महानगर कोलकाता में आपदा का मुकाबला करने के लिए विशेष वाहन की व्यवस्था की गई है। भूकंप या दूसरे किसी हादसे के कारण बहुमंजिला भवन ध्वस्त होने के बाद जमीन के नीचे 20 फीट तक कैमरे और विशेष मशीन की मदद लोगों की तलाश की जा सकेगी। यहां मिलने वाले आंकड़ों को बहुमंजिला बिल्डिंग से सीधे नेट पर देखा जा सकेगा। इतना ही नहीं भारी वाहन उठाने के लिए क्रेन के साथ ही वेस्ट बंगाल डिफेंस रेसक्यू वेहिकल्स में 40 फीट की सीढ़ी भी मौजूद है।
सूत्रों ने बताया कि भूकंप समेत दूसरी आपदा से निबटने के लिए कोलकाता में यह अत्याधुनिक वाहन पहुंच गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ऐसे चार वाहन नागरिक सुरक्षा विभाग को सौंप दिए हैं। विभाग के मंत्री जावेद खान का कहना है कि देश में पहला राज्य है जहां ऐसा वाहन पहुंचा है। इसके बाद देश के दूसरे राज्यों में आपदा का मुकाबला करने वाला वाहन जाएगा। आधुनिक उपकरण, मशीनें केंद्र सरकारकी ओर से फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देशों से मंगवाई जा रही हैं। हालांकि आपदा से निबटने वाले वाहन का निर्माण देश में ही हो रहा है। इस तरह के चार वाहनों में एक कोलकाता, दूसरा दक्षिण चौबीस परगना जिले के सूर्यनगर में तीसरा आसनसोल में और चौथा सिलीगुड़ी में रहेगा। जमीन के नीचे 15 से 20 फीट तक की तस्वीरें खीचने के लिए जहां कैमरा लगाया गया है वहीं खुदाई के लिए ड्रील मशीन भी है। बेहोशी की हालत में व्यक्ति का भी इससे पता लगाया जा सकेगा। जिससे राहत और बचाव कार्य में सहूलत होगी। इतना ही नहीं इसमें आयरन कटर, डायमंड कटर के साथ ही 40 फीट लंबी दो सीढ़ीयां भी रहेंगी।
सूत्रों ने बताया कि वाहन में जनरेटर, सर्च लाइट , दो फायर सूट, कई गैस मास्क मौजूद रहेंगे जिससे आग बुझानेके दौरान किसी तरह की परेशानी न हो। मुखौटे पहन कर लोग 45 मिनट तक बगैर किसी समस्या के काम कर सकेंगे। इसके साथ ही 120 फीट ऊंचे भवन तक रस्सी पहुंचानेके लिए विशेष बंदूक भी है। इसकी मदद से 10-12 मंजिलों तक रस्सी की मदद सेराहत और बचाव कार्य किया जा सकेगा। वाहन का प्रयोग करने के लिए कुल मिलाकर 100 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है। पता चला है कि 500 से 600 और लोगों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मालूम हो कि विशेष वाहन में कुल मिलाकर 22 लोगोंके बैठने और दस लोगों के खड़ा होने की व्यवस्था है। माना जा रहा है कि किसी भी तरह के हादसे की सूचना मिलने के बाद वाहन के पहुंचने के बाद बहुत सारी समस्या का समाधान हो सकेगा। हालांकि प्रयोग के बाद ही इसकी असली उपयोगिता का पता चल सकेगा।
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