Monday, February 27, 2012

क्या बंगाल में बंद कल्चर में भी होगा परिवर्तन?


किसी जमाने में बंद का मतलब ताकत का प्रदर्शन करना था। एक राजनीतिक दल की ओर से बंद का एलान किया जाता था तो दूसरा दल उसका विरोध करता था। लेकिन बाद में हालात बदलते गए। पश्चिम बंगाल के लोगों ने बंद को छुट्टी के तौर पर स्वीकार कर लिया। जब भारतीय जनता पार्टी और एसयूसीआई जैसे राजनीतिक दल के ओर से बुलाए गए बंगाल बंद को भी जबरदस्त सफलता मिली। हालांकि दोनों राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की संख्या इतनी ज्यादा नहीं है कि राज्य को ठप किया जा सके। लेकिन इसके बावजूद दोनों दलों के बंद को व्यापक सफलता मिली थी। लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं। ममता बनर्जी ने बंद को नाकाम करने के लिए सख्त रवैया अपनाया हुआ है। राज्य में ऐसे वातावरण में मंगलवार को वामपंथी संगठनों की ओर से देशव्यापी औद्योगिक हड़ताल के विरोध में राज्य सरकार की ओर से की गई सख्ती का क्या कोई असर होगा या जिस तरह ब्रिगेड रैली में माकपा ने जोरदार ताकत का प्रदर्शन किया था, बंद के दौरान भी उसी तरह की शक्ति प्रदर्शन का नजारा देख कर पहले से कई समस्याओं में घिरी राज्य सरकार को शर्मिंदगी उठानी होगी?
हावड़ा में बंद के पुराने दिनों को याद करते हुए मनजीत कौर ने बताया कि बचपन के दिनों में बंद का मतलब आज जैसा बंद नहीं था। कांग्रेस और माकपा दो ही प्रमुख राजनीतिक दल थे , दोनों के अपने संगठन थे। एक की ओर से बंद के दौरान दूसरे दल का कामकाज सामान्य तौर पर जारी रहता था। परिवहन में भी आधी बसें बंद रहती थी जो आधी चलती थी। यही हाल बाजार, दुकानों का था। सिनेमाहाल भी दोनों दलों में बंटे हुए थे। शालीमार सिनेमा हाल खुला रहता था तो झर्णा बंद रहता था। वेलिंग्टन बंद रहता था तो सपना खुला रहता था। लेकिन बाद के दिनों में कोई भी बंद की अपील करे तो शत प्रतिशत बंद होता था। इसलिए मंगलवार को भी बंद सफल रहेगा।
सालों से चाय की दुकान चला रहे बाबू दा का कहना है कि हमारी दुकान तो हमेशा खुली रहती है इसलिए कल भी खुली रहेगी। लेकिन बंद को सफल तो होना ही है। डनलप इलाके में वैसे भी माकपा की खासी ताकत है। इसके अलावा लोग बंद में छुट्टी मनाना ही ठीक समझते हैं।
कोलकाता में रश्मि शर्मा ने कहा कि बंद तो पहले ही सफल हो गया है। राज्य के ज्यादातर स्कूल-कालेज में पहले ही छुट्टी घोषित कर दी गई है। इसी तरह प्राइवेट संस्थाओं में लोग भी गैरहाजिर ही रहेंगे। रवि मतवाल का कहना था कि हमारे इलाके में तो सरकारी बसें चलती नहीं हैं और बंद के दिन निजी परिवहन व्यवस्था ठप रहती है। इसलिए बंद के दिन दफ्तर जाने की बात सोचना भी कठिन ही है। कोलकाता नगर निगम में काम करने वाले एक कर्मचारी विकास के मुताबिक प्रशासन की ओर से एलान किया गया है कि किसी भी तरह की छुट््टी मंजूर नहीं की जाएगी। लेकिन बागनान से कोलकाता पहुंचना संभव नहीं है। ट्रेन सेवा सामान्य रही तो दफ्तर जाने के बारे में सोचा जा सकता है। ट्रेन बंद रही तो दफ्तर जाने का सवाल ही नहीं है।
बंद के दौरान किसी तरह की समस्या से बचने के लिए दो एपीजे स्कूल, बिड़ला हाई स्कूल फार ब्वायज, महादेवी बिड़ला गर्ल्स हायर सेकें डरी स्कूल भारतीय विद्या भवन ने पहले ही परीक्षा का दिन परिवर्तित कर दिया है। सेंट जेम्स स्कूल, द हेरिटेज स्कूल, श्री शिक्षायतन और बालीगंज शिक्षा सदन ने मंगलवार को स्कूल बंद रखने का फैसला किया है। इसी तरह हावड़ा में भी ज्यादातर स्कूलों ने बंद का एलान कर दिया है। जबकि कुछ स्कूल के प्रबंधकों ने छुट््टी का एलान नहीं किया है लेकिन अभिभावकों को बता दिया गया है कि स्कूल बंद रहेगा बच्चों को नहीं भेजे।
डनलप से अंकुलहाटी होकर पांचला जाने वाली 79 रुट के बस चालकों का कहना है कि बंद के दिन बसें बंद रहेंगी। इसी तरह हावड़ा से आलमपुर के बीच चलने वाली रुट नंबर 61 के कंडक्टर ने भी बताया कि बंद के दिन बसें बंद रहेगी। मौड़ीग्राम-साल्टलेक के बीच चलने वाली मिनी बस चालकों और नाजिरगंज तक चलने वाले ट्रैकर चालकों का भी कहना है कि मंगलवार को उनके वाहन बंद ही रहेंगे।
गोविंद रावत के मुताबिक कोलकाता में राज्य सरकार की ओर से सरकारी बसें चलाई जाती हैं। इस बार भी ऐसा हो सकता है लेकिन हावड़ा में प्राइवेट बसें ही चलती हैं। सरकारी बसें तो यहां चलती नहीं है। इसलिए परिवहन सौ फीसद बंद रहेगा इसमें किसी तरह  का संदेह नहीं है। हालांकि राज्य के परिवहन विभाग के मंत्री मदन मित्रा का कहना है कि किसी तरह की समस्या होने पर सीधे उनके मोबाईल नंबर 98303-21032 पर संपर्क किया जा सकता है।
राज्य सरकार के सख्त रवैये को देखते हुए कुछ लोगों का मानना है कि हिंसक संघर्ष हो सकते हैं। लेकिन क्या बंद पुरानी राह पर लौटेगा जब एक दल के इलाके में बंद प्रभावहीन रहता था तो दूसरे के इलाके में शत प्रतिशत बंद रहता था या समूचा राज्य पारंपरिक तौर पर ठप रहेगा?

