Monday, January 30, 2012

एक साल बाद भी नहीं मिली पोस्टमार्टम रिपोर्ट


 पति ने एक साल पहले आत्महत्या की थी लेकिन अभी तक परिवार के लोगों को उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है। इससे मृतक की पत्नी की नौकरी से लेकर दूसरी सहूलते मिलने का राह बंद हो गया है। अस्पताल से लेकर मुख्यमंत्री के कार्यालय तक कई बार चक्कर लगानेके बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ है।
सूत्रों से पता चला है कि हावड़ा जिले के आनुलिया इलाके में देवांदी गांव के रहने वाले देवानंद कराति ने 21 जनवरी को आत्महत्या की थी। गांव में पोस्टमास्टर के पद पर कार्यरत व्यक्ति की अस्वाभाविक तरीके से हुई मौत के कारण लाश पोस्टमार्टम के लिए उलबेड़िया अस्पताल में भेजा गया था। लेकिन साल भर बाद भी लाश के पोस्टमार्टम केबारे में रिपोर्ट नहीं मिल सकी है। इससे परिवार को मिलने वाली बकाया रकम बैंक-डाकघर में रुकी पड़ी है। कराति के परिवार वाले बगैर पोस्टमार्टम रिपोर्ट के नौकरी का आवेदन भी नहीं कर सकते।
मालूम हो कि परिवार में कराति की पत्नी छंदा कराति
उनकी  दो बेटियां हैं। एक लड़कीकालेज में पढ़ती है जबकि दूसरी स्कूल में पढ़ती है। छंदा के भाई प्रणव कुमार कोले का कहना है कि बहन का परिवार एक साल से उनके घर रह रहा है। बहन छोटा-मोटा कुछ काम करती है लेकिन इससे बेटियोंकी पढ़ाई संभव नहीं है। एक डाक्टर की गलती के कारण सारा परिवार संकट में फंस गया है। लंबे समय तक उलबेड़िया अस्पताल की बाट जोहने के बाद भी जब कुछ फायदा नहीं हुआ तो प्रशासन से गुहार लगाई गई। एसडीओ से लेकर जिलास्वास्थ्य विभाग तक चक्कर लगानेके बाद भी कुछ फायदा नहीं हुआ। इसके बाद छंदा ने महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा। लेकिन पत्र मिलने के बारे में भी कुछ नहीं भेजा गया। इससे परिवार संकट में है।
लेकिन एक साल तक आखिर क्यों नहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली, इसका क्या कारण है। सूत्रों का कहना है कि डाक्टर प्रदीप भट््टाचार्य उलबेड़िया अस्पताल में पोस्टमार्टम विभाग का काम देख रहे थे। लेकिन बाद में उनका तबादला जगाछा ब्लाक में कर दियागया। इस दौरान उन्हें सरकारी तौर पर पहले रीलीज कर दिया गया लेकिन हैंडओवर बाद में हुआ। इससे एक महीने तक उनका वेतन भी रुका रहा। प्रशासनिक जटिलताओं के कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी फंस गई। भट््टाचार्य मानते हैं कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट और उनके तबादले में एक महीने का फर्क है। लेकिन इस दौरान पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्यों नहीं पेश की गई। उनका कहना है कि रिपोर्ट के लिए ज्यादा समय नहीं लगता है। लेकिन इसका मतलब यहभी नहीं है कि यह काम हड़बड़ी में पूरा किया जाए।
हावड़ा जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डाक्टर साथी दत्त का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने में देरीकी जाती है तो यह गलत काम है। यह काम जल्द से जल्द होना चाहिए। उनका कहना है कि भले ही डाक्टर का तबादला हो गया हो लेकिन वे अपनी जिम्मेवारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते। इस बारे में डाक्टर को पत्र लिख कर मामले की जानकारी मांगी गई है। लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है। इस बारे में उन्हें दोबारा निर्देश दिया जाएगा।

