Thursday, July 5, 2012

अब कोलकाता में चलेगे रंग बिरंगे आटोरिक्शा


  राज्य सरकार ने अब आटोरिक्शा पर लगाम लगाने की ठान ली है।  इसके तहत कोलकाता व आसपास के इलाकों को छह इलाकों में बांटा जाएगा। इसके बाद सभी इलाकों का रंग अलग-अलग होगा जिससे एक इलाके का आटोरिक्शा दूसरे इलाके में न जा सके। इतना ही नहीं सभी जगह एक बराबर किराया रखा जाएगा। इसके तहत पहले पांच किलोमीटर तक न्यूनतम किराया पांच रुपए होगा। सभी आटो एलपीजी गैस से चलाए जाने का इंतजाम किया जा रहा है। यह भी तय किया गया है कि किसी नए रुट के लिए मंजूरी न दी जाए।
मालूम हो कि महानगर व आसपास के लोगों को आटोरिक्शा चालकों से भारी शिकायतें हैं। इसके बावजूद आटो चालकों की ओर से बीते कई दिनों से किराया वृद्धि के लिए आंदोलन किया जा रहा है। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से दोनों पक्ष की शिकायतें सुनी गई। सभी इलाकों में एक नीति जारी करने के लिए कमेटी का गठन किया गया था। इसकी सिफारिश हाल में जमा हुई है जिसमें आटोरिक्शा चालकों को कानून के दायरे में लाया जा सके और अनुशासित किया जा सके।
सूत्रों ने बताया कि कमेटी की सिफारिश के मुताबिक सभी रुटों में एक ही किराया किया जाना चाहिए। पहले तीन किलोमीटर तक किराया पांच रुपए किया जाए। इसके बाद पांच किलोमीटर तक किराया सात रुपए, और सात किलोमीटर तक नौ रुपए किए जाने की सिफारिश की है। हालांकि सात किलोमीटर से ज्यादा रुट किसी भी हालत में नहीं होना चाहिए। मौजूदा पांच किलोमीटर तक के रास्ते के लिए आटोचालक 10-11 रुपए तक किराया वसूल करते हैं। यह भी सिफारिशकी गई है कि आटो को पूरे रूट पर चलना होगा, अगर बाली से डनलप तक आटो रुट है तो वह बाली से दक्षिणेश्वर तक नहीं चला सकता है।
राज्य सरकार ने आटोरिक्शा पर अंकुश लगाने के लिए आशिषरंजन ठाकुर के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया गया था। उन्होंने सिफारिश की है कि अब आटो चलाने के लिए छह भागों में बांटने की सिफारिश की गई है। इसमें हर इलाके के लिए अलग-अलग रंग होने चाहिए। इसके तहत उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम कोलकाता को छोड़कर उत्तरी शहरी इलाका और दक्षिण शहरी इलाका निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि एक रुट का आटो दूसरे रुट में न चल सके।
परिवहन विभाग के सूत्रों ने बताया कि किस इलाके में किसरंग का आटो चलेगा, यह प्रशासन की ओर से तय किया जाएगा। इसका जिक्र आटो के परमिट में भी किया जाएगा। जिससे रंग देख कर ही आटो की पहचान हो सके। आम तौर पर देखा गया है किआटो चालक का घर उसी इलाके में होता है, जहां वह आटो चलाता है इसलिए दूसरे इलाके में आटो लेकर जाने की ज्यादा जरुरत नहीं होती। इसके साथ ही इलाके के सभी पंप में एलपीजी गैस  की व्यवस्था हो, इसकी भी सिफारिश की गई है। इसके साथ ही कमेटी ने सिफारिश की है कि नए रुट और परमिट देना बंद किया जाए। आरोप है कि कोलकाता में दस हजार से ज्यादा आटोरिक्शा बगैर परमिट के चल रहे हैं। कमेटी ने ऐसे आटो को तुरंत नियमित करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि सभी आटो गैस से नहीं चल रहे हैं, इसलिए यह प्रक्रिया भी जल्द से जल्द पूरीकी जाए। कोलकाता में आटोरिक्शा के 125 रुट हैं, लेकिन इन्हें राज्य सरकार ने मंजूरी प्रदान नहीं की है भले ही आंचलिक परिवहन अधिकारी (आरटीओ) से मान्यता मिली हुई है। ऐसे रुट को मंजूरी देने की सिफारिश भी की गई है। माना जा रहा है कि इससे आटो चालकों की मनमानी बंद होगी और कानून में शिकंजे में आने के बाद किराया व संचालन ठीक होने से लोगों को राहत मिल सकेगी।
मालूम हो कि राज्य सरकार ने पेट्रोल से गैस में परिवर्तित करने के लिए सभी आटो को हरे रंग का करने का निर्देश दिया था। लेकिन इसके बाद पेट्रोल से चलने वाले आटो चालकों ने भी रंग बदल लिया और प्रशासन को इसका पता ही नहीं चल सका। क्या इस बार भी वैसा ही होगा, इस बारे में परिवहन विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि यह देखना पुलिस का काम है। जबकि पुलिस वालों का कहना है कि पहले ही कर्मचारियों की संख्या कम है, इसके बाद नए काम देखना संभव नहीं है।

























अब कोलकाता में चलेगे रंग बिरंगे आटोरिक्शा

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