Friday, February 1, 2013

डनलप को नीलाम करने का निर्देश

 कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार टायर निर्माण की बंद पड़ी विख्यात कंपनी डनलप इंडिया लिमिटेड को नीलाम करने का निर्देश सरकारी लिक्विडेटर (परिसमापक) को दिया। उल्लेखनीय है कि हुगली के निकट शाहागंज में 1936 में कंपनी की स्थापना की गयी थी जो 80 के दशक तक टायर निर्माण की प्रमुख कंपनी थी। बंद पड़ी कंपनी की समस्त चल अचल सम्पत्ति को जब्त कर उसे बेचने का फैसला जारी करते हुए न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी ने गुरुवार सरकारी परिसमापक को कंपनी की सभी परिसंपत्तियों के कागजात तुरंत अपने नियंत्रण में लेने का निर्देश दिया है। ईवी मथाई, ए के कुंडू एंड कंपनी सहित 15 अन्य ऋणदाताओं ने संयुक्त रूप से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बंद कंपनी की सम्पत्ति नीलाम कर अपने पैसे का भुगतान चाहा था जिसे न्यायाधीश ने मान लिया। मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने यह बात स्वीकार की आश्वासन के बावजूद कि डनलप अब बकाएदारों से लिया गया कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं है, लिहाजा उनके डूबते हित को बचाने का एक मात्र यही विकल्प है। वहीं डनलप कंपनी के वकीलों का तर्क था कि वे उधार चुकाने में लगे हैं लिहाजा कंपनी को कायम रहने दिया जाए। पर कोर्ट ने उनकी दलील ठुकरा दी। डनलप 1990 के दशक में डांवाडोल होने लगी थी और कुछ सालों बाद ही बीमार और तालाबंदी का शिकार हो गई। कंपनी की वित्तीय जटिलता के दौरान 2005 में पवन कुमार रुइया के नेतृत्व में रुइया समूह ने इसका संचालन प्रत्यक्ष तौर पर अपने हाथ में लिया था। इसी बीच रुइया समूह ने कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। समूह के एक प्रवक्ता ने कहा कि हमने अभी फैसले को देखा नहीं है, कोर्ट के निर्देश की कापी आने के बाद हम आगे की कार्रवाई तय करेंगे।

No comments:

Post a Comment