Thursday, May 20, 2010

कोलकाता पुलिस के बारे में शिकायत करने के लिए

कोलकाता पुलिस के बारे में लोगों को कई तरह की शिकायतें रहती हैं लेकिन उन्हें पता नहीं चलता कि कहां और कैसे शिकायत करें। हालांकि दो साल पहले लालबाजार में पब्लिक ग्रीवांस सेल खोला गया था। इसलिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी शिकायतें यहां भेजनी चाहिए। दो सालों में महज ३५ पुलिस वालों के खिलाफ विभागीय जांच हुई, उनमें भी ज्यादातर मामले प्रारंभिक जांच के बाद ही खारिज हो गए। इस सेल में शिकायत करने के लिएः फोन नंबर- ०३३- २२५०-५१३४ या ०३३- २२५०- ५३४० नंबर पर फोन , ०३३- २२१४-५५१२ पर फैक्स या ग्रीवांस एट कोलकाता पुलिस डाट गोव डाट इन पर मेल भी किया जा सकता है।

Wednesday, May 19, 2010

पश्चिम बंगाल निकाय चुनाव २०१०

कोलकाता, रंजीत लुधियानवी
30 मई को होने वाले कोलकाता नगर निगम समेत 81 पालिका चुनाव को राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है। इसके नतीजे निश्चित रूप से राज्य की राजनीति की दशा-दिशा तय करेंगे ही, साथ ही कुछ हद तक इसका असर केंद्र की राजनीति पर भी पड़ेगा। कांग्रेस और ममता बनर्जी के रिश्तों से लेकर वाममोर्चा का भविष्य इसी पर निर्भर माना जा रहा है। ममता कई बार साफ कह चुकी हैं कि कांग्रेस दिल्ली संभाले और हमें बंगाल संभालने दे, एक दूसरे के काम में दखल नहीं देना चाहिए। यूपीए गठबंधन में तृणमूल दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन निकाय चुनाव में कांग्रेस-तृणमूल गठजोड़ टूट गया। सत्तारूढ़ वाममोर्चा के विरुद्ध विपक्ष एकजुट नहीं हो सका। तृणमूल कांग्रेस राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी है और केंद्र में सत्तासीन कांग्रेस को राज्य में विपक्षी पार्टी का तगमा लगाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। स्थानीय निकाय चुनाव में भी वह अपनी राष्ट्रीय छवि के अनुरूप आचरण कर रही है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कम सीटों पर लड़ी और अधिक सीटें तृणमूल के लिए छोड़ दी, लेकिन स्थानीय निकायों के चुनाव में उसे ममता के समक्ष झुकना गंवारा नहीं हुआ। ममता के अहं को ठेस लगी और उन्होंने कोलकाता नगर निगम की सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की कि अब राज्य में कोई जोट नहीं है।
केंद्र की यूपीए सरकार में सबसे बड़े सहयोगी दल के रूप में शामिल तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में एकला चलो की नीति अख्तियार कर ली। राजनीतिक पर्यवेक्षकों की नजर में कांग्रेस के साथ ममता के संबंधों में दरार पैदा हो चुका है। यह बात दूसरी है कि यूपीए सरकार में शरीक होने के नाते कांग्रेस ममता के खिलाफ फिलहाल ज्यादा आक्रामक नहीं है। विधानसभा चुनाव को ध्यान में रख जोट का विकल्प खुला रखा गया है लेकिन विपक्ष की एकजुटता पर संदेह बना हुआ है। आम मतदाताओं की गतिविधियां परिवर्तन के पक्ष में दिख रही हैं। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी हर बार यह साबित करने का प्रयास कर रही है कि राज्य में परिवर्तन की हवा उनके नेतृत्व में पैदा हुई है। परिवर्तन का जो माहौल पैदा हुआ है, उसे इनकार नहीं किया जा सकता। वाममोर्चा के नेता भी इसे स्वीकार कर रहे हैं। प्रबुद्ध लोगों का मानना है कि यदि कांग्रेस और तृणमूल संयुक्त रूप से जनता के परिवर्तन की इच्छा को पूरा करने में संगठित रूप से प्रयास करती तो स्पष्ट मत उभर कर सामने आता। राज्य के गली, चौराहा और महानगर के नुक्कड़ों पर भी विपक्ष का जोट टूटने की आलोचना हो रही है। बनर्जी ने कहा है कि स्थानीय निकायों में सीधी टक्कर वाममोर्चा और तृणमूल कांग्रेस के बीच है। उनकी नजर में कांग्रेस इस लड़ाई में कहीं नहीं है। इसके बावजूद कांग्रेस अपनी राष्ट्रीय छवि के अनुरूप मैदान में डटी है। चुनाव प्रचार में भी कांग्रेस के नेता अपनी राष्ट्रीय छवि के अनुरूप आचरण करते दिख रहे हैं। इस क्रम में उन्हें कभी-कभी तृणमूल कांग्रेस की आलोचना भी करनी पड़ रही है। ममता बनर्जी जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव कराने को लेकर आतुर दिख रही हैं। उन्हें डर है कि परिवर्तन का जो माहौल तैयार हुआ है वह विलंब होने से ठंडा भी पड़ सकता है। इधर, कांग्रेस और तृणमूल के बीच जो दरार पड़ी है उसे चौड़ा होने पर राज्य में नया समीकरण भी पैदा हो सकता है। ममता की मांग पर भले ही तीन माह के अंदर विधानसभा चुनाव न हो लेकिन स्थानीय निकायों के चुनाव नतीजों से कुछ हद तक राज्य की राजनीतिक तस्वीर साफ हो जाएगी और विधानसभा चुनाव की राजनीतिक सरगर्मी तेज हो जाएगी।