Tuesday, January 24, 2012

कोलकाता में 36 वां पुस्तक मेला शुरू हुआ



इटली के प्रसिद्ध साहित्यकार वेप्पे सेवेरनिनि ने  मंगलवार को  36वें अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेले का उद्घाटन किया।  पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स गिल्ड की ओर से आयोजित इस मेले में इस बार इटली को थीम देश का दर्जा दिया गया है।  मेला ईएमबाईपास स्थित मिलन मेला प्रांगण पांच फरवरी तक चलेगा। इस मौके पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता पुस्तक मेले को न केवल बंगाल का, बल्कि पूरी पृथ्वी के सफलतम मेलों में एक बताया। उन्होंने कहा कि भले ही आज के युग में हमने काफी प्रगति कर ली है, लेकिन साहित्य की बात करें तो कलम से लिखने में जो तृप्ति मिलती है, वह कंप्यूटर में नहीं। उन्होंने कहा कि आज की व्यस्तता भरी जिंदगी में लिखने के लिए हम कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं। मगर देखा जाए तो इससे वह संतुष्टि नहीं मिलती जो कलम से लिखने से मिलती है। इस मौके पर मुख्यमंत्री की पुस्तक परिवर्तन समेत उनकी लिखी तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। मालूम हो कि बीतेसाल उनकी नंदी मा और निताई पुस्तकों की बिक्री से दस लाख रुपए की कमाई हुई थी। ममता अब तक कुल मिलाकर 26 पुस्तकें लिख चुकी है। इस बार से कोलकाता पुस्तक मेले में ‘लिटरेरी मीट’  का आयोजन शुरू किया गया है। इसमें इमरान खान से लेकर दूसरे प्रसिद्ध लेखक पहुंच रहे हैं। मेले में दाखिला फ्री है।

Monday, January 23, 2012

किसान ने की आत्महत्या


 राज्य के दूसरे इलाकों के बाद अब हावड़ा में भी एक किसान ने आत्महत्या की है। आर्थिक संकट से जूझ रहे गुलाम मुस्तफा (35) ने श्यामपुर थाना इलाके के बालीकुड़िया में शनिवार की शाम जहर खाकर आत्महत्या की। खेती के लिए उसके पास रुपए नहीं थे जिससे बीज और दूसरा सामान खरीद सके। पत्नी के गहने गिरवी रखकर उसने रुपयों का बंदोबस्त करने का सोचा था। लेकिन पत्नी ने गहने देने से इंकार कर दिया। इसके बाद दोनों में विवाद हुआ।
हालांकि जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुखेंदु हीरा का कहना है कि आर्थिक संकट के कारण आत्महत्या की है या नहीं इसका पता नहीं चल सका है। लेकिन सुना है कि उसने पारिवारिक विवाद के कारण आत्महत्या की है। दूसरी ओर पारिवारिक सूत्रों का कहना है कि मुस्तफा अपने भाई, मां, पत्नी और तेरह साल की बेटी के साथ रहता था। उनके परिवार के पास कुल मिलाकर आधा बीघा जमीन है। दूसरों की जमीन ठेके पर लेकर भी वह खेती करता था। इसके साथ ही हावड़ा में एक दर्जी के दुकान में भी काम करता था। ज्यादातर फसल परिवार के साल भर भोजन के काम ही आती थी, बचने पर कुछ फसल बाजार में बेची भी जाती थी।
इस बीच धान की रोपाई करने के लिए ट्रैक्टर किराए पर लिया गया था। इसके लिए 1200 रुपए देने थे, लेकिन चालक को पांच सौ रुपए तो दे दिए थे, 700 रुपए बकाया थे। इसके साथ ही रविवार को मजदूरों को धान रोपने के लिए बुलाया गया था। उन्हें भी दिहाड़ी देनी जरुरी थी। लेकिन उसके पास रुपए नहीं थे। इसलिए पत्नी की कान की बालियां बंधक रखकर रुपए का जुगाड़ करने के बारे में सोचा। लेकिन पत्नी रुमिशा बेगम ने गहने देने से इंंकार कर दिया। उसका कहना है कि पिछली बार अंगुठी बंधक रखकर खेती की थी लेकिन धान की पर्याप्त कीमत नहीं मिलने पर अभी तक वह अंगुठी वापस नहीं मिल सकी है। इसलिए पत्नी ने कहा कि गहने बंधक रखने के बजाए किसीतरह रुपयों का बंदोबस्त कर लो, वह ठीक रहेगा। इसके बाद गुस्से में वह तकिए के नीचे रखे 100 रुपए का नोट लेकर साइकिल पर घर से निकल गया। इसके आधे घंटे बाद घर लौटते ही जमीन पर गिर गया,  अस्पताल लेकर जाने के बाद पता चला कि उसने जहर खाया था। उलबेड़िया महकमा अस्पताल में भर्ती किए जाने के बाद रात दस बजे उसकी मौत हो गई।
श्यामपुर ब्लाक के कांग्रेस के महासचिव अतियार रहमान का कहना है कि आर्थिक संकट के कारण किसान ने आत्महत्या की है। हमारी मांग है कि किसान परिवार को पर्याप्त आर्थिक मुआवजा दिया जाए। जबकि स्थानीय तृणमूल कांग्रेस विधायक कालीपद मंडल का कहना है कि खेती के कारण किसान ने आत्महत्या नहीं की, पत्नी के विवाद के कारण ही आत्महत्या की है। जबकि श्यामपुर दो नंबर ब्लाक के बीडीओ गोविंद हाल्दर का कहना है कि मामले की जानकारी लेने पर पता चला है कि आर्थिक संकट केकारण ही युवक ने आत्महत्या की है।

