Friday, September 2, 2011
नौकरी पर सिख पहन सकेंगे पगड़ी
अमरीका के न्यूयॉर्क शहर में एक नया कानून मंज़ूर हुआ है. इसके तहत अब सरकारी या निजी दफ़्तरों में सिखों और मुसलमानों समेत किसी को भी काम के दौरान अपने धार्मिक कार्यों को अंजाम देने या खास तरह का लिबास या अन्य चीज़ें पहनने पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकेगी.
वर्कप्लेस रिलिजस फ़्रीडम नामक इस कानून को ऐतिहासिक कानून माना जा रहा है.इसके तहत अब सिख और मुसलमान नौकरी के दौरान भी अपनी पगड़ी, हिजाब और दाढ़ी के साथ काम कर सकेंगे.
न्यूयॉर्क के मेयर माईकल ब्लूम्बर्ग ने जिस नए कानून पर हस्ताक्षर किए हैं उसे न्यूयॉर्क के क्वींस इलाके के एक काउंसिल मैन मार्क हेपरिन ने काउंसिल में मंज़ूरी के लिए पेश किया था.
इस कानून का मकसद यह है कि लोगों को यह संदेश जाए कि किसी को भी अपनी नौकरी और अपने धर्म के पालन में से किसी एक को चुनना नहीं पड़ेगा. अब हमें आशा है कि इस बात का खास ख्याल रखा जाए कि किसी भी मुलाज़िम को उसके धर्म से संबंधित पहनावे या किसी प्रक्रिया को अंजाम देने पर रोक न लगाई जाए.
काउंसिल मैन मार्क हेपरिन
वह कहते हैं, "मुझे मेरे चुनावी इलाके में रहने वाले कई सिखों ने यह बताया था कि पगड़ी औऱ दाढ़ी को लेकर सिखो कों नौकरियों में कितनी मुश्किलें उठानी पड़ती हैं. तभी से मैं इस नए क़ानून के लिए काम में जुट गया था. मैने कई गुरूद्वारों के चक्कर लगाए, सिखों से मुलाकातें कीं और फिर एक बिल तैयार किया."
इस नए कानून के बारे में बीबीसी हिंदी से बात करते हुए मार्क हेपरिन कहते हैं, “इस कानून का मकसद यह है कि लोगों को यह संदेश जाए कि किसी को भी अपनी नौकरी और अपने धर्म के पालन में से किसी एक को चुनना नहीं पड़ेगा. अब हमें आशा है कि सरकारी और ग़ैर सरकारी सभी दफ़्तरों और कंपनियों में इस बात का खास ख्याल रखा जाए कि किसी भी मुलाज़िम को उसके धर्म से संबंधित पहनावे या किसी प्रक्रिया को अंजाम देने पर रोक न लगाई जाए.”
नहीं पहन सकते थे धार्मिक पहनावा
कउंसिल मैन हेपरि बताते हैं कि इससे पहले इसी सिलसिले में जो मानवाधिकार संबंधी कानून थे उसमें शर्त थी कि नौकरी पर इस तरह की धार्मिक आज़ादी दी जाए लेकिन अगर किसी को उससे तकलीफ़ न हो तो.
उनका कहना है कि इस शर्त के कारण बहुत से सिखों और मुसलमानों को नौकरी पर उनके धार्मिक फ़रीज़े या उनके पहनावे को लेकर मुशकिलें पैदा हुईं.
अब तक सिखों को खासकर उनकी पगड़ी पहनने के कारण कई विभागों में और दफ़्तरों में मुश्किल होती रही है. और कई लोगों को इसी के कारण या तो अपना काम छोड़ना पड़ा या फिर पेशा ही बदलना पड़ा.
केविन हैरिंग्टन एक सिख अमरीकी हैं. उन्हें न्यूयॉर्क की भूमिगत रेल सेवा में ट्रेन के ड्राईवर की नौकरी से इसलिए निकाल दिया गया था, क्यूंकि वह अपनी पगड़ी पर कंपनी का लोगो धार्मिक कारणों से नहीं लगाना चाहते थे.
