Wednesday, March 28, 2012

सरकार तय करेगी आपको क्या पढ़ना है



कोलकाता : बंगाल के पुस्तकालयों में अब सरकार के पिट्ठू अखबारों को ही लोग पढ़ने को बाध्य होंगे.पुस्तकालय अपनी मरजी से अब अखबार नहीं ले सकते हैं.राज्य के पुस्तकालय विभाग ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी कर सभी सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त पुस्तकालयों को यह बता दिया है.इसमें बांग्ला के पांच, हिंदी के एक व उर्दू के दो अखबार का ही चयन किया गया है.
पुस्तकालयों में पढ़े जाने वाले अखबारों की सूची में सिर्फ़ आठ अखबारों को रखा गया है. अधिसूचना में कहा गया है कि ये अखबार विकास में महत्वपूर्ण योगदान है तथा पुस्तकालय में जानेवालों को ये स्वतंत्र सोच की ओर ले जाते हैं.14 मार्च को ही यह अधिसूचना जारी हुई थी.आठ से ज्यादा अखबार नहीं लेने का साफ़ निर्देश दिया गया है. इनमें जो अखबार हैं, वे सरकार के पिट्टू ही हैं.
इनमें बांग्ला के प्रतिदिन, सकाल बेला, एक दिन, खबर 365, दैनिक स्टेट्समैन, हिंदी में सन्मार्ग व उर्दू के आजाद हिंद व अखबार-ए- मशरीक शामिल हैं. साथ ही यह साफ़ तौर पर कह दिया गया है कि इसके अलावा किसी अन्य अखबारों की खरीद पर सरकार एक भी रुपया खर्च नहीं करेगी. इन आठ अखबार की सूची अधिसूचना में दे दी गयी है.किसी अन्य अखबार की खरीद पर रोक लगा दी गयी है. सरकार के इस फ़ैसले के खिलाफ़ विधानसभा में सरकार की सहयोगी पार्टी कांग्रेस से लेकर विपक्षी दलों ने आवाज उठायी.
विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्रा ने कहा कि इमरजेंसी के समय भी ऐसा नहीं देखा गया था. गणतंत्र की दुहाई देनेवाली सरकार ने हद कर दी है.यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.इस फ़ैसले को सरकार को वापस लेना चाहिए. राज्य में पूरी तरह से तानाशाही चल रही है. मीडिया पर इस तरह से आक्रमण उचित नहीं माना जा सकता है.दूसरी ओर विधानसभा में ही उल्लेख काल में कांग्रेस के असित मित्रा ने इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा कि सरकार ने जो अधिसूचना जारी की है, वह अलोकतांत्रिक है.
उन्होंने कहा कि स्वयं ममता बनर्जी कई मौकों पर कहती हैं कि विभिन्न मुद्दों पर मीडिया की अपनी राय हो सकती है.यह उनका अधिकार है.उन्होंने मुख्यमंत्री से इस अधिसूचना को वापस लेने का अनुरोध किया.कई अन्य विरोधी दलों के सदस्यों ने भी सरकार के इस फ़ैसले की निंदा की. अंगरेजी के किसी अखबार को सूची में जगह नहीं मिली है.
आपातकाल के समय में भी ऐसी स्थिति नहीं देखी गयी थी.जैसी स्थिति ममता बनर्जी की सरकार के दौरान उत्पन्न हुई है.मीडिया पर आक्रमण निंदनीय है.डॉ सूर्यकांत मिश्रा, विपक्ष के नेता
यह पूरी तरह से अगणतांत्रिक हैं.सरकार यह तय नहीं कर सकती है कि लोग कौन अखबार पढ़े और कौन अखबार नहीं पढ़ें -प्रो. प्रदीप भट्टाचार्य, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
सरकार अब मीडिया को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है.जो उसकी चापलूसी करते हैं, उन्हें ही वह सहयोग कर रही है.सरकार बाकी सभी अखबारों पर लगाम लगाना चाहती है.-राहुल सिन्हा, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

Wednesday, March 14, 2012

रेल किराया तो बढ़ा, कब मिलेगी सुरक्षा ?