 

Sunday, January 22, 2012

राज्य में परिवर्तन के बारे में ममता की नई पुस्तक


 मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता पुस्तक मेले के मौके पर कई नई पुस्तकें लिखी हैं। इसमें एक पोरिबरतन उनकी ओर से राज्य में किए गए बदलाव को लेकर है जबकि दूसरी कोबिता एक कविता संग्रह है। सूत्रों के मुताबिक जमीनी कार्यकर्ता से राज्य  की सत्ता के सर्वोच्च पद पर आसीन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नई  पुस्तक लिखी है जिसमें उनके शानदार राजनीतिक जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं और उपलब्धियों का फोटो सहित वर्णन किया गया है। पोरिबरतन (परिवर्तन) नाम की यह किताब बंगाली भाषा में लिखी गई है और मुख्यमंत्री द्वारा खुद चुने गए सौ फोटोग्राफों को इसमें जगह दी गई है। पुस्तक में इन फोटो के नीचे उनका पूरा विवरण दिया गया है और बताया गया है कि उस क्षण ने पष्मि बंगाल की राजनीति में क्या परिवर्तन लाया। कई अखबारों के लेखागार से प्राप्त फोटो में उनके राजनीतिक जीवन के विभिन्न स्तरों को दर्शाया गया है जिसमें ममता बनर्जी के वर्ष 1984 आम चुनावों में वरिष्ठ माक्सर्वादी नेता सोमनाथ चटर्जी को हराकर सांसद बनना शामिल है। सूत्रों से पता चला है कि ममता बनर्जी की ओर से लिखी गई तीन पुस्तकों में से एक का  मंगलवार को कोलकाता पुस्तक मेला में लोकार्पण  किया जाएगा। ' माई फॉरगेटेबल मेमरीज' नाम की दूसरी किताब बंगाली में लिखी उनकी पिछली किताब का अंग्रेजी अनुवाद है। तीसरी किताब ममता द्वारा लिखी गई कविताएं हैं। ममता के एक करीबी ने कहा कि इस किताब में उन यादगार घटनाओं को लिखा गया है जो पश्चिम बंगाल में राजनीतिक परिवर्तन लाने की सफलता के दौरान उनके जीवन में घटित हुआ। इस पुस्तक में वर्ष 2000 की वह ऐतिहासिक फोटो भी दर्ज है जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कालीघाट स्थित ममता के आवास का दौरा किया और सबके सामने उनकी मां के चरण स्पर्श किए। मालूम हो कि पिछले साल पुस्तक मेला के मौके पर उनकी पुस्तक निताई का लोकार्पण किया गया था। राज्य के पश्चिमी मेदिनीपुर जिले में नौ निरीह लोगों की हत्या से प्रेरित होकर उन्होंने निताई गांव की कहानी को 31 कविताओं के माध्यम से पेश किया था।