नौकरियों के दौरान भेदभाव के कारण बहुत से सिखों ने निजी धंधे शुरू कर दिए हैं, कोई टैक्सी चलाने लगा है तो कोई इमारत के निर्माण के काम में चला गया है. सरकारी और निजी दोंनो क्षेत्रों में सिखों के खिलाफ़ भेदभाव किया जाता है. ”
केविन हैरिंग्टन, अमरीकी-सिख
केविन बताते हैं कि इसी तरह के बर्ताव के कारण बहुत से सिखों को अपनी नौकरियां छोड़नी पड़ीं औऱ अपना खुद का कोई काम करने पर मजबूर होना पड़ा.
वह कहते हैं,“नौकरियों के दौरान भेदभाव के कारण बहुत से सिखों ने निजी धंधे शुरू कर दिए हैं, कोई टैक्सी चलाने लगा है तो कोई इमारत के निर्माण के काम में चला गया है. सरकारी और निजी दोंनो क्षेत्रों में सिखों के खिलाफ़ भेदभाव किया जाता है. ”
केविन कहते हैं कि न्यूयॉर्क के इलाके में 70 प्रतिशत के आसपास सिखों ने इसी प्रकार से भेदभाव के कारण अपनी नौकरियां छोड़ीं और दूसरे काम या बिज़नेस शुरू करने पर मजबूर हुए हैं.
'ऐताहिसाक क़ानून'
अब बहुत से सिख औऱ मुसलमान भी खुश हैं कि अब एक ऐतिहासिक कानून लागू हो गया है जिससे उनके धार्मिक कामों में उनकी नौकरी आड़े नहीं आएगी.
मुबशिर अहमद न्यूयॉर्क में दो कंपनियों के मालिक हैं और वह भी इस कानून से खुश हैं.
वह कहते हैं, “यह बहुत ही अच्छा कानून है. हां नौकरी पर जो ज़िम्मेदारियां हैं वह तो पूरी होनी चाहिए, काम पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए. उसके अलावा किसी भी मालिक को इस बात से कोई मतलब नहीं होना चाहिए कि कौन क्या पहन के काम पर आ रहा है, या वह अपने धर्म से संबंधित किसी काम को अंजाम दे रहा है. यह तो बुनियादी आज़ादी के अंदर ही आता है.”
न्यूयॉर्क में बड़ी संख्या में सिख रहते हैं. शहर में 11 सितंबर के चरंपंथी हमलों के बाद से अमरीका भर में मुसलमानों औऱ सिखों के खिलाफ़ भेदभाव के मामले सामने आते रहे हैं.
खासकर नौकरीपेशा लोगों को अपने धार्मिक कामों या तौर तरीकों पर अमल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता रहा है. इसके अलावा सिखों को पगड़ी पहनने के कारण कई सरकारी विभागों जैसे पुलिस विभाग या सेना में भी दिक्कतें आती रही हैं.
न्यूयॉर्क की एक सिख संस्था सिख कोएलिशन के राजदीप सिंह कहते हैं कि वह इस कानून के लिए बहुत दिन से कोशिश कर रहे थे.
राजदीप सिंह कहते हैं, “सिख और हमारी संस्था इसी तरह के कानून के लिए कई वर्षों से कोशिश में लगे थे. पिछले 10 सालों में पूरे देश में कई सिखों को नौकरियों में मुश्किल हुई, उनसे कहा गया आप पगड़ी नहीं पहन सकते, आप दाढ़ी नहीं रख सकते. अब इस कानून के ज़रिए सभी नौकरियों में सबके साथ बराबरी का सलूक किया जाएगा.”
अब इन लोगों को उम्मीद है कि न्यूयॉर्क के इस कानून के बाद केंद्रीय स्तर पर भी इसी तरह का कानून लाया जाए जिससे अमरीकी संविधान के तहत सभी को धार्मिक आज़ादी का वादा पूरा हो सके.
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