिमाचल प्रदेश को थीम बनाया है। यहां पत्थरों के आठ मंदिरों के बाद असली मंदिर में आठ हाथों वाली मां शेरावाली के दिव्य  दर्शन होंगे।

दक्षिण हावड़ा में मंदिर, मशरुम और एंबुलेस



रंजीत लुधियानवी
 दक्षिण हावड़ा में भी पूजा की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। कभी-कभार होने वाली बारिश से भले ही लोग आशंकित हैं। लेकि न इसके बावजूद हर साल की तरह इस साल भी पूजा कमेटी के आयोजक जोर-शोर से ज्यादा से ज्यादा लोगों को पंडालों की ओर आकर्षित करने के लिए जी-जान से जुटे हैं। इस दौरान कोई भव्य मंदिर बना रहा है तो कोई मरीजों के इलाज के लिए फालतू के खर्च में कटौती करते एंबुलेंस खरीद रहा है। इतना ही नहीं मशरुम की खेती के बारे में लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए भी पूजा आयोजक जुटे हुए हैं। राजनीतिक दलों ने तो पहले ही पूजा के दौरान प्रचार-प्रसार की तैयारियां कर रखी हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रभावित किया जा सके। सभी दलों का मानना है कि पंचायत चुनाव में ज्यादा देरी नहीं है। ऐसे में मतदान से पहले दुर्गापूजा ही सबसे बड़ा प्लेटफार्म है जहां हजारों  लोगों को एक साथ बगैर ज्यादा मेहनत किये अपनी ओर खींचा जा सकता है।
हांसखाली पुल बकुलतला इलाके में चांदमारी रोड मंदिर पूजा कमेटी मंदिर की आकृति के पंडाल को जूट से सजाने में व्यस्त है। रास्ते के किनारे जिले के विभिन्न इलाके से लोग यहां पू जा देखने पहुंचते है। शिवपुर नवारुण संघ ने बाउल गीत के सहारे जीवन-यापन करने वालों की पीड़ा दर्शाने के लिए गांव का माहौल बनाने की ठान ली है। नृत्य करती मां दुर्गा प्राचीन संगीत से जुड़े लोगों की जीवन शैली में बदलाव कर सकती हैं ऐसा पूजा कमेटी के आयोजको का मानना है।
काजीबगान लेन सोशल वेलफेयर एसोसिएशन के आयोजकों का मानना है कि पूजा के दौरान लोगों को ऐसी बातों की जानकारी देनी चाहिए जिससे समाज का कुछ भला हो सके। इसके लिए इस बार मशरुम के गुणों की जानकारी देने की ठानी गई है। सेहत के लिए फायदेमंद मशरुम की खेती में भी ज्यादा मेहनत नहीं लेकिन दिनों-दिन इसकी उपज घटती जा रही है। रोशनी, बिचाली, मिट््टी का प्रयोग करके पत्थर की मूर्ति पर्यावरण के साथ ही मशरुम को केंद्र में रखकर लोगों को ज्ञान की रोशनी प्रदान कर सकेगी, ऐसा पूजा कमेटी के आयोजकों का मानना है।
शिवपुर षष्ठीतला बारोवारी पूजा कमेटी ने इस बार फालतू का खर्च नहीं करने का फैसला किया है। इसके तहत लोगों के चंदे से मिलने वाली भारी रकम लोगों की भलाई के लिए ही खर्च की जाएगी। इसके तहत एक एंबुलेंस, एक शव लेकर जाने वाली गाड़ी खरीदने के साथ ही दंत चिकित्सा केंद्र खोला जा रहा है। इसी इलाके के निमतला बारोवारी कमेटी के आयोजकों ने बोटानिकल गार्डेन में डेढ़ सौ साल पुराने बरगद के पेड़ की रक्षा कैसे की जाए,इस बारे में यहां आने वालों को जानकारी देने की योजना बनाई है। इसलिए प्राचीन पेड़ की आकृति का पंडाल बनाया जा रहा है।
पानी गिरता है तो प त्ते हिलते हैं यह थीम लेकर 2012 में सांतरागाछी कल्पतरु स्पोर्टिंग क्लब तैयारी कर रहीहै। लोहे की रड पर टीन की छत से तार, जाली, पाइप और कांच का व्यवहार किया जा रहा है। स्क्रैप लोहे और दूसरी वस्तुओं को लेकर ऐसा नजारा पेश किया जा रहा है जिससे यहां आने वाले को लगे कि प त्ते के उपर पानी पड़ा हुआ है। देवी की मूर्ति देखकर लोगों को लगेगा कि पीतल की मूर्ति है।
शिवपुर नीलरतन मुखर्जी रोड सम्मिलित नागरिक वृंदकी ओर से दुर्गापूजा में पर्यावरण की सुरक्षा पर खास जोर दिया जा रहा है। लगातार काटे जा रहे पेड़ और जलाशय के भरने से वातावरण प्रभावित हो रहा है। वाहनों और कारखानों के कारण ज्यादा से ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है।
ग्रामीण हावड़ा में रहने वालों के लिए दुर्गापूजा के मौके पर पहला पड़ाव रामराजातला रेलवे स्टेशन रहता है। यहां उतर कर शंकरमठ की पूजा देखने के बाद ही लोग कहीं और जाने की सोचते हैं। हर साल की तरह इस साल भी पूजा पंडाल के आसपास भारी मेला लगेगा। सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियां तो होंगी ही पहली बार पश्चिम बंगाल से प्रणव मुखर्जी राष्ट्रपति बने हैं इसलिए पूजा पंडाल राष्ट्रपति भवन की आकृति का बनाया जा रहा है।

Monday, October 1, 2012

सेट टॉप बाक्स लगाएं या टीवी भूल जाएं!


 




रंजीत लुधियानवी
कोलकाता, 1 अक्तूबर (जनसत्ता)। इस महीने की 31 तारीख तक सेट टॉप बाक्स या किसी कंपनी की डिश नहीं लगाई गई तो टीवी देखना भूल जाएं क्योंकि आपका टीवी स्क्रीन काला हो जाएगा। इस तरह के विज्ञापन धड़ाधड़ टीवी पर दिखाये जा रहे हैं। किसी लोकप्रिय कार्यक्रम के बीच अचानक टीवी के पर्दे पर अंधेरा छा जाता है जिससे लोगों को पता चल सके कि महीने की अंतिम तारीख के बाद क्या हो सकता है। हालांकि महानगर कोलकाता, हावड़ा में अभी भी ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं है जिनका मानना है कि एक बार फिर परियोजना आगे बढ़ सकती है। इसलिए कई लोगों ने अभी तक सेट टाप बाक्स नहीं लगाया है तो कुछ लोग बाक्स को घर तो ले गए हैं लेकिन अभी तक लगाया नहीं है। जबकि कुछ लोग बाक्स लगाने के बावजूद अभी तक पुराने केबल पर ही कार्यक्रम देख रहे हैं।
सेट टॉप बाक्स की कीमत से लेकर मासिक भुगतान तक के बारे में अभी तक कुछ तय नहीं है। आंकड़ों के मुताबिक महानगर कोलकाता में लगभग 67 फीसद लोगों ने टीवी का डिजीटाइजेशन करवा लिया है। देश में कुल मिलाकर 146 मिलियन लोगों के घरों में टीवी है। इसमें 51 फीसद लोग केबल टीवी देखते हैं, जबकि 25 फीसद लोग डीटीएस (डायरेक्ट टू होम) के माध्यम सेटीवी देखते हैं। बाकी बचे लोग दूरदर्शन के पुराने एंटीने या डीटीएच का प्रयोग करते हैं।
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथारिटी आफ इंडिया (ट्राई) के मुताबिक टीवी देखने वाले दर्शकों को एक सौ रुपए में कम से कम 100 फ्री टू एयर चैनल दिखाई देंगे। इसमें दूरदर्शन के 18 चैनल शामिल हैं। इसमें लोकसभा और राज्यसभा टीवी चैनल शामिल हैं। इसके अलावा कम से कम पांच-पांच  समाचार और करेंट एफेयर्स, सूचनात्मक, खेल, बच्चों के चैनल, संगीत और क्षेत्रीय चैनल होने चाहिए। हालांकि दर्शक अभी तक दुविधा में फसे हुए हैं। ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं चल रहा है कि कितने रुपए प्रति माह देने होंगे।
इस बीच कुछ आपरेटरों की ओर से सेट टॉप बाक्स के चैनलों के  बारे में सूचना दी गई है। डिजीकेबल के मुताबिक 145 चैनल के लिए 180 रुपए, 151 चैनल के लिए 200 रुपए, 165 चैनल के लिए 250 रुपए देने होंगे।  सिटी केबल के मुताबिक 118 चैनल के लिए एक सौ रुपए,151 चैनल के लिए 150 रुपए प्रति माह देने होंगे जबकि मंथन के मुताबिक  200 चैनल के लिए 180 रुपए और 300 चैनलों के लिए 270 रुपए लिये जाएंगे। हालांकि इस चार्ज में 12.3 फीसद सर्विस टैक्स ( सेवा कर) के अलावा दूसरे कर  शामिल नहीं किये गए हैं।  चैनलों की कीमत में फेरबदल भी हो सकता है।
इधर दर्शक परेशान हैं कि करे तो क्या करें जिससे उन्हें अपने मनपसंद सीरियल बगैर किसी रुकावट देखने में परेशानी न हो। कई लोगोंं से ात करने पर कुछ ही लोग हैं जिन्होंने नई व्यवस्था पर खुशी जाहिरकी है जबकि ज्यादातर लोग तो परेशान ही हैं। खास करके हावड़ा जिले के लोगों में सरकारी घोषणा को लेकर भ्रम बना हुआ है। अध्यापिका मनजीत कौर डिजीटाइजेशन से खुश हैं। उनका कहना है कि खाना खजाना जैसा चैनल पहली बार देखने को मिल रहा है। इसके अलावा कई पंजाबी चैनल भी दिख रहे हैं, इसके पहले केबल पर इस तरह के चैनल नहीं दिखते थे। तस्वीर भी साफ-सुथरी है। दूसरी ओर इस बारे में पूछने पर पत्रकार परबंत मैहरी ने बताया कि शिवपुर के चौड़ा इलाके में रहने वाले ज्यादातर लोग अभी तक सेट टॉप बाक्स के बजाए केबल पर ही टीवी देख रहे हैं। कई लोगों ने सेट टाप बाक्स लिए थे लेकिन उसमें तस्वीर ठीक नहीं आ रही थी। कई बार चैनल हैंग हो जाता है। इसलिए लोग केबल पर ही टीवी देख रहे हैं। क्या आप इस बारे में सोच रहे हैं तो उनका कहना है कि स्क्रीन काला हो गया तो केबल ही कटवा देंगे। क्या जरुरत है केबल देखने की। इसके बजाए सीडी और डीवीडी घर ले आएंगे और फिल्में और दूसरे कार्यक्रम आसानी से देख सकेंगे।
इसी तरह स्कूल शिक्षिका कावेरी चटर्जी का कहना है कि मुझे नहीं लगता कि हावड़ा में ऐसा कुछ होने जा रहा है। इसलिए अभी हमलोगों ने सेट टाप बाक्स लगाने के बारे में सोचा ही नहीं है। जब टीवी बंद हो जाएगी तो देखेंगे कि क्या करना है। किताबों की दुकान चलाने वाले गोविंद रावत का कहना है कि केबल वाले से पूछा था लेकिन उसका कहना है कि हावड़ा में सेट टॉप बाक्स की कोई जरुरत नहीं है। जब तक चलता है आप लोग आराम से टीवी का मजा लें, बाद में हम लोग तो हैं ही।

