Tuesday, August 28, 2012

सेक्स से इंकार करने पर 72 वर्षीय पति ने 65 साल की पत्नी को मार डाला


  एक 72 साल के वृद्ध ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी। पत्नी की उम्र 65 साल है। पति शारीरिक संबंध (सेक्स) करना चाहता था लेकिन पत्नी ने इंकार कर दिया। इससे गुस्से में पगलाए पति ने पत्नी की हत्या कर दी। हालांकि हत्या के बाद उसने खुद भी आत्महत्या का प्रयास किया।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह सनसनीखेज घटना उत्तर चौबीस परगना जिले में घोला थाना इलाके के बोर्ड घर स्थित हेमंतनगर में हुई है। मरने वाली महिला का नाम लक्ष्मी मंडल (65) बताया गया है। जबकि हत्या करने वाले  पति का नाम  कृष्णपद मंडल (72) है।
सूत्रों ने बताया कि शारीरिक संबंध कायम करने को लेकर वृद्ध दंपति में लगभग आए दिन विवाद रहता था। पति जहां इसके लिए पत्नी पर दबाव डालता था वहीं पत्नी इसका विरोध करती थी। इसके उनमें झगड़ा होता रहता था । सोमवार भी इसी तरह दोनों में विवाद शुरू हुआ। इलाके के लोगों के लिए यह प्रतिदिन का नाटक था। लेकिन कल रात गुस्साए पति ने कुदाल से पत्नी को ऐसा मारा की उसकी मौत हो गई। जब पति को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या की कोशिश की। वृद्ध का इलाज पानीहाटी स्टेट जनरल अस्पताल में चल रहा है। हालांकि उसकी हालत खतरे से बाहर बताई गई है। पुलिस का मानना है कि मानसिक हालत खराब होने के कारण पति ने ऐसा किया है।

भोजपुरी मरते दम तक छोड़ने का इरादा नहीं: रवि किशन








। भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार रवि किशन का कहना है कि भोजपुरी तो मां के बराबर है, इसलिए भोजपुरी भाषा में फिल्मेंं करना कभी भी बंद नहीं करुंगा। कोलकाता के एल्गिन रोड स्थित  चाय ब्रेक लॉज में ‘जीना है तो ठोक डाल ’ के प्रमोशन पर महानगर पहुंचे रवि किशन ने एक विशेष बातचीत में कहा कि टीवी के कई शो और मुंबई में फिल्मों में व्यस्तता बढ़ गई है, इसके साथ ही मराठी और बांग्ला फिल्में भी कर रहा है। समय की कमी को देखते हुए कम भोजपुरी फिल्में करने का फैसला किया है। इस बारे में उनका कहना है कि पहले साल में कम से कम 12 फिल्मों में काम करता था लेकिन अब तीन-चार फिल्में कर रहा हूं। इस साल का कोटा तो पूरा भी कर दिया है।
सलमान खान के साथ तेरे नाम, मणि रत्नम  के साथ रावण, सैफ अली खान के साथ एजेंट विनोद, करिश्मा कपूर के साथ डेंजरस इश्क में काम करने वाले रवि किशन को मुंबई में 20 साल तक संघर्ष करने के बाद वास्तिवक तौर पर  पहला बड़ा ब्रेक ‘जीना है तो ठोक डाल ’ से ही मिला है। इस फिल्म की शुटिंग पूर्णिया और मुंबई में हुई है। मुंबई में दो-दो नायिकाओं के साथ  अकेले हीरो के तौर पर पहली फिल्म से खासे उत्साहित हैं। उनका कहना है कि इन दिनों मल्टीप्लेक्स की बदौलत हर तरहकी फिल्में चल रही हैं। गैंग आफ वासेपुर की तरह इसकी भी कहानी बिहार की पृष्ठभूमि को लेकर बनाई गई है।
बीस साल बाद मुंबई की किसी हिंदी फिल्म में पहली बार ब्रेक मिलने पर उनका कहना है कि लोग चलकर सफलता की सीढ़ी चढ़ते हैं, लेकिन मैं यहां तक रेंग कर पहुंचा हूं। हालांकि उनका कहना है कि एके हंगल को 50 साल की उम्र में ब्रेक मिला था, नाना पाटेकर जैसे और भी कई ऐसे अभिनेता हैं जिन्हें ज्यादा उम्र के बाद मौके मिले। इसलिए ईश्वर की दया है कि मुझे मौका तो मिल गया, ऐसे भी कई लोग हैं जिन्हें जीवन भर मौका ही नहीं मिलता।
साढ़े पांच करोड़ की बजट की फिल्म हिंदी फिल्म जगत में कितना प्रभाव डाल सकेगी, इस बारे में पूछे एक सवाल पर उनका कहना है कि यह सच है कि मुंबई में एक ही गाने पर इतने रुपए खर्च कर दिये जाते हैं। लेकिन 14 सितंबर को प्रदर्शित होने वाली  हमारी फिल्म गीत, संगीत, कथा समेत सभी विभागों में लोगों को मनोरंजन करेगी, इसलिए इससे खासी उम्मीद है। फिल्म की कहानी के बारे में उनका कहना है कि चार दोस्तों को सुपारी मिलती है कि एक हत्या करनी है, आठ लाख रुपए मिलेंगे। गांव के हमारे जैसे लोगों को आठ लाख आठ करोड़ से ज्यादा लगते हैं और मुंबई हत्या करने पहुंच जाते हैं। यहां एक विदेशी युवती की हत्या करनी है, जिससे मुझे प्यार हो जाता है। इसके बाद दोस्तों में हत्या करने को लेकर तनाव, क्या हम हत्या कर सकते हैं, क्या मेरे दोस्त मुझे मार डालते हैं या मैं सभी की हत्या करता हूं। यह देखने लायक है। फिल्म के क्लाईमेक्स के 40 मिनट तो दर्शकों की सांसें रोक देंगे।
कई टीवी शो में हिस्सा लेने के बाद भी सफलता की सीढ़ी चढ़ने में नाकाम रहे रवि किशन का कहना है कि टीवी शो एक अद्भूत खेल है, इसका मकसद लोगों को भरपूर मजे देना होता है। लोग आनंद लेते हैं और सारे लोग खुश हो जाते हैं। इसमें लोकप्रियता और दूसरी चीजे ज्यादा मायने नहीं रखती।
निमात्री अपर्णा होशिंग, निर्देशक मनीष वातसल्य, संगीतकार शादाब, अभिनेता यशपाल शर्मा का मानना है कि कम बजट में ऐसी फिल्म कम ही बनती है।  नायिका पूजा का मानना है कि भले ही फिल्म का टाईटल हिंसक है लेकिन इसमें लोगों को संदेश दिया गया है कि गलत काम करने वालों का अंत कभी भी भला नहीं होता। कहा जा सकता है कि,‘ कर भला तो हो भला और कर बुरा तो हो बुरा। ’

