Thursday, January 3, 2013

राज्य की 63 फास्ट ट्रैक अदालतें बंद होंगी?


  पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध की घटनाएं लगातार जारी हैं और एक लाख 32 हजार 824 मामले अदालतों में चल रहे हैं, ऐसे में जल्दी फैसला सुनाने वाली फास्ट ट्रैक अदालतों की संख्या घटाई जा रही है। मौजूदा 2013 साल में राज्य में कम से कम 63 फास्ट ट्रैक अदालतों का काम बंद होने जा रहा है। अभी यहां कुल मिलाकर त्वरित फैसला लेने के लिए 151 अदालतें मौजूद हैं। राज्य सरकार की ओर से मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला किया गया है कि 88 फास्ट ट्रैक अदालतों को स्थायी किया जाएगा। जबकि बाकी बची 63 अदालतों का भविष्य अधर में लटक गया है।
मालूम हो कि इस बारे में राज्य के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने पत्रकारों को बताया कि केंद्र सरकार फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन के बारे में उदासीन रवैया अपना रही है, ऐसे में राज्य सरकार की ओर से 88 फास्ट ट्रैक अदालतों कोे स्थायी करने का फैसला किया गया है।
इधर राज्य सरकार के फैसले का भारी विरोध किया जा रहा है। वेस्ट बंगाल जूडिसियल सर्विस एसोसिएशन की ओर से राज्य सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा गया है कि मंत्रिमंडल की बैठक में 151 अदालतों में सिर्फ 88 फास्ट ट्रैक  अदालतों को स्थायी करने का फैसला किया गया है। इससे न्याय की गुहार लगाकर बैठे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न, बलात्कार जैसी घटनाओं का फैसला फास्ट ट्रैक अदालतों में किया जाता रहा है। सरकार के फैसले के कारण न्याय प्रक्रिया और ज्यादा शिथिल हो जाएगी।
मालूम हो कि दिल्ली में एक युवती के साथ बस में हुई बलात्कार की सनसनीखेज घटना के बाद देश भर में महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों को जल्द से जल्द सजा देने की मांग जोरदार तरीके से उठाई जा रही है। इसके लिए तेजी से फैसला करने वाले फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन की मांग की जा रही है। ऐसे हालात में राज्य सरकार की ओर से फास्ट ट्रैक अदालतों की संख्या घटाए जाने पर लोग हैरान हैं।
गौरतलब है कि 13 वें वित्त आयोग और केंद्र सरकार की आर्थिक मदद से राज्य में अस्थायी तौर पर चलने वाली 151 फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन किया गया था। देश की अदालतों में चल रहे मामलों को जल्द निपटाने के लिए इस तरह की अस्थायी अदालतों का गठन किया गया था। इसके लिए 31 मार्च 2011 तक केंद्र सरकार की ओर से आर्थिक मदद दी गई थी। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से दो चरणों में अदालतों के लिए रकम आबंटित करने सभी 151 अस्थायी फास्ट ट्रैक अदालतों का काम चालू रखा गया। इस तरह आगामी 31 मार्च 2013 तक यह अदालतें अपना काम करती रहेंगी। मंत्रिमंडल के ताजा फैसले के बाद आगामी वित्त वर्ष में राज्य में 88 फास्ट ट्रैक अदालतें ही काम करेंगी। इस मामले में एक मंत्री का कहना है कि फास्ट ट्रैक अदालतों के लिए 94 न्यायधीशों के पद बनाए जा रहे हैं, हालांकि उन्होंने 63 अदालतों के भविष्य के बारे में कुछ नहीं कहा।
दूसरी ओर वेस्ट बंगाल जूडिसियल सर्विस एसोसिएशन के सूत्रों का कहना है कि 2011 में एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि कोई भी राज्य सरकार अस्थायी तौर पर फास्ट ट्रैक अदालत नहीं चला सकती। इसका मतलब यह है कि सभी अस्थायी अदालतों को स्थायी करना होगा।

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