कोलकाता पहले जेलों में चोरी-छिपे बंदूक और चाकू की सप्लाई की खबरें सुनने को मिलती थीं, लेकिन अब उनकी जगह एक नए और छोटे हथियार ने ले ली है, जिसे हम सभी ब्लेड के नाम से जानते हैं। राज्य की विभिन्न जेलों में इन दिनों ब्लेड की धड़ल्ले से सप्लाई हो रही है। बाजार में दो-तीन रुपए में मिलने वाली यह चीज जेलों में 150 से 170 रुपए तक में बिक रही है। ब्लेड ही क्यों? ब्लेड छोटी मगर खतरनाक चीज है। बंदूक व चाकू की अपेक्षा इसकी आसानी से सप्लाई की जा सकती है, इसलिए यह कैदियों की पहली पसंद बनता जा रहा है। आकार में छोटा होने के कारण इसे सलाखों के पीछे कहीं भी आसानी से छिपाकर रखा जा सकता है। क्यों खरीदते हैं कैदी? अलग-अलग कैदी इसे अलग-अलग मकसद से खरीदते हैं। सजायाफ्ता कैदी दूसरे कैदियों को डराने-धमकाकर उनपर अपना दबदबा बनाने के लिए अपने पास ब्लेड रखते हैं। विभिन्न जेलों में एक कैदी द्वारा दूसरे कैदी को ब्लेड से घायल करने के कई मामले सामने आ चुके हैं। वहीं विचाराधीन कैदी अदालती कार्यवाही में विलंब का विरोध जताने के लिए खुद को घायल करने के लिए ब्लेड का सहारा लेते हैं। गत बुधवार को बारासात अदालत परिसर में तीन कैदियों ने फैसला आने में हो रही देरी के विरोध में अपने जिस्म पर ब्लेड से वार करके जख्मी कर लिया था। इसके पहले अलीपुर कोर्ट में भी कई कैदियों ने विरोध का यह तरीका अपनाया है। उदाहरण इतना ही नहीं कई बार जेलों के अंदर कई बार कैदी आपस में ब्लेड से वार कर दूसरे कैदियों को जख्मी भी कर चुके है। कैसे पहुंचता है जेलों में? महानगर की जेलों में कड़ी सुरक्षा के बावजूद आसानी से ब्लेड की सप्लाई हो जाती है। इसके पीछे एक गिरोह काम करता है। अलीपुर, प्रेसीडेंसी और सेंट्रल जेल के आसपास गिरोह के सदस्यों की चौबीसों घंटे गिद्धदृष्टि रहती है, जो कैदियों से मिलने आने वाले लोगों पर नजर रखते हैं। जरुरतमंद लोग देखते ही वे उनसे संपर्क करते हैं। जेल प्रशासन की तरफ से जितना भी कड़ा पहरा और स्कैनिंग मशीन क्यों न लगा दी गई हो, पर उनलोगों की पहुंच इतनी ऊंची है कि वे हर सुरक्षा कवच को भेद लेते हैं। वे मुख्यतया कैदियों को भोजन देने एवं अदालत में पेशी के दौरान उन्हें ब्लेड थमाते हैं। दमदम प्रेसीडेंसी जेल के गेट के बाहर सक्रिय मुन्ना सरकार उर्फ बबलू नामक दलाल ने बताया कि ब्लेड की कीमत लेने के बाद कैदी का नाम और सेल नंबर पूछा जाता है और उसके बाद उसे भोजन देने या अदालत में पेशी के समय अपने स्रोतों के हाथ से ब्लेड थमा दिया जाता है। एक ब्लेड के लिए 150 से 170 रुपए लिया जाता है, जिसमें 50 से 70 रुपए ब्लेड की कीमत होती है जबकि उसे अंदर पहुंचाने के लिए प्रोसेसिंग चार्ज के लिए 100 रुपए लिए जाते हैं। जेल के निचले स्तर के कुछ कर्मी इस काम में शामिल हैं। क्या कहना है जेल प्रशासन का? राज्य के आईजी (कारागार) रणवीर कुमार ने बताया कि अपनी मांगें मनवाने के लिए कैदियों द्वारा अदालत परिसर में खुद को ब्लेड से जख्मी करने की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं। समय-समय पर छापामारी के दौरान कैदियों के पास से ब्लेड, मोबाइल फोन और नशे का सामान बरामद होता है। जिन गिरोहों के जरिए यह सामान जेलों में पहुंचाया जा रहा है, उनका पता लगाया जा रहा है।
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