Friday, August 24, 2012

दार्जिलिंग में पर्यटकों से 10 रुपए वसूलने के निर्देश



 अब दार्जिलिंग की सैर करने के लिए जाने वाले पर्यटकों से 10 रुपए टैक्स वसूला जाएगा। गोरखा टेरीटोरियल एडमिनीस्ट्रेशन (जीटीए) प्रमुख बिमल गुरूंग ने दार्जिलिंग नगरपालिका को यह निर्देश जारी किया है। सफाई के लिए यहां आने वाले पर्यटकों से कर वसूली की जाएगी। यह वसूली होटले के माध्यम से की जाएगी। होटल में रहने वाले किराये के कारण प्रति व्यक्ति 10 रुपए अतिरिक्त बिल में जोड़ेंगे।
नगरपालिका के अध्यक्ष अमर सिंह राई का कहना है कि दार्जिलिंग में लगभग हर मौसम में भारी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। भारी संख्या में लोगों के यहां आने से प्रदूषण फैलता है। हालांकि होटल मालिकों के संगठन का कहना है कि कर वसूली के बारे में विचार-विमर्श के बाद फैसला किया जाएगा।

Monday, August 13, 2012

आठ फीट तीन इंच की सिद्दिका बगैर इलाज घर लौटी



 सिद्दिका परवीन (25) रविवार को अपना इलाज को बीच में छोड़ घर लौट गयी. वह राज्य के सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल एसएसकेएम (आइपीजीएमइआर)) में पांच जुलाई से भरती थी. उसके पिट्यूटरी ग्लैंड में एक टय़ूमर है.
इस कारण वह एक दिन में पांच से सात किलो चावल खाती है. उसका वजन लगभग 160 किलो है और ऊंचाई आठ फीट तीन इंच है. उसके इलाज के लिए अस्पताल में मेडिकल बोर्ड का गठन हुआ था. डॉक्टरों के अनुसार, सिद्दिका की एक सजर्री होनी थी. इसके बाद उसे हर महीने एक इंजेक्शन लेना पड़ता, जो पूरी जिंदगी चलती. एक इंजेक्शन का मूल्य 55 हजार रुपये है.
गौरतलब है कि अब तक उसके इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन कर रही थी. उसके परिजनों का आरोप है कि सिद्दिका एक माह से इस अस्पताल में भरती थी, लेकिन उसकी स्थिति जस की तस है.
उसके इलाज में कोताही बरती गयी. अस्पताल में सिद्दीका को भर पेट भोजन भी नहीं मिल रहा था. उसके परिजनों को यह डर सता रहा है कि अगर सजर्री के बाद इस इंजेक्शन का खर्च सरकार से नहीं मिले, तो फिर उसके लिए काफी समस्या होती.
सिद्दिका के पिता किसान हैं. उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि वह बेटी का इलाज करा सकें. इसलिए वह अपनी बेटी को लेकर घर लौट आये. सिद्दिका के पिता ने आरोप लगाया कि अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टर लापरवाही बरत रहे थे. वह जिस बेड पर सोती थी, उसकी लंबाई भी कम थी. इस तरह की कई परेशानियों की वजह से वह सिद्दिका का इलाज करवाये बगैर लौट गये.