 केंद्रीय रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने रेल यात्री किराए में वृद्धि कर दी है। इसके साथ ही सुरक्षा की बातें भी की गई है। हालांकि आम लोगों का कहना है कि सुरक्षा के दावे तो सालों से किए जा रहे हैं,हादसा रोकने की बाते भी नई नहीं हैं। किराया तो तय दिन पर बढ़ ही जाएगा लेकिन सुरक्षा व्यवस्था कब और कैसे लागू होगी यह देखने वाली बात है।
मालूम हो कि रेल मंत्री की ओर से दो पैसे से लेकर 30 पैसे प्रति किलोमीटर तक किराया बढ़ाने का एलान किया है। इसके तहत अब कोलकाता से दिल्ली यातायात करने वालों के लिए स्लीपर श्रेणी में - 73 रूपए, एसी थर्ड क्लास- 146 रुपए, एसी सेकंड क्लास में - 219 रुपए और एसी फर्स्ट क्लास- 439 रुपए की वृद्धि की गई है। इसी तरह पटना से दिल्ली तक यातायात करने वालों के लिए वृद्धि इस तरह की गई है- स्लीपर-52 रूपए, एसी थर्ड क्लास- 104 रुपए, एसी सेकंड क्लास- 156 रुपए और एसी फर्स्ट क्लास में - 313 रुपए की वृद्धि की गई है। इसी तरह हावड़ा से लुधियाना या अमृतसर तक के लिए स्लीपर श्रेणी से यातायात करने वालों का किराया लगभग सौ रुपए तक बढ़ गया है ।
ज्यादातर रेल यात्रियों ने किराया बढ़ाए जाने का समर्थन किया है। तापस चक्रवर्ती का कहना है कि आईआरसीटीसी की सेवा भी बढ़िया की जानी चाहिए। राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेन में भी पर्याप्त सहूलत नहीं मिलती है। संदीप शर्मा के मुताबिक किराया बढ़ने से किसी तरह की समस्या नहीं है। लेकिन सुविधाएं बढ़ने चाहिए। आम तौर पर रेलगाड़ियां छह से लेकर आठ घंटे तक देरी से चलती हैं, एसी डिब्बों में चादरें तक साफ नहीं मिलती हैं। ट्रेन का खाना खाने योग्य नहीं होता है। उसमे सुधार की जरुरत है। इसी तरह हावड़ा बस स्टैंड के नजदीक जीतेंद्र साव का कहना था कि किराया वृद्धि उचित है लेकिन दलालों का तांडव बंद होना चाहिए जिससे यात्रियों को टिकट मिल सके।
गुरमीत सिंह ने अमृतसर-पटना-नांदेड़ साहिब रुट पर गुरु परिक्रमा ट्रेन चलाए जाने का स्वागत किया। उनका कहना था कि रेल मंत्री की ओर से धार्मिक स्थलों तक रेलगाड़ियां चलाया जाना स्वागत योग्य कदम है। लेकिन इसके साथ ही समय का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
मीनू सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हर साल की तरह इस साल भी कई नई रेलगाड़ियां चलाने का एलान किया गया है। इससे रेलवे रुट की व्यस्तता और ज्यादा बढ़ जाएगी। रेल मंत्री ने तेज गति से ट्रेन चलाने की घोषणा करते हुए कहा है कि अब कोलकाता से दिल्ली 17 के बजाए 14 घंटे में पहुंचा जा सकेगा पर अभी तक चल रही ट्रेनें तय समय पर चलेगी इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है।
इसी तरह विमल सुरेका का कहना है कि रेल मंत्री ने नई पैसेंजर हेल्पलाइन, सुरक्षा सेंटर बनाए जाने, ट्रेनों की सेटेलाइट से ट्रैकिंग, रेलसुरक्षा निधि बनाने का एलान किया है। लेकिन यह काम कैसे और कब होगा, यह देखना बाकी है। इसी तरह रश्मि सिंह के मुताबिक सिग्नल, पुल, ट्रैक, संचार और स्टेशन पर जोरदेते हुए सिग्नल और ट्रैक पर ध्यान देने का एलान करते हुए मंत्री ने ग्यारह हजार किलोमीटर रेलवे लाइन बदलने की जरुरत बताई है। लेकिन इसके लिए रकम कहां से आएगी?
रेल मंत्री ने सरकारी बजट का दस फीसद रेलवे पर खर्च करने की जरुरत बताते हुए कहा है कि अगले 10 साल में रेलवे को 14 लाख करोड़ रुपए की जरुरत होगी। मंजीत कौर के मुताबिक इनमें से ढाई करोड़ रुपए बुनियादी ढांचे के तौर पर इस्तेमाल किए जाएंगे। हालांकि किराए बढ़ाए जाने से नाराज ममता दीदी के मंत्री ने यह नहीं बताया कि कहां से इतनी भारी रकम खर्च करेंगे। वित्त मंत्री सरकारी बजट में रेलवे के लिए प्रावधान रखेंगें ऐसा तो नहीं लगता।
गौरतलब है कि ज्यादातर लोगों की भावनाओं के मुताबिक रेल मंत्री ने सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता बताया है। समस्या यह है कि यह कैसे की जाएगी और कब तक सुरक्षा व्यवस्था ठोस हो सकेगी, इसकी कोई समयसीमा उन्होंने तय नहीं की है। इसलिए लोगों का मानना है कि बजट में किराया वृद्धि ही खास रहा है। बाकी बातें तो हर साल की इस साल भी औपचारिकता के तौर पर की गई हैं। जब सुरक्षा का पक्का इंतजाम होगा और हादसे बंद करने की व्यवस्था होगी, तब उन्हें सफल माना जाएगा।