Wednesday, September 26, 2012

मां ने 3 लड़कियां 155 रुपए में बेच दी


 गरीबी के कारण एक महिला ने महज 150 रुपए में अपनी तीन बच्चियों को बेच दिया। यह घटना दक्षिण चौबीस परगना जिले के डायमंडहार्बर इलाके में हुई है। पुलिस सूत्रों से पता चला है कि एक बच्ची एक सौ रुपए, दूसरी 30 रुपए और तीसरी 25 रुपए में बेची गई। इस घटना का पता चलते ही प्रशासन सक्रिय हो गया औरतीनों लड़कियों को बरामद किया। हालांकि इससेपहले पत्नी से मारपीट करने के आरोप में पुलिस ने महिला के पति को गिरफ्तार कर लिया। इस घटना से इलाके के लोगों में भारी गुस्सा है।
सूत्रों से पता चला है कि गरीबी और परिवार की खराब हालत के कारण शराबी पति प्रतिदिन शराब पीकर पत्नी को पीटता था। इससे परेशान होकर महिला ने सोचा कि एक तो बच्चे दयनीय हालत से बच जाएंगे और उनका जीवन सुधर जाएगा,इसलिएतीनों को बेच दिया। नेतरा ग्राम पंचायत के नेतरा गांव की पूर्णिमा हालदर 10-12 दिन पहले घर से अपनी लड़कियों के साथ डायमंडहार्बर स्टेशन पहुंच गई थी। वहां नजदीक के एक आश्रम में भोजन करती थी। इस दौरान 24 अगस्त को नोटरी के कागज पर मझली लड़की सुप्रिया को 100 रुपए में बेच दिया। इसके बाद बड़ी लड़की प्रिया और छोटी लड़की रमा को भी 55 रुपए में बेच दिया।
हालांकि तीन लड़कियों को बेचने के बाद महिला की हालत देखने लायक थी। इसलिए स्टेशन पर बैठकर रो रही थी। वहां मौजूद लोगों ने जब सच्चाई के बारे में पता लगाया तो उनकी लड़कियों को बरामद किया गया। बाद में पारिवारिक हालत का पता लगने के बाद पुलिस ने पति को गिरफ्तार किया है। हालांकि परिवार के सामने यह संकट बना हुआ है कि उनका क्या होगा और लड़कियों का भविष्य क्या होगा।

Monday, September 24, 2012

ममता की बेरोजगार बैंक में नहीं पहुंचे बेरोजगार


  राज्य में बेरोजगारों की संख्या 75 लाख से भी ज्यादा है। तृणमूल कांग्रेस सरकार ने राज्य में बेरोजगारी दूर करने के लिए 27 जुलाई को इंप्लाएमेंट बैंक शुरू की थी। लेकिन दो महीने गुजरनेके बाद भी महज 40 हजारलोगों ने बेवसाइट पर पंजीकरण कराया है। इसके साथ ही वेबसाइट पर पंजीकरण करवानेके बाद एक महीने के भीतर  राज्य के किसी भी रोजगार कार्यालय में जाकर शैक्षणिक प्रमाणपत्र की जांच करवानी पड़ती है। यह काम कुल मिलाकर 19 हजार बेरोजगार युवक-युवतियों ने किया है।
राज्य सरकार के सूत्रों के मुताबिक इस बैंक में पंजीकरण करवाने वालों को सरकारी और गैरसरकारी नौकरी हासिल करने में सहूलत होगी। इस परियोजना के लिए 75 प्राइवेट संस्थाओं के साथ बातचीत करने के बाद भी अभी तक किसी भी संस्था ने अपना नाम दर्ज नहीं कराया है। इसके कारण इंप्लाएमेंट बैंक का भविष्य अंधकार में दिखता है।
राज्य सरकार ने परियोजना के लिए एक करोड़ रुपए की राशि मंजूर की है। वेबेल नामक संस्था को इस परियोजना पूरा करने की जिम्मेवारी दी गई है। लेकिन दो महीने बाद भी इस बारे में कुछ खास प्रगति नहीं दिख रही है। इस बारे में श्रम विभाग के विशेष सचिव एके रायचौधरी का कहना है कि परियोजना का काम जोर-शोर से चल रहा है। इस बीच कई प्राइवेट संस्थाओं और प्लेसमेंट संस्थाओं के साथ बातचीत की गई है। जब नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होगी तो सबसे ज्यादा फायदे में गांव के लड़के-लड़कियां ही रहेंगे। इसका कारण यह है कि बैंक में पंजीकरण करवाने वालों को एसएमएस भेजकर नौकरी के बारे में सूचित किया जाएगी। बेरोजगार व्यक्ति की ओर से भेजे गए प्रोफाइल को देख कर ही साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा।
गौरतलब है कि हाल तक इंप्लाएमेंट बैंक में माध्यमिक पास उम्मीदवारों में 1565, उ च्च माध्यमिक (कला) विभाग में 968, विज्ञान में 514, वाणिज्य में 321, आईटीआई में 163, आईटीआई के सर्टीफिकेट पाठ्यक्रम में 440, डिप्लोमा पोलिटेकनिक 245, दूसरे मामले में डिप्लोमा वाले 360, स्नातक (आनर्स) में 969, स्नातक (इंजीनियरिंग) में 250,कानून में तीन, आईसीडब्लूए में चार लोगों समेत कुल मिलाकर 40 हजार लोगों ने पंजीकरण करवाया है।
हालांकि जहां राज्य में बेरोजगारों की संख्या 75 लाख है वहां पंजीकरण करवाने लोगों की संख्या इतनी कम होने पर हैरत जताई जा रही है। इस बारे में पूछे जाने पर श्रम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि गांव के लोगों को इंटरनेट के बारे में कम जानकारी है। इसके साथ ही बैंक का काम तो चालू हो गया है लेकिन प्रचार -प्रसार नहीं किया गया जिससे लोगों को इसके फायदे के बारे में जानकारी मिल सके। इसी तरह दूसरे एकअधिकारी का कहना है कि लोगों को समझ में ही नहीं आ रहा है कि पंजीकरण कैसे करवाया जाए। कई लोगों ने प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली। मालूम हो कि पंजीकरण करने के लिए डब्लूडब्लूडब्लू डाट इंप्लाएमेंटबैंकडब्लूबी डाट जीओवी डाट इन पर उम्मीदवार को नाम, उम्र, फोटो, शैक्षणिक योग्यता या कारीगारी योग्यता के बारे में ब्योरा दर्ज करके पंजीकरण करवाना पड़ता है। इसके बाद पंजीकरण नंबर मिलेगा। इसकी प्रति का प्रिंट निकाल कर रोजगार कार्यालय में शैक्षणिक योग्यता को प्रमाणित करवाना होगा। यहां योग्यता परीक्षा की जांच करके यूजर आईडी और पासवर्ड प्रदान किया जाएगा। यह सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद साक्षात्कार के लिए एसएमएस पर संदेश सीधे घर पहुंच जाएगा।

Tuesday, September 18, 2012

ममता -सरकार -धमकी



 
    मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने विदेशी किराना, डीजल और गैस सिलेंडर के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मोर्चो खोला हुआ है. उन्होंने  कई बार  सरकार को धमकी दी है. एक नजर ममता की अब तक की धमकी और उसके नतीजे पर.

14 सितंबर 2012: विदेशी किराना और डीजल-रसोई गैस के मुद्दे पर विरोध
ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि वो विदेशी किराना और डीजल की बढ़ी कीमत के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेंगी, जबकि गैस सिलेंडर के मामले में वो चाहती हैं कि सरकार प्रति परिवार एक साल में 24 सिलेंडर का कोटा फिक्स करे.

