पश्चिम मेदिनीपुर जिले में मेदिनीपुर कोतवाली क्षेत्र स्थित जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में मंगलवार को आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी चिरंजीत महतो ने कहा कि माओवाद का रास्ता अपना कर उन्होंने बड़ी भूल की। गुमराह होकर की गई गलती को अब वह सुधारना चाहता है। मालूम हो कि मंगलवार पत्नी अनिमा महतो के साथ चिरंजीत ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया।
अपने बारे में बताते हुए उसने कहा कि 2008 में शालबनी के शालपंट्टी हाई स्कूल की कक्षा दसवीं का छात्र था। तभी माओवादियों ने तरह - तरह का लालच दिखा कर उसे अपने दस्ते में शामिल कर लिया। उसे माओवादी नेता राखाल के अधीन काम करने की जिम्मेदारी मिली। 2009 में उसे पीडब्लयूजी में शामिल करने के साथ ही माओवादियों ने उसे बाकायदा अस्त्र प्रशिक्षण भी दिया। प्रशिक्षण के बाद 2010 में उसे लालगढ़ के कांटापहाड़ी और शालबनी के मधुपुर इलाके का डिपुटी कमांडर बनाया गया। इसके बाद 2011 में उसे एरिया कमांडर बनाया गया। लोकसभा चुनाव के समय उसे झारखंड भेज दिया गया। इस बीच 2009 को मेदिनीपुर कोतवाली थाना क्षेत्र के चंपाशोल की निवासी अनिमा से उसका परिचय हुआ, वह भी माओवादी संगठन में शामिल थी। कुछ दिनों के परिचय के बाद दोनों विवाह सूत्र में बंध गए। झारखंड जाने के बाद उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, और उन्होंने अपनी गतिविधियां काफी कम कर दी। बातचीत के क्रम में अनिमा ने कहा कि विवाह के बाद उनके विचार बदल गए, और उन्हें माओवादी गतिविधियों से चिढ़ हो गई। चिरंजीत के मुताबिक माओवादियों के बीच वह निर्मल उर्फ लंबू उर्फ कालू के नाम से जाना जाता था। सामान्य जीवन जीने की इच्छा से हमने समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया।
आईजी गंगेश्वर सिंह ने बताया कि पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा व पुरुलिया जिलों में अब तक माओवादियों ने 300 लोगों की हत्या की है। इसी के साथ 25 माओवादी अब तक पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर चुके हैं। कई माओवादी हमारे संपर्क में है। जल्द ही वे भी पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले हैं।
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