Monday, March 5, 2012

‘कहानी’ को मेट्रो ने दी इजाजत


  विद्या बालन की फिल्म ‘कहानी’ के उस दृश्य को कोलकाता मेट्रो रेलवे ने दिखाने की इजाजत दे दी है, जिसमें विद्या को तेजगति से आती एक मेट्रो ट्रेन के सामने पटरी पर धकेलते हुए दिखाया गया है। इस तरह से बीते कई दिनों से इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक सुजय घोष व मेट्रो रेल के अधिकारियों के बीच चला आ रहा विवाद खत्म हो गया है। मालूम हो कि मेट्रो रेल के अधिकारियों ने घोष से फिल्म के इस दृश्य के फिल्मांकन पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि इससे लोगों में मेट्रो रेल के सामने आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ेगी।
कोलकाता मेट्रो रेलवे के महाप्रबंधक पीबी मूर्ति ने सोमवार को यहां पत्रकारों से कहा-फिल्म बनाने वालों ने हमसे वादा किया है कि इस फिल्म में ऐसा कोई दृश्य नहीं है, जिससे लगे कि मेट्रो रेलवे की छवि धूमिल की जा रहा ही या फिर इससे किसी को आत्महत्या करने की प्रेरणा भी नहीं मिलती है।

