Monday, December 5, 2011

मजबूरी में भी लोग करते हैं बिजली चोरी

सबसे पहले तो बिजली का कनेक्शन लेना ही आसान नहीं है, उसके बाद अनियंत्रित तरीके से बगैर किसी मुकाबले के राज्य में बिजली दरों में लगातार वृद्धि होती जा रही है। भले ही केंद्र की ओर से सभी घरों में बिजली पहुंचाने की बात सालों पहले की गई थी लेकिन आज भी पचास फीसद लोगों को बिजली नहीं मिल सकी है। इसलिए कहीं लोग मजबूरी में बिजली की चोरी कर रहे हैं तो कहीं राजनीतिक दलों की मदद से यह काम किया जा रहा है। हुकिंग करके कितने ही घरों में ब त्ती, पंखे और टीवी चल रहे हैं ।
मकान के 100 गज के दायरे में बिजली का खंबा है, मकान के पक्के बरामदे से छूकर अल्यूमिनीयम की तार गुजरती दिखाईदेती है लेकिन इसके बावजूद घर में लालटेन जलाकर बच्चे पढ़ रहे हैं। हालांकि बिजली विभाग के कार्यालय में पर्याप्त रकम भी जमा की गई है। लेकिन उपभोक्ता का आवेदन सालों से फाइलों में दबा पड़ा है। बिजली विभाग की ओर से खंबे से लेकर घर तक बिजली पहुचाने में आनाकानी की मिसाले कोलकाता से कुछ दूरी पर मौजूद मगराहाट से लेकर जलपाईगुड़ी के मदारीहाट तक देखी जासकती हैं।
केंद्र सरकार की ओर से राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतपरियोजना शुरू की गई थी, इसके मुताबिक न्यूनतम 50 परिवारों या 100 लोगों के वर्जिन मौजा में सभी लोगों को बिजली देने का इंतजाम किया जाएगा। गरीबी सीमारेखा से नीचे (बीपीएल) के लोगों को मुफ्त और दूसरे लोगों को रुपए देकर बिजली मिलेगी। राज्य के 14 जिलों में यह काम वेस्ट बंगाल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कार्पोरेशन की ओर से किया जा रहा है। कोलकाता के अलावा दूसरे जिलों में केंद्र सरकार के तहत चार संस्थाएं यह काम कर रही हैं। एक दशक पहले शुरू हुई परियोजना के दौरान दो हजार करोड़ रुपए की रकम खर्च हो गई है। लेकिन अभी तक राज्य के आधे लोग बिजली की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मगराहाट के नैनान गांव के लोगों ने 2007 में बिजली के लिए आवेदन किया था, लेकिन अभी तक बिजली नहीं मिली है, इसलिए वहां लोग बिजली चोरी करने के लिए मजबूर थे।
आंकड़ों की बात करें तो सरकार खुद यह बात मानती है कि राज्य के आधे से ज्यादा 55 फीसदी लोगों के घरों में बिजली नहीं पहुंच सकी है। जबकि पंजाब, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के चार राज्यों में लगभग 100 फीसद बिजली पहुंच चुकी है। बिजली विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक कूचबिहार के 70 फीसद, उ त्तर दिनाजपुर के 70 फीसद, मालदा जिले के 64 फीसद, पुरुलिया के 65 फीसद, मुर्शिदाबाद जिलेके 60 फीसद, जलपाईगुड़ी के 62 फीसद, दक्षिण चौबीस परगना जिले के 55 फीसद, वीरभूम के 53 फीसद, बांकुड़ा के 52 फीसद, पूर्व औरपश्चिमी मेदिनीपुर जिले के 51 फीसद, बर्दवान के 47 फीसद, नदिया के 44 फीसद, उ त्तर चौबीस परगना जिले के 38 फीसद, दार्जिलिंग के 23 फीसद, हुगली के 24 फीसद और हावड़ा जिले के 10 फीसद परिवारों के घर में अभी तक बिजली नहीं पहुंच सकी है। उनका कहना है कि राज्य में ग्रामीण परिवार एक करोड़ 20 लाख है, इसमें 67 लाख परिवारों के घरों में बिजली पहुंच चुकी है।