23 अगस्त 2012: इंश्योरेंस बिल का विरोध
ममता पेंशन और इंश्योरेंस के क्षेत्र में 49 फीसदी एफडीआई का विरोध कर रही हैं. उन्हीं के विरोध की वजह से ये बिल लटका हुआ है.

13 जून 2012: राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेसी उम्मीदवार का विरोध
राष्ट्रपति चुनाव में ममता ने प्रणब मुखर्जी के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोला था. हालांकि बाद में मुलायम सिंह के पाला बदलने के बाद उन्होंने प्रणब मखर्जी का समर्थन किया था.

7 जून 2012: पेंशन बिल का विरोध
यूपीए सरकार नए पेंशन बिल के तहत इस क्षेत्र को निजी और विदेशी क्षेत्र के लिए खोलने के मूड में है, लेकिन ममता के विरोध को देखते हुए सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए.

24 मई 2012: पेट्रोल की बढ़ी कीमत का विरोध
इस दिन सरकार ने एक झटके में पेट्रोल की कीमत में प्रति लीटर 7.50 पैसे का इजाफा कर दिया था, जिसके बाद ममता ने सरकार से बाहर होने की बात तक कह डाली थी.

5 मई 2012: NCTC का विरोध
राष्‍ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र यानी एनसीटीसी के मुद्दे पर भी ममता ने केंद्र सरकार को खुली चुनौती दी थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि एनसीटीसी के जरिए केंद्र राज्य के अधिकार पर हमला कर रही है. ममता के विरोध के बाद एनसीटीसी का मामला ठंडे बस्ते में चला गया है.

31 दिसंबर 2011: लोकायुक्त की नियुक्ति का विरोध
ममता ने केंद्र के प्रस्ताविक लोकपाल विधेयक का विरोध करते हुए मांग की है कि राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति का मसला पूरी तरह राज्य सरकार के अधीन रहे.

24 नवंबर 2011: विदेशी किराना का विरोध
पिछले साल नवंबर में जब सरकार ने विदेशी किराना की बात कही थी उस समय भी ममता ने सरकार को धमकी दी थी.

6 सितंबर 2011: तीस्ता जल समझौते का विरोध
ममता बनर्जी बांग्लादेश सरकार के साथ होनेवाले तीस्ता जल समझौते के खिलाफ हैं और उन्हीं की विरोध की वजह से पिछले साल ये समझौता नहीं हो पाया था.

3 सितंबर 2011: भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध
ममता सरकार मौजूदा भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ है क्योंकि उनका मानना है कि इस बिल में किसानों के हितों की अनदेखी की गई है. ममता के विरोध की वजह से ये बिल भी लटका हुआ है. ममता पश्चिम बंगाल को विशेष आर्थिक पैकेज के मसले पर भी सरकार को कोई बार धमकी दे चुकी हैं.

वैसे ममता शुरू से इस तरह की राजनीतिक धमकी देती आई हैं. 90 के दशक में जब वो पी वी नरसिंहराव की सरकार में कांग्रेसी मंत्री थी तो उन्होंने ज्योति बसु की सरकार को हटाने की मांग करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

इसी तरह एनडीए सरकार में उन्होंने तहलका मामले के बाद तत्कालीन रक्षामंत्री जार्ज फर्नांडीज को हटाने की मांग करते हुए रेलमंत्री का पद छोड़ दिया था.

Sunday, September 16, 2012

अतीत का हिस्सा बनते जा रहे हैं सिनेमाघर



 हावड़ा जिले के शिवपुर थाना इलाके में  किसी जमाने में धर्मेंद्र की फिल्म जुगनू देखने के लिए मायापुरी सिनेमाहाल के सामने दर्शकों की  लंबी कतार लगी रहती थी। लोग सिनेमाहाल का अग्रिम टिकट कटाने के लिए मारपीट तक करते थे, इस दौरान किसी का पर्स गायब हो जाता तो किसी की घड़ी। यही हाल धर्मेंद्र की फिल्म आजाद के लिए नवभारत सिनेमा हाल में थी। कोलकाता के ज्योति सिनेमाहाल में सन्नी देवल की पहली फिल्म बेताब का अग्रिम टिकट कटाने वालों की लंबी कतार बारिश में भी टस से मस नहीं हो रही थी।  सदाबहार फिल्म शोले भले ही सफलता के सर्वकालीन कीर्तिमान कायम करने में कामयाब रही हो उसे शुरूआती दर्शक नहीं मिले थे। इसके बावजूद नई फिल्म लगने के बाद कई लोग आराम से फिल्म देखते थे कि महीना-दो महीना तो चलेगी, बाद में देखलेंगे।  लेकिन यह सारी बातें अब जहां सपने की तरह लगती हैं क्योंकि सिनेमाहाल के दर्शक तो  गायब होते ही  जा रहे हैं, वहीं सिनेमाहाल भी दर्शकों के साथ गुम होते जा रहे हैं।
इन दिनों सिनेमा हाल में जाकर फिल्म देखने वाले  दर्शकों की पुरानी पहचान बदलती जा रही है। पारंपरिक सिनेमाहाल बंद हो रहे हैं और उनकी जगह बहुमंजिला इमारतें, शापिंग माल बनते जा रहे हैं। महानगर कोलकाता का प्रसिद्ध सिनेमाहाल ओरिएंट मलबे में बदल चुका है। बदलते जमाने के साथ नहीं बदलने के कारण सिनेमाहाल से दर्शक दूर होते जा रहे हैं। ज्यादातर लोगों का मानना है कि सिनेमाघरों की हालत में सुधार नहीं करने के कारण ही दर्शक मल्टीप्लेक्स की ओर जा रहे हैं।
हावड़ा में जोगमाया सिनेमाहाल में एक राजनीतिक दल का कार्यालय बन चुका है। इसके अलावा मायापुरी, अलका समेत बंद होने वाले सिनेमा घरों की एक लंबी सूची है। कोलकाता में हाथीबगान में पूर्णश्री, रुपबानी, खन्ना, धर्मतला का लोटस, लाइटहाउस, चैप्लिन, ओपेरा, न्यु सिनेमा, ज्योति, जेम, टाईगर इस सूची में शामिल हैं। दक्षिण कोलकाता में बंद सिनेमाघरों की सूची में उज्जला, कालिका, रुपाली, पूर्णा, भारती शामिल है। इस ताजा सूची में ओरिएंट का नाम शामिल हो गया है, अचानक वहां जाकर देखा कि हाल मलबे में बदल गया है। पता चला है कि वहां बहुमंजिला इमारत बनाई जाएगी।
ईस्टर्न इंडिया मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन (इंपा) से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि किसी जमाने में राज्य में कुल मिलाकर 700 से ज्यादा सिनेमाघर थे। बीते पांच साल में लगभग 250 सिनेमाहाल बंद हो गए हैं। जो हाल चल रहे हैं, उनकी हालत भी दयनीय बनी हुई है। कितने दिनों तक वे चलते रहेंगे, इस बारे में कोई नहीं बता सकता।
मालूम हो कि महानगर कोलकाता और हावड़ा में अभी भी कई सिनेमाघर चल रहे हैं लेकिन कब वहां हाउसफुल का बोर्ड लगा था , यह सवाल किसी ईनामी प्रतियोगिता में पूछा जाए तो शायद ही कोई जबाव दे सके। आखिर क्या कारण है कि लोग सिनेमाहाल से दूर जा रहे हैं और मल्टीप्लेक्स में दर्शकों की भीड़ बढ़ती जा रही है। जबकि वहां टिकटों की भारी कीमत रहती है, नई और चर्चित  फिल्म  के टिकट की कीमत तो इतनी रहती है कि सामान्य परिवार का उसमें हफ्ते का राशन आ जाए। इस बारे में पूछने पर सिनेमा घरों से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि सामान्य सिनेमा हाल में 700-800 दर्शकों के बैठने की जगह रहती है, वहीं मल्टीप्लेक्स में एक हजार-ग्यारह सौ दर्शकों के लिए चार-पांच स्क्रीन रहते हैं। यहां दर्शकों को फिल्म चुनने का मौका रहता है, दूसरे साफ-सुथरे हाल, शानदार साउंड और जबरदस्त एयरकंडीशन केकारण यहां फिल्म देखने का मजा ही कुछ और रहता है। इसलिए अब सामान्य सिनेमाहाल में भी एक दिन में दो-तीन फिल्में दिखाने की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही साउंड सिस्टम और दूसरी सुविधाओं में भी सुधार किया जा रहा है।
हालांकि पारंपरिक सिनेमाघर, जिसे सिंगल स्क्रीन कहा जाता है, उनकी हालत खराब है। यहां कई बार मुश्किल से उंगलियों पर गिने जाने लायक दर्शक दिखते हैं। लगातार बंद होते सिनेमाघरों की हालत देखते हुए ऐसा लगता है कि शायद वे जल्द ही अतीत का हिस्सा न बन जाएं।


