राज्य के प्राइमरी, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में बीते 28 फरवरी को हड़ताल के दिन गैर हाजिर रहने वाले लगभग 50 हजार शिक्षकों का एक दिन का वेतन काटा जाएगा। हालांकि उनकी नौकरी की मियाद नहीं घटाई जाएगी। इस मामले में शिक्षक-शिक्षिकाएं अदालत में मामला कर सकते हैं। इसमें सरकार को कोई आपत्ति नहीं है।
स्कूल शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव विक्रम सेन के मुताबिक स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी के निर्देशानुसार हड़ताल के दिन स्कूल नहीं पहुंचने वाले शिक्षकों की सूची बनाई गई है। राज्य के वित्त सचिव हरिकृ ष्ण द्विवेदी के निर्देश के बाद जो अध्यापक गैर हाजिर रहने का कारण नहीं बता सकेंगे, सिर्फ ऐसे लोगों का ही एक दिन का वेतन काटा जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह वेतन अप्रैल महीने की तनख्वाह से काटा जाएगा। कुल मिलाकर एक लाख 75 हजार स्कूलों में और उच्च प्राइमरी, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों में डेढ़ लाख शिक्षक काम करते हैं। इस तरह कुल मिलाकर दो लाख 75 हजार शिक्षक-शिक्षिकाएं राज्य में काम करते हैं। हड़ताल के दिन 50 हजार से ज्यादा शिक्षक-शिक्षिकाएं गैर हाजिर थे।
मालूम हो कि 22 फरवरी को मुख्य सचिव समर घोष ने एक सर्कुलर जारी करके कहा था कि हड़ताल के दिन सभी लोगों को उपस्थित होना होगा। किसी तरह की छुट््टी उस दिन मंजूर नहीं की जा सकेगी। इसके साथ ही दफ्तर खोलने के साथ ही वाहनों को चलाने का भी निर्देश दिया गया था। इसके साथ ही कहा गया है कि शिक्षक चाहें तो अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। सभी शिक्षकों की नियुक्ति सरकारी नियमानुसार ही हुई थी।
हालांकि सरकारी निर्देश का वामपंथी और गैर वामपंथी शिक्षक संगठनों की ओरसे भारी विरोध किया जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार सीधे सहायता प्राप्त स्कूलों के कर्मचारियों का वेतन नहीं काट सकती। सरकारी फैसले के खिलाफ अदालत में मामला दायर किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद 27 फरवरी को एलान किया था कि हड़ताल के दिन सभी सरकारी कर्मचारियों को हाजिर रहना होगा। इसके बाद वित्त सचिव की ओर से तीन मार्च को सभी विभागों में सर्कुलर भेज कर कहा था कि गाड़ियां बंद रहने और सामान्य बीमारी का बहाना बनाने वालों की छुट््टी मंजूर नहीं की जाएगी। हालांकि किसी बीमारी के कारण कर्मचारी अस्पताल में भर्ती हुआ हो या परिवार के किसी सदस्य की मौत हो गई हो तब छुट््टी मंजूर की जा सकती है।
मालूम हो कि शिक्षा मंत्री ब्रात्या बसु ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए चार मार्च को कहा था कि हड़ताल के दिन किसी कर्मचारी का हाजिर रहने का अधिकार है वैसे ही गैर हाजिर रहने का भी अधिकार है। हालांकि उनके बयान का भारी विरोध हुआ था।
स्कूल शिक्षा अधिकारी डी मुखर्जी के मुताबिक प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों में पर्यवेक्षकों ने गैर हाजिर लोगों की सूची तैयार की है। 31 मार्च तक इसे जमा करने के लिए कहा गया था। लेकिन गैर हाजिर नहीं रहने वालों को इसके लिए कारण बताने थे। ऐसे लोगों की सूची इकट्ठा करने में देरी होने के कारण वेतन काटने में देरी हुई है।
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