तृणमूल कांग्रेस सरकार की ओर से शराब की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि करके राजस्व वसूली का रिकार्ड कायम करने की योजना बनाई थी जिससे विधायकों और मंत्रियों की वेतन वृद्धि आसानी से की जा सके। हालांकि ऐसा लगता नहीं है कि इससे सरकार को कोई खास फायदा होने वाला है। इसके साथ ही दूध की कीमतों में भी भारी वृद्धि की गई है। शराब की बिक्री घटने के साथ ही सरकारी दूध की बिक्री भी पहले की तुलना में बढ़ नहीं रही है। इससे सरकारी योजना अधर में दिख रही है।
गौरतलब है कि राज्य में सबसे ज्यादा देशी-विदेशी शराब की बिक्री दुर्गापूजा के महीने में होती है। बीते साल अक्तूबर महीने में देशी शराब की 67 लाख पांच हजार लीटर शराब की बिक्री हुई थी। जबकि अक्तूबर 2011 में बिक्री बढ़ने के बजाए 0.7 फीसद घट गई है। इस साल 66 लाख 55 हजार लीटर देशी शराब ही बिक सकी। आबकारी विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि विदेशी शराब बीते साल पूजा के महीने में 87 लाख 70 हजार लीटर बिकी थी, लेकिन इस साल महज 72 लाख छह हजार लीटर शराब ही बिक सकी है। इस तरह 17.8 फीसद बिक्री घट गई है। हालांकि कीमतों में भारी वृद्धि के कारण राजस्व 155 करोड़ 25 लाख रुपए से बढ़कर 162 करोड़ 54 लाख रुपए हुआ है। यह वृद्धि 4.7 फीसद है जबकि सरकार की ओर से 32 फीसद आय बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। नवंबर महीने में तो बिक्री की हालत और भी खराब रही है। माना जा रहा है कि इससे राजस्व में घाटा होगा, जिससे सरकारी लक्ष्य हासिल करना टेढ़ी खीर हो सकता है।
सूत्रों से पता चला है कि छह महीने पुरानी सरकार खर्चो से परेशान है इसलिए राजस्व बढ़ाने के मद्देनजर पूजा से पहले राज्य सरकार ने कीमतें बढ़ाने का एलान किया था। बीते कुछ महीने के दौरान 750 मिली लीटर की बोतल पर लगभग एक सौ रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है। इससे राजस्व की कमी महानगर कोलकाता ही नहीं दूसरे जिलों में भी दर्ज की गई है। आबकारी विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक अक्तूबर महीने में जलपाईगुड़ी में विदेशी शराब की बिक्री 1.4 फीसद बढ़ी। इससे लोगों ने विदेशी शराब पीना छोड़ कर देशी शराब पीना शुरू कर दिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हुगली में 22.7 फीसद, हावड़ा में 39 फीसद, नदिया में 71 फीसद, पूर्व मेदिनीपुर में 80.8 फीसद, दक्षिण चौबीस परगना जिले में 29.1 फीसद देशी शराब की बिक्री बढ़ी है।
हालांकि आबकारी विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि सरकार कीमतों में वृद्धि करके राजस्व बढ़ाने के बजाय लोगों को शराब से दूर करना चाहती है। सरकार की नीति का नतीजा देखा जा रहा कि शराब की बिक्री घट रही है। लेकिन दूध की कीमतें बढ़ाने के पीछे क्या उद््देश्य है, इस बारे में उन्हें कुछ पता नहीं। लेकिन सरकार इस मोर्चे में भी नाकाम रही है, इसका पता इससे चलता है कि महंगी शराब की बिक्री घटने के साथ ही देशी और अवैध शराब (चुल्लू) की बिक्री में भारी वृद्धि देखी गई है। पूर्व मेदिनीपुर जिले में लगभग 81 फीसद देशी शराब की बिक्री बढ़ने से यह बात पता चलती है कि अवैध शराब का प्रचलन बढ़ने से कभी भी कोई बढ़ा हादसा हो सकता है।
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