Friday, January 20, 2012

आठ महीनों में 53 कम्युनिस्टों की हत्या- करात


 
कोलकाता, 20 जनवरी (रंजीत लुधियानवी)-
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि बीते आठ महीने में पश्चिम बंगाल में 54 कम्युनिस्टों की हत्या की गई है। लेकिन राज्य सरकारकी ओर से हत्यारों को पकड़ने के लिए किसी तरह का प्रयास नहीं किया गया है। कोलकाता में पार्टी की केंद्रीय कमटी की  चार दिवसीय बैठक के अंतिम दिन पत्रकारोंको संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लोगों के लिए काम करने में नाकाम रही है। यहां गलत नीतियों के कारण 24 किसानों ने आत्महत्या की है। वाममोर्चा की सरकार पंचायत के माध्यम से काम करती थी, लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने पंचायत व्यवस्था बंद कर दी है। इतना ही नहीं बंद कारखाने के मजदूरों को 500 रुपए प्रति महीने देने की व्यवस्था  हमलोगों ने शुरू की थी लेकिन राज्य सरकार ने उसे बंद कर दिया है।
उन्होंने कहा कि खुदरा बाजार में विदेशी निवेश केंद्र सरकार 51 फीसद से बढ़ाकर 100 फीसद करना चाहती है। इसके लिए उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों की प्रतीक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि हम गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई दलों की मदद से वाम विचारधारा समर्थित मोर्चे का गठन करेंगे। जिससे विदेशी निवेश और महंगाई का विरोध किया जा सके।
लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस को देश के संघीय ढांचे में दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए। इसलिए संसद में तृणमूल कांग्रेस, एआईडीएमके समेत कई  राजनीतिक दलों ने इसका लोकायुक्त की नियुक्ति का विरोध किया।

Wednesday, January 18, 2012

कोलकाता के खालसा स्कूल में शिक्षिकाओं को खड़े होकर पढ़ाने का फरमान





 स्कूल में शिक्षिकाओं को खड़ा होकर पढ़ाने के आदेश के बाद जमकर हंगामा हुआ और मामला पुलिस तक जा पहुंचा लेकिन इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो सका है।  'क्लास रूम में कुर्सी पर बैठ कर नहीं बल्कि खड़े होकर पढ़ाईए, क्योंकि कुर्सी पर बैठे बैठे उंघना शुरू होता है फिर नींद आने लगती है'। कुछ इस तरह का अटपटा फरमान दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर स्थित खालसा इंग्लिश हाईस्कूल की प्रबंधन समिति की ओर से शिक्षिकाओं को जारी किया गया है, बुधवार इस फरमान को मानने से इनकार करते हुए शिक्षिकाओं ने कक्षाओं का बायकाट कर स्कूल परिसर में प्रदर्शन किया। वहीं प्रबंधन समिति फरमान को सही ठहराते हुए इसे न बदलने पर अड़ा हुई है। समिति के एक पदाधिकारी ने बताया कि अनेक बार सीसीटीवी फुटेज में शिक्षिकाओं को क्लासरूम में कुर्सी पर ऊंघते और सोते हुए देखा गया जिसके बाद सभी कक्षाओं से कुसिर्यां हटा ली गईं। कक्षाओं में दोबारा कुसिर्यां नहीं रखी जाएंगी।

