Friday, December 9, 2011

ममता भी लगी अल्पसंख्यकों को लुभाने के खेल में

ममता बनर्जी सरकार और अधिक 32 समुदाय ओबीसी श्रेणी में शामिल करने जा रही है। इनमें 29 संगठन मुस्लिम समुदाय से संबंधित हैं। हालांकि चुनाव से पहले ममता बनर्जी की ओर से इसका विरोध किया गया था।
इसके साथ ही राज्य ओबीसी संगठन की ओर से 12 संगठनों को ओबीसी में शामिल करने की सिफारिश की गई है। यह सभी मुस्लिम संगठन हैं। वाममोर्चा सरकार ने ओबीसी सूची में पिछड़े और अधिक पिछड़े दो भागों में बांटा था। इसके तहत पिछड़ों के लिएसात और अधिक पिछड़ों के लिए दस फीसद आरक्षण का एलान किया गया था। आर्थिक, सामाजिक और शिक्षण के तौर पर पीछे रहने वाले अल्पसंख्यकों और ओबीसी सूची के लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण देने का फैसला किया गया था। यह सितंबर 2010 से लागू हुआ था। मुख्यमंत्री ने इस बारे में नया बिल लाने का एलान किया था लेकिन पुराने बिल के मुताबिक ही ओबीसी सूची में शामिल किए जाने का काम चल रहा है।
राज्य के अल्पसंख्यक विभाग के सूत्रों ने बताया कि फरवरी 2010 के फरवरी महीने में ओबीसी सूची में कुल मिलाकर 66 संप्रदाय शामिल थे। इनमें 12 मुस्लिम संप्रदाय थे। 2001 की जनगणना के मुताबिक राज्य में मुसलमान समुदाय की कुल आबादी दो करोड़ दो लाख थी। अब 86 फीसद लोग ही पिछड़े लोगों की सूची में शामिल हैं। राज्य की ओबीसी सूची में 108 संप्रदाय के तीन करोड़ 15 लाख से ज्यादा लोग शामिल हैं। इनमें 53 मुस्लिम संगठन हैं। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया था कि देश में 7.2 फीसदी मुसलमान सरकारी नौकरी में हैं जबकि रेलवे में यह संख्या 4.5 फीसद है। दूसरी ओर राज्य में सरकारी नौकरी में 4.7 फीसद मुसलमान काम कर रहे थे।

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