Tuesday, January 22, 2013

रेलवे किराया 40 फीसद तक बढ़ने से लोग परेशान


   रंजीत लुधियानवी
कोलकाता, रेलवे का किराया बढ़ गया है लेकिन इससे मंगलवार दिन भर लोग परेशान रहे। रेलवे स्टेशनों और लोकल रेलगाड़ियों में बढ़े हुए किराए को लेकर ही लोग चर्चा में व्यस्त रहे। मालूम हो कि आज से ही केंद्र सरकार की ओर से किराया वृद्धि की गई है। हावड़ा, सियालदह, मौड़ीग्राम, बाली समेत सभी जगह दिन भर लोग किराए को लेकर ही परेशान दिखाए दे रहे थे। हालांकि ज्यादातर नित्ययात्रियों ने पहले से मासिक टिकट ले रखा है, इसलिए उन्हें नए किराए का स्वाद बाद में चखने को मिलेगा जबकि जिन लोगों ने आज मासिक टिकट लिया उनमें से कई लोग अलग-अलग बातें करते दिखे। जबकि लोकल ट्रेन का टिकट लेने वाले कई यात्री बढ़े किराए को लेकर हैरत और नाराज भी दिखे। कई लोगों का कहना था कि दस साल बाद किराया बढ़ा है तो इसके लिए साधारण लोग नहीं कांग्रेस नेत्री सोनिया गांधी ही जिम्मेवार हैं। जब रसोई गैस से लेकर डीजल की कीमतों में वृद्धि करने की बात हो या खुदरा व्यापार में विदेशी पूंजी निवेश को हरी झंडी दिखानी हो तो यूपीए सरकार में शामिल लोगों की नहीं सुनी जाती। जबकि रेलमंत्री रहने के दौरान लालू प्रसाद यादव ने किराए में एक रुपए की कमी की थी लेकिन कें द्र सरकार ने इसके खिलाफ मौन धारण कर रखा।
रेलवे किराया बढ़ने के बाद शुन्य किलोमीटर से लेकर 25 किलोमीटर तक का यातायात करने वालों को भले ही राहत मिली है लेकिन ज्यादा दूर का सफर करने वालों की परेशानी बढ़ गई है। इसके साथ ही कुछ ही दूरी वाले यात्रियों का मासिक किराया भी  अस्वाभाविक तौर पर बढ़ गया है। प्रणव बनर्जी नामक एक यात्री के मुताबिक कहा गया था कि प्रति किलोमीटर दो पैसे किराया वृद्धि की जाएगी लेकिन कई मामलों में यह 30 से लेकर 40 फीसद तक बढ़ गया है। यात्रियों का आरोप है कि दो पैसे का एलान करके चार रुपए वाला किराया पांच रुपए, छह रुपए का किराया दस रुपए, ग्यारह रुपए का किराया 15 रुपए हो गया है। हालांकि कई मामलों में छह रुपए का किराया घट कर पांच रुपए भी हुआ है।
सौभिक घोष नामक एक यात्री ने बताया कि उसका मासिक किराया (एसएमटी)175 रुपए था अब वह 245 रुपए हो गया है। इसी तरह सात रुपए का टिकट दस रुपए हो गया है। डानकुनी से सियालदह का किराया पहले सात रुपए था अब 10 रुपए हो गया है। जबकि डानकुनी-हावड़ा का किराया पहले की तरह पांच रुपए ही है।
कविता गांगुली ने बताया कि हावड़ा-बर्दवान (मेन लाइन) का किराया सुबह 25 रुपए लगा, यह पहले 21 रुपए था जबकि लौटते हुई उसी दूरी का कार्डलाइन का टिकट लिया तो 20 रुपए लगे पहले किराया 18 रुपए था। उनका कहना है कि एक ही दूरी पर कहीं किराया घट गया तो कहीं बढ़ गया। यह वृद्धि 10 फीसद से लेकर 40 फीसद तक हुई है।
सलीम नामक एक यात्री के मुताबिक उनका मासिक किराया पहले की तुलना में घट गया है जबकि उनके एक साथी ने बताया कि उसका किराया बढ़ गया है। इस तरह दिन भर लोग किराए को लेकर चर्चा करते रहे कि बागनान से हावड़ा का कितना किराया है तो उलबेड़िया से हावड़ा का क्या किराया हो गया है।
एक यात्री ने गुस्से से कहा कि रेलवे का कहना है कि 10 साल बाद किराए बढ़ाए जा रहे हैं तो इसके लिए क्या हम रेल यात्री जिम्मेवार हैं या केंद्र सरकार जिम्मेवार है। सरकार कौन चला रहा है, यह सभी लोगों को पता है। दूसरे एक यात्री का कहना था कि किराया तो अब बढ़ ही गया है रेलवे बजट का क्या औचित्य है। बजट पेश करने से लेकर चर्चा करने तक जहां कागज की बरबादी होगी वहीं संसद चलने पर करोड़ों रुपए का खर्च होगा। इसका बोझ भी आम लोगों पर ही पड़ना तय है।

1 comment:

  1. कमल नहीं कलम का लोहा मनवाया, पंक्ति ठीक करो .

    तुम्हारा प्रयास अच्छा है , बधाई ....

    रावेल पुष्प

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