Tuesday, September 11, 2012

कोलकाता में बढ़े मकानों के दाम



रियल एस्टेट क्षेत्र में मंदी को नकारते हुए जमीन की ऊंची कीमतें कोलकाता में मकानों के दाम बढ़ा रही हैं। अच्छे इलाकों में जमीन की कीमतें 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ी हैं, क्योंकि मांग लगातार बनी हुई है, जबकि शहर के बाहरी शहरी और अद्र्ध-शहरी इलाकों में मुश्किल से ही कोई नई टाउनशिप विकसित हुई है।
सरकारी निकायों जैसे कोलकाता नगर निगम (केएमसी) और हाउसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (हिडको) द्वारा हाल ही में की गई जमीन की नीलामी से शहर में जमीन की बढ़ती कीमतों का सही पता चलता है। इस साल जून में केएमसी ने ईएम बाईपास पर 2 एकड़ का प्लॉट 115 करोड़ रुपये में बेचा था, जो शहर में अब तक का सबसे ऊंची कीमत पर हुआ जमीन का सौदा था। इससे पहले भूमि का बड़ा सौदा 2009 में हुआ था। उस समय ईएम बाईपास पर 3.35 एकड़ का प्लॉट 135 करोड़ रुपये में बेचा गया था। अभी कुछ समय पहले ही राजारहाट की आईटी टाउनशिप में हिडको ने 2.5 एकड़ का रिटेल एवं ऑफिस कॉम्पलेक्स 51.13 करोड़ रुपये में बेचा है।
शहर के एक रियल एस्टेट डेवलपर संतोष रूंगटा ने कहा, 'कोलकाता में जमीन की कीमतें करीब 50 फीसदी बढ़ी हैं, जिसका असर आने वाली परियोजनाओं में दिखाई देगा। जमीन की आपूर्ति घट रही है, लेकिन मांग लगातार बनी हुई है और इस मांग को पूरी करने के लिए मुश्किल से ही कोई नई टाउनशिप आ रही है।'
जमीन की कीमतों में भारी बढ़ोतरी पश्चिम बंगाल में नई नहीं है। वर्ष 2009 के आसपास पूववर्ती वामपंथी सरकार के शासनकाल में सरकारी एजेंसियों ने प्रमुख जगहों पर जमीन की बिक्री कर भारी राशि अर्जित की थी। उदाहरण के लिए कोलकाता और इसके आसपास जमीन के सौदे करने वाली तीन प्रमुख सरकारी एजेंसियां थींं-कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण (केएमडीए), कोलकाता नगर निगम और पश्चिम बंगाल आवास बोर्ड। इन्होंने दो वर्ष से कम समय की अवधि में 18,000 करोड़ रुपये मूल्य की 5,250 एकड़ जमीन के सौदे किए। केएमडीए ने एक दिन में रियल एस्टेट डेवलपरों के साथ 800 करोड़ रुपये से ज्यादा के सौदे किए थे।
पश्चिम बंगाल में नई टाउनशिप विकसित करने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा शहरी भूमि (सीमा और नियमन) अधिनियम (यूएलसीए), 1976 है। अधिनियम के अनुसार कोलकाता जैसे ए श्रेणी में आने वाले शहर में खाली जमीन पर सीङ्क्षलग लिमिट 7.5 कट्टा या 500 वर्ग मीटर है। पश्चिम बंगाल देश के उन कुछेक राज्यों में से एक है, जिनमें यूएलसीए जैसा कानून है। यह कदम मुख्यमंत्री की चिंताओं के समान ही है।

Thursday, September 6, 2012

ममता के राज में 1000 रुपए की दवा अब 333 रुपए में मिलेगी


  कोलकाता, 6 सितंबर (जनसत्ता)। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के स्वास्थ्य विभाग ने  दुर्गापूजा के पहले राज्य के लोगों के लिए खुशखबरी देने की योजना बनाई है। इसके तहत राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में  कम मूल्य की सस्ती दवा की दुकाने खुलने जा रही हैं। इन दुकानों में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की दवाओं पर 66 फीसद से लेकर 52 फीसद तक आम लोगों को छूट मिलेगी। ड्रग कंट्रोल विभाग के सूत्रों का कहना है कि  राज्य के स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रस्तावित कम मूल्य की 35 दुकानों से यह छूट मिल सकेगी।
सूत्रों से पता चला है कि कोलकाता मेडिकल कालेज, आरजीकर अस्पताल, एसएसकेएम और एनआरएस अस्पताल में ऐसी दुकानें खोली जाएंगी। यहां पर 100 रुपए की एमआरपी की दवाएं खरीदने के लिए 66 रुपए से ज्यादा की छूट मिलेगी। हाल में राज्य के 35 सरकारी अस्पतालों में गरीब और मध्यमवर्ग के लोगों की समस्याओं को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल के तहत कम मूल्य की दवाएं बेचने का फैसला किया गया था। यह दुकानें चलाने और कितनी कम कीमत पर दवाएं ग्राहकों को उपलब्ध कराई जाएंगी, यह पता लगाने के लिए निविदाएं जारी की गई थी। बीते महीने के अंतिम हफ्ते निविदाएं खोली गई। दुकान चलाने के लिए आवेदन करने वालों का चुनाव हो गया है।
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि 35 कम मूल्य की दुकानों से दवाओं से लेकर चिकित्सा के काम में व्यवहार किया जाने वाला सभी सामान एमआरपी से 52 फीसद से लेकर 66.25 फीसद कम कीमत पर उपलब्ध होगा। कोलकाता के पांच में से चार मेडिकल कालेज अस्पतालों में ही यह दुकानें खुल रही हैं। यहां से लोगों को 66.25 फीसद छूट मिलेगी। यहां एक हजार रुपए की दवाएं खरीदने वालों को 333 रुपए देने होंगे। राज्य सरकार की ओर से सस्ती दवाएं खोलने के लिए आवेदन की मांग करते हुए कहा गया था कि पीपीपी मॉडल से दुकानें खोली जाएंगी, दुकानों के लिए जगह और बिजली का बंदोबस्त राज्य सरकार करके देगी। लेकिन जमीन के लिए चुनी गई संस्था को किराया देना होगा। दवाओं के वितरक, खुदरा विक्रेता या रिटेल चेन वाले ऐसी दुकानें चलाएंगे। आवेदन के लिए शर्त रखी गई थी कि कम से कम 30 फीसद छूट देने वाले ही आवेदन कर सकते हैं। इसमें लगभग 300 लोगों ने आवेदन किया था। इसमें 100से ज्यादा संस्थाओं ने फाइनेंसियल बिड में हिस्सा लिया। बाद में देखा गया कि चुनी गई संस्थाओं में न्यूनतम 52 फीसद और अधिकतम 66.25 फीसदी छूट देने की बात कही गई थी।
राज्य के स्वास्थ्य अधिकारी (शिक्षा) डाक्टर सुशांत बनर्जी का कहना है कि आगामी दो महीनों में सभी दुकानें खुल जाएंगी। इससे राज्य के लोगों को भारी लाभ होगा और महंगाई के दौर में राहत मिल सकेगी।

Wednesday, September 5, 2012

पश्चिम बंगाल में छह लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई


 उच्च न्यायालय ने अजमल कसाब की फांसी का मामला रोक रखा है, इस बीच पश्चिम बंगाल में छह लोगों को फांसी की सजा मिली हुई है।  यह कैदी अलीपुर और प्रेसीडेंसी जेल में बंद हैं। इन कैदियों ने दया याचिका दायर की है। तीन कैदियों की याचिका कलकत्ता उ च्च न्यायालय और तीन कैदियों की याचिका उ च्चतम न्यायालय के विचाराधीन है। जेल में कैद फांसी के दिन गिन रहे हैं। हालांकि कुछ लोगों पर अदालत ने रहम भी की है जबकि कुछ लोग अभी तक अपने भविष्य के बारे में चिंतित हैं।
मालूम हो कि देश में अंतिम बार जो फांसी दी गई थी वह अलीपुर सेंट्रल जेल में हुई थी। 14 अगस्त 2004 को घनंजय चटर्जी (39) को फांसी दी गई थी। दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर इलाके में पांच मार्च 1990 को सुरक्षा गार्ड चटर्जी ने बिल्डिंग में रहने वाली एक 14 साल की लड़की के साथ बलात्कार करने के बाद हत्या कर दी थी। इससे पहले सीरियल किलर के तौर पर कुख्यात आटो शंकर को 27 अप्रैल 1995 को चेन्नई सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी। राज्य में धनंजय से पहले हत्या के दो आरोपियों कार्तिक सिल और सुकुमार बर्मन को 1993 को फांसी के फंदे पर लटकाया गया था।
गौरतलब है कि धनंजय को फांसी देने के बाद राज्य में कई लोगों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। इसमें सबसे पहले स्पेशल सेशंस कोर्ट ने आफताब अंसारी और जमालुद्दीन नासिर को 27 अप्रैल 2005 को फांसी की सजा सुनाई थी। दोनों अभियुक्तों को अमेरिकी सूचना केंद्र पर हमलाकरने के आरोप में सजा सुनाई गई थी। अंसारी तीन मई 2002 से अलीपुर जेल में कैद है जबकि दूसरे अभियुक्त को पिछले साल फरवरी में यहां लाया गया था। दोनों ने उ च्चतम न्यायालय में याचिका दायर कीहै, इसलिए कलकत्ता उ च्च न्यायालय में उनका मामला फंसा हुआ है।
सूत्रों ने बताया कि उ च्चतम न्यायालय में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के हेड कांस्टेबल बलबीर सिंह की फांसी की याचिका भी विचाराधीन है। जनरल सिक्युरिटी फोर्स कोर्ट की ओर से सजा सुनाए जाने के बाद गुवाहाटी उ च्च न्यायालय ने भी उनकी रहम की अपील ठुकरा दी थी। उन्हें छह अक्तूबर 2010 को अलीपुर जेल लाया गया था। अपने उच्चाधिकारी  की हत्या के आरोप में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है।
इसी तरह फांसी की सजा पाने वालों में अलीपुर जेल में शंभु लोहार और प्रेसीडेंसी जेल में केबल राय कैद है। शंभु को सूरी की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। सैंथिया तेल मिल के भीतर दो लोगों की हत्या के आरोप में 15 सितंबर 2010 को सजा सुनाई गई थी। जबकि राय को 18 अप्रैल 2005 में ताराचंद (68) और शारदा देवी बांका (56) की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसे 24 सितंबर 2008 को कोलकाता की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। पुलिस के मुताबिक उसने 20 लाख रुपए की चोरी की थी और अपने मालिक-मालकिन की हत्या की थी। हत्या के बाद वह अपने गांव भाग गया था पुलिस ने हत्या के एक महीने बाद बिहार के सिमुलतला से उसे गिरफ्तार किया था। इसके बाद से वह प्रेसीडेंसी जेल में बंद है। 25 अगस्त को इस साल सूचित किया गया कि कलकत्ता उ च्च न्यायालय ने उसकी फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया है। लेकिन यह आदेश जेल में अभी तक नहीं पहुंचा है।
मालूम हो कि उक्त कैदी ही ऐसे नहीं हैं जिन्हें फांसी की सजा मिली हुई है। इसके अलावा निक्कु यादव भी इस सूची में शामिल है। उसने बालीगंज सर्कुलर रोड स्थित त्रिपुरा इंक्लेव के फ्लैट में अपनी मालकिन रवींद्र कौर लुथरा की हत्या कर दी थी। यह हत्या 15 फरवरी 2007 को की गई थी। अलीपुर सेसंस कोर्ट ने 29 अगस्त 2008 को उसे फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन बाद में कलकत्ता उ च्च न्यायालय ने सात अक्तूबर 2010 को फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।