राज्य के बिजली मंत्री ने विधानसभा में एलान किया था कि राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतपरियोजना के तहत 2041 करोड़ 76 लाख रुपए खर्च किए गए हैं और 3933 मौजा में से 3929 मौजा में बिजली पहुंचाने काकाम पूरा हो गया है। हालांकि केंद्रीय सरकार की परियोजना के मुताबिक एक मौजा में 10 फीसद घरों में बिजली कनेक्शन पहुंचने से ही वह इलाका बिजली वितरण का काम पूरा करने में सफल माना जाएगा। इस तरह सरकारी खाते में एक सौ फीसद लोगों को बिजली मिलने का रिकार्ड दर्ज होजाता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि महज 10 फीसद लोगों के घरों में बिजली पहुंचने के बाद भी 90 फीसद परिवार अंधेरे में रहते हैं। बिजली विभाग के एक अधिकारी मानते हैं कि राज्य के ग्रामीण इलाकों की हालत ऐसी है कि लोग महीने में 50 रुपएका बिल भारने में भी असमर्थ हैं, ऐसे में बिजली की लाइन लेने से पहले उन्हें सौ बार सोचना पड़ता है।
ऐसे हालत में लोग बिजलीकी चोरी करते हैं। महानगर कोलकाता में भी बिजलीकी चोरी जारी है। इलाके के राजनीतिक दलों और दादाओं की मदद से यहकाम हो रहा है। शहर के 18 फीसद इलाके में चोरी ज्यादा हो रही है। इसमें मेटियाबुर्ज, गार्डेनरीच, तिलजला, नारकुलडांगा, रिपन स्ट्रीट, मेंहदीबगान, इलियट रोड, तपसिया, टेंगरा, लेक गार्डेन, उ त्तर पंचान्न ग्राम, बेहाला के कई इलाके शामिल बताए जाते हैं। सीईएससी के तहत टीटागढ़, हावड़ा, बानतला, कमरहट््टी के वि•िासबसे पहले तो बिजली का कनेक्शन लेना ही आसान नहीं है, उसके बाद अनियंत्रित तरीके से बगैर किसी मुकाबले के राज्य में बिजली दरों में लगातार वृद्धि होती जा रही है। भले ही केंद्र की ओर से सभी घरों में बिजली पहुंचाने की बात सालों पहले की गई थी लेकिन आज भी पचास फीसद लोगों को बिजली नहीं मिल सकी है। इसलिए कहीं लोग मजबूरी में बिजली की चोरी कर रहे हैं तो कहीं राजनीतिक दलों की मदद से यह काम किया जा रहा है। हुकिंग करके कितने ही घरों में ब त्ती, पंखे और टीवी चल रहे हैं ।
मकान के 100 गज के दायरे में बिजली का खंबा है, मकान के पक्के बरामदे से छूकर अल्यूमिनीयम की तार गुजरती दिखाईदेती है लेकिन इसके बावजूद घर में लालटेन जलाकर बच्चे पढ़ रहे हैं। हालांकि बिजली विभाग के कार्यालय में पर्याप्त रकम भी जमा की गई है। लेकिन उपभोक्ता का आवेदन सालों से फाइलों में दबा पड़ा है। बिजली विभाग की ओर से खंबे से लेकर घर तक बिजली पहुचाने में आनाकानी की मिसाले कोलकाता से कुछ दूरी पर मौजूद मगराहाट से लेकर जलपाईगुड़ी के मदारीहाट तक देखी जासकती हैं।
केंद्र सरकार की ओर से राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतपरियोजना शुरू की गई थी, इसके मुताबिक न्यूनतम 50 परिवारों या 100 लोगों के वर्जिन मौजा में सभी लोगों को बिजली देने का इंतजाम किया जाएगा। गरीबी सीमारेखा से नीचे (बीपीएल) के लोगों को मुफ्त और दूसरे लोगों को रुपए देकर बिजली मिलेगी। राज्य के 14 जिलों में यह काम वेस्ट बंगाल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कार्पोरेशन की ओर से किया जा रहा है। कोलकाता के अलावा दूसरे जिलों में केंद्र सरकार के तहत चार संस्थाएं यह काम कर रही हैं। एक दशक पहले शुरू हुई परियोजना के दौरान दो हजार करोड़ रुपए की रकम खर्च हो गई है। लेकिन अभी तक राज्य के आधे लोग बिजली की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मगराहाट के नैनान गांव के लोगों ने 2007 में बिजली के लिए आवेदन किया था, लेकिन अभी तक बिजली नहीं मिली है, इसलिए वहां लोग बिजली चोरी करने के लिए मजबूर थे।
