Sunday, December 18, 2011

हुगली नदी में कूद कर जान देने की प्रवृति बढ़ रही है

राज्य में आत्महत्या करने वालों की तादाद में लगातार बढ़ो त्तरी हो रही है। मानसिक तौर पर परेशान होकर लोग आत्महत्याएं कर रहे हैं। हावड़ा पुल से हुगली नदी में कूद कर जान देने की प्रवृति बढ़ रही है। आत्महत्या करने वालों ने मेट्रो रेलवे के सामने कूद कर जान देने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इसी तरह हावड़ा पुल आत्महत्या करने वालों का पसंद स्थल बनता जा रहा है। बीते तीन साल में कम से कम दस लोगों ने नदी में कूद कर आत्महत्या की है। इसमें ज्यादातर लोगों ने हावड़ा पुल से कूद कर जान दी है।
पुलिस आंकड़ों के मुताबिक एक दिसंबर को हावड़ा मैदान की रहने वाली पूजा सिंह (22) ने हावड़ा पुल के चार नंबर खंबे के नजदीक से हुगली नदी में छलांग लगाई थी। रिवर ट्रैफिक पुलिस ने देर रात पुल से एक किलोमीटर दूर युवती की लाश बरामद की थी। मामले की जांच के बाद पुलिस को पता चला कि पति के साथ कलह के बाद उसने जाने देने का फैसला किया था।
हुगली नदी में कूद कर जान देने वालों में प्रसिद्ध गीतकार पुलक बंदोपाध्याय शामिल हैं। कर्ज दबे होनेके कारण अगस्त महीने में एक व्यापारी ने आत्महत्या का प्रयास किया था। 18 अगस्त को हावड़ा पुल पर अपनी कार खड़ी करने के बाद व्यापारी ने नदी में छलांग लगा दी थी। हालांकि बाद में पुलिस ने उन्हें जीवित पानी से निकाल लिया था। इससे तीन महीने पहले घुसुड़ी में एक महिला ने अपनी बच्ची को नदी में फेंक दिया था। मालूम हो कि मनोवैज्ञानिक आत्महत्या के कई कारण मानते हैं। इनमें मानसिक तौर पर परेशान, अकेलेपन से दुखी, प्रेम में असफल रहने वाले, शादी नहीं होने के कारण, नौकरी नहीं मिलने के गम में तो लोग आत्महत्या करते ही हैं लेकिनकुछ लोग महज इसलिए अपनी जान दे देते हैं कि उनकी ख्वाहिशें अधूरी रह गई थी।
हावड़ा पुल पर पर्याप्त संख्या में सुरक्षा कर्मचारियों का नहीं रहना, रेलिंग का नीचे रहना आत्महत्या करने वालों के लिए जान देने का आसान रास्ता बनता जा रहा है। हालांकि मानसिक तौर पर परेशान लोग ही ऐसा करते हैं, जिनका मनोबल टूट चुका होता है। दो साल पहले बाबूघाट से हावड़ा आते हुए लांच से कूद कर एक दैनिक पत्रिका के संपादक चंदन चक्रवर्ती ने आत्महत्या की थी। उनकी मौत काकारण तो पता नहीं चल सका लेकिन माना जाता है कि अकेलेपन के कारण मानसिक परेशानी में उनका मनोबल रसातल में चला गया था, जिससे उन्होंने आत्महत्या कर ली। उन्होंने शादी नहीं की थी। माना जा रहा है कि इससे ही वे परेशान रहने लगे थे। हालांकि मनोचिकित्सक मानते हैं कि अविवाहित रहना ही उनकी मौत का कारण था जबकि धार्मिक लोगों का मानना है कि गंगा मां ने उन्हें अपनी शरण में ले लिया।
पुलिस वालों का मानना है कि असावधानी में हर साल कई लोग पानी में डूब जाते हैं। तैरना नहीं जानने के कारण ज्यादातर लोग मौत के आगोश में समा जाते हैं। इसी साल 28 अक्तूबर को हावड़ा के रामकृष्णपुर घाट में प्रतिमा विसर्जन के दौरान ज्वार में एक युवक डूब गया था। बाली, घुसुड़ी, शिवपुर, नाजिरगंज में नदी की गहराई ज्यादा होने के कारण इस तरह से लोगों के डूबने की घटनाएं होती रहती हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि विद्यासागर सेतु (दूसरे हुगली पुल) पर फुटपाथ पर लोगों के चलने पर पाबंदी लगाई हुई है, इसलिए ज्यादातर हावड़ा पुल और बाली पुल को आत्महत्या का जरिया बना लिया जाता है। पिछले साल अहिरीटोला से बांधाघाट जाते समय एक व्यक्ति ने आधे रास्ते जाकरलांच से छलांग लगा दी थी। लांच के कर्मचारियों ने साथ-साथ कूद कर उसे बचा लिया था। हालांकि लांच कर्मचारियों का कहना है कि हुगली नदी का बहाव इतना ज्यादा होता है कि किसी के कूदने पर उसे बचा पाना ज्यादातर मामलों में सं•ाव नहीं होता।
हावड़ा पुल से लोगों के कूदने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नित्ययात्रियों का कहना है कि पुल की रेलिंग लांघ कर नीचे कूदना बहुत ही आसान है। हावड़ा के बंकिम सेतु की तरह रेलिंग के दोनों ओर ऊंची तार का जाल बिछा दिया जाए तो लोगों लोगों को जान देने से रोका जा सकता है। इसके साथ ही पुल पर पुलिस की चौकसी बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
मालूम हो कि हावड़ा पुुल के दोनों ओर कई तरह की दुकाने लगती हैं। जहां सब्जी-तरकारी से लेकर बहुत कुछ बेचा-खरीदा जाता है। पुलिस का कहना है कि हजारों लोगों में कोई अचानक रेलिंग लांघ कर पानी में कूद जाए तो उस पर नजर रखना सं•ाव नहीं है। हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि किसी व्यक्ति के पानी में कूदने पर वहतुरंत लोगों की नजरों में चढ़ जाता है। कुछ ही पल में इस बारे में पुलिस को सूचित किया जाता है। लेकिन पुलिस वाले अपनी कार्रवाई करने में इतनी देरी कर देते हैं कि तब तक व्यक्ति की मौत हो जाती है। रिवर पुलिस के मुताबिक सूरज डूबने के मौके पर ही इस तरह कीघटनाएं होती हैं। अंधेरे के कारण खोज-बीन में समस्या होती है।
मनोवैज्ञानिक कनिका मित्र का कहना है कि हावड़ा पुल तक लोग आसानी से पहुंच जाते हैं, इसलिए वहां से कूद कर आत्महत्या का प्रयास करते हैं। देवाशीष राय का कहना है कि सानफ्रांसिस्को का गोल्डेन गेट ब्रीज आत्महत्याओं के लिए बदनाम है। दुनिया में सबसे ज्यादा आत्महत्या की घटनाएं वहां होती हैं।

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