Tuesday, January 29, 2013

तीन बेटियों की हत्या, मां को मिली उम्र कैद की सजा


 एक के बाद दूसरी और तीसरी लड़की की अस्वाभिक तरीके से मौत हुई थी। इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। बेटी होने के अपराध में जन्म ग्रहण करने के बाद उनकी हत्या के आरोप में मां को गिरफ्तार किया गया था। बेटियों की हत्या के आरोप में बारासात अदालत ने मां सुमन अग्रवाल को उम्र कैद की सजा सुनाई है। कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जहां सरकारी और गैर सरकारी प्रचार करके दावा किया जाता है कि लोग जागरुक हो रहे हैं वैसी हालत में पश्चिम बंगाल जैसे राज्य के किसी गांव नहीं कोलकाता शहर के नजदीक ही ऐसी हत्या की दर्दनाक घटना से लोग दहल गए हैं। इससे समाज में लड़कियों की हालत के बारे में भी जानकारी मिलती है। पुलिस सूत्रों का मानना है कि महिला शारीरिक या मानसिक तौर पर बीमार नहीं थी, स्वस्थ थी। सरकारी वकील के मुताबिक महज बेटी होने के अपराध में ही उनकी हत्या की गई है, सबूतों से इसका ही पता चलता है।
हालांकि अदालत में सुनवाई के दौरान हत्या के आरोप में गिरफ्तार सुमन (25) इसके ज्यादा कुछ नहीं कह रही थी कि ‘मैं निर्दोष हंू’। बारासात अदालत में सातवें अतिरिक्त जिला व दायरा न्यायधीश शब्बार रशीदी ने जब हत्या के मामले में उम्र कैद का फैसला सुनाया तो उसने इतना कहा कि मुझे जेल नहीं घर जाना है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि कुछ साल पहले अग्रवाल दंपति बड़ाबाजार के रुपचंद स्ट्रीट इलाके से बागुईहाटी थाना इलाके के जंगरा स्थित मंडपपाड़ा में किराए के मकान में रहने के लिए आए थे। सितंबर 2010 में पवन और सुमन की ढाई साल की बेटी राधिका की मौत हो गई थी। पुलिस की  ओर से मामले में पेश की गई चार्जशीट में कहा गया है कि दूसरी बेटी तुलसी की मौत भी उसी साल सितंबर महीने में हुई। महिला ने पति को फोन किया कि बेटी बीमार हो गई है, पति दफ्तर से घर लौटा और अस्पताल लेकर जाने पर पता चला कि पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई है। अस्पताल से मामले की जानकारी मिलने के बाद बागुईहाटी थाना पुलिस ने अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि तुलसी को गला घोंट कर मारा गया है। इसके बाद पुलिस ने खुद ही (सुओमोटो )हत्या का मामला दर्ज किया। इसके बाद जब जांच शुरू की गई तो पुलिस को पता चला कि राधिका की मौत भी इसी तरीके से हुई थी। लेकिन जिस डाक्टर से मृत्यु प्रमाणपत्र हासिल किया गया था उसने अस्वाभाविक मौत का जिक्र नहीं किया था। पुलिस जांच से पता चला कि अग्रवाल दंपति की तीन बेटियां थी। सबसे पहले 2009 में उनकी एक बेटी की मौत हो गई थी। तीन बच्चियों की मौत के समय घर में सुमन अकेली थी , इसका पता चलने के बाद पुलिस ने उसे अप्रैल 2011 में  गिरफ्तार कर लिया।
सरकारी वकील के मुताबिक तीन लड़कियों की हत्या के मामले में पति, डाक्टर और पड़ोसियों समेत कुल मिलाकर ग्यारह लोगों की गवाही ली गई। पति ने अदालत में बताया कि लड़कियों पर कुछ हद तक अत्याचार होता है, इसका उसे संदेह तो था लेकिन इसका नतीजा इतना भयंकर होगा कभी कल्पना नहीं की थी। गवाही के दौरान कई पड़ोसियों ने भी अदालत को बताया कि परेशान होकर सुमन कई बार बेटियों की पिटाई करती थी। हालांकि सुमन के पिता का मानना है कि मेरी बेटी निर्दोष है और उनका कहना है कि बड़ी अदालत में फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।
इस घटना से दोनों परिवार ही नहीं आसपास के लोग भी सकते में हैं। कई लोगों को अदालत के फैसले के बाद भी यह बात अजीब सी लगती है कि एक मां एक नहीं तीन-तीन बेटियों का भविष्य बनाने के बजाए उनकी हत्या भी कर सकती है।

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