Sunday, September 2, 2012

जनवरी में होंगे पंचायत चुनाव


   राज्य में आगामी दिनों होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर राज्य चुनाव आयोग और सरकार में मतभेद दिखाई दे रहे हैं। सरकारी सूत्रों का मानना है कि  यह विवाद कब तक सुलझ जाएगा, इसका कुछ पता नहीं चल रहा है।
मामूल हो कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 21 जुलाई को कोलकाता की एक सभा में कहा था कि दुर्गापूजा के बाद राज्य में पंचायत चुनाव होंगे। इसके बाद मई में राज्य चुनाव आयोग के लिखे पत्र के जवाब में सरकार ने जुलाई में जवाब भेजा कि दिसंबर में हम चुनाव चाहते हैं। इसके बाद से ही तारीख को लेकर समस्या देखी जा रही है। नियमानुसार राज्य सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद ही चुनाव आयोग पंचायत चुनावकी तिथि का एलान करेगा। सूत्रों का कहना है कि बीते कई महीनों से चर्चा चल रही है लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका है।
हालांकि सरकारी सूत्रों का कहना है कि जल्द ही मामले का समाधान हो जाएगा। इसके तहत जनवरी 2013 में राज्य में चार दिन पंचायत चुनाव किये जा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि आयोग का मानना है कि पंचायत इलाका तय करने के लिए ही ढाई महीने का समय लगेगा। यह काम सितंबर से पहले शुरू नहीं किया जा सकता है। इसके बाद चुनावी प्रक्रिया शुरू करने के लिए कम से कम 75 दिन प्रतीक्षा करनी होगी। इस तरह सितंबर से काम शुरू होने पर 150 दिन सारी प्रक्रियाएं पूरी करने के लिए चाहिए। यह काम जनवरी तक पूरा होगा और दो महीने माध्यमिक, उच्च माध्यमिक और दूसरी परीक्षाओं में निकल जाएगा। इसलिए आयोग का मानना है कि अप्रैल से पहले चुनाव संभव नहीं है। इतना ही नहीं आयोग का कहना है कि मई में चुनाव होंगे तो जनवरी में नई मतदाता सूची में शामिल लोग भी मतदान में हिस्सा ले सकेंगे।
दूसरी ओर राज्य सरकार का मानना है कि इलाका पुनर्विन्यास के लिए ज्यादा से ज्यादा डेढ़ महीने लगेंगे, इसके अलावा दूसरे सारे काम चार महीने में पूरे हो जाएंगे। जनवरी में आसानी से पंचायत चुनाव करवाए जा सकते हैं। जबकि मतदान जनवरी 2012 की मतदाता सूची के आधार पर होने चाहिए। मालूम हो कि पश्चिम बंगाल में मई 2008 में पंचायत चुनाव हुए थे। तीन स्तरीय पंचायत का बोर्ड गठन होने में जून महीना गुजर गया था।

Tuesday, August 28, 2012

सेक्स से इंकार करने पर 72 वर्षीय पति ने 65 साल की पत्नी को मार डाला


  एक 72 साल के वृद्ध ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी। पत्नी की उम्र 65 साल है। पति शारीरिक संबंध (सेक्स) करना चाहता था लेकिन पत्नी ने इंकार कर दिया। इससे गुस्से में पगलाए पति ने पत्नी की हत्या कर दी। हालांकि हत्या के बाद उसने खुद भी आत्महत्या का प्रयास किया।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह सनसनीखेज घटना उत्तर चौबीस परगना जिले में घोला थाना इलाके के बोर्ड घर स्थित हेमंतनगर में हुई है। मरने वाली महिला का नाम लक्ष्मी मंडल (65) बताया गया है। जबकि हत्या करने वाले  पति का नाम  कृष्णपद मंडल (72) है।
सूत्रों ने बताया कि शारीरिक संबंध कायम करने को लेकर वृद्ध दंपति में लगभग आए दिन विवाद रहता था। पति जहां इसके लिए पत्नी पर दबाव डालता था वहीं पत्नी इसका विरोध करती थी। इसके उनमें झगड़ा होता रहता था । सोमवार भी इसी तरह दोनों में विवाद शुरू हुआ। इलाके के लोगों के लिए यह प्रतिदिन का नाटक था। लेकिन कल रात गुस्साए पति ने कुदाल से पत्नी को ऐसा मारा की उसकी मौत हो गई। जब पति को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या की कोशिश की। वृद्ध का इलाज पानीहाटी स्टेट जनरल अस्पताल में चल रहा है। हालांकि उसकी हालत खतरे से बाहर बताई गई है। पुलिस का मानना है कि मानसिक हालत खराब होने के कारण पति ने ऐसा किया है।

भोजपुरी मरते दम तक छोड़ने का इरादा नहीं: रवि किशन








। भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार रवि किशन का कहना है कि भोजपुरी तो मां के बराबर है, इसलिए भोजपुरी भाषा में फिल्मेंं करना कभी भी बंद नहीं करुंगा। कोलकाता के एल्गिन रोड स्थित  चाय ब्रेक लॉज में ‘जीना है तो ठोक डाल ’ के प्रमोशन पर महानगर पहुंचे रवि किशन ने एक विशेष बातचीत में कहा कि टीवी के कई शो और मुंबई में फिल्मों में व्यस्तता बढ़ गई है, इसके साथ ही मराठी और बांग्ला फिल्में भी कर रहा है। समय की कमी को देखते हुए कम भोजपुरी फिल्में करने का फैसला किया है। इस बारे में उनका कहना है कि पहले साल में कम से कम 12 फिल्मों में काम करता था लेकिन अब तीन-चार फिल्में कर रहा हूं। इस साल का कोटा तो पूरा भी कर दिया है।
सलमान खान के साथ तेरे नाम, मणि रत्नम  के साथ रावण, सैफ अली खान के साथ एजेंट विनोद, करिश्मा कपूर के साथ डेंजरस इश्क में काम करने वाले रवि किशन को मुंबई में 20 साल तक संघर्ष करने के बाद वास्तिवक तौर पर  पहला बड़ा ब्रेक ‘जीना है तो ठोक डाल ’ से ही मिला है। इस फिल्म की शुटिंग पूर्णिया और मुंबई में हुई है। मुंबई में दो-दो नायिकाओं के साथ  अकेले हीरो के तौर पर पहली फिल्म से खासे उत्साहित हैं। उनका कहना है कि इन दिनों मल्टीप्लेक्स की बदौलत हर तरहकी फिल्में चल रही हैं। गैंग आफ वासेपुर की तरह इसकी भी कहानी बिहार की पृष्ठभूमि को लेकर बनाई गई है।
बीस साल बाद मुंबई की किसी हिंदी फिल्म में पहली बार ब्रेक मिलने पर उनका कहना है कि लोग चलकर सफलता की सीढ़ी चढ़ते हैं, लेकिन मैं यहां तक रेंग कर पहुंचा हूं। हालांकि उनका कहना है कि एके हंगल को 50 साल की उम्र में ब्रेक मिला था, नाना पाटेकर जैसे और भी कई ऐसे अभिनेता हैं जिन्हें ज्यादा उम्र के बाद मौके मिले। इसलिए ईश्वर की दया है कि मुझे मौका तो मिल गया, ऐसे भी कई लोग हैं जिन्हें जीवन भर मौका ही नहीं मिलता।
साढ़े पांच करोड़ की बजट की फिल्म हिंदी फिल्म जगत में कितना प्रभाव डाल सकेगी, इस बारे में पूछे एक सवाल पर उनका कहना है कि यह सच है कि मुंबई में एक ही गाने पर इतने रुपए खर्च कर दिये जाते हैं। लेकिन 14 सितंबर को प्रदर्शित होने वाली  हमारी फिल्म गीत, संगीत, कथा समेत सभी विभागों में लोगों को मनोरंजन करेगी, इसलिए इससे खासी उम्मीद है। फिल्म की कहानी के बारे में उनका कहना है कि चार दोस्तों को सुपारी मिलती है कि एक हत्या करनी है, आठ लाख रुपए मिलेंगे। गांव के हमारे जैसे लोगों को आठ लाख आठ करोड़ से ज्यादा लगते हैं और मुंबई हत्या करने पहुंच जाते हैं। यहां एक विदेशी युवती की हत्या करनी है, जिससे मुझे प्यार हो जाता है। इसके बाद दोस्तों में हत्या करने को लेकर तनाव, क्या हम हत्या कर सकते हैं, क्या मेरे दोस्त मुझे मार डालते हैं या मैं सभी की हत्या करता हूं। यह देखने लायक है। फिल्म के क्लाईमेक्स के 40 मिनट तो दर्शकों की सांसें रोक देंगे।
कई टीवी शो में हिस्सा लेने के बाद भी सफलता की सीढ़ी चढ़ने में नाकाम रहे रवि किशन का कहना है कि टीवी शो एक अद्भूत खेल है, इसका मकसद लोगों को भरपूर मजे देना होता है। लोग आनंद लेते हैं और सारे लोग खुश हो जाते हैं। इसमें लोकप्रियता और दूसरी चीजे ज्यादा मायने नहीं रखती।
निमात्री अपर्णा होशिंग, निर्देशक मनीष वातसल्य, संगीतकार शादाब, अभिनेता यशपाल शर्मा का मानना है कि कम बजट में ऐसी फिल्म कम ही बनती है।  नायिका पूजा का मानना है कि भले ही फिल्म का टाईटल हिंसक है लेकिन इसमें लोगों को संदेश दिया गया है कि गलत काम करने वालों का अंत कभी भी भला नहीं होता। कहा जा सकता है कि,‘ कर भला तो हो भला और कर बुरा तो हो बुरा। ’