ममता के विरोध के बावजूद राज्य में फारवर्ड ट्रेडिंग

 मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फारवर्ड ट्रेडिंग के मुद्दे पर केंद्र सरकार का जोरदार विरोध किया है और कहा है कि राज्य में किसी भी हालत पर इसका समर्थन नहीं करेंगी। लेकिन इसके बावजूद राज्य में इस तरह से कारोबार किया जा रहा है जिसका नतीजा है कि आम लोगों की रसोई के लिए अति आवश्यक सरसों के तेल के साथ ही दाल, आटा, मैदा, चीनी समेत दूसरी वस्तुओं की कीमत में लगातार वृद्धि हो रही है। इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बीते एक महीने के दौरान रसोई की वस्तुओं में वृद्धि उल्लेखनीय रही है। कोलकाता, हावड़ा समेत राज्य की दुकानों में आटा और मैदा की कीमतों में तीन-चार रुपए किलोग्राम की दर से वृद्धि हुई है। इसी तरह सरसों के तेल में भी आठ रुपए से लेकर 10 रुपए तक वृद्धि हुई है। विभिन्न तरह की दालों की कीमत भी छह से लेकर 10 रुपए तक महंगी हो गई है। इसके साथ ही मशाले भी पीछे नहीं हैं। मसालों की कीमतों प्रति किलो एक महीने में 80 से लेकर 90 रुपए तक बढ़ गई है। इसी तरह बिस्कुट, साबुन, डिटरजेंट , टूथ पेस्ट से लेकर सिर में लगाने वाले तेल की कीमतों का भी वैसा ही हाल है। अंडे की दर कुछ घटने के बाद फिर बढ़ गई है।
बाजार के आंकड़ों के मुताबिक एक महीने पहले आटा 16 रुपए किलोग्राम की दर से बिक रहा था, यह अब 19 रुपए तक पहुंच गया है। इसी तरह मैदा 17 रुपए से 20 रुपए, सरसों तेल 90 रुपए से एक सौ रुपए, मसूल दाल 67 से 73, मटर दाल 38 से 46, मूंग दाल 95 से 110 , चीनी 36 से 42, जीरा 180 से 200, हल्दी 120 रुपए से लेकर 140 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिक रही है।
हालांकि चावल की कीमतों में कुछ गिरावट के संकेत हैं। मालूम हो कि चावल, आलू, साग-सब्जी का उत्पादन ही राज्य में होता है, इसलिए इनकी कीमतों पर राज्य सरकार अंकुश लगा सकती है। जबकि दाल, आटा, मैदा, चीनी, मसालों समेत दूसरा सामान देश के दूसरे राज्यों से यहां आता है। मांग से लगभग दुगना उत्पादन होने के बाद भी तमाम सरकारी कोशिशें नाकाम हो गई हैं और आलू 15-16 रुपए से नीचे उतरने का नाम ही नहीं ले रहा है। जबकि मैदा, आटा, तेल, चीनी महंगी क्यों हो गई है इस बारे में विक्रेता से लेकर क्रेता तक अंधेरे में हैं। यह भी कहा जा रहा है डीजल की कीमतें बढ़ने के कारण परिवहन खर्च में वृद्धि हुई है, इसका असर आवश्यक वस्तुओं की कीमत पर पड़ा है। लेकिन व्यापारियों का कहना है कि महंगाई का यह इकलौता कारण नहीं है।
बड़ाबाजार के व्यापारियों की मानें तो उनके मुताबिक महंगाई का कारण उत्पादन में कमी या आपूर्ति व्यवस्था में गड़बड़ी नहीं है। इसका मुख्य कारण फारवर्ड ट्रेडिंग है। बड़ी-बड़ी कंपनियों की ओर से अग्रिम व्यापार या फारवर्ड ट्रेडिंग के नाम पर करोड़ों रुपए का माल खरीद कर गोदाम में इकट्ठा कर रखा है। इस साल देश में बारिश आशानुसार नहीं हुई है। उत्तर, दक्षिण और पश्चिम भारत के कई जिलों 50 फीसद से भी कम बारिश हुई है। इसका असर उत्पादन पर हुआ है। बारिशकी कमी के कारण जमीन का जलस्तर भी प्रभावित हुआ है। इससे दालों का उत्पादन और गन्ने के उत्पादन पर असर पड़ा है। मौके को देखते हुए कार्पोरेट संस्थाओं ने भी कीमतों में वृद्धि शुरूकर दी है। जिससे लगभग सभी वस्तुएं महंगी हो गई हैं।
रमजान का महीना चल रहा है, इसके बाद बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार दुर्गापूजा आने वाला है। इसके बाद दीपावली की बारी है। कुछ व्यापारियों का कहना है कि हर साल त्योहार के मौके पर कीमतों में वृद्धि होती है। लेकिन इस साल कीमतों में भारी वृद्धि का कारण फारवर्ड ट्रेडिंग है। इसमें खुदरा या थोक व्यापारियों का कोई हाथ नहीं है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ तौर पर एलान किया है कि वे फारवर्ड ट्रेडिंग का समर्थन नहीं करते हैं और इसे किसी भी हालत में लागू नहीं होने देंगे। आरोप है कि सब्जी की कीमतों के खिलाफ उन्होंने जैसे कार्रवाई की थी,जिससे कीमतें बहुत घट गई थी  कार्पोरेट संस्थाओं के खिलाफ ऐसा कुछ नहीं किया  जा रहा है। मुख्यमंत्री ने एलान किया था कि इंफोर्समेंट ब्रांच की ओर से गैरकानूनी तौर पर स्टाक जमा करके रखे गोदामों पर छापामारी की जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया, जिससे कीमते हैं कि घटने का नाम ही नहीं ले रही हैं।