कुर्सी हटाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रही शिक्षिका शिखा मुखोपाध्याय ने कहा कि क्लास रूम में ऊंघने के दौरान कारर्वाई की जा सकती है लेकिन कुर्सी हटा देना अपमान है। विवाद और प्रदर्शन शुरू होने के बाद भवानीपुर थाने की पुलिस ने खालसा हाईस्कूल पहुंच कर शिक्षिकाओं और प्रबंधन कमेटी के लोगों के बीच सुलह कराने की कोशिश की लेकिन दोनों पक्ष अपनी अपनी मांग को लेकर अड़े हुए हैं। शिक्षिकाओं ने वृहस्पतिवार से क्लास रूम बहिष्कार की चेतावनी दी है। कुछ शिक्षिकाओं ने आरोप लगाया कि प्रदर्शन के दौरान स्कूल का गेट बंद कर उन्हें काफी देर तक अन्दर रोके रखा गया।


Friday, January 13, 2012


फसल पकने के आनंद का प्रतीक है लोहड़ी

फसल पकने पर किसान की खुशी का ठिकाना नहीं रहता और इसी खुशी को जाहिर करता है लोहड़ी पर्व, जो जीवन के प्रति उल्लास को दर्शाते हुए सामाजिक जुड़ाव को मजबूत भी करता है। लोहड़ी को पंजाब और हरियाणा में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है क्योंकि दोनो ही राज्य कृषि प्रधान हैं और फसल पकने की खुशी भी यहां पूरे जोश के साथ मनाई जाती है।

पंजाब के लुधियाना में रहने वाली दर्शन कौर ने कहा ‘लोहड़ी का किसी एक जाति या वर्ग से संबंध नहीं है। हमारे पंजाब में तो हर वर्ग के लोग शाम को एकत्र होते हैं और लोहड़ी मनाते हैं। तब सामाजिक स्तर भी नहीं देखा जाता। यह पर्व फसल पकने और अच्छी खेती का प्रतीक है।’

वह कहती हैं ‘जब लोहड़ी जलाई जाती है तो उसकी पूजा गेहूं की नयी फसल की बालियों से की जाती है। हम इस पर्व को अच्छी खेती और फसल पकने का प्रतीक मानते हैं। लोहड़ी आई यानी फसल पकने लगी और फिर खेतों की रखवाली शुरू हो जाती है। बैसाखी तक पकी फसल काटने का समय आ जाता है।’

वायुसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी एस के अवलाश बताते हैं ‘इस दिन का इंतजार बेसब्री से रहता है। लोग शाम को एक जगह एकत्र होते हैं। पूजा कर लोहड़ी जलाई जाती है और इसके आसपास सात चक्कर लगाते समय आग में तिल डालते हुए, ईश्वर से धनधान्य भरपूर होने का आशीर्वाद मांगा जाता है।

ऐसा माना जाता है कि जिसके घर पर भी खुशियों का मौका आया, चाहे विवाह के रूप में हो या संतान के जन्म के रूप में, लोहड़ी उसके घर जलाई जाएगी और लोग वहीं एकत्र होंगे।’

राजधानी के एक प्रतिष्ठित स्कूल में प्राचार्य के पद से सेवानिवृत्त तेजिंदर कौर कहती हैं ‘बड़े बुजुर्ग मानते हैं कि लोहड़ी नवविवाहितों और नवजात शिशुओं के लिए बेहद शुभ होती है। नवविवाहित जोड़े इस दिन नए कपड़े पहनते हैं। नयी बहू कलाई भर चूड़ियां, नए कपड़े पहन कर सजती है और उसे मायके तथा ससुराल से तोहफे भी मिलते हैं।’

दर्शन कौर कहती हैं ‘लोहड़ी अगले दिन सुबह तक जलती है। महिलाएं लोहड़ी की आंच में गुड़ और आटे के ‘मन’ पकाती हैं जिसे बड़े चाव से लोग खाते हैं। कहीं गुड़ के चावल रातभर पकाए जाते हैं और सुबह सबको बांटे जाते हैं। इस रात विशेष भोज होता है जिसमें सरसों का साग, माह की दाल, तंदूरी रोटी और मक्की की रोटी बनती है।’

