कांग्रेस के दबाव के कारण आखिर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पीछे हटना पड़ा है। उन्होंने इंदिरा भवन को नजरूल अकादमी बनाने का फैसला बदल दिया है। मजबूरन ममता को फैसला करना पड़ा है कि अकादमी और अनुसंधान केंद्र राजारहाट में बनाया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के रवैये से सख्त नाराज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जगह बदलने का फैसला किया है। बताया जाता है कि इंदिरा भवन का नाम बदलने के फैसले पर दोबारा विचार करने की सिफारिश करतेहुए राज्य के सिंचाई और कांग्रेस के मंत्री मानस भुइंया ने मंगलवार मुख्यमंत्री को फोन किया था। इससे मुख्यमंत्री भड़क गई। सूत्रों का कहना है कि बाद में उन्होंने अपने भरोसे के कुछलोगों से कहा कि किसी भी सरकारी दस्तावेज में इंदिरा भवन का उल्लेख मौजूद नहीं है। इसके बावजूद सरकारी फैसले का विरोध किया जा रहा है। लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि जिस जगह को लेकर विवाद कियाजा रहा है ऐसी जगह नजरूल जैसे व्यक्ति की यादगार स्थापित नहीं की जा सकती। उनका कहना है कि जिन लोगों ने ऐसा किया उनसे और किसी तरह का संबंध नहीं रखना चाहती, एनफ इज एनफ।
हालांकि ममता ने इससे पहले एक निजी टीवी में साक्षात्कार के दौरान भी कहा है कि कांग्रेस से उनका कोई संबंध नहीं है। लेकिन मंत्रिमंडल में कांग्रेस सहयोगीके तौर पर है।
राज्य सरकार के फैसले में परिवर्तन के बारे में नगर विकास मंत्री फिरहाद हाकिम काकहना है कि इंदिरा भवन को नजरूल अकादमी बनाने के मामले पर कांग्रेस ने गंदी राजनीति शुरू कर रखी है। हम लोग नहीं चाहते कि नजरूल जैसे व्यक्तित्व के खिलाफ किसी प्रकार की गंदी राजनीति की जाए। इसलिए राजारहाट में कवि के नाम पर अकादमी और अनुसंधान केंद्र स्थापित किया जाएगा। मुख्यमंत्री शुक्रवार को इसका शिलान्यास करेंगी।
दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान का कहना है कि इंदिरा गांधी और नजरूल दोनों की हम श्रद्धा करते हैं। दोनों को सम्मान मिले यही चाहत है। इसमें किसी तरह की जिद नहीं है। हार होगी तो सभी की औरजीत होगी तो सभी लोगों की जीत होगी। सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार ने कांग्रेस को आश्वासन दिया था कि साल्टलेक के मकान में इंदिरा गांधी के नाम का पत्थर लगा दिया जाएगा, इसके बाद वहां नजरूल की यादगार स्थापित की जाएगी। मन्नान का कहना है कि इंदिरा भवन को लेकर राज्य सरकार क्या करना चाहती है इस बारे में एलान कियाजाना चाहिए।
इस बीच मुख्यमंत्री ने फैसला बदल कर लिया कि राजारहाट में अकादमी स्थापित की जाएगी। मुख्यमंत्री का मानना है कि इंदिरा भवन में देश-विदेश के लोग नजरूल अकादमी में खोज और जानकारी हासिल करनेके लिए आते। इससे यह जगह एक तीर्थस्थल जैसी बन जाती । लेकिन दुष्प्रचारके कारण ऐसा नही किया जा रहा है इसलिए राज्य सरकार ने सम्मान सहित यहां से हटने का फैसला किया है। हालांकि यहां जो किया जाना था साल्टलेक के पांच नंबर सेक्टर से राजारहाट में प्रवेश करने के सामने पुराने हिडको भवन में उससे विशाल आकार में काम किया जाएगा। इसके दूसरी ओर दो एकड़ जमीन पर तैयार होगा मुख्यमंत्री का सपने का भवन,नजरूल भवन में अकादमी और अनुसंधान केंद्र होगा और इसका नाम नजरूल तीर्थ हो सकता है।
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री हिडको के पुराने भवन को अपने सूचना और संस्कृति विभाग का कार्यालय बनाना चाहती हैं। यहां वे विभाग केतहत विभिन्न अकादमी की बैठकें करेंगी। इस बारे में उन्होंने नगरविकास मंत्री को निर्देश दिए हैं। राष्ट्रपति चुनाव से पहले इंदिरा भवनकी समस्या हल होने पर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस दोनों दलों ने राहत कीसांस ली है। सभी लोगों की निगाहें शुक्रवार पर लगी हैं जब मुख्यमंत्री शिलान्यास के मौके पर अकादमी के बारे में नए एलान करेंगी।
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