Friday, August 10, 2012

पिंकी प्रमाणिक दोबारा सियालदह स्टेशन पर टिकटों की जांच कर रही

 एशियन खेलों में स्वर्ण पदक विजेता एथलीट पिंकी प्रमाणिक को रेलवे की ओर से दोबारा नौकरी पर रख लिया गया है। लिंग निर्धारण और एक महिला की ओर से बलात्कार की शिकायत किये जाने के बाद उसे निलंबित कर दिया गया था। पिंकी ने गुरुवार को सियालदह स्टेशन पर अपनी पुरानी टीटीई की नौकरी शुरू कर दी।
शुक्रवार को पिंकी ने पत्रकारों को बताया कि दोबारा काम पर पहुंचने पर बेहद खुशी हुई है। बीते दिनों जैसे हालात से गुजरी हुं कि कुछ कहना मुश्किल है। गत आठ अगस्त को मैने दोबारा काम पर रखे जाने की सिफारिश की थी और मुझे तुरंत काम पर रख लिया गया। इसके लिए मैं रेलवे की आभारी हूं।
उसने बताया कि उसके सहकर्मी बहुत मददगार हैं और मेरा सम्मान करते हैं। कई लोगों ने तो मेरे साथ तस्वीरें भी खिंचाई। इधर रेलवे के एक अधिकारी ने पत्रकारों को बताया कि पिंकी ने जमानत के आदेश की प्रतिलिपि दाखिल की थी। इसके बाद ही निलंबन वापस ले लिया गया। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के कानून के मुताबिक 48 घंटे पुलिस हिरासत में रहने वाले रेलवे कर्मचारी को निलंबित कर दिया जाता है। लेकिन जमानत मिलने के बाद उसने सिफारिश की और निलंबन वापस ले लिया गया।

Thursday, August 9, 2012

ममता 15 अगस्त को राईटर्स के सामने झंठा नहीं फहराएंगी


 तृणमूल कांग्रेस सरकार की ओर से सत्ता परिवर्तन के बाद वाममोर्चा की ओर से किये गए ज्यादातर फैसलों को बदला जा रहा है। इसके तहत ही राज्य सरकार ने फैसला किया है कि आगामी 15 अगस्त को  स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राईटर्स बिल्डिग के सामने तिरंगा नहीं  फहराया जाएगा। इसके बजाए स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन रेड रोड पर किया गया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि इससे पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर भी वाममोर्चा सरकार की ओर से राईटर्स के सामने तिरंगा फहराने की प्रथा को नहीं दोहराया गया था, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी वैसा ही किया जाएगा। गणतंत्र दिवस की तरह की स्वतंत्रता दिवस समारोह भी भव्य तरीके से रेड रोड पर मनाया जाएगा जिसे लोग देखते ही रह जाएंगे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यहां झंडात्तोलन करेंगी। इतना ही नहीं पुलिस और अर्ध सैनिक बल परेड करेगा। इस मौके पर स्कूल के छात्र-छात्राएं भी परेड में शामिल होंगे। पुलिस बैंड भी परेड में शामिल होगा। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों की ओर से कुल मिलाकर 12 झांकियां पेश की जाएंगी।
सूत्रों का कहना है कि स्वतंत्रता दिवस समारोह पूरी तरह गणतंत्र दिवस की तर्ज पर ही मनाया जाएगा। लेकिन समस्या मौसम को लेकर हो रही है क्योंकि जनवरी और अगस्त में मौसम का भारी फर्क है। इन दिनों बारिश होती है। जिससे पुलिस -प्रशासन चिंतित है। हालांकि वीआईपी और आम दर्शकों के लिए रेड रोड पर विशाल पंडाल बनाया जा रहा है, उपर तिरपाल की छत भी होगी। पुलिस वालों का मानना है कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जमकर बारिश हुई तो परेड का आयोजन धरा का धरा रह सकता है। मालूम को कि पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु से लेकर बुद्धदेव भट््टाचार्य तक हर साल राईटर्स बिल्डिंग के सामने ही झंडा फहराते थे, मुख्यमंत्री बनने के बाद पिछले साल ममता बनर्जी ने भी वहीं झंडा फहराया था लेकिन इस बार परिवर्तन किया जा रहा है।

