Friday, December 2, 2011


 किशनजी की हत्या की गई-सीडीआरओ
  कोलकाता, कोआर्डीनेशन आफ डेमोक्रेटिक राइट्स आर्गेनाइजेशन (सीडीआरओ) का कहना है कि माओवादी नेता किशनजी के बारे में राज्य सरकार का दावा जांच-पड़ताल के बाद किसी भी तरह सेसही नहीं ठहरता है। शुक्रवार को कोलकाता प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में संगठन के महासचिव देव प्रसाद रायचौधरी, एपीसीएलसी के महासचिव सीएच चंद्रशेखर के अलावा भानू शंकर, गौतम नवलाखा ने यह जानकारी दी। इसके साथ ही संगठन की ओर से मांग की गई है कि उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश या अवकाश प्राप्त न्यायधीश से मामले की स्वतंत्र तौर पर न्यायिक जांच करवाई जाए। इसके साथ ही भारतीय दंड विधान की धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया जाए।
उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से दावा किया गया है कि 24 नवंबर को बुड़ीशोल के जंगल में पुलिस मुकाबले में किशनजी की मौत हो गई है। कहा गया था कि तीन दिन से पुलिस और साझा सुरक्षा बलों ने इलाके को घेरे में ले लिया था और मुकाबला चल रहा था। किशनजी समेत दूसरे लोगों को आत्मसमर्पण करने के लिए माइक पर घोषणा की गई थी। लेकिन जांच पड़ताल से पता चलता है कि यह दावा ठीक नहीं है।
इस दौरान 25 लोगों का एक दल अलग-अलग ग्रूप बनाकर घटनास्थल के आसपास के पांच गांव के 300 लोगों से मिला और पूछताछ की। इसमें सात साल की उम्र के बच्चे से लेकर 70 साल के बुजुर्ग पुरुष-महिलाएं शामिल थे। लेकिन किसी ने भी यह नहीं कहा कि तीन दिन पहले पुलिस ने इलाके की घेराबंदी की थी और वहां किसीतरह का मुकाबला चल रहा था। ज्यादातर लोगों का कहना था कि पुलिस और साझा सुरक्षा बल के जवान 24 नवंबर को गांव में पहुंचे और लोगों को घर से नहीं निकलने की चेतावनी देकर चले गए। इसके बाद विभिन्न लोगों के मुताबिक साढ़े चार बजे से साढ़े पांच बजे के बीच 15 से लेकर 20 मिनट तक गोलियां चलने की आवाज सुनी गई। लेकिन किसी भी गांव वाले ने माइक की आवाज नहीं सुनी जिससे माना जा सके कि किशनजी को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया हो। इतना ही नहीं घटनास्थल के आसपास के इलाकों में पेड़ों की जांच के दौरान कहीं भी गोलियों के निशान नहीं मिले, जबकि मुकाबले के दौरान चलाई गई गोलियों से पेड़ों पर निशान होने चाहिए थे। इससे साफतौर पर यह लगता है कि सिर्फ 24 अक्तूबर को ही पुलिस वाले वहां पहुंचे थे और 15-30 मिनट तक फायरिंग की गई। यह इच्छाकृत की गई हत्या है इसलिए स्वतंत्र जांच करवाने के साथ ही धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया जाए।

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