आंकड़ों की बात करें तो सरकार खुद यह बात मानती है कि राज्य के आधे से ज्यादा 55 फीसदी लोगों के घरों में बिजली नहीं पहुंच सकी है। जबकि पंजाब, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के चार राज्यों में लगभग 100 फीसद बिजली पहुंच चुकी है। बिजली विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक कूचबिहार के 70 फीसद, उ त्तर दिनाजपुर के 70 फीसद, मालदा जिले के 64 फीसद, पुरुलिया के 65 फीसद, मुर्शिदाबाद जिलेके 60 फीसद, जलपाईगुड़ी के 62 फीसद, दक्षिण चौबीस परगना जिले के 55 फीसद, वीरभूम के 53 फीसद, बांकुड़ा के 52 फीसद, पूर्व औरपश्चिमी मेदिनीपुर जिले के 51 फीसद, बर्दवान के 47 फीसद, नदिया के 44 फीसद, उ त्तर चौबीस परगना जिले के 38 फीसद, दार्जिलिंग के 23 फीसद, हुगली के 24 फीसद और हावड़ा जिले के 10 फीसद परिवारों के घर में अभी तक बिजली नहीं पहुंच सकी है। उनका कहना है कि राज्य में ग्रामीण परिवार एक करोड़ 20 लाख है, इसमें 67 लाख परिवारों के घरों में बिजली पहुंच चुकी है।
राज्य के बिजली मंत्री ने विधानसभा में एलान किया था कि राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतपरियोजना के तहत 2041 करोड़ 76 लाख रुपए खर्च किए गए हैं और 3933 मौजा में से 3929 मौजा में बिजली पहुंचाने काकाम पूरा हो गया है। हालांकि केंद्रीय सरकार की परियोजना के मुताबिक एक मौजा में 10 फीसद घरों में बिजली कनेक्शन पहुंचने से ही वह इलाका बिजली वितरण का काम पूरा करने में सफल माना जाएगा। इस तरह सरकारी खाते में एक सौ फीसद लोगों को बिजली मिलने का रिकार्ड दर्ज होजाता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि महज 10 फीसद लोगों के घरों में बिजली पहुंचने के बाद भी 90 फीसद परिवार अंधेरे में रहते हैं। बिजली विभाग के एक अधिकारी मानते हैं कि राज्य के ग्रामीण इलाकों की हालत ऐसी है कि लोग महीने में 50 रुपएका बिल भारने में भी असमर्थ हैं, ऐसे में बिजली की लाइन लेने से पहले उन्हें सौ बार सोचना पड़ता है।
ऐसे हालत में लोग बिजलीकी चोरी करते हैं। महानगर कोलकाता में भी बिजलीकी चोरी जारी है। इलाके के राजनीतिक दलों और दादाओं की मदद से यहकाम हो रहा है। शहर के 18 फीसद इलाके में चोरी ज्यादा हो रही है। इसमें मेटियाबुर्ज, गार्डेनरीच, तिलजला, नारकुलडांगा, रिपन स्ट्रीट, मेंहदीबगान, इलियट रोड, तपसिया, टेंगरा, लेक गार्डेन, उ त्तर पंचान्न ग्राम, बेहाला के कई इलाके शामिल बताए जाते हैं। सीईएससी के तहत टीटागढ़, हावड़ा, बानतला, कमरहट्टी के विसबसे पहले तो बिजली का कनेक्शन लेना ही आसान नहीं है, उसके बाद अनियंत्रित तरीके से बगैर किसी मुकाबले के राज्य में बिजली दरों में लगातार वृद्धि होती जा रही है। भले ही केंद्र की ओर से सभी घरों में बिजली पहुंचाने की बात सालों पहले की गई थी लेकिन आज भी पचास फीसद लोगों को बिजली नहीं मिल सकी है। इसलिए कहीं लोग मजबूरी में बिजली की चोरी कर रहे हैं तो कहीं राजनीतिक दलों की मदद से यह काम किया जा रहा है। हुकिंग करके कितने ही घरों में ब त्ती, पंखे और टीवी चल रहे हैं ।
मकान के 100 गज के दायरे में बिजली का खंबा है, मकान के पक्के बरामदे से छूकर अल्यूमिनीयम की तार गुजरती दिखाईदेती है लेकिन इसके बावजूद घर में लालटेन जलाकर बच्चे पढ़ रहे हैं। हालांकि बिजली विभाग के कार्यालय में पर्याप्त रकम भी जमा की गई है। लेकिन उपभोक्ता का आवेदन सालों से फाइलों में दबा पड़ा है। बिजली विभाग की ओर से खंबे से लेकर घर तक बिजली पहुचाने में आनाकानी की मिसाले कोलकाता से कुछ दूरी पर मौजूद मगराहाट से लेकर जलपाईगुड़ी के मदारीहाट तक देखी जासकती हैं।