Tuesday, August 7, 2012

कानून वालों को सिखाया जाए कानून


देश में कानून की रखवाली करने वालों को कानून के बारे में ही जानकारी नहीं है। इसलिए आम लोगों का कहना है कि कानून व्यवस्था को सख्ती से लागू करने के लिए जरूरी है कि सबसे पहले पुलिस अधिकारियों को कानून की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इस बारे में लगातार शिविर का आयोजन किया जाना चाहिए। जिससे कोई यह न कह सके कि भारतीय दंड विधान की धारा में क्या है, कानून क्या है, इस बात की उन्हें जानकारी नहीं है। हावड़ा जिले के बाली थाना इलाके में एक गृहवधू का उससे ससुराल वालों ने जबरन गर्भपात करवाया। पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, दोबारा गर्भपात करने से पहले बच्चे का लिंग निर्धारण कराना चाहते थे , महिला ने पुलिस से शिकायत की । लेकिन पुलिस ने इस बारे में कुछ नहीं किया। मामले की जानकारी मिलने पर महिला आयोजन की प्रमुख सुनंदा मुखर्जी  जब सोमवार बाली थाने गई और पूछताछ की तो उनके साथ लोगों को भी सदमा लगा। मुखर्जी के मुताबिक थाना प्रभारी दीपक सरकार ने बताया कि उन्हें मालूम ही नहीं है कि कानून के मुताबिक गर्भस्थ शिशु का लिंग निर्धारण करवाना दंडनीय है। आईपीसी की किस धारा के तहत इसे दंडनीय माना गया है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है।
इस बारे में एक महिला का कहना है कि जब कानून के रखवालों को ही पता नहीं है कि कौन सा कानून दंडनीय है तो अपराधियों को कैसे सजा मिल सकेगी। मालूम हो कि लिंग निर्धारण करवाने से इंकार करने वाली महिला रंजना प्रसाद की शिकायत के बाद पुलिस ने  वधू की पिटाई करने के आरोपियों में  सास सावित्री प्रसाद, ससुर गोविंद प्रसाद व देवर को गिरफ्तार करने के बाद  अदालत में सीजेएम में पेश किया गया था। सुनवाई के दौरान अदालत ने आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज करते हुए सात दिनों तक जेल हिरासत में रखने का निर्देश दिया। जानकारी के अनुसार बाली थाना की रहने वाली रंजना प्रसाद की पहले से ही एक बेटी है। कुछ दिन पहले ही वह गर्भवती हुई थी। इसकी खबर मिलते ही ससुरालवाले यह नहीं चाहते थे कि वह फिर से बच्ची को जन्म दे। इसी वजह से वे कुछ दिनों से उस पर दबाव दे रहे थे कि वह लिंग निर्धारण  करा ले जिससे  पता चल जाए कि उसके पेट में बच्चे का लिंग क्या है। इसके पहले भी ससुराल वालों ने ऐसा ही किया था।  इसके लिए प्री नाटाल डायगनोस्टिक टेकनीक (प्रोहीबीशन आफ सेक्स सिलेक्शन) एक्ट 1994 समेत भारतीय दंड विधान की धारा के तहत व्यक्ति को अभियुक्त बनाया जा सकता है। लेकिन पुलिस वालों को इसका पता नहीं था, इसलिए ऐसा नहीं किया गया। बाली थाने के एक पुलिस अधिकारी ही मानते हैं कि पुलिस को कानून की जानकारी नहीं थी लेकिन इसके बावजूद आईपीसी की धारा 313 (जबरन मिस कैरेज) की धारा लगाई गई, इसका कारण यह था कि गर्भवती महिला के पेट में लाठी मारी गई थी। लेकिन गर्भपात नहीं होने पर अभियुक्त सजा से बच सकते हैं।
इसी तरह जगाछा थाना इलाके में कोना एक्सप्रेस वे के नजदीक एक महिला का बलात्कार किया गया था, महिला ने एक पुलिस अधिकारी से शिकायत की। लेकिन उसने सलाह देते हुए कहा कि चुपचाप घर चली जाओ। इसके बाद थाने में भी शिकायत दर्ज नहीं की गई। मीडिया में चर्चा होने पर एएसआई को निलंबित किया गया । ज्यादातर लोगों का कहना है कि पुलिस वालों को कानून की जानकारी नहीं होने के कारण ही ऐसा किया जा रहा है।  इस मामले में आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस की ओर से को  पीड़ित महिला  को लेकर सातारागाछी ब्रिज के पास स्थित घटनास्थ का दौरा किया गया। । इसके बाद उससे घटना के संबंध में पूरी जानकारी ली गई। वारदात को नाटकीय रुप में प्रस्तुत करने का भी प्रयास किया गया। इस दौरान महिला ने आरंभ से लेकर अंत तक हुई समस्त घटना को पुलिस के सामने एक बार फिर बयान किया।  जिस झाड़ी में उसके  साथ दुष्कर्म किया गया था वहां पहुंच कर पुलिस ने सबूत  तलाशने का प्रयास किया। बताया गया है कि आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस की ओर से  जारी स्केच भी काम नहीं आ सका है। स्केच जारी करने के छह  दिन बाद भी पुलिस को आरोपी के संबंध में किसी प्रकार की जानकारी नहीं मिल सकी है।  गौरतलब है कि 25 जुलाई की सुबह यह घटना हुई थी। 
दूसरा ओर हावड़ा  जिले में ही गंगा में बंटी नामक युवक  के डूबने की सूचना देने वाले और इस घटना के चश्मदीद गवाह उसके तीन दोस्तों के खिलाफ पुलिस ने  हत्या का मामला दर्ज कर लिया है लेकिन अब तक इस मामले में न तो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और न उनसे पूछताछ ही की गई है। इस मामले के तीन आरोपियों और बंटी के दोस्त राहलु वर्मा, अजय शर्मा  और नवीन प्रसाद ने 18 जून की शाम बंटी के घरवालों को खबर की थी कि उनका बेटा गंगा में डूब गया है। जब घर वाले  मौके पर पहुंचे तो घटनास्थल  से उसकी मोटरसाइकिल, कपड़े, मोबाइल फोन सब कुछ उन्हें मिल  गया। आरोपियों की गवाही के बाद पुलिस ने गंगा में उसकी तलाश शुरू की। उसके पिता ने स्पीड बोट से हुगली नदी  को छान डाला लेकिन बंटी का पता नहीं चल सका।  लाश नहीं मिलने के कारण पुलिस किसी को गिरफ्तार भी नहीं कर रही है।
पार्क स्ट्रीट इलाके में कार में एक महिला के साथ बलात्कार की घटना के बाद सांतरागाछी   की घटना और चार दिन पहले बर्दवान जिले के कटवा में स्कूल जा रही छह साल की लड़की का दो लोगों ने बलात्कार किया था। इसके बाद उत्तर चौबीस परगना जिले के  सोदपुर में पुल कार में दूसरी कक्षा की एक छात्रा से बलात्कार की घटना हुई है। हावड़ा और कोलकाता में कई लोगों ने घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि पुलिस वालों को कानून की जानकारी नहीं होने पर ही ऐसा हो रहा है, इसलिए पुलिस अधिकारियों को कानून की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाना चाहिए। इसके साथ ही आम लोगों के साथ पुलिस को कैसे व्यवहार करना चाहिए, इस बारे में भी प्रशिक्षण दिये जाने की आवश्यकता है। ऐसा किया गया तो कानून का राज लागू हो सकेगा। 

