Sunday, December 25, 2011

ममता की ताजपोशी से यादगार बना साल 2011

पश्चिम बंगाल के लिए साल 2011 में ऐसी कई बातें हुई जिसके लिए इतिहास के पन्नों में हमेशा विशेष तौर पर उल्लेख किया जाएगा। इसमें सबसे बड़ी घटना रही तृणमूल कांग्रेस की नेता अग्नि कन्या ममता बनर्जी की ओर से लगातार सात बार विधानसभा चुनाव जीत कर राज्य को अपनी जागीर सम­ाने वाली वाममोर्चा को सत्ता से बदखल करना। कम्युनिस्टों ने मतगणना के पहले भी एलान कियाथा कि आठवीं बार भी उनकी ही सरकार बनेगी लेकिन जब वोटों की गिनती शुरू हुई तो सभी भौचक्क रह गए। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य से लेकर कई बड़े माकपा नेताओं को शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा।
साल की एक और बड़ी घटना माओवादी नेता कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी का मारा जाना रहा है। सालों तक राज्य में संगठन की बागडोर संभालने वाले कुख्यात नेता की मौतके बाद माओवादियों की रीढ़ की हड्डी जैसे टूट गई है। यह ममता सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री के तौर पर ममताबनर्जी की सक्रियता में विरोधी अग्निकन्या जैसी ही तीव्रता देखी जा रही है। सालों पुरानी दार्जिलिंग में गोरखालैंड की समस्या सुल­झाने के लिए किया गया जीटीए सम­झौता हो या सिंगुर में किसानों की 400 एकड़ जमीन वापस करने की दिशा में पहल उन्होंने प्रयास किया है।
साल की सबसे दुखद घटना के तौर पर कोलकाता के महंगे अस्पताल एएमआरआइ (आमरी) में आग लगने की घटना को याद किया जा सकता है। जब अपनी बीमारी का इलाज कराने के लिए अस्पताल में भर्ती 90 सेज्यादा मरीज अपनी जान गवां बैठे। लेकिन हैरत की बात यह है कि मरने वाले आग से जल कर नहीं मरे, बल्कि धुंए से दम घुटने के कारण मौत का शिकार हुए। इससे लाखों रुपए लेकर लोगों की जान से खिलवाड़ करने वालों की कलई लोगों के सामने खुल गई है। राज्य सरकार से सांठगांठ करके सस्ती जमीन हथिया कर लगभग डेढ़ करोड़ रुपए के बजाए 10 लाख रुपए से भी कम किराया देकर कारोबार करने वाले साल भर में दो करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च रहे थे। ऐसी बातों से लोगों की नाराजगी व्यवस्था के प्रति बढ़ी ही है।
इसके बाद देशी शराब, जिससे बंगाल में चुल्लू कहा जाता है पीकर 170 से ज्यादा लोगों की मौत ने राजनेताओं , पुलिस से सांठगांठ करके हाकर से करोड़पति बनने वाले लोगों की कलई खोल कर सामने रख दी है।
मुख्यमंत्री के तौर पर ममता बनर्जी की सात महीने की कारगुजारी का आंकलन करना सम­झदारी नहीं होगा। लेकिन जिस तरह सभी विभागों की देख-रेख से लेकर जिलों के सफर के दौरान कामकाजकी समीक्षा काकाम शुरू हुआ है, उससे लोगों को आस बंध रही है कि प्रयास जरूर हो रहे हैं।
आमरी में आग लगने की घटना के बाद दिन भर लोगों के बीच रहकर नाराज परिवार केलोगों को शांत करती, अस्पताल में मुर्दाघरके बाहर लोगों को पोस्टमार्टम के दौरान सांत्वना दे रही ममता अब भी पहले की तरह सुती साड़ी, सफेद चप्पल पहने कर लोगों के बीच पहुंच जाती हैं। तिलजला में हवाई चप्पल के कारखाने में आग लगने की खबर मिलने पर रात डेढ़ बजे घटनास्थल पर पहुंच गई थी।
यह साल राज्य के लोग मुख्यमंत्री की मां गायत्री बनर्जी (81) के निधन की घटना भी नहीं भूल सकते। शायद ममता बनर्जी देश की पहली मुख्यमंत्री होंगी जिनकी मां का इलाज एक सरकारी अस्पताल एसएसकेएम में चल रहा था। उन्होंने सरकारी अस्पताल की चिकित्सा-व्यवस्था पर भरोसा जताया और उसी अस्पताल में उनका निधन हुआ। मां की मौत के बाद सदमें से उबरने में उन्हें दो दिन लगे, तब तक वे अपने कमरे में ही बंद रही। राज्य की जर्जर आर्थिक हालत को देखते हुए मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने कोष में एक करोड़ रुपए जमा करवाए, जो पेंटिंग की बिक्री से हासिल किए थे।

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