Thursday, July 16, 2015

महीना बदलते ही एक साथ बदल जाएगी 50 हजार से ज्यादा लोगों की नागरिकता


 छिट महल के  दूसरी ओर का अपना सारा कुछ छोड़ कर यहां आने पर कई लोगों को संयश  है। कई लोग शरणार्थी शिविर में रहने की सोच कर ही चिंता में हैं। मालूम हो कि 31 जुलाई आधी रात के बाद 51 बांग्लादेशी छिटमहल भारत का हिस्सा बन जाएगा। इसके साथ ही भारतीय इलाके के 111 छिट महल बांग्लादेश के हो जाएंगे। इतना ही नहीं कुल मिलाकर 51584 लोगों की नागरिकता भी अगले महीने से बदल जाएगी।
एक साथ 50 हजार से ज्यादा लोगों की नागरिकता बदली जानी एक  विलक्षण घटना तो है ही, इसके साथ ही दूसरे देश को लेकर विभिन्न आशंकाएं भी हैं। देश-विदेश के मीडिया घटना पर नजर रख रहे हैं। सरकार की ओर से दस दिन पहले शिविर खोला गया था, जहां लोग अपनी नई नागरिकता के बारे में नाम-पता दर्ज करवा रहे हैं। हाल तक 51 बंगलादेशी इलाके में रहने वाले 14 हजार 14 हजार 215 लोगों ने नाम दाखिल कर दिए हैं। यह सारे भारतीय नागरिकों का 98 फीसद है।
सरकारी आंकड़ों का कहना है कि किसी भी भारतीय नागरिक ने बांग्लादेशी इलाके में रहने की इच्छा नहीं जताई है। सालों से रहने वाली भूमि का मोह  त्याग कर वे लोग भारतीय इलाके में रहने के लिए खुश हैं। लेकिन दो फीसद लोगों का क्या? क्या वे बांग्लादेश में रहना चाहते हैं? छिटमहल बिनिमय समन्वय कमेटी के नेताओं का कहना है कि ऐसी कोई बात नहीं है। कुछ लोग बाहर हैं तो कुछ बीमार हैं। समयसीमा पूरी होने से पहले सभी भारत में जाने के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कर लेंगे।
इसी तरह के हालात भारतीय इलाके में रहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों की है। 37 हजार 369 (94 फीसद) लोगों ने अपने वतन जाने की सहमति प्रदान कर दी है। बताया जाता है कि यहां रहने वाले तकरीबन एक हजार हिंदू भारतीय इलाके में ही बांग्लादेशी नागरिक बनकर रहना चाहते हैं।
सूत्रों का कहना है कि 1127 लोगों ने पश्चिम बंगाल में रहने के लिए कहा था, अब 107 लोगों ने अपना फैसला बदल लिया है। कई और लोग भी अपने वतन जाने के बारे में सोच कर पत्र लिखने की योजना बना रहे हैं।
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि तकरीबनएक हजार बांग्लादेशी नागरिक भारत में रहना चाहते हैं  क्योंकि यहां सुरक्षा और काम के ज्यादा अवसर मौजूद हैं। माना जा रहा है कि भारतीय नागरिक के तौर पर उन्हें ज्यादा सुविधा मिलेगी। इसमें पुनर्वास के लिए भारी रकम मिल सकती है।
सूत्रों का कहना है कि एक गुट चाहता है कि लोग बांग्लादेशचले जाएं तो दूसरा गुट चाहता है कि वे लोग यहीं रहें। इसका कारण कुछ लोग उनकी जमीन सस्ते में खरीदना चाहते हैं जबकि जमायत ए इस्लाम से जुड़े लोगों का मानना है कि बांग्लादेश की नागरिकता लेने से इंकार करने पर वहां की सरकार की किरकिरी होगी।
हालांकि कमेटी के नेता दीप्तिमान सेनगुप्ता का कहना है कि भारतीय छिटमहल में रहने वाले गरीब लोगों ने मतलबी लोगों की पहचान कर ली है। ज्यादातर लोगों ने पहले ही बांग्लादेश जाने की इच्छा जाहिर करके उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया है। भात में आने की सोचने वाले भी अब वहां जाने की बात कर रहे हैं।

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