Sunday, August 5, 2012

मशीन बाबुओं को सिखा सकेगी वर्क कल्चर?



 क्या मशीन सरकारी  बाबुओं को वर्क कल्चर (कार्य संस्कृति) सिखा सकती है। यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि सरकारी  कर्मचारी काम से जी नहीं  चुराते हैं, दिल पर हाथ रख कर कहना हो तो  यह खुद कोई सरकारी कर्मचारी भी नहीं मानेगा । अपवाद हर जगह होते हैं भले एकाध इसके अलग हों लेकिन वे किसी गिनती में नहीं आते। इसलिए प्रशासन की ओर से कर्मचारियों को कार्य संस्कृति सिखाने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाए जाते रहे हैं। तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव सुबह नौ बजे विभिन्न जगह पहुंच जाया करते थे , इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट््टाचार्य ने भी पद संभालने के बाद डू इट नाउ का नारा दिया थ। लेकिन सरकारी बाबुओं से काम कराना तो दूर उन्हें समय पर दफ्तर लाने की कोई भी योजना हाल तक कारगार नही हो  सकी है। अब राज्य की एक नगरपालिका ने यह कठिन बीड़ा उठाया है, जिसे लेकर तमाम तरह की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन के पुराने नाकाम प्रयास को बदल कर एक मिशाल कायम की जा सकेगी या इस प्रयास का नतीजा भी पहले की तरह ढाक के तीन पात वाला ही होगा।
बरानगर नगर पालिका की ओर से कर्मचारियों की हाजरी के लिए बायोमैट्रिक पद्धति की मशीने लगाई हैं। चार मशीनों की लागत लगभग पांच लाख रुपए पड़ी है। प्राइवेट दफ्तरों में तो इस तरह की मशीने पहले से सफलतापूर्वक काम कर रही हैं जिसके तहत कर्मचारियों को दफ्तर में प्रवेश के समय उंगलियों को मशीन पर रखना पड़ता है, इससे उनके पहुंचने का समय दर्ज हो जातहै। यही तरीका निकलने  (छुट््टी) के समय भी अपनाया जाता है।
नगरपालिका में कर्मचारियों के दफ्तर में प्रवेश करने का समय साढ़े तक बजे तय है, इसके बाद पहुंचने वाले कर्मचारी को देरी से आने के कारण उसके हाजरी खाते में लाल निशान लगा दिया जाता है। पौने ग्यारह बजे तक आने वाले कर्मचारी के तीन लेट होने पर एक कैजुअल छुट््टी कट जाती है। इसके बाद आनेवाले कर्मचारी को गैर हाजिर माना जाता है। लेकिन सरकारी कार्यालय में घंटों देरी से पहुंचने के बाद कर्मचारी दस बजे का समय लिख देते हैं कोई कुछ करने वाला नहीं है। इसके कई कारण हैं, एक तो युनियन की धौंस और दूसरे कर्मचारियों में सभी इस तरह का फायदा उठाना चाहते हैं, इसलिए कोई किसी के खिलाफकुछ करना नहीं चाहता। इसलिए नगरपालिका ने मशीन लगाई है जो देरी से पहुंचने वालों को लेट और गैरहाजिर बताती है। हालांकि नई व्यवस्था में अभयस्त करने के लिए कर्मचारियों को तीन महीने का समय दिया गया है। इस दौरान मशीन के साथ ही हाजरी खाते पर भी दस्तखत    करने की छूट है। तीन महीने बाद मशीन ही कर्मचारियों की हाजरी लेगी।
नगरपालिका के एक कर्मचारी का कहना है कि पहले लोग एक-दो घंटे देरी से आने के बाद भी हाजरी का समय लिख देते थे लेकिन अब ऐसा नहीं कर सकते। जबकि दूसरे एक कर्मचारी के मुताबिक चोरी करने वाले हमेशा कानून से आगे रहते हैं। इसलिए भले ही ज्यादातर कर्मचारी समय पर दफ्तर आते हैं लेकिन आउटडोर ड्यूटी लिख कर बाहर चले जाते हैं और पांच बजे से एकाध घंटे पहले दफ्तर आकर च ाय-पान करने के बाद घर चले जाते हैं। कई कर्मचारियों की मांग है कि कारखानों की तरह नगरपालिका के दरवाजे भी बंद किये जाने चाहिए। जिससे ऐसे कामचोरों को रोका जा सके।
नगरपालिका की चेयरपर्सन अपर्णा मौलिक के मुताबिक नगरपालिका कोई कारखाना तो है नहीं कि दरवाजा बंद कर दिया जाए। यहां तो आम लोगो का आना-जाना लगा ही रहता है। इसलिए दरवाजा तो खुला रखना ही होगा। उनका कहना है कि दफ्तर के काम से बाहर जाने से पहले संबंधित अधिकारी को बता कर जाने का प्रावधान है। जबकि व्यक्तिगत काम से बाहर जाने से पहले संबंधित विभाग और हमें पत्र लिखकर छुट््टी लेनी पड़ती है ।
मशीन के साथ ही नगरपालिका में क्लोज सर्किट कैमरे (सीसीटीवी कैमरे ) भी लगाए गए हैं। यह कैमरे पीडब्लूडी, लाइसेंस, कैश, कलेक्शन, जल, मोटर व्हिकल समेत सभी प्रमुख 38 विभागों में लगाए गए हैं, जहां लगातार चौबीस घंटे निगरानी की जा रही है। नगरपालिका के विरोधी दल नेता का मोबाइल चोरी हो गया था। सीसीटीवी कैमरे की मदद से चोर पकड़ा गया और मोबाइल बरामद किया गया।
उनका मानना है कि नई व्यवस्था से पहले की तुलना में भारी सुधार हुआ है। पहले मेरे पहुंचने के समय दफ्तर सूना-सूना रहता था और लोग दो- ढाई घंटे देरी सेपहुंचते थे। कई बार कहने पर भी कोई नहीं सुनता था। लेकिन मशीन के कारण बीते एक महीने से अब साढ़े दस बजे दफ्तर की लगभग सारी कुसियां भरी रहती हैं।
हालांकि नगरपालिका के विरोधी दल नेता माकपा के अशोक राय का कहना है कि यह कोई कार्पोरेट दफ्तर नहीं है। नई व्यवस्था के सफल होने की कोई उम्मीद नहीं है। यहां 20 फीसद लोग दफ्तर में रहते हैं जबकि 80 फीसद लोगों को काम के सिलसिले में बाहर रहनापड़ता है। उन्हें जब तब आना-जाना पड़त है। मशीन में हाथ लगाकर दूसरे दरवाजे से निकलने वालों के लिए विभाग और अध्यक्ष को ज्यादा सक्रिय रहना होगा। इसके साथ ही नगरपालिका के मुख्य दरवाजे पर सुरक्षा कर्मचारी भी तैनात करने होंगे। ऐसा नही किया गया तो मशीन एक   मजाक बनकर रह जाएगी। हालांकि लगभग छह महीने पहले सीसीटीवी कैमरे और बायोमैट्रिक मशीन दक्षिण दमदम नगरपालिकामें भी लगाई गई थी। वहां की प्रमुख अंजना रक्षित का मानना है कि इससे हाजरी में बहुत ज्यादा सुधार हुआ है और कार्य संस्कृति को लागू करने में मदद हासिल हुई है।