माओवादियों ने साल भर में वसूले 65 करोड़



राज्य के व्यापारियों से माओवादियों ने लगभग 65 करोड़ रुपए की वसूली की है। इतना ही नहीं रंगदारी के तौर पर वसूल की गई रकम का एक हिस्सा उन्होंने निवेश भी किया है। इसके साथ ही सात प्राइवेट स्वयंसेवी संस्थाओं को आर्थिक मदद भी प्रदान की है। केंद्रीय खुफिया विभाग की रिपोर्ट में इसका खुलासा करते हुए मामले की तह तक जाने के लिए रकम देने वाले व्यापारियों से पूछताछ की जा रही है। माओवादियों से आर्थिक मदद हासिल करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं के आर्थिक लेन-देन का ब्यौरा बैंकों से इकट्ठा किया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि प्राथमिक तौर पर 65 करोड़ की वसूली का पता चला है लेकिन यह रकम और भी बड़ी हो सकती है। इसका कारण बताया जा रहा है कि पिछले साल भर में माओवादियों ने जहां अपना प्रभाव बढ़ाया है वहीं वसूली भी शुरू कर दी है। अपनी रणनीति के तहत पहले सिंगुर और नंदीग्राम के आंदोलनकारियों की आर्थिक मदद के लिए व्यापारियों से भारी रकम  चंदे के तौर पर वसूली गई। एक बार चंदा देने वालों से हर महीने वसूली की जाने लगी।  ओड़िसा, झाड़खंड,छत्तीसगढ़, बिहार और पश्चिम बंगाल के जंगल महल इलाके में कारोबार करने वाले 45 लोग इसमें शामिल हैं।
सूत्रों का कहना है कित बांग्लादेश के साथ आयात-निर्यात करने वाले कई व्यापारी  भी माओवादियों की सूची में शामिल हैं। 50 हजार रुपए से लेकर दस लाख रुपए तक एक व्यापारी से वसूले जा रहे हैं, इसके लिए किस तरह के नोट चाहिए, इसका भी निर्देश दिया रहता है। रुपए नहीं देने वालों को धमकिया तो मिलती ही हैं एक कारखाने में तो श्रमिक हड़ताल भी कराई गई थी। आकाश, कंचन और आकाश की पत्नी अनू वसूली की देखरेख कर रहे हैं। खुफिया सूत्रों के मुताबिक किशनजी की मौत के बाद वसूली बंद हो गई थी। लेकिन इस साल जनवरी से दोबारा यह काम शुरू हो गया है। सूत्रों के मुताबिक वेणूगोपाल और रामकृष्ण ने एक व्यापारी से कोलकाता में बकाया 40 लाख रुपए की वसूली भी की थी। वसूली के बाद ही आंध्र प्रदेश की ग्रे हाउंड वाहिनी और कोलकाता पुलिस की   एसटीएफ ने पांच माओवादी धर दबोचे थे। इसके बाद एक जगह 55 लाख रुपए और दूसरी जगह 36 लाख रुपए बरामद किए जा चुके हैं।
खुफिया सूत्रों के मुताबिक वसूली गई रकम का एक हिस्सा छत्तीसगढ़ में माओवादी नेताओं को भेजने के बाद  राज्य के विभिन्न इलाकों में पूंजी निवेश किया गया है। इसके तहत माओवादियों के लिंकमैन के तौर पर काम कर रहे कई लोगों के नाम बैंक और डाकघरों में भी रुपए जमा करवाए गए हैं।
एसटीएफ के एक अधिकारी के मुताबिक बरानगर, बेलघरिया, अगरपाड़ा और खड़दह में माओवादियों के लिंक मैन के तौर पर कई लोग काम कर रहे थे। छापामारी के दौरान बरामद दस्तावेज और सीडी-फ्लापी से इसका पता चला है। हालांकि माओवादियों से सहानुभूति रखने वाले एक बुद्धिजीवी ने स्वयंसेवी संस्थाओं को आर्थिक मदद प्रदान किए जाने के आरोप का खंडन करते हुए कहा है कि उन्हें बदनाम करने के लिए गलत प्रचार किया जा रहा है।

