Wednesday, September 5, 2012

पश्चिम बंगाल में छह लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई


 उच्च न्यायालय ने अजमल कसाब की फांसी का मामला रोक रखा है, इस बीच पश्चिम बंगाल में छह लोगों को फांसी की सजा मिली हुई है।  यह कैदी अलीपुर और प्रेसीडेंसी जेल में बंद हैं। इन कैदियों ने दया याचिका दायर की है। तीन कैदियों की याचिका कलकत्ता उ च्च न्यायालय और तीन कैदियों की याचिका उ च्चतम न्यायालय के विचाराधीन है। जेल में कैद फांसी के दिन गिन रहे हैं। हालांकि कुछ लोगों पर अदालत ने रहम भी की है जबकि कुछ लोग अभी तक अपने भविष्य के बारे में चिंतित हैं।
मालूम हो कि देश में अंतिम बार जो फांसी दी गई थी वह अलीपुर सेंट्रल जेल में हुई थी। 14 अगस्त 2004 को घनंजय चटर्जी (39) को फांसी दी गई थी। दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर इलाके में पांच मार्च 1990 को सुरक्षा गार्ड चटर्जी ने बिल्डिंग में रहने वाली एक 14 साल की लड़की के साथ बलात्कार करने के बाद हत्या कर दी थी। इससे पहले सीरियल किलर के तौर पर कुख्यात आटो शंकर को 27 अप्रैल 1995 को चेन्नई सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी। राज्य में धनंजय से पहले हत्या के दो आरोपियों कार्तिक सिल और सुकुमार बर्मन को 1993 को फांसी के फंदे पर लटकाया गया था।
गौरतलब है कि धनंजय को फांसी देने के बाद राज्य में कई लोगों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। इसमें सबसे पहले स्पेशल सेशंस कोर्ट ने आफताब अंसारी और जमालुद्दीन नासिर को 27 अप्रैल 2005 को फांसी की सजा सुनाई थी। दोनों अभियुक्तों को अमेरिकी सूचना केंद्र पर हमलाकरने के आरोप में सजा सुनाई गई थी। अंसारी तीन मई 2002 से अलीपुर जेल में कैद है जबकि दूसरे अभियुक्त को पिछले साल फरवरी में यहां लाया गया था। दोनों ने उ च्चतम न्यायालय में याचिका दायर कीहै, इसलिए कलकत्ता उ च्च न्यायालय में उनका मामला फंसा हुआ है।
सूत्रों ने बताया कि उ च्चतम न्यायालय में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के हेड कांस्टेबल बलबीर सिंह की फांसी की याचिका भी विचाराधीन है। जनरल सिक्युरिटी फोर्स कोर्ट की ओर से सजा सुनाए जाने के बाद गुवाहाटी उ च्च न्यायालय ने भी उनकी रहम की अपील ठुकरा दी थी। उन्हें छह अक्तूबर 2010 को अलीपुर जेल लाया गया था। अपने उच्चाधिकारी  की हत्या के आरोप में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है।
इसी तरह फांसी की सजा पाने वालों में अलीपुर जेल में शंभु लोहार और प्रेसीडेंसी जेल में केबल राय कैद है। शंभु को सूरी की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। सैंथिया तेल मिल के भीतर दो लोगों की हत्या के आरोप में 15 सितंबर 2010 को सजा सुनाई गई थी। जबकि राय को 18 अप्रैल 2005 में ताराचंद (68) और शारदा देवी बांका (56) की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसे 24 सितंबर 2008 को कोलकाता की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। पुलिस के मुताबिक उसने 20 लाख रुपए की चोरी की थी और अपने मालिक-मालकिन की हत्या की थी। हत्या के बाद वह अपने गांव भाग गया था पुलिस ने हत्या के एक महीने बाद बिहार के सिमुलतला से उसे गिरफ्तार किया था। इसके बाद से वह प्रेसीडेंसी जेल में बंद है। 25 अगस्त को इस साल सूचित किया गया कि कलकत्ता उ च्च न्यायालय ने उसकी फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया है। लेकिन यह आदेश जेल में अभी तक नहीं पहुंचा है।
मालूम हो कि उक्त कैदी ही ऐसे नहीं हैं जिन्हें फांसी की सजा मिली हुई है। इसके अलावा निक्कु यादव भी इस सूची में शामिल है। उसने बालीगंज सर्कुलर रोड स्थित त्रिपुरा इंक्लेव के फ्लैट में अपनी मालकिन रवींद्र कौर लुथरा की हत्या कर दी थी। यह हत्या 15 फरवरी 2007 को की गई थी। अलीपुर सेसंस कोर्ट ने 29 अगस्त 2008 को उसे फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन बाद में कलकत्ता उ च्च न्यायालय ने सात अक्तूबर 2010 को फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।

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