Thursday, August 2, 2012

ममता की छांव में भी थम नहीं रहे महिलाओं के खिलाफ अपराध

 महिलाओं के खिलाफ 2011 में देशभर में हुए अपराध के मामले में पश्चिम बंगाल देश भर में पहले स्थान पर रहा है। इसके बाद आंध्र प्रदेश का नंबर है। नेशनल क्राइम ब्यूरो की प्रकाशित ताजा रपट में इसका खुलासा किया गया है। ब्यूरो का कहना है कि वह देश भर के आंकड़े राज्य सरकार की ओर से भेजे गए आंकड़ों के आधार पर प्रकाशित करता है। राज्यों की ओर से अपराध होने और उनके बारे में जानकारी भी देने का प्रावधान है। किसी मामले में राज्य अपराध का विवरण नहीं देता तो ब्यूरो की ओर से उसकी छानबीन करने के बाद आंकड़े प्रकाशित किए जाते हैं।
मालूम हो कि हाल में ही नेशनल क्राइम ब्यूरो ने 2011 में देश भर में हुए अपराध की घटनाओं के आंकड़े जारी किए हैं। इस बीच 2012 में भी सात महीने गुजर गए हैं और आठवां महीना शुरू हो गया है। क्या इस साल भी बंगाल महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के मामले में पहले स्थान पर रहेगा? ब्यूरो के सूत्रों का मानना है कि मौजूदा साल के आंकड़ों में भी फेरबदल की गुंजाइश नहीं दिख रही है। हालांकि साल पूरा होने के बाद आधिकारिक तौर पर राज्यों के आंकड़े मिलने के बाद ही साफ तौर पर कुछ कहा जा सकेगा।
गौरतलब है कि ब्यूरो में प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक राज्य की आबादी देश की साढ़े सात फीसद है लेकिन पिछले साल यहां महिलाओं के खिलाफ कुल मिलाकर अपराध की 29 हजार 133 घटनाएं हुई हैं। यह अपराध के मामलों में देश का 12.7 फीसद है। दूसरे स्थान पर आंध्रप्रदेश है, जनसंख्या के मामले में सात फीसदी आबादी वाले राज्य में 12.4 फीसदी (28246)अपराध हुए। हालांकि ब्यूरो का मानना हैकि राज्य सरकार के आंकड़ों की तुलना में वास्तविक आंकड़े कहीं ज्यादा हैं। इसका कारण यह है कि आंकड़े पुलिस थानों में दर्ज अपराध के बारे में बताते हैं लेकिन अपराध की तुलना में थानों में दर्ज नहीं होने वाले आंकड़ों की संख्या कहीं ज्यादा होती है।
ब्यूरो के आंकड़े जारी होने के पहले ही राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि पश्चिम बंगाल में बलात्कार की घटनाएं देश के दूसरे राज्यों की तुलना में औसतन  ज्यादा हैं।  आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने पत्रकारों को बताया था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य में महिलाओं के खिलाफ होने वाली अपराध की घटनाओं में वृद्धि हुई है। पहले राज्य में अपराध की घटनाएं धीरे-धीरे बढ़ रही थी लेकिन बीते दो महीनों के दौरान इसमें भारी वृद्धि दर्ज की गई है। गत अप्रैल महीने में वानसुन सायन के नेतृत्व में महिला आयोग के तीन सदस्यों के एक दल ने बलात्कार के मामले में जांच अधिकारी के स्थानांतरण पर नाराजगी प्रकट करते हुए कहा था कि जांच के लिए निष्पक्ष अधिकारी को नियुक्त करना चाहिए और पीड़ित महिला की आर्थिक और दूसरी तरह की मदद राज्य सरकार को करनी चाहिए।
मालूम हो कि आयोग का प्रतिनिधिमंडल पार्क स्ट्रीट और बांकुड़ा बलात्कार मामले में जांच अधिकारी की बदली पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि उनकी बदली क्यों की गई, इसका राज्य सरकार को अच्छी तरह पता है। मुख्यमंत्री ने पार्क स्ट्रीट बलात्कार कांड को फर्जी बताते हुए कहा था कि राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए इसका प्रचार किया जा रहा है। इसके बाद हावड़ा जिले में जगाछा थाना के सांतरागाछी और उत्तर चौबीस परगना के बारासात में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं से राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। राज्य के बुद्धिजीवियों का भी कहना है कि महिला मुख्यमंत्री के होनेके बावजूद महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध लगातार जारी हैं। इस तरह की घटनाओं के खिलाफ कई लोगों ने नाराजगी प्रकट की है।