'कहानी' में मेट्रो के आगे धक्का देने के दृश्य पर विवाद


   मेट्रो रेलवे के अधिकारियों ने विद्या बालन की नई रिलीज होने वाली फिल्म ' कहानी ' के उस सीन को हटाने को कहा है, जिसमें एक आदमी विद्या बालन को तेज रफ्तार ट्रेन के आगे धक्का देते दिखाया गया है। फिल्म अगले शुक्रवार को रिलीज होने वाली है।
मेट्रो रेलवे के प्रवक्ता प्रत्यूष घोष का कहना है कि फिल्म निर्माता से उस खास क्लिप को ट्रेलर और फिल्म से हटाने को कहा गया है। प्रवक्ता के मुताबिक , 'हमने डायरेक्टर के साथ हाल में मुलाकात की और उन्होंने हमें बताया कि फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। वह हमें पूरे सीन का विडियो एक-दो दिन में भेजेंगे और फिर हम कोई फैसला लेंगे।'
मालूम हो कि फिल्म के ट्रेलर में गर्भवती विद्या बालन को कालीघाट स्टेशन में एक ट्रेन पकड़ने के लिए इंतजार करते दिखाया गया है। वहीं उनके पास खड़ा एक आदमी उन्हें खतरनाक ढंग से पटरी पर धक्का दे देता है। मेट्रो रेलवे की ओर से पिछले साल फिल्म के लिए व्यस्त रहने वाले टालीगंज और कालीघाट स्टेशन पर शूटिंग की इजाजत दी गई थी। चार दिन तक फिल्म की शूटिंग हुई थी।
मेट्रो रेलवे के जनरल मैनेजर पीबी मूर्ति के मुताबिक हम लोगों ने फिल्म के दृश्य का विरोध किया है क्योंकि मेट्रो में होने वाली आत्महत्या की घटनाओं से चिंतित हैं। हमें मालूम है कि लोग आत्महत्या और दूसरी आपराधिक गतिविधियों की जानकारी कहां से हासिल करते हैं।
सूत्रों के मुताबिक रेलवे की ओर से फिल्म के निर्माता को पत्र लिख कर कहा गया है कि धक्का देने वाले दृश्य से मेट्रो की इमेज को ही नुकसान नहीं पहुंचेगा, इससे दर्शकों पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा।
हालांकि फिल्म के निर्माता-निर्देशक सुजय घोष का कहना है कि यह कोई बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है। उस दृश्य का उद्देश्य लोगों को आत्महत्या के लिए प्रेरित करना नहीं है। एक फिल्मकार के तौर पर मुझे महानगर के सभी तरह के हिस्सों को दिखाना था, इसमें कुछ गलत चीजें भी शामिल हैं। हालांकि ट्रेन के सामने कूद कर कोई आत्महत्या करता है तो वह मेरी फिल्म देख कर ऐसा करेगा, नहीं कहा जा सकता है। शूटिंग के दौरान मेट्रो रेलवे के अधिकारियों का रवैया सकारात्मक रहा था। हमलोग उनके आभारी हैं।
पटरी पर अक्सर जान देने की घटनाएं कोलकाता मेट्रो के लिए सिरदर्द रही हैं। 1984 में कोलकाता मेट्रो के शुरू होने के बाद से करीब 234 लोग आत्महत्या की कोशिश कर चुके हैं। दिल्ली मेट्रो में भी ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं और इसी हफ्ते दिल्ली मेट्रो के आगे कूद कर एक आदमी की जान भी जा चुकी है।
विद्या ने हावड़ा में पति की तलाश की: कहानी फिल्म की विद्या शनिवार को पति की तलाश के लिए हावड़ा पहुंची। विद्या बालन फिल्म में विद्या बागची की भूमिका निभा रही हैं। लंदन से पति की तलाश में यहां आने वाली विद्या अवनि रिवर साइड माल में पहुंचने के बाद सात माह की गर्भवती के गेटअप में घंटों से प्रतीक्षा कर रहे 500 दर्शकों के सामने पहुंची और लोगों से कहा कि उनकी फिल्म देखें, इस मौके पर निर्माता-निर्देशक सुजय घोष भी मौजूद थे। फिल्म में अमिताभ बच्चन की आवाज में रवींद्र नाथ टैगोर रचित गीत जोदी तोर डाक सुने केउ ना आसे, तोबे एकला चलो रे भी है। इस मौके पर विद्या ने गीत की पंक्तियां गाकर लोगों को फिल्म देखने के लिए प्रेरित किया। दो घंटे से ज्यादा देर से पहुंची नायिका महज दस मिनट मंच पर रही, इसके पहले गीत-संगीत के कार्यक्रम में ऊ-लाला गीत पर पत्रकारों और उनके बच्चों ने नाच-गाकर खासा धमाल मचाया।