Wednesday, January 2, 2013

 महिलाओं के खिलाफ  अपराध के मामलों में हावड़ा भी पीछे नहीं 

   कोलकाता और उत्तर चौबीस परगना जिले के बारासात इलाके में महिलाओं के खिलाफ संगठित अपराध की घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है। बीते सालों के दौरान हावड़ा और हुगली भी इ स मामले में पीछे नहीं हैं। ऐसे मामलों में ज्यादातर दोषी पुलिस के शिकंजे में ही नहीं फंसते। जबकि कई मामलों में पकड़े जाने के बाद भी सबूत नहीं मिलने के कारण अभियुक्तों को अदालत से जमानत मिल गई। ऐसे भी मामले हुए हैं जब पुलिस वाले बलात्कार की शिकायत ही दर्ज करने के लिए तैयार नहीं हुए। कई मामलों में राजनीतिक और समाजिक दबाव केकारण पुलिस ने शिकायत दर्ज की लेकिन दोषी गिरफ्तार नहीं हुए। इससे हावड़ा और हुगली जिले में महिलाओं के खिलाफ बलात्कार और उत्पीड़न के मामलों में भारी वृद्धि हुई है। सबसे ज्यादा महिलाओं के खिलाफ संगठित अपराध के मामलों में इसलिए राज्य के शीर्ष जिलों में हावड़ा का नाम शामिल है। 
मालूम हो कि 2007 में हावड़ा शहर के आठ पुलिस थाना इलाके में महिलाओं के खिलाफ संगठित अपराध की 257 घटनाएं हुई थी। इसमें बलात्कार की छह घटनाएं शामिल हैं। जबकि 2011 में अपराध की घटनाएं बढ़ कर 614 हो गई। इसमें बलात्कार की 24 घटनाएं हुई। पुलिस कमिशनरेट बनाने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि हावड़ा शहर में अपराध की घटनाओं में कमी होगी। लेकिन इस दौरान घटनाएं बढ़कर 1029 हो गई। गत जनवरी से नवंबर तक महिलाओं के खिलाफ अपराध की 1029 घटनाओं में बलात्कार की 31 घटनाएं शामिल हैं। 
दूसरी ओर हुगली जिले के गोघाट, खानाकूल, पुरशुड़ा, आरामबाग, धानखाली, जंगीपाड़ा समेत कई इलाकों में महिलाओं  के खिलाफ अपराध की घटनाएं हुई है। एक राजनीतिक दल की ओर से आरोप लगाया गया कि दूसरे दल कीओरसे इलाके में हिंसा फैलाई, जिससे उनके दल के समर्थक इलाका छोड़कर पलायन कर गए। इसके बाद उनकी महिलाओं के खिलाफ बलात्कार की कई घटनाएं हुई। आरोप है कि 2001 में इस तरह की घटनाओं में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई थी। इस दौरान गोघाट में तृममूल समर्थक की हत्या के बाद बलात्कार किया गया। पुलिस ने दोषियों के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं की। कांग्रेस अध्यक्ष तपन दास ने आरोप लगाया है कि 2001 से लेकर 2009 तक आरामबाग महकमे में सौ से ज्यादा बलात्कार की घटनाएं हुई। 
हावड़ा शहर के सांतरागाछी में 25 जुलाई तड़के एक नौकरानी के साथ बलात्कार की घटना हुई थी। इसके विरोध में जिले में कई जगह प्रदर्शन किए गए। गोलाबाड़ी थाना इलाके में कल इस घटना के खिलाफ मौन जुलूस निकाला गया। उस महिला की बहन ने कुछ दिन पहले एक मंच पर खड़े होकर आरोप लगाया था कि पहले जगाछा थाने में किसी तरह की शिकायत दर्ज नहीं की गई। उसे अस्पताल भेजने के बजाए घर भेज  कर मामला रफा-दफा करने की कोशिश की गई। उसकी खराब हालत देख कर हमलोग अस्पताल लेकर गए तो  अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया। बाद में मीडिया के दबाव में उसे अस्पताल में भर्ती किया गया। पुलिस ने बलात्कार का मामला तो दर्ज किया लेकिन लगभग छह महीने बाद भी किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया। 
इसी तरह 15 अप्रैल उलबेड़िया थाना इलाके में एक विकलांग युवती से बलात्कार किया गया था। तीन दिन बाद दबाव के कारण पुलिस ने इसका केस तो दर्ज किया। मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार का प्रमाण नहीं मिला इसलिए तीन दिन में पकड़े गए युवक की जमानत हो गई। गत सात सितंबर को उलबेड़िया में पांच साल की एक बच्ची से बलात्कार किया गया था। बच्ची की मां ने दोषी को पकड़ कर पुलिस से सुपुर्द कर दिया था। बलात्कार का सबूत नहीं मिलने के कारण वह जमानत पर छूट गया। इसके बाद पांच नवंबर आमता थाना इलाके में कक्षा नौ  की एक छात्रा के साथ बलात्कार के बाद हत्या  की घटना हुई थी। इस मामले में बलात्कार के बजाए पुलिस ने सिर्फ हत्या का मामला दर्ज किया। दो युवकों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया और दोनों जेल में कैद हैं। 


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