Monday, October 8, 2012

सभी लोगों को केवाईसी फार्म भरने की आवश्यकता नहीं


 केंद्र सरकार की ओर से इस बीच घोषणा की गई है कि 14 सितंबर के बाद से आगामी 31 अक्तूबर तक सभी रसोई गैस के ग्राहकों को सबसिडी वाले ज्यादा से ज्यादा तीन सिलिंडर मिल सकेंगे। इसके बाद चौथा सिलिंडर बगैर सबसिडी के खरीदना होगा। इसकी कीमत बाजार दर से तय होगी। लेकिन बगैर सबसिडी वाले सिलिंडर क्या ज्यादा से ज्यादा खरीदे जा सकेंगे? तेल संस्था के अधिकारियों का कहना है कि नहीं ग्राहकों को इस तरह की छूट नहीं दी जाएगी। किसी ग्राहक की ओर से अस्वाभाविक संख्या में गैस सिलिंडर के लिए आर्डर मिला तो, ऐसे ग्राहकों पर नजर रखी जाएगी और जरुरत हुई तो कार्रवाई भी की जाएगी। इधर सिलिंडर पर एलपीजी डीलरों का कमिशन बढ़ा दिया है, इससे वे लोग खुश नहीं हैं और ज्यादा कमीशन की मांग कर रहे हैं।
हालांकि ग्राहकों का कहना है कि चार सौ रुपए का सिलिंडर सबसिडी के बगैर  दुगनी से भी ज्यादा कीमत पर मिलेगा, उस पर क्या निगरानी की जाएगी? ऐसे सिलिंडर तो जितनी जरुरत हो उतने मिलने ही चाहिए। इस बारे में आधिकारिक तौर पर गैस कंपनियों की ओर से कुछ नहीं कहा जा रहा है। लेकिन डीलरों का कहना है कि मनमर्जी के सिलिंडर नहीं मिल सकेंगे। इसका कारण पूछने पर एक डीलर ने बताया कि सबसिडी के बगैर दिया जाना वाला सिलिंडर पूरी तरह से सबसिडी मुक्त नहीं है। उनका कहना है कि फिलहाल कोलकाता में कमर्शियल गैस सिलिंडर की कीमत 1598 रुपए है। जबकि डीलर का कमीशन मिलाकर बगैर सबसिडी वाले सिलिंडर की कीमत लगभग 925 रुपए है। इस तरह 14.2 किलोग्राम बगैर सबसिडी वाले सिलिंडर की कीमत कमर्शियल मामले में लगभग 1200 रुपए होती है। इसका मतलब यह है कि केंद्र सरकार की ओर से अभी भी टैक्स छूट के मामले में तकरीबन 275 रुपए की छूट दी जा रही है। इस तरह घरेलू और कमर्शियल सिलिंडर की कीमत में अभी भी खासा फर्क देखा जा रहा है। इसलिए माना जा रहा है कि घरेलू सिलिंडर का दुरुपयोग हो सकता है। जिससे ऐसे आर्डर पर निगरानी की जरुरत महसूस की जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय का पोर्टल बनने के बाद इस बात का पता आसानी से चल जाएगा कि कौन कितने सिलिंडर का प्रयोग कर रहा है। साल में किसी परिवार के 12 सिलिंडर लगते हों और वह किसी साल 12 से लेकर 15 सिलिंडर की मांग करे तो इसे स्वाभाविक ही माना जाएगा। लेकिन ऐसे परिवार की ओर से 30 या इससे ज्यादा सिलिंडर की मांग की गई तो इसे अस्वाभाविक माना जाएगा।
इस बीच ग्राहकों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए कें द्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से केवाईसी फार्म भरने के लिए कहा है। इस बारे में भी एक निर्देशिका दी गई है। आमतौर पर माना जा रहा है कि सभी लोगों को यह फार्म भर कर देना होगा। लेकिन मंत्रालय का कहना है कि एक ही परिवार या एक ही ठिकाने में एक से ज्यादा कनेक्शन लेने वाले ग्राहकों को ही इस बात की जानकारी देनी होगी। कई लोगों के पास सिलिंडर का हिसाब रखने के लिए खाता (ब्लू बुकलेट) नहीं है। मंत्रालय का कहना है कि इसके लिए ग्राहकों को जल्दी से जल्दी अपने डीलर से संपर्क करना होगा। इसके साथ ही कंजुमर्स नंबर भी लिख कर देना होगा। आगामी 31 मार्च तक ग्राहकों को बगैर सबसिडी वाले तीन सिलिंडर मिलेंगे, उसका विवरण रसीद पर लिखा होगा। इसके तहत एक बाई तीन, दो बाई तीन या अंतिम सिलिंडर पर तीन बाई तीन लिखा होगा। केवाईसी फार्म भरने की अंतिम तिथि 31 अक्तूबर है।
इधर एलपीजी गैस डीलरों की ओर से बढ़ाए गए कमीशन को लेकर भारी नाराजगी जताई जा रही है। बगैर सबसिडी वाले सिलिंडर की कीमत कोलकाता में 913 रुपए और सबसिडी वाले सिलिंडर की कीमत अभी भी 401 रुपए ही है। पहले डीलरों को 25 रुपए 83 पैसे कमीशन मिलता था अब सबसिडी वाले सिलिंडर के लिए 37 रुपए 25 पैसे और दूसरे सिलिंडर के लिए 38 रुपए किया गया है। हालांकि डीलरों का कहना है कि उनका खर्च बहुत बढ़ गया है। बगैर सबसिडी वाला सिलिंडर 375 रुपए 25 पैसे में खरीदा जाता है। एक ट्रक में 306 सिलिंडर आते हैं। एक ट्रक का भाड़ा लगभग एक लाख 15 हजार रुपएदेना पड़ता है। अब बगैर सबसिडी वाला सिलिंडर 887 रुपए में मिलेगा तो इसके लिए  ट्रक का किराया दो लाख 72 हजार रुपए की राशि खर्च करनी होगी। इसके साथ ही अस्पताल, एनडीओ को दिये जाने वाले विशेष सिलिंडर भी शामिल हैं, जिनकी कीमत ज्यादा है। इस तरह हमारा खर्च तो कई गुना बढ़ गया है लेकिन आमदनी उस तरह नहीं बढ़ी है।

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