Wednesday, May 12, 2010

मिड डे मिल में छिपकली गिरने से ४० बच्चे बीमार

कोलकाता से लगभग चालीस किलोमीटर दूर हावड़ा जिले के उलबेड़िया खरिया मयनाबोर्ड प्राइमरी स्कूल में आज ४० बच्चे बीमार हो गए। इनमें से २५ बच्चे- बच्चियों की हालत गंभीर है।उन्हें उलबेड़िया महकुमा अस्पताल में भर्ती किया गया है। गांव वालों ने बताया कि दोपहर के खाने में छिपकली गिर गई। सुबह साढे़ दस बजे बच्चों ने खिचड़ी खाई इसके बाद पेट दर्द और उलटियां शुरू हो गई। इस घटना के विरोध में गांव वालों ने प्रदर्शन किया और दोषी व्यक्तियों को सख्त सजा देने की मांग की।
रंजीत लुधियानवी

Monday, May 10, 2010

नगरपालिका

ााली नगरपालिका चुनाववार्डो के नक्शे ादले क्या नतीजे •ाी ादलेंगे ?रंजीत लुधियानवीााली नगर पालिका में परिसीमन के ााद वहां का मानचित्र पूरी तरह से ादल गया है। यहां वार्ड नांर में ादलाव तो हुआ ही है प्रशासनिक चित्र •ाी ादल गया है। पहले के मुकााले यहां छह नए वार्ड ानने के साथ वार्डों की संख्या 29 से ाढ़कर 35 हो गई है। परिसीमन के दौरान ााली के एक नांर, ोलूड़ के 12, 15, 17, 27 और लिलुया के 22 नांर वार्ड को वि•ााजित करके नए वार्ड ानाए गए हैं। आरोप है कि परिसीमन के ाारे में राज्य चुनाव आयोग ने नगर पालिका और विरोधी दलों की किसी दलील को नहीं माना। इसके ाावजूद विरोधियों का मानना है कि पिछले चुनाव की तरह इस ाार माकपा नहीं जीत सकेंगी वहीं माकपा का मानना है कि चुनाव के नतीजों में कोई फेरादल की सं•ाावना नहीं है। परिसीमन के ााद •ाले ही ााली नगर पालिका के इलाके में किसी तरह का फेर ादल नहीं हुआ हो लेकिन स•ाी वार्ड में ादलाव जरुर हुआ है। महज एक वार्ड लिलुया का 29 नांर वार्ड है जहां कोई ादलाव नहीं हुआ है। पहले इसे नगर पालिका का अंतिम वार्ड कहा जाता था। परिसीमन के ााद वार्ड की संख्या में ादलाव हुआ है। लिलुया में 23 नांर वार्ड ादलकर पालिका का अंतिम 35 नांर वार्ड ान गया है। 2001 की जनगणना के मुताािक ााली नगर पालिका इलाके की कुल आाादी दो लाख 60 हजार 906 थी। यहां कुल मिलाकर एक लाख 28 हजार 664 मतदाता हैं। परिसीमन के ााद पुराने ग्यारह नांर से नए ाारह नांर वार्ड में परिवर्तित हुए वार्ड में मतदाताओं की संख्या सासे ज्यादा 6782 है। जाकि सासे कम मतदाता 17 नांर वार्ड में 1054 हैं। स•ाी राजनीतिक दलों का आरोप है कि परिसीमन के दौरान मतदाताओं की संख्या ाराार नहीं रखी गई है। माकपा संचालित नगरपालिका के उपाध्यक्ष अरुणव लाहिरी का कहना है कि मतदाताओं की संख्या के मुताािक परिसीमन के लिए सुझाए •ोजे गए थे। जिसे चुनाव आयोग ने अस्वीकार कर दिया। उन्होंने प्रत्येक वार्ड का गठन आाादी के मुताािक किया है। इससे वार्ड में मतदाताओं की संख्या एक जैसी नहीं हो सकी है। वार्ड नांर 15 में मतदाताओं की संख्या 3119 है तो 17 नांर वार्ड के मतदाताओं की संख्या 1054 है। जाकि कई वार्ड में मतदाताओं की संख्या पांच हजार और उससे ज्यादा है। ााली तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष मल्लिका दास का कहना है कि मतदाताओं की संख्या ाराार रखने के लिए कहा गया था। जिसे चुनाव आयोग ने नहीं माना, इसके कहीं एक हजार मकान हैं तो कहीं छह हजार मकान हैं। 