Friday, August 24, 2012

दार्जिलिंग में पर्यटकों से 10 रुपए वसूलने के निर्देश



 अब दार्जिलिंग की सैर करने के लिए जाने वाले पर्यटकों से 10 रुपए टैक्स वसूला जाएगा। गोरखा टेरीटोरियल एडमिनीस्ट्रेशन (जीटीए) प्रमुख बिमल गुरूंग ने दार्जिलिंग नगरपालिका को यह निर्देश जारी किया है। सफाई के लिए यहां आने वाले पर्यटकों से कर वसूली की जाएगी। यह वसूली होटले के माध्यम से की जाएगी। होटल में रहने वाले किराये के कारण प्रति व्यक्ति 10 रुपए अतिरिक्त बिल में जोड़ेंगे।
नगरपालिका के अध्यक्ष अमर सिंह राई का कहना है कि दार्जिलिंग में लगभग हर मौसम में भारी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। भारी संख्या में लोगों के यहां आने से प्रदूषण फैलता है। हालांकि होटल मालिकों के संगठन का कहना है कि कर वसूली के बारे में विचार-विमर्श के बाद फैसला किया जाएगा।

Monday, August 13, 2012

आठ फीट तीन इंच की सिद्दिका बगैर इलाज घर लौटी



 सिद्दिका परवीन (25) रविवार को अपना इलाज को बीच में छोड़ घर लौट गयी. वह राज्य के सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल एसएसकेएम (आइपीजीएमइआर)) में पांच जुलाई से भरती थी. उसके पिट्यूटरी ग्लैंड में एक टय़ूमर है.
इस कारण वह एक दिन में पांच से सात किलो चावल खाती है. उसका वजन लगभग 160 किलो है और ऊंचाई आठ फीट तीन इंच है. उसके इलाज के लिए अस्पताल में मेडिकल बोर्ड का गठन हुआ था. डॉक्टरों के अनुसार, सिद्दिका की एक सजर्री होनी थी. इसके बाद उसे हर महीने एक इंजेक्शन लेना पड़ता, जो पूरी जिंदगी चलती. एक इंजेक्शन का मूल्य 55 हजार रुपये है.
गौरतलब है कि अब तक उसके इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन कर रही थी. उसके परिजनों का आरोप है कि सिद्दिका एक माह से इस अस्पताल में भरती थी, लेकिन उसकी स्थिति जस की तस है.
उसके इलाज में कोताही बरती गयी. अस्पताल में सिद्दीका को भर पेट भोजन भी नहीं मिल रहा था. उसके परिजनों को यह डर सता रहा है कि अगर सजर्री के बाद इस इंजेक्शन का खर्च सरकार से नहीं मिले, तो फिर उसके लिए काफी समस्या होती.
सिद्दिका के पिता किसान हैं. उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि वह बेटी का इलाज करा सकें. इसलिए वह अपनी बेटी को लेकर घर लौट आये. सिद्दिका के पिता ने आरोप लगाया कि अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टर लापरवाही बरत रहे थे. वह जिस बेड पर सोती थी, उसकी लंबाई भी कम थी. इस तरह की कई परेशानियों की वजह से वह सिद्दिका का इलाज करवाये बगैर लौट गये.



ममता के विरोध के बावजूद राज्य में फारवर्ड ट्रेडिंग

 मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फारवर्ड ट्रेडिंग के मुद्दे पर केंद्र सरकार का जोरदार विरोध किया है और कहा है कि राज्य में किसी भी हालत पर इसका समर्थन नहीं करेंगी। लेकिन इसके बावजूद राज्य में इस तरह से कारोबार किया जा रहा है जिसका नतीजा है कि आम लोगों की रसोई के लिए अति आवश्यक सरसों के तेल के साथ ही दाल, आटा, मैदा, चीनी समेत दूसरी वस्तुओं की कीमत में लगातार वृद्धि हो रही है। इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बीते एक महीने के दौरान रसोई की वस्तुओं में वृद्धि उल्लेखनीय रही है। कोलकाता, हावड़ा समेत राज्य की दुकानों में आटा और मैदा की कीमतों में तीन-चार रुपए किलोग्राम की दर से वृद्धि हुई है। इसी तरह सरसों के तेल में भी आठ रुपए से लेकर 10 रुपए तक वृद्धि हुई है। विभिन्न तरह की दालों की कीमत भी छह से लेकर 10 रुपए तक महंगी हो गई है। इसके साथ ही मशाले भी पीछे नहीं हैं। मसालों की कीमतों प्रति किलो एक महीने में 80 से लेकर 90 रुपए तक बढ़ गई है। इसी तरह बिस्कुट, साबुन, डिटरजेंट , टूथ पेस्ट से लेकर सिर में लगाने वाले तेल की कीमतों का भी वैसा ही हाल है। अंडे की दर कुछ घटने के बाद फिर बढ़ गई है।
बाजार के आंकड़ों के मुताबिक एक महीने पहले आटा 16 रुपए किलोग्राम की दर से बिक रहा था, यह अब 19 रुपए तक पहुंच गया है। इसी तरह मैदा 17 रुपए से 20 रुपए, सरसों तेल 90 रुपए से एक सौ रुपए, मसूल दाल 67 से 73, मटर दाल 38 से 46, मूंग दाल 95 से 110 , चीनी 36 से 42, जीरा 180 से 200, हल्दी 120 रुपए से लेकर 140 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिक रही है।
हालांकि चावल की कीमतों में कुछ गिरावट के संकेत हैं। मालूम हो कि चावल, आलू, साग-सब्जी का उत्पादन ही राज्य में होता है, इसलिए इनकी कीमतों पर राज्य सरकार अंकुश लगा सकती है। जबकि दाल, आटा, मैदा, चीनी, मसालों समेत दूसरा सामान देश के दूसरे राज्यों से यहां आता है। मांग से लगभग दुगना उत्पादन होने के बाद भी तमाम सरकारी कोशिशें नाकाम हो गई हैं और आलू 15-16 रुपए से नीचे उतरने का नाम ही नहीं ले रहा है। जबकि मैदा, आटा, तेल, चीनी महंगी क्यों हो गई है इस बारे में विक्रेता से लेकर क्रेता तक अंधेरे में हैं। यह भी कहा जा रहा है डीजल की कीमतें बढ़ने के कारण परिवहन खर्च में वृद्धि हुई है, इसका असर आवश्यक वस्तुओं की कीमत पर पड़ा है। लेकिन व्यापारियों का कहना है कि महंगाई का यह इकलौता कारण नहीं है।
बड़ाबाजार के व्यापारियों की मानें तो उनके मुताबिक महंगाई का कारण उत्पादन में कमी या आपूर्ति व्यवस्था में गड़बड़ी नहीं है। इसका मुख्य कारण फारवर्ड ट्रेडिंग है। बड़ी-बड़ी कंपनियों की ओर से अग्रिम व्यापार या फारवर्ड ट्रेडिंग के नाम पर करोड़ों रुपए का माल खरीद कर गोदाम में इकट्ठा कर रखा है। इस साल देश में बारिश आशानुसार नहीं हुई है। उत्तर, दक्षिण और पश्चिम भारत के कई जिलों 50 फीसद से भी कम बारिश हुई है। इसका असर उत्पादन पर हुआ है। बारिशकी कमी के कारण जमीन का जलस्तर भी प्रभावित हुआ है। इससे दालों का उत्पादन और गन्ने के उत्पादन पर असर पड़ा है। मौके को देखते हुए कार्पोरेट संस्थाओं ने भी कीमतों में वृद्धि शुरूकर दी है। जिससे लगभग सभी वस्तुएं महंगी हो गई हैं।
रमजान का महीना चल रहा है, इसके बाद बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार दुर्गापूजा आने वाला है। इसके बाद दीपावली की बारी है। कुछ व्यापारियों का कहना है कि हर साल त्योहार के मौके पर कीमतों में वृद्धि होती है। लेकिन इस साल कीमतों में भारी वृद्धि का कारण फारवर्ड ट्रेडिंग है। इसमें खुदरा या थोक व्यापारियों का कोई हाथ नहीं है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ तौर पर एलान किया है कि वे फारवर्ड ट्रेडिंग का समर्थन नहीं करते हैं और इसे किसी भी हालत में लागू नहीं होने देंगे। आरोप है कि सब्जी की कीमतों के खिलाफ उन्होंने जैसे कार्रवाई की थी,जिससे कीमतें बहुत घट गई थी  कार्पोरेट संस्थाओं के खिलाफ ऐसा कुछ नहीं किया  जा रहा है। मुख्यमंत्री ने एलान किया था कि इंफोर्समेंट ब्रांच की ओर से गैरकानूनी तौर पर स्टाक जमा करके रखे गोदामों पर छापामारी की जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया, जिससे कीमते हैं कि घटने का नाम ही नहीं ले रही हैं।