केंद्र सरकार की ओर से राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतपरियोजना शुरू की गई थी, इसके मुताबिक न्यूनतम 50 परिवारों या 100 लोगों के वर्जिन मौजा में सभी लोगों को बिजली देने का इंतजाम किया जाएगा। गरीबी सीमारेखा से नीचे (बीपीएल) के लोगों को मुफ्त और दूसरे लोगों को रुपए देकर बिजली मिलेगी। राज्य के 14 जिलों में यह काम वेस्ट बंगाल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कार्पोरेशन की ओर से किया जा रहा है। कोलकाता के अलावा दूसरे जिलों में केंद्र सरकार के तहत चार संस्थाएं यह काम कर रही हैं। एक दशक पहले शुरू हुई परियोजना के दौरान दो हजार करोड़ रुपए की रकम खर्च हो गई है। लेकिन अभी तक राज्य के आधे लोग बिजली की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मगराहाट के नैनान गांव के लोगों ने 2007 में बिजली के लिए आवेदन किया था, लेकिन अभी तक बिजली नहीं मिली है, इसलिए वहां लोग बिजली चोरी करने के लिए मजबूर थे।
आंकड़ों की बात करें तो सरकार खुद यह बात मानती है कि राज्य के आधे से ज्यादा 55 फीसदी लोगों के घरों में बिजली नहीं पहुंच सकी है। जबकि पंजाब, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के चार राज्यों में लगभग 100 फीसद बिजली पहुंच चुकी है। बिजली विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक कूचबिहार के 70 फीसद, उ त्तर दिनाजपुर के 70 फीसद, मालदा जिले के 64 फीसद, पुरुलिया के 65 फीसद, मुर्शिदाबाद जिलेके 60 फीसद, जलपाईगुड़ी के 62 फीसद, दक्षिण चौबीस परगना जिले के 55 फीसद, वीरभूम के 53 फीसद, बांकुड़ा के 52 फीसद, पूर्व औरपश्चिमी मेदिनीपुर जिले के 51 फीसद, बर्दवान के 47 फीसद, नदिया के 44 फीसद, उ त्तर चौबीस परगना जिले के 38 फीसद, दार्जिलिंग के 23 फीसद, हुगली के 24 फीसद और हावड़ा जिले के 10 फीसद परिवारों के घर में अभी तक बिजली नहीं पहुंच सकी है। उनका कहना है कि राज्य में ग्रामीण परिवार एक करोड़ 20 लाख है, इसमें 67 लाख परिवारों के घरों में बिजली पहुंच चुकी है।
राज्य के बिजली मंत्री ने विधानसभा में एलान किया था कि राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतपरियोजना के तहत 2041 करोड़ 76 लाख रुपए खर्च किए गए हैं और 3933 मौजा में से 3929 मौजा में बिजली पहुंचाने काकाम पूरा हो गया है। हालांकि केंद्रीय सरकार की परियोजना के मुताबिक एक मौजा में 10 फीसद घरों में बिजली कनेक्शन पहुंचने से ही वह इलाका बिजली वितरण का काम पूरा करने में सफल माना जाएगा। इस तरह सरकारी खाते में एक सौ फीसद लोगों को बिजली मिलने का रिकार्ड दर्ज होजाता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि महज 10 फीसद लोगों के घरों में बिजली पहुंचने के बाद भी 90 फीसद परिवार अंधेरे में रहते हैं। बिजली विभाग के एक अधिकारी मानते हैं कि राज्य के ग्रामीण इलाकों की हालत ऐसी है कि लोग महीने में 50 रुपएका बिल भारने में भी असमर्थ हैं, ऐसे में बिजली की लाइन लेने से पहले उन्हें सौ बार सोचना पड़ता है।
