Tuesday, March 4, 2014

इंटरनेट पर भी लड़ा जाएगा चुनाव

  चुनाव प्रचार करने के लिए जैसे खर्च की सीमा बढ़ गई है वहीं लोगों को लुभाने के लिए नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की इकलौती स्टार प्रचारक थी, इसलिए हेलीकाप्टर लेकर जगह-जगह प्रचार किया था। दिल्ली में हुए सामूहिक बलात्कार कांड के बाद युवाओं में भड़के आक्रोश और आम आदमी पार्टी की विधानसभा चुनाव में शानदार सफलता के लिए सोशल मीडिया को प्रमुख कारक माना जाता है। इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव सड़क और दीवारों के साथ ही इंटरनेट पर भी लड़ा जाएगा। इस मामले में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, भाजपा, माकपा, कांग्रेस सभी सक्रिय हैं। हालांकि उनके चाहने वालों की संख्या में फर्क हो सकता है।आंकड़ों की बात करें तो ममता बनर्जी को फेसबुक पर लाइक करने वालों की संख्या छह लाख 25 हजार है तो उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के चाहने वाले डेढ़ लाख, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा नेता विमल गुरुंग के लगभग 15 हजार लोग हैं। भाजपा के हजारों चाहने वाले लगातार मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए अभियान छेड़े हुए हैं। इसमें नेता, कार्यकर्ता से लेकर दूसरे लोग भी शामिल हैं।  टविटर पर तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन के दो लाख से ज्यादा, शुभेंदु अधिकारी के 12 हजार से ज्यादा,माकपा के सांसद  ऋतव्रत बनर्जी के ग्यारह हजार से ज्यादा, भाजपा के तथागत राय के चार हजार से ज्यादा, तृणमूल के केडी सिंह और दिनेश त्रिवेदी के दो हजार से ज्यादा चाहने वाले हैं।मालूम हो कि हाल तक चुनाव प्रचार के तहत सोशल मीडिया में प्रचार पारंपरिक तरीका नही रहा है लेकिन अब हालात बदल गए हैं। राज्य के नेता और दल अब इस डिजीटल टेक्नोलॉजी पर अधिक ही भरोसा करते दिख रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस की ओर से एक डेडिकेटेड वेबसाइट लॉन्च की गयी है। वहीं ट्वीटर और फेसबुक पर उसका प्रचार अभियान जारी है। पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जोर शोर से प्रोजेक्ट किया जा रहा है।  इसके तहत बीते दिनों ‘ममता 4 मीडिया’  वेबसाइट लांच की गई है। इसकी टैगलाइन में दिया गया है कि ममता बनर्जी अब राष्ट्रीय बनी।वेबसाइट के अलावा पार्टी की ओर से यू-टयूूब पर आधिकारिक एकाउंट भी लांच किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर लोगों तक पहुंचने के लिए दल की ओर से यह प्रयास किए  जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि दल के राष्ट्रीय अभियान के तहत  सोशल मीडिया के जरिए  लोगों की यह जानकारी में लाया जा रहा है कि देश के लिए तृणमूल कांग्रेस ही एकमात्र विकल्प है। अन्ना हजारे की ओर से  समाने लाए गए विकास के 17 सूत्रीय एजेंडे पर तृणमूल कांग्रेस जोर दे रही है।दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस के  राजनीतिक विरोधी भी खामोश नहीं बैठे हैं। तृणमूल के इस प्रचार को आड़े हाथों लेते हुए भी वह पीछे नहीं हैं।  भाजपा नेता तथागत राय भी सोशल मीडिया में मौजूद हैं और राज्य में छपे एक सर्वे पर कुछ दिन पहले टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि भले ही यहां भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलती दिख रही लेकिन देश भर में मोदी की लहर और भाजपा के गठबंधन की शानदार बढ़त अच्छी है।इधर वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोमेन मित्र ने पारंपरिक तौर तरीके से हटते हुए सोशल मीडिया के क्षेत्र में कदम रख दिया है।  हाल ही में वह तृणमूल कांग्रेस  छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं और कोलकाता प्रेस क्लब में अपनी वेब साइट जारी की। उनका मानना है कि युवाओं के संपर्क में आने का यह बहुत अच्छा साधन है। उनकी तरह ही वाममोर्चा नेता भी पीछे नहीं है। माकपा नेता निरुपम सेन, राज्यसभा सांसद ऋतव्रत बनर्जी व रोबिन देव भी फेसबुक पर काफी सक्रिय हैं।हालांकि कुछ लोगों का यह भी कहना है कि सोशल मीडिया प्रचार के लिए प्रभावी साधन नहीं हो सकता। भले ही  इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ रही है और लोग आनलाइन अभियान से प्रभावित भी होते हैं लेकिन यह केवल शहरी आबादी को अपना लक्ष्य बनाती है। इनमें से कई ऐसे हैं जिनका राजनीति से मोहभंग हो गया है और कई तो वोट करने भी नहीं जाते।  उनका कहना है कि सोशल मीडिया पर तृणमूल कांग्रेस का प्रयास उन्हें अधिक लाभ नहीं प्रदान करने वाला है। हालांकि दूसरी ओर कुछ लोगों का कहना है कि समाचार पत्रों में विज्ञापन और खबरों के लिए जितने पैसे लगते हैं, यहां मुफ्त में ज्यादा लोगों तक सीधे संपर्क हो जाता है।इस बारे में एक दल के नेता का कहना है कि लोकसभा चुनाव में युवा मतदाताओं की अहम भूमिका होगी। गांव-देहात में भी इंटरनेट का व्यवहार करने वाले समचार पत्र पढ़ने वालों से कम नहीं हैं। इसका पता इसके चलता है कि दिन प्रतिदिन इंटरनेट की कीमतें कंपनियां घटाती जा रही हैं जबकि समाचार पत्रों के दाम बढ़ते जा रहे हैं। महंगाई के दौर में लोग सस्ता और अच्छा तलाशते हैं और सोशल मीडिया इसका सबसे बड़ा साधन है। अमिताभ बच्चन जैसे अभिनेता प्रेस कांफ्रेंस करने के बजाए फेसबुक पर सीधे लाखों लोगों तक पहुंचने को पहल देते हैं। 

No comments:

Post a Comment