Friday, August 10, 2012

पिंकी प्रमाणिक दोबारा सियालदह स्टेशन पर टिकटों की जांच कर रही

 एशियन खेलों में स्वर्ण पदक विजेता एथलीट पिंकी प्रमाणिक को रेलवे की ओर से दोबारा नौकरी पर रख लिया गया है। लिंग निर्धारण और एक महिला की ओर से बलात्कार की शिकायत किये जाने के बाद उसे निलंबित कर दिया गया था। पिंकी ने गुरुवार को सियालदह स्टेशन पर अपनी पुरानी टीटीई की नौकरी शुरू कर दी।
शुक्रवार को पिंकी ने पत्रकारों को बताया कि दोबारा काम पर पहुंचने पर बेहद खुशी हुई है। बीते दिनों जैसे हालात से गुजरी हुं कि कुछ कहना मुश्किल है। गत आठ अगस्त को मैने दोबारा काम पर रखे जाने की सिफारिश की थी और मुझे तुरंत काम पर रख लिया गया। इसके लिए मैं रेलवे की आभारी हूं।
उसने बताया कि उसके सहकर्मी बहुत मददगार हैं और मेरा सम्मान करते हैं। कई लोगों ने तो मेरे साथ तस्वीरें भी खिंचाई। इधर रेलवे के एक अधिकारी ने पत्रकारों को बताया कि पिंकी ने जमानत के आदेश की प्रतिलिपि दाखिल की थी। इसके बाद ही निलंबन वापस ले लिया गया। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के कानून के मुताबिक 48 घंटे पुलिस हिरासत में रहने वाले रेलवे कर्मचारी को निलंबित कर दिया जाता है। लेकिन जमानत मिलने के बाद उसने सिफारिश की और निलंबन वापस ले लिया गया।

Thursday, August 9, 2012

ममता 15 अगस्त को राईटर्स के सामने झंठा नहीं फहराएंगी


 तृणमूल कांग्रेस सरकार की ओर से सत्ता परिवर्तन के बाद वाममोर्चा की ओर से किये गए ज्यादातर फैसलों को बदला जा रहा है। इसके तहत ही राज्य सरकार ने फैसला किया है कि आगामी 15 अगस्त को  स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राईटर्स बिल्डिग के सामने तिरंगा नहीं  फहराया जाएगा। इसके बजाए स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन रेड रोड पर किया गया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि इससे पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर भी वाममोर्चा सरकार की ओर से राईटर्स के सामने तिरंगा फहराने की प्रथा को नहीं दोहराया गया था, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी वैसा ही किया जाएगा। गणतंत्र दिवस की तरह की स्वतंत्रता दिवस समारोह भी भव्य तरीके से रेड रोड पर मनाया जाएगा जिसे लोग देखते ही रह जाएंगे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यहां झंडात्तोलन करेंगी। इतना ही नहीं पुलिस और अर्ध सैनिक बल परेड करेगा। इस मौके पर स्कूल के छात्र-छात्राएं भी परेड में शामिल होंगे। पुलिस बैंड भी परेड में शामिल होगा। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों की ओर से कुल मिलाकर 12 झांकियां पेश की जाएंगी।
सूत्रों का कहना है कि स्वतंत्रता दिवस समारोह पूरी तरह गणतंत्र दिवस की तर्ज पर ही मनाया जाएगा। लेकिन समस्या मौसम को लेकर हो रही है क्योंकि जनवरी और अगस्त में मौसम का भारी फर्क है। इन दिनों बारिश होती है। जिससे पुलिस -प्रशासन चिंतित है। हालांकि वीआईपी और आम दर्शकों के लिए रेड रोड पर विशाल पंडाल बनाया जा रहा है, उपर तिरपाल की छत भी होगी। पुलिस वालों का मानना है कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जमकर बारिश हुई तो परेड का आयोजन धरा का धरा रह सकता है। मालूम को कि पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु से लेकर बुद्धदेव भट््टाचार्य तक हर साल राईटर्स बिल्डिंग के सामने ही झंडा फहराते थे, मुख्यमंत्री बनने के बाद पिछले साल ममता बनर्जी ने भी वहीं झंडा फहराया था लेकिन इस बार परिवर्तन किया जा रहा है।

Tuesday, August 7, 2012

कानून वालों को सिखाया जाए कानून


देश में कानून की रखवाली करने वालों को कानून के बारे में ही जानकारी नहीं है। इसलिए आम लोगों का कहना है कि कानून व्यवस्था को सख्ती से लागू करने के लिए जरूरी है कि सबसे पहले पुलिस अधिकारियों को कानून की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इस बारे में लगातार शिविर का आयोजन किया जाना चाहिए। जिससे कोई यह न कह सके कि भारतीय दंड विधान की धारा में क्या है, कानून क्या है, इस बात की उन्हें जानकारी नहीं है। हावड़ा जिले के बाली थाना इलाके में एक गृहवधू का उससे ससुराल वालों ने जबरन गर्भपात करवाया। पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, दोबारा गर्भपात करने से पहले बच्चे का लिंग निर्धारण कराना चाहते थे , महिला ने पुलिस से शिकायत की । लेकिन पुलिस ने इस बारे में कुछ नहीं किया। मामले की जानकारी मिलने पर महिला आयोजन की प्रमुख सुनंदा मुखर्जी  जब सोमवार बाली थाने गई और पूछताछ की तो उनके साथ लोगों को भी सदमा लगा। मुखर्जी के मुताबिक थाना प्रभारी दीपक सरकार ने बताया कि उन्हें मालूम ही नहीं है कि कानून के मुताबिक गर्भस्थ शिशु का लिंग निर्धारण करवाना दंडनीय है। आईपीसी की किस धारा के तहत इसे दंडनीय माना गया है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है।
इस बारे में एक महिला का कहना है कि जब कानून के रखवालों को ही पता नहीं है कि कौन सा कानून दंडनीय है तो अपराधियों को कैसे सजा मिल सकेगी। मालूम हो कि लिंग निर्धारण करवाने से इंकार करने वाली महिला रंजना प्रसाद की शिकायत के बाद पुलिस ने  वधू की पिटाई करने के आरोपियों में  सास सावित्री प्रसाद, ससुर गोविंद प्रसाद व देवर को गिरफ्तार करने के बाद  अदालत में सीजेएम में पेश किया गया था। सुनवाई के दौरान अदालत ने आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज करते हुए सात दिनों तक जेल हिरासत में रखने का निर्देश दिया। जानकारी के अनुसार बाली थाना की रहने वाली रंजना प्रसाद की पहले से ही एक बेटी है। कुछ दिन पहले ही वह गर्भवती हुई थी। इसकी खबर मिलते ही ससुरालवाले यह नहीं चाहते थे कि वह फिर से बच्ची को जन्म दे। इसी वजह से वे कुछ दिनों से उस पर दबाव दे रहे थे कि वह लिंग निर्धारण  करा ले जिससे  पता चल जाए कि उसके पेट में बच्चे का लिंग क्या है। इसके पहले भी ससुराल वालों ने ऐसा ही किया था।  इसके लिए प्री नाटाल डायगनोस्टिक टेकनीक (प्रोहीबीशन आफ सेक्स सिलेक्शन) एक्ट 1994 समेत भारतीय दंड विधान की धारा के तहत व्यक्ति को अभियुक्त बनाया जा सकता है। लेकिन पुलिस वालों को इसका पता नहीं था, इसलिए ऐसा नहीं किया गया। बाली थाने के एक पुलिस अधिकारी ही मानते हैं कि पुलिस को कानून की जानकारी नहीं थी लेकिन इसके बावजूद आईपीसी की धारा 313 (जबरन मिस कैरेज) की धारा लगाई गई, इसका कारण यह था कि गर्भवती महिला के पेट में लाठी मारी गई थी। लेकिन गर्भपात नहीं होने पर अभियुक्त सजा से बच सकते हैं।
इसी तरह जगाछा थाना इलाके में कोना एक्सप्रेस वे के नजदीक एक महिला का बलात्कार किया गया था, महिला ने एक पुलिस अधिकारी से शिकायत की। लेकिन उसने सलाह देते हुए कहा कि चुपचाप घर चली जाओ। इसके बाद थाने में भी शिकायत दर्ज नहीं की गई। मीडिया में चर्चा होने पर एएसआई को निलंबित किया गया । ज्यादातर लोगों का कहना है कि पुलिस वालों को कानून की जानकारी नहीं होने के कारण ही ऐसा किया जा रहा है।  इस मामले में आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस की ओर से को  पीड़ित महिला  को लेकर सातारागाछी ब्रिज के पास स्थित घटनास्थ का दौरा किया गया। । इसके बाद उससे घटना के संबंध में पूरी जानकारी ली गई। वारदात को नाटकीय रुप में प्रस्तुत करने का भी प्रयास किया गया। इस दौरान महिला ने आरंभ से लेकर अंत तक हुई समस्त घटना को पुलिस के सामने एक बार फिर बयान किया।  जिस झाड़ी में उसके  साथ दुष्कर्म किया गया था वहां पहुंच कर पुलिस ने सबूत  तलाशने का प्रयास किया। बताया गया है कि आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस की ओर से  जारी स्केच भी काम नहीं आ सका है। स्केच जारी करने के छह  दिन बाद भी पुलिस को आरोपी के संबंध में किसी प्रकार की जानकारी नहीं मिल सकी है।  गौरतलब है कि 25 जुलाई की सुबह यह घटना हुई थी। 
दूसरा ओर हावड़ा  जिले में ही गंगा में बंटी नामक युवक  के डूबने की सूचना देने वाले और इस घटना के चश्मदीद गवाह उसके तीन दोस्तों के खिलाफ पुलिस ने  हत्या का मामला दर्ज कर लिया है लेकिन अब तक इस मामले में न तो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और न उनसे पूछताछ ही की गई है। इस मामले के तीन आरोपियों और बंटी के दोस्त राहलु वर्मा, अजय शर्मा  और नवीन प्रसाद ने 18 जून की शाम बंटी के घरवालों को खबर की थी कि उनका बेटा गंगा में डूब गया है। जब घर वाले  मौके पर पहुंचे तो घटनास्थल  से उसकी मोटरसाइकिल, कपड़े, मोबाइल फोन सब कुछ उन्हें मिल  गया। आरोपियों की गवाही के बाद पुलिस ने गंगा में उसकी तलाश शुरू की। उसके पिता ने स्पीड बोट से हुगली नदी  को छान डाला लेकिन बंटी का पता नहीं चल सका।  लाश नहीं मिलने के कारण पुलिस किसी को गिरफ्तार भी नहीं कर रही है।
पार्क स्ट्रीट इलाके में कार में एक महिला के साथ बलात्कार की घटना के बाद सांतरागाछी   की घटना और चार दिन पहले बर्दवान जिले के कटवा में स्कूल जा रही छह साल की लड़की का दो लोगों ने बलात्कार किया था। इसके बाद उत्तर चौबीस परगना जिले के  सोदपुर में पुल कार में दूसरी कक्षा की एक छात्रा से बलात्कार की घटना हुई है। हावड़ा और कोलकाता में कई लोगों ने घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि पुलिस वालों को कानून की जानकारी नहीं होने पर ही ऐसा हो रहा है, इसलिए पुलिस अधिकारियों को कानून की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाना चाहिए। इसके साथ ही आम लोगों के साथ पुलिस को कैसे व्यवहार करना चाहिए, इस बारे में भी प्रशिक्षण दिये जाने की आवश्यकता है। ऐसा किया गया तो कानून का राज लागू हो सकेगा। 