12 नांर वार्ड में 6782 मतदाता हैं लेकिन इसके ाावजूद इस वार्ड को वि•ााजित नहीं किया गया है। जाकि दूसरे नए ाने वार्ड 13, 17, 18, 22 और 26 में मतदाताओं की संख्या दो हजार से •ाी कम है। ााली के दस वार्ड में एक वार्ड को ही वि•ााजित किया गया है। वार्ड नांर एक को •ांग करके दो नए वार्ड का गठन किया गया है। ााली खाल इलाका (श्रीचरण सरणी), ााली जूट मिल कालोनी, एएन पाल लेन, ाीरेश्वर चटर्जी स्ट्रीट (ााली स्टेशन की ओर दाहिना रास्ता), पंचाननतला, ाीओसी ग्राउंड इलाका लेकर एक नांर वार्ड ाना है। परिसीमन के ााद ााली खाल इलाका (श्रीचरण सरणी) व ााली जूट मिल कालोनी को लेकर दो न ांर वार्ड ानाया गया है। इसके अलावा दूसरे इलाके एक नांर वार्ड में छोड़े गए हैं। ााली में एक से लेकर दस नांर तक वार्ड हैं। ोलूड़ के ाारह में चार वार्ड •ांग किए गए हैं। यहां 11 से लेकर 20, 26 और27 वार्ड हैं। 12 नांर वार्ड को •ांग करके 13 नांर का गठन किया ग या है। इसमें विवेकानंद रोड, अमृतलाल आटो लेन, ोचू शेख लेन, लालााााू सायर रोड का एक हिस्सा, रामलोचन सायर स्ट्रीट, रामधन घोष लेन, हारान मुखर्जी रोड, गिरीश घोष रोड का एक हिस्सा शामिल है। जाकि 15 नांर वार्ड को •ांग करके ाीके पाल टेंपुल रोड, जयाीाी रोड के कुछ हिस्सों को लेकर 16 नांर वार्ड गठित किया गया है। डाक्टर हेमंतकुमार चटर्जी स्ट्रीट का एक हिस्सा, जयाीाी रोड को लेकर 17 नांर वार्ड ाना है। दूसरी ओर गिरीश घोष ााई लेन, गिरीश घोष रोड, अ•ाय गुहा रोड, जीटी रोड को लेकर ाने 17 नांर वार्ड को •ांग करके 23 और 25 नांर वार्ड ानाए गए हैं। जाकि 27 नांर वार्ड को •ांग करके 18 और 19 नांर वार्ड का गठन किया गया है। ााली और ोलूड़ की तरह ही लिलुया के सात वार्ड में महज एक 22 नांर वार्ड को •ांग किया गया है। इससे 31 और 32 नांर वार्ड ानाए गए हैं। हालांकि 29 नांर वार्ड को छोड़ कर 21 से 25 और 28 स•ाी वार्डो की संख्या में जरुर ादलाव हुआ है। हालांकि राज्य चुनाव आयोग आयुक्त मीरा पांडे का कहना है कि ााली नगरपालिका की ओर से परिसीमन का प्रस्ताव देरी से •ोजा गया था, जिससे उसका विश्लेषण सं•ाव नहीं हो सका। हमलोगों की ओर से हर सं•ाव सही तरीके से परिसीमन करने का प्रयास किया गया है। विपक्ष का कहना है कि हावड़ा में पहली ाार दोनों सांसद तृणमूल कांग्रेस के हैं। पांच साल में जिले के राजनीतिक परिदृश्य में •ाारी परिवर्तन हुआ है। ााली युवा तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष प्राणकृष्ण मजूमदार के मुताािक पहले माकपा के डर से इलाके में लोग स•ाा, जूलूस में जाने के लिए तैयार नहीं होते थे, लेकिन आ हालात ादल गए हैं। निष्क्रिय कार्यकर्ताओं में नए उत्साह का संचार हुआ है। पहले डरा-धमका कर उम्मीदवारों को नाम वापस करने के लिए मजाूर किया जाता था। लेकिन इस ाार ऐसा करने की उनकी हिम्मत नहीं पड़ी। जाकि ााली नगरपालिका के चेयरमैन और माकपा नेता कृष्णचंद्र हाजरा का कहना है कि हिंसा के कारण नहीं लोगों के जारदस्त समर्थन से इलाके में