Wednesday, August 1, 2012

फेसबुक में ममता




इंटरनेट पर अपना प्रचार करने का क्रेज नेताओं में बढ़ता ही जा रहा है और सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर सभी दलों के नेता मौजूद हैं। इस मामले में राज्य में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सबसे आगे हैं और उनके प्रशंसकों की संख्या एक लाख से ज्यादा हो गई है। मालूम हो कि लगभग डेढ़ महीने पहले ममता ने फेसबुक पर अपना पेज चालू किया था। इसका मकसद राष्ट्रपति पद के लिए एपीजे अब्दुल कलाम के समर्थन में लोगों का समर्थन हासिल करके यह संदेश देना था कि उन्होंने सही व्यक्ति को पद के लिए चुना था। जबकि इससे पहले वे ऐसी किसी साइट के खिलाफ थी क्योंकि ममता के फोटो और कार्टून लगातार छापे जा रहे थे।
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन का कहना है कि बदलते हुए नए जमाने में हम लोगों के साथ रहना चाहते हैं। इसके लिए पथसभा से लेकर पोस्टर, स्टेज से लेकर इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया रहा है। अब सोशल मीडिया प्लेटफार्म की मदद भी ली जा रही है। तृणमूल कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दफ्तर से घर लौटने के बाद प्रतिदिन कम से कम आधा घंटा फेसबुक पर लोगों के विचार देखती हैं।
इस बीच दूसरे नेताओं ने भी फेसबुक के माध्यम से लोगों को आकर्षित करने के लिए खाता खोला है, इसमें तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के अलावा कांग्रेस और वाममोर्चा के नेता भी शामिल हैं।  लेकिन उन्हें ममता की तरह प्रशंसक नहीं मिल रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस के दूसरे नेताओं में नगर विकास मंत्री फिरहाद हाकिम का नाम लिया जा सकता है, उन्होंने जनवरी 2011 में फेसबुक में खाता खोला था और उनके आन लाइन मित्रों की तादात 2600 से ज्यादा हो गई है। माकपा नेता कांति गांगुली और मानव मुखर्जी लगभग दो साल से फेसबुक पर हैं और उनके मित्रों की संख्या लगभग पांच-पांच हजार है।
पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप भट््टाचार्य ने भी एक महीने पहले फेसबुक और ट्विटर पर खाता खोला था लेकिन महज 500 लोग ही उनके प्रशंसक बन सके हैं। हालांकि लोगों का यह भी कहना है कि भट््टाचार्य उन्हें फेसबुक पर दिखाई ही नहीं देते। इसका प्रमुख कारण यह बताया जाता है कि प्रेस कांफ्रेंस में अपने विचार तो लोगों तक पहुंचाए जा सकते हैं लेकिन लोगों की प्रतिक्रिया नहीं मिलती, जबकि फेसबुक पर लोगों की प्रतिक्रिया तुरंत मिल जाती है। कांग्रेस की ओर से जय प्रकाश मजुमदार की अगुवाई में साइबर सेल का गठन किया गया है। इसका काम प्रदेश कांग्रेस के फेसबुक पेज की देखरेख करना है। यहां एक महीने में प्रशंसकों की संख्या 13 हजार हो गई है और कांग्रेस नेता का दावा है कि आगामी दिनों इसकी संख्या में भारी वृद्धि होगी।