Monday, October 10, 2011

गजल को बनाई आम आदमी की दिल की जुबां

गजल गायकी के बेताज बादशाह जगजीत सिंह के असामयिक निधन से बंगाल का संगीत जगत मर्माहत है। राज्य के विशिष्ट कलाकारों को इस बात का बेहद दुख है कि गजल को दिल की जुबां बनाकर आम आदमी तक रखने वाला जगजीत सिंह जैसा फनकार अब शायद ही फिर से दुनिया में आए। प्रख्यात गायिका उषा उत्थुप ने कहा कि जगजीत भाई ने गजल को सिर्फ गाया ही नहीं, उसे आम आदमी की जुबां और भावनाओं से जोड़ दिया था। उन्होंने गजल के जादू के असर को और व्यापक किया था। उनके निधन से हुई क्षति को शायद ही पूरा किया जा सके। किंवदंती गायक मन्ना डे ने जब उनके निधन का समाचार सुना तो गमगीन हो गए। उन्होंने कहा कि इतना अच्छा गाने वाला चला गया, उनके गाने सुनता था, मन को सुकून मिलता था। डे ने कहा कि कोई कर भी क्या सकता है। एक दिन सभी को जाना है। गायिका हैमंती शुक्ला और तबला वादक विक्रम घोष भी गजल गायक की मौत से शोकाकुल हैं। हैमंती ने 'दैनिक जागरण' से बातचीत में उनके साथ अपनी यादों को ताजा करते हुए कहा कि वे जब भी कोलकाता आते थे। उनसे मिले बिना नहीं जाते थे। 1990 में सड़क हादसे में जवान बेटे की मौत के बाद उन्होंने गाना बंद नहीं किया लेकिन दर्द उनके सुरों में साफ महसूस होता था। भरभराई आवाज में गायिका बोलीं कि वे तो गजल की आवाज को अपने दिल की जुबां बना देते थे। उनकी तरह हस्ती अब कहां से आएगी। उनके जैसा गायक और इंसान अब कहां मिलेगा। हिंदी, उर्दू पंजाबी और नेपाली में गायन करने वाले जगजीत सिंह के लिए बांग्ला गायकी का क्षेत्र भले नया था लेकिन उनकी पत्नी के बंगाली होने के कारण यह भाषा उनकी अपनी भाषा हो गई थी और इसी नाते बंगाल भी उनके लिए अपने घर जैसा था। फिल्मी दुनिया में पा‌र्श्वगायकी के क्षेत्र में कमाने वाले अभिजीत ने सुरों की साधना जगजीत सिंह की शार्गिदी में ही की थी।

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