विपक्ष का सफाया हुआ था। ाीते पांच साल में इलाके में जिस तरह से विकास हुआ है विरोधियों की आशा निराशा में ादल जाएगी और नतीजों में कोई परिवर्तन नहीं होगा। रुपनारायण नदी में कटाव से ाढ़ रही है परेशानी हावड़ा, ाारिश से लोगों को राहत मिल रही है लेकिन हावड़ा जिले के ाागनान इलाके में रहने वाले लोग दहशत में हैं। रुपनारायण नदी का कटाव लगातार •ायावह रुप धारण करता जा रहा है। मालूम हो कि लग•ाग छह साल पहले यहां कटाव शुरू हुआ था। आ यहां हालात ऐसे हो गए हैं कि किनारे कटते -कटते मुख्य ाांध तक पहुंच गए हैं। द्वीपमालिता के नजदीक नदी का पानी ाांध तक पहुंच गया है। ाांध टूटा तो इससे ाागनान शहर का •ाारी नुक्सान होने की आशंका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल ाारिश के दौरान ाांध के नीचे पत्थर फेंक कर आंशिक मरम्मत का काम किया जाता है। कुछ दिन पहले सिचाई वि•ााग के सूत्रों ने ाताया था कि पुराने मूल ाांध से कुछ दूरी पर एक नए ाांध का निर्माण किया जाएगा। लेकिन यह काम का शुरू होगा, लोगों को इसका पता नहीं है। मालूम हो कि ाीते सालों में हजारों ाीघा जमीन रुपनारायण नदी के गर्•ा में समा गई है। इलाके के लोगों को मुख्य पेशा खेती है। लेकिन जमीन चले जाने के ााद किसानों की आर्थिक दशा सोचनीय हो गई है। सासे ज्यादा असर द्वीपमालिता, मेल्लक और गोविंदपुर गांव के किसानों पर पड़ा है। गांव वालों का कहना है कि सिंचाई वि•ााग की उदासीनता केकारण सामताााड़ इलाके में शरतचंद्र के पल्ली •ावन के नजदीक पानी पहुंचने वाला है। देश के प्रसिद्ध साहित्यकार के मकान से महज 250 मीटर दूर तक पानी पहुंच चुका है। पानी का एक जोरदार थपेड़ा पड़ा नहीं कि सांस्कृतिक धरोहर के दौर पर शरत ाााू का मकान •ाी क्षतिग्रस्त हो सकता है। महेषरेखा के एसडीओ (सिंचाई) काकहना है कि इलाके के ाारे मे ंउच्चाधिकारियों को सूचित किया जाएगा। वहां से निर्देश मिलने के ााद ही कुछ किया जा सकेगा। शरतचंद्र के मकान के सामने नदी का पानी ज्वार-•ााटा में उतरना और चढ़ता रहता है। मकान के सामने स्नान करने का घाट था। जाकि यहां से दाहिनी ओर ौठ कर वे लेखनकार्य किया करते थे। इसकेसामने से ही नदी में नौकाओं का आना जाना लगा रहता था। धीरे-धीरे रुपनारायण लग•ाग दो किलोमीटर दूर पूर्व मेदिनीपुर जिले की ओर चली गई। इस ाारे में द्वीपमालिता गांव के किसान मृत्यूंजय सामंत ाताते हैं कि मेरी पुरखों की 10 ाीघा जमीन थी। सारा परिवार खेती पर ही गुजारा करता था। खुशहाली में दिन ाीत रहे थे, लेकिन आ सारी जमीन नदी के आगोश में समा गई है। पेट •ारने के लिए फेरी करते हैं और ााजार में जाकर सजियां ोचते हैं। इसी तरह पानीग्रास गांव के विकास पांजा ाताते हैं कि खेती से ही हमारे परिवार का गुजर ाशर होता है। लेकिन नदी की नाराजगी जिस तरह से जारी है उससे लगता नहीं कि ज्यादा दिन तक हम लोग यहां रह सकेंगे। सामता गांव के समीर घोषाल कहते हैं कि नदी का कटाव रोकने के लिए ाार-ाार सिंचाई वि•ााग, जिलाधीश, एसडीओ, ाीडीओ और स•ाी राजनीतिक दलों से निवेदन किया जाता है। लेकिन अ•ाी तक कोई स्थाई समाधान नहीं हुआ है।