ऐसे हालत में लोग बिजलीकी चोरी करते हैं। महानगर कोलकाता में भी बिजलीकी चोरी जारी है। इलाके के राजनीतिक दलों और दादाओं की मदद से यहकाम हो रहा है। शहर के 18 फीसद इलाके में चोरी ज्यादा हो रही है। इसमें मेटियाबुर्ज, गार्डेनरीच, तिलजला, नारकुलडांगा, रिपन स्ट्रीट, मेंहदीबगान, इलियट रोड, तपसिया, टेंगरा, लेक गार्डेन, उ त्तर पंचान्न ग्राम, बेहाला के कई इलाके शामिल बताए जाते हैं। सीईएससी के तहत टीटागढ़, हावड़ा, बानतला, कमरहट्टी के वि•िान्न इलाकों में बिजली चोरी की जा रही है। बिजली चोरी आम तौर पर तीन तरह से की जाती है। इसके तहत जमीन के नीचे से, खंबे की तार से तार जोड़ कर व मीटर से की जाती है। ज्यादातर लोगों का कहना है कि सरकार की ओर से एक संस्था को बिजली आपूर्ति का ठेका दिया गया है, इससे ही समस्याएं हो रही हैं।
हावड़ा जिले के उदयनारायणपुर इलाके में अभी भी कई परिवार बगैर बिजली के रह रहे हैं। नए जमाने में पंखा, बल्ब, टीवी कंप्यूटर के साथ सबसे बड़ी जरूरत मोबाइल फोन चार्ज करना हो गया है। इसके लिए बिजली की जरूरत है। यहां के गढ़ भवानीपुर गांव में पंचायत के उ त्तर चांदचक गांव के नजदीक से बिजली की तार गुजरती है। लेकिन लोगों के घरों में अंधेरा है, इसलिए लोग अभी भी लालटेन के सहारे अंधेरा दूर करने में लगे हैं। यही हालत सांकराईल थाना इलाके के नीमतला इलाके के कई घरों की भी है। महानगर से सटे राज्य से किसी जमाने के शेफिल्ड का जब यह हाल है तो दूसरे इलाकों की तो महज कल्पना ही की जा सकती है।•िान्न इलाकों में बिजली चोरी की जा रही है। बिजली चोरी आम तौर पर तीन तरह से की जाती है। इसके तहत जमीन के नीचे से, खंबे की तार से तार जोड़ कर व मीटर से की जाती है। ज्यादातर लोगों का कहना है कि सरकार की ओर से एक संस्था को बिजली आपूर्ति का ठेका दिया गया है, इससे ही समस्याएं हो रही हैं।
हावड़ा जिले के उदयनारायणपुर इलाके में अभी भी कई परिवार बगैर बिजली के रह रहे हैं। नए जमाने में पंखा, बल्ब, टीवी कंप्यूटर के साथ सबसे बड़ी जरूरत मोबाइल फोन चार्ज करना हो गया है। इसके लिए बिजली की जरूरत है। यहां के गढ़ भवानीपुर गांव में पंचायत के उ त्तर चांदचक गांव के नजदीक से बिजली की तार गुजरती है। लेकिन लोगों के घरों में अंधेरा है, इसलिए लोग अभी भी लालटेन के सहारे अंधेरा दूर करने में लगे हैं। यही हालत सांकराईल थाना इलाके के नीमतला इलाके के कई घरों की भी है। महानगर से सटे राज्य से किसी जमाने के शेफिल्ड का जब यह हाल है तो दूसरे इलाकों की तो महज कल्पना ही की जा सकती है।न्न इलाकों में बिजली चोरी की जा रही है। बिजली चोरी आम तौर पर तीन तरह से की जाती है। इसके तहत जमीन के नीचे से, खंबे की तार से तार जोड़ कर व मीटर से की जाती है। ज्यादातर लोगों का कहना है कि सरकार की ओर से एक संस्था को बिजली आपूर्ति का ठेका दिया गया है, इससे ही समस्याएं हो रही हैं।
हावड़ा जिले के उदयनारायणपुर इलाके में अभी भी कई परिवार बगैर बिजली के रह रहे हैं। नए जमाने में पंखा, बल्ब, टीवी कंप्यूटर के साथ सबसे बड़ी जरूरत मोबाइल फोन चार्ज करना हो गया है। इसके लिए बिजली की जरूरत है। यहां के गढ़ भवानीपुर गांव में पंचायत के उ त्तर चांदचक गांव के नजदीक से बिजली की तार गुजरती है। लेकिन लोगों के घरों में अंधेरा है, इसलिए लोग अभी भी लालटेन के सहारे अंधेरा दूर करने में लगे हैं। यही हालत सांकराईल थाना इलाके के नीमतला इलाके के कई घरों की भी है। महानगर से सटे राज्य से किसी जमाने के शेफिल्ड का जब यह हाल है तो दूसरे इलाकों की तो महज कल्पना ही की जा सकती है।

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