ढोलक की थाप पर लोकगीतों पर गिद्दा करती महिलाएं जहां लोहड़ी को अनोखा रंग दे देती हैं वहीं ढोल बजाते हुए भांगड़ा करते पुरुष इस पर्व में समृद्ध संस्कृति की झलक दिखाते हैं। ठंड के दिनों में आग के आसपास घूम घूम कर नृत्य करते समय हाथों में रखे तिल आग में डाले जाते हैं।

अवलाश कहते हैं, ‘लोगों के घर जा कर लोहड़ी जलाने के लिए लकड़ियां मांगी जाती हैं और दुल्ला भट्टी के गीत गाए जाते हैं। कहते हैं कि महराजा अकबर के शासन काल में दुल्ला भट्टी एक लुटेरा था लेकिन वह हिंदू लड़कियों को गुलाम के तौर पर बेचे जाने का विरोधी था। उन्हें बचा कर वह उनकी हिंदू लड़कों से शादी करा देता था। उसे लोग पसंद करते थे। लोहड़ी गीतों में उसके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।’

उन्होंने बताया ‘कुछ लोग मानते हैं कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है। इसीलिए इसे लोई भी कहा जाता है।’ लोहड़ी पौष माह के आखिरी दिन मनाई जाती है और यह अगले दिन यानी माघ के पहले दिन तक जलती रहती है।

लोहड़ी की लकड़ियों के बीच गोबर की एक छोटी ढेरी रखी जाती है और इसे ही लोहड़ी माना जाता है। पूजा के बाद लोहड़ी जलाई जाती है और छोटे बड़ों के पैर छू कर आशीर्वाद लेते हैं। प्रसाद के तौर पर रेवड़ी, पॉपकार्न, मूंगफली, गुड़ और गजक बांटी जाती है। लोग यह भी मानते हैं कि लोहड़ी ठंड की विदाई का प्रतीक है।

Wednesday, January 11, 2012

विवेकानंद जयंती पर छुंट्टी

कोलकाता : स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती पर गुरुवार को राज्य सरकार की तरफ से छुंट्टी की घोषणा की गई है। इस दिन सिर्फ सरकारी कार्यालय ही नहीं, शिक्षा संस्थान, बैंक व गैरसरकारी संस्थाओं के कार्यालयों में भी छुंट्टी रहेगी। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक नेगोसिएशन इंस्ट्रुमेंट्स एक्ट के तहत ही यह छुंट्टी की घोषणा की गई है। वहीं श्रम विभाग के अधिकारी बताया कि अगर किसी विशेष परिस्थिति में कोई संस्था खुला रहता है तो उसे अपने कर्मियों को अधिक वेतन देना होगा। वहीं गुरुवार को छुंट्टी होने के कारण मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को ही राइटर्स बिल्डिंग में स्वामी विवेकानंद की जयंती पालन किया। इस समारोह में मंत्रीमंडल के अन्य मंत्री व सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।

ज्ञात हो कि स्वामी विवेकानंद की जयंती पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जंगलमहल में रहेंगी। वे स्वामी जी आदर्शो पर वक्तव्य रखेंगी। इससे क्षेत्र के युवाओं में प्रेरणा जगाने का प्रयास करेंगी। 12 जनवरी को स्वामी जी की 150 वीं जयंती के अवसर पर राज्य भर में विभिन्न समारोहों एवं विश्व युवा सम्मेलन आयोजित होगा, जिसमें रामकृष्ण मिशन सहित अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशिष्ट जन शामिल होंगे। स्वामीजी की जयंती पर सरकारी छुट्टी होने के कारण स्कूलों में एक दिन पहले ही समारोह आयोजित किए गए। स्वामी जी की जयंती के अवसर पर राज्य भर में प्रभात फेरी निकाली जाएंगी।