Sunday, August 5, 2012

मशीन बाबुओं को सिखा सकेगी वर्क कल्चर?



 क्या मशीन सरकारी  बाबुओं को वर्क कल्चर (कार्य संस्कृति) सिखा सकती है। यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि सरकारी  कर्मचारी काम से जी नहीं  चुराते हैं, दिल पर हाथ रख कर कहना हो तो  यह खुद कोई सरकारी कर्मचारी भी नहीं मानेगा । अपवाद हर जगह होते हैं भले एकाध इसके अलग हों लेकिन वे किसी गिनती में नहीं आते। इसलिए प्रशासन की ओर से कर्मचारियों को कार्य संस्कृति सिखाने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाए जाते रहे हैं। तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव सुबह नौ बजे विभिन्न जगह पहुंच जाया करते थे , इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट््टाचार्य ने भी पद संभालने के बाद डू इट नाउ का नारा दिया थ। लेकिन सरकारी बाबुओं से काम कराना तो दूर उन्हें समय पर दफ्तर लाने की कोई भी योजना हाल तक कारगार नही हो  सकी है। अब राज्य की एक नगरपालिका ने यह कठिन बीड़ा उठाया है, जिसे लेकर तमाम तरह की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन के पुराने नाकाम प्रयास को बदल कर एक मिशाल कायम की जा सकेगी या इस प्रयास का नतीजा भी पहले की तरह ढाक के तीन पात वाला ही होगा।
बरानगर नगर पालिका की ओर से कर्मचारियों की हाजरी के लिए बायोमैट्रिक पद्धति की मशीने लगाई हैं। चार मशीनों की लागत लगभग पांच लाख रुपए पड़ी है। प्राइवेट दफ्तरों में तो इस तरह की मशीने पहले से सफलतापूर्वक काम कर रही हैं जिसके तहत कर्मचारियों को दफ्तर में प्रवेश के समय उंगलियों को मशीन पर रखना पड़ता है, इससे उनके पहुंचने का समय दर्ज हो जातहै। यही तरीका निकलने  (छुट््टी) के समय भी अपनाया जाता है।
नगरपालिका में कर्मचारियों के दफ्तर में प्रवेश करने का समय साढ़े तक बजे तय है, इसके बाद पहुंचने वाले कर्मचारी को देरी से आने के कारण उसके हाजरी खाते में लाल निशान लगा दिया जाता है। पौने ग्यारह बजे तक आने वाले कर्मचारी के तीन लेट होने पर एक कैजुअल छुट््टी कट जाती है। इसके बाद आनेवाले कर्मचारी को गैर हाजिर माना जाता है। लेकिन सरकारी कार्यालय में घंटों देरी से पहुंचने के बाद कर्मचारी दस बजे का समय लिख देते हैं कोई कुछ करने वाला नहीं है। इसके कई कारण हैं, एक तो युनियन की धौंस और दूसरे कर्मचारियों में सभी इस तरह का फायदा उठाना चाहते हैं, इसलिए कोई किसी के खिलाफकुछ करना नहीं चाहता। इसलिए नगरपालिका ने मशीन लगाई है जो देरी से पहुंचने वालों को लेट और गैरहाजिर बताती है। हालांकि नई व्यवस्था में अभयस्त करने के लिए कर्मचारियों को तीन महीने का समय दिया गया है। इस दौरान मशीन के साथ ही हाजरी खाते पर भी दस्तखत    करने की छूट है। तीन महीने बाद मशीन ही कर्मचारियों की हाजरी लेगी।
नगरपालिका के एक कर्मचारी का कहना है कि पहले लोग एक-दो घंटे देरी से आने के बाद भी हाजरी का समय लिख देते थे लेकिन अब ऐसा नहीं कर सकते। जबकि दूसरे एक कर्मचारी के मुताबिक चोरी करने वाले हमेशा कानून से आगे रहते हैं। इसलिए भले ही ज्यादातर कर्मचारी समय पर दफ्तर आते हैं लेकिन आउटडोर ड्यूटी लिख कर बाहर चले जाते हैं और पांच बजे से एकाध घंटे पहले दफ्तर आकर च ाय-पान करने के बाद घर चले जाते हैं। कई कर्मचारियों की मांग है कि कारखानों की तरह नगरपालिका के दरवाजे भी बंद किये जाने चाहिए। जिससे ऐसे कामचोरों को रोका जा सके।
नगरपालिका की चेयरपर्सन अपर्णा मौलिक के मुताबिक नगरपालिका कोई कारखाना तो है नहीं कि दरवाजा बंद कर दिया जाए। यहां तो आम लोगो का आना-जाना लगा ही रहता है। इसलिए दरवाजा तो खुला रखना ही होगा। उनका कहना है कि दफ्तर के काम से बाहर जाने से पहले संबंधित अधिकारी को बता कर जाने का प्रावधान है। जबकि व्यक्तिगत काम से बाहर जाने से पहले संबंधित विभाग और हमें पत्र लिखकर छुट््टी लेनी पड़ती है ।
मशीन के साथ ही नगरपालिका में क्लोज सर्किट कैमरे (सीसीटीवी कैमरे ) भी लगाए गए हैं। यह कैमरे पीडब्लूडी, लाइसेंस, कैश, कलेक्शन, जल, मोटर व्हिकल समेत सभी प्रमुख 38 विभागों में लगाए गए हैं, जहां लगातार चौबीस घंटे निगरानी की जा रही है। नगरपालिका के विरोधी दल नेता का मोबाइल चोरी हो गया था। सीसीटीवी कैमरे की मदद से चोर पकड़ा गया और मोबाइल बरामद किया गया।
उनका मानना है कि नई व्यवस्था से पहले की तुलना में भारी सुधार हुआ है। पहले मेरे पहुंचने के समय दफ्तर सूना-सूना रहता था और लोग दो- ढाई घंटे देरी सेपहुंचते थे। कई बार कहने पर भी कोई नहीं सुनता था। लेकिन मशीन के कारण बीते एक महीने से अब साढ़े दस बजे दफ्तर की लगभग सारी कुसियां भरी रहती हैं।
हालांकि नगरपालिका के विरोधी दल नेता माकपा के अशोक राय का कहना है कि यह कोई कार्पोरेट दफ्तर नहीं है। नई व्यवस्था के सफल होने की कोई उम्मीद नहीं है। यहां 20 फीसद लोग दफ्तर में रहते हैं जबकि 80 फीसद लोगों को काम के सिलसिले में बाहर रहनापड़ता है। उन्हें जब तब आना-जाना पड़त है। मशीन में हाथ लगाकर दूसरे दरवाजे से निकलने वालों के लिए विभाग और अध्यक्ष को ज्यादा सक्रिय रहना होगा। इसके साथ ही नगरपालिका के मुख्य दरवाजे पर सुरक्षा कर्मचारी भी तैनात करने होंगे। ऐसा नही किया गया तो मशीन एक   मजाक बनकर रह जाएगी। हालांकि लगभग छह महीने पहले सीसीटीवी कैमरे और बायोमैट्रिक मशीन दक्षिण दमदम नगरपालिकामें भी लगाई गई थी। वहां की प्रमुख अंजना रक्षित का मानना है कि इससे हाजरी में बहुत ज्यादा सुधार हुआ है और कार्य संस्कृति को लागू करने में मदद हासिल हुई है।