। भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार रवि किशन का कहना है कि भोजपुरी तो मां के बराबर है, इसलिए भोजपुरी भाषा में फिल्मेंं करना कभी भी बंद नहीं करुंगा। कोलकाता के एल्गिन रोड स्थित चाय ब्रेक लॉज में ‘जीना है तो ठोक डाल ’ के प्रमोशन पर महानगर पहुंचे रवि किशन ने एक विशेष बातचीत में कहा कि टीवी के कई शो और मुंबई में फिल्मों में व्यस्तता बढ़ गई है, इसके साथ ही मराठी और बांग्ला फिल्में भी कर रहा है। समय की कमी को देखते हुए कम भोजपुरी फिल्में करने का फैसला किया है। इस बारे में उनका कहना है कि पहले साल में कम से कम 12 फिल्मों में काम करता था लेकिन अब तीन-चार फिल्में कर रहा हूं। इस साल का कोटा तो पूरा भी कर दिया है।
सलमान खान के साथ तेरे नाम, मणि रत्नम के साथ रावण, सैफ अली खान के साथ एजेंट विनोद, करिश्मा कपूर के साथ डेंजरस इश्क में काम करने वाले रवि किशन को मुंबई में 20 साल तक संघर्ष करने के बाद वास्तिवक तौर पर पहला बड़ा ब्रेक ‘जीना है तो ठोक डाल ’ से ही मिला है। इस फिल्म की शुटिंग पूर्णिया और मुंबई में हुई है। मुंबई में दो-दो नायिकाओं के साथ अकेले हीरो के तौर पर पहली फिल्म से खासे उत्साहित हैं। उनका कहना है कि इन दिनों मल्टीप्लेक्स की बदौलत हर तरहकी फिल्में चल रही हैं। गैंग आफ वासेपुर की तरह इसकी भी कहानी बिहार की पृष्ठभूमि को लेकर बनाई गई है।
बीस साल बाद मुंबई की किसी हिंदी फिल्म में पहली बार ब्रेक मिलने पर उनका कहना है कि लोग चलकर सफलता की सीढ़ी चढ़ते हैं, लेकिन मैं यहां तक रेंग कर पहुंचा हूं। हालांकि उनका कहना है कि एके हंगल को 50 साल की उम्र में ब्रेक मिला था, नाना पाटेकर जैसे और भी कई ऐसे अभिनेता हैं जिन्हें ज्यादा उम्र के बाद मौके मिले। इसलिए ईश्वर की दया है कि मुझे मौका तो मिल गया, ऐसे भी कई लोग हैं जिन्हें जीवन भर मौका ही नहीं मिलता।
साढ़े पांच करोड़ की बजट की फिल्म हिंदी फिल्म जगत में कितना प्रभाव डाल सकेगी, इस बारे में पूछे एक सवाल पर उनका कहना है कि यह सच है कि मुंबई में एक ही गाने पर इतने रुपए खर्च कर दिये जाते हैं। लेकिन 14 सितंबर को प्रदर्शित होने वाली हमारी फिल्म गीत, संगीत, कथा समेत सभी विभागों में लोगों को मनोरंजन करेगी, इसलिए इससे खासी उम्मीद है। फिल्म की कहानी के बारे में उनका कहना है कि चार दोस्तों को सुपारी मिलती है कि एक हत्या करनी है, आठ लाख रुपए मिलेंगे। गांव के हमारे जैसे लोगों को आठ लाख आठ करोड़ से ज्यादा लगते हैं और मुंबई हत्या करने पहुंच जाते हैं। यहां एक विदेशी युवती की हत्या करनी है, जिससे मुझे प्यार हो जाता है। इसके बाद दोस्तों में हत्या करने को लेकर तनाव, क्या हम हत्या कर सकते हैं, क्या मेरे दोस्त मुझे मार डालते हैं या मैं सभी की हत्या करता हूं। यह देखने लायक है। फिल्म के क्लाईमेक्स के 40 मिनट तो दर्शकों की सांसें रोक देंगे।
कई टीवी शो में हिस्सा लेने के बाद भी सफलता की सीढ़ी चढ़ने में नाकाम रहे रवि किशन का कहना है कि टीवी शो एक अद्भूत खेल है, इसका मकसद लोगों को भरपूर मजे देना होता है। लोग आनंद लेते हैं और सारे लोग खुश हो जाते हैं। इसमें लोकप्रियता और दूसरी चीजे ज्यादा मायने नहीं रखती।
निमात्री अपर्णा होशिंग, निर्देशक मनीष वातसल्य, संगीतकार शादाब, अभिनेता यशपाल शर्मा का मानना है कि कम बजट में ऐसी फिल्म कम ही बनती है। नायिका पूजा का मानना है कि भले ही फिल्म का टाईटल हिंसक है लेकिन इसमें लोगों को संदेश दिया गया है कि गलत काम करने वालों का अंत कभी भी भला नहीं होता। कहा जा सकता है कि,‘ कर भला तो हो भला और कर बुरा तो हो बुरा। ’
Zindagi Jhand ba fir bhi ghamand ba
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