Wednesday, May 5, 2010

पीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष तृणमूल में शामिल

पीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष तृणमूल में शामिल
कोलकाता. पश्चिम बंगाल में कोलकाता नगरपालिका चुनाव से कुछ ही दिन पहले तथा विपक्षी गठबंधन में टूट के मात्न 48 घंटे बाद ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के कार्यकारी अध्यक्ष सुब्रत मुखर्जी ने मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा की दी। श्री मुखर्जी ने यूनीवार्ता से कहा कि मैं तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के संबंध में जल्द ही औपचारिक घोषणा करूंगा।
उन्होंने कोलकाता नगरपालिका चुनाव में सीट के बंटवारे की असफलता के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराते हुए कहा कि मुझे पहले से ही पता था कि ऐसा ही होगा। कांग्रेस में रहते हुए कोई भी मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से नहीं लड़ सकता। कांग्रेस फिलहाल माकपा का मुकाबला करने की स्थिति में ही नहीं है।
मैं ऐसी पार्टी का समर्थन नहीं कर सकता जो असफल बातचीत के लिए जिम्मेदार है। उल्लेखनीय है कि श्री मुखर्जी तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद वर्ष २क्क्क् से २क्क्५ तक शहर के महापौर रहे। तृणमूल नेतृत्व के साथ मतभेद होनें के चलते वह बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।