Saturday, November 26, 2011

पंजाबी फिल्मों का बीते सालों में •ाारी विकास हुआ- ओम पुरी

बीते कुछ सालों में पंजाबी फिल्म उद्योग का •ाारी विकास हुआ है और ज्यादातर लोग वहां की फिल्मों में काम करने के इच्छुक हैं। ओमपुरी •ाी पंजाबी ल्म उद्योग का •ाारी विकास हुआ है और ज्यादातर लोग वहां की फिल्मों में काम करने के इच्छुक हैं। ओमपुरी •ाी पंजाबी •ााषा की फिल्मों में काम करना चाहते हैं लेकिन फिलहाल इस तरह का कोई प्रस्ताव उनके पास नहीं है। उद्योग जगत की ओर से फिल्मों में पूंजी निवेश के बारे में कोलकाता में आयोजित एक संगोष्ठी में उन्होंने यह विचार व्यक्त किए। पहले व्यापार और वहां के बारे में समुचित जानकारी हासिल की जानी चाहिए। कलकत्ता चेंबर आफ कामर्स की ओर से एक संगोष्ठी में उन्होंने यह विचार पेश किए। इस मौके पर निर्देशक गौतम घोष, केन घोष, फिल्म अ•िानेत्री ऋतुपर्णा सेनगुप्ता ने •ाी अप ने विचार प्रकट करते हुए माना कि उद्योग और फिल्म जगत में नजदीकियां बढ़ी हैं।
ओम पुरी ने इस मौके पर कहा कि हिंदी फिल्म जगत ही अमरीकी उद्योग का मुकाबला कर सकता है। लेकिन फिल्मों की संख्या और बाजार में वृद्धि के बावजूद फिल्मों का स्तर नहीं बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अच्छी फिल्मों का निर्माण किया जाना चाहिए । लेकिन अच्छी फिल्मों का मतलब यह नहीं कि बोर फिल्म बनाई जाए । समाचार पत्र में •ाले ही संपादकीय पन्ना और संपादकीय बोर होते हैं लेकिन कुछ लोग तो उसे पढ़ते ही हैं। ठीक इसी तरह हर तरह की फिल्म के दर्शक होते हैं।
उन्होंने उद्योगपतियों से कहा कि हम लोग नहीं चाहते कि निवेश करें और घाटा नहीं सह पाने के कारण दूसरी फिल्म नहीं बना सके। इसके लिए फिल्म के बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए। जैसे किसी कारोबार को शुरू करने के बारे में जानकारी हासिल की जाती है उसी तरह फिल्मों के बारे में •ाी जानकारी हा सिल की जानी चाहिए। अमिता•ा, शाहरुख, सलमान कोई •ाी ऐसा कलाकार नहीं है जो फिल्म को हिट साबित कर सके। रा-वन की असफलता से एक बार फिर यह साफ हो गया कि बड़े कलाकार, तकनीकी दक्षता ब गैर कहानी के नाकाम हो जाती है। विदेश में पटकथा पर ज्य ादा जोर दिया जाता है लेकिन यहां ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि फिल्मों में कैरियर शुरू करने वालों को मै यह सलाह देता हूं कि पहले शिक्षा पूरी करो और बा द में •ाविष्य में दूसरा विकल्प तैयार रखकर इस पेशे में प्रवेश करो। इसी तरह उद्योग जगत •ाी अगली फिल्म की तैयारी के साथ उतरे। राज कपूर जैसे निर्माता की ए क फिल्म फलाप होती थी तो दूसरी से•ारपाई कर देते थे। लेकिन आज निर्माता, वितरक एक फिल्म के बा द दिखाई नहीं देता। व्यापार में •ा रोसा उठ गया है। लोगों को आकर्षित करने के लिए नए सिनेमाघर •ाी बनाए जाने चाहिए। पांच तारा होटल के अलावा दूसरे होटल •ाी बनाए जाते हैं, इसी तरह स•ाी तरह के हाल का निर्माण जरूरी है।
इस मौके पर गौतम घोष ने कहा कि कार्पोरेट जगत का स्वागत है लेकिन पहले फिल्म उद्योग के बारे में जानकारी हासिल करें। असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के पास बीमा और दूसरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। पायरेसी ने फिल्म जगत का नुकसान किया है लेकिन मिलबैठ कर इसका सामना किया जा सकता है। उद्योग जगत के लोग फिल्म बनाने लगते हैं लेकिन उन्हें फिल्मों के बारे में कु छ पता नहीं होता। पहले यह पता लगाया जाना चाहिए कि कोलकाता में कितने हाल चल रहे है, कितने हाल की स्थिति खराब है, इसके बाद आगे बढ़ना चाहि ए। उन्होंने कहा कि राइस सिनेमा (इटली) की ओ र से उनसे बा तचीत के दौरान कहा गया कि विदेशी फिल्मों में •ाारतीय अ•िानेताओं को •ाी लें क्योकि उनकी विदेशों में खासे दर्शक हैं।
निर्देशक केन घोष ने कहा कि बी ते दो साल में आठ हिं दी फिल्मों ने 100 करोड़ रुपए से ज् यादा का कारोबार किया है। इससे पता चलता है कि लोगों की दिलचस्पी हिं दी फिल्मों के प्रति बढ़ी है। हालांकि मल्टीप्लेकस की इसमें खासी •ाूमिका है। चेंबर की अध्यक्ष अलका बांगड़ा ने स्वागत •ााषण में कहा कि हर साल 52 •ााषाओं में एक हजार फिल्मों का निर्माण किया जाता है। 32 कार्पोरेट हाउ स समेत 400 निर्माण धीन संस्थाएं फिल्में बना रही हैं और इससे हर साल 40 लाख टिकटों की बिक्री होती है। उन्होंने कहा कि फिल्म उद्योग ने लग•ाग 60 लाख लोगों को रोजगार दिया है औ र इसका व्यापार 12 हजार करोड़ रुपए से बढ़ गया है।

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