क्या बंगाल में बंद कल्चर में भी होगा परिवर्तन?


किसी जमाने में बंद का मतलब ताकत का प्रदर्शन करना था। एक राजनीतिक दल की ओर से बंद का एलान किया जाता था तो दूसरा दल उसका विरोध करता था। लेकिन बाद में हालात बदलते गए। पश्चिम बंगाल के लोगों ने बंद को छुट्टी के तौर पर स्वीकार कर लिया। जब भारतीय जनता पार्टी और एसयूसीआई जैसे राजनीतिक दल के ओर से बुलाए गए बंगाल बंद को भी जबरदस्त सफलता मिली। हालांकि दोनों राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की संख्या इतनी ज्यादा नहीं है कि राज्य को ठप किया जा सके। लेकिन इसके बावजूद दोनों दलों के बंद को व्यापक सफलता मिली थी। लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं। ममता बनर्जी ने बंद को नाकाम करने के लिए सख्त रवैया अपनाया हुआ है। राज्य में ऐसे वातावरण में मंगलवार को वामपंथी संगठनों की ओर से देशव्यापी औद्योगिक हड़ताल के विरोध में राज्य सरकार की ओर से की गई सख्ती का क्या कोई असर होगा या जिस तरह ब्रिगेड रैली में माकपा ने जोरदार ताकत का प्रदर्शन किया था, बंद के दौरान भी उसी तरह की शक्ति प्रदर्शन का नजारा देख कर पहले से कई समस्याओं में घिरी राज्य सरकार को शर्मिंदगी उठानी होगी?
हावड़ा में बंद के पुराने दिनों को याद करते हुए मनजीत कौर ने बताया कि बचपन के दिनों में बंद का मतलब आज जैसा बंद नहीं था। कांग्रेस और माकपा दो ही प्रमुख राजनीतिक दल थे , दोनों के अपने संगठन थे। एक की ओर से बंद के दौरान दूसरे दल का कामकाज सामान्य तौर पर जारी रहता था। परिवहन में भी आधी बसें बंद रहती थी जो आधी चलती थी। यही हाल बाजार, दुकानों का था। सिनेमाहाल भी दोनों दलों में बंटे हुए थे। शालीमार सिनेमा हाल खुला रहता था तो झर्णा बंद रहता था। वेलिंग्टन बंद रहता था तो सपना खुला रहता था। लेकिन बाद के दिनों में कोई भी बंद की अपील करे तो शत प्रतिशत बंद होता था। इसलिए मंगलवार को भी बंद सफल रहेगा।
सालों से चाय की दुकान चला रहे बाबू दा का कहना है कि हमारी दुकान तो हमेशा खुली रहती है इसलिए कल भी खुली रहेगी। लेकिन बंद को सफल तो होना ही है। डनलप इलाके में वैसे भी माकपा की खासी ताकत है। इसके अलावा लोग बंद में छुट्टी मनाना ही ठीक समझते हैं।
कोलकाता में रश्मि शर्मा ने कहा कि बंद तो पहले ही सफल हो गया है। राज्य के ज्यादातर स्कूल-कालेज में पहले ही छुट्टी घोषित कर दी गई है। इसी तरह प्राइवेट संस्थाओं में लोग भी गैरहाजिर ही रहेंगे। रवि मतवाल का कहना था कि हमारे इलाके में तो सरकारी बसें चलती नहीं हैं और बंद के दिन निजी परिवहन व्यवस्था ठप रहती है। इसलिए बंद के दिन दफ्तर जाने की बात सोचना भी कठिन ही है। कोलकाता नगर निगम में काम करने वाले एक कर्मचारी विकास के मुताबिक प्रशासन की ओर से एलान किया गया है कि किसी भी तरह की छुट््टी मंजूर नहीं की जाएगी। लेकिन बागनान से कोलकाता पहुंचना संभव नहीं है। ट्रेन सेवा सामान्य रही तो दफ्तर जाने के बारे में सोचा जा सकता है। ट्रेन बंद रही तो दफ्तर जाने का सवाल ही नहीं है।
बंद के दौरान किसी तरह की समस्या से बचने के लिए दो एपीजे स्कूल, बिड़ला हाई स्कूल फार ब्वायज, महादेवी बिड़ला गर्ल्स हायर सेकें डरी स्कूल भारतीय विद्या भवन ने पहले ही परीक्षा का दिन परिवर्तित कर दिया है। सेंट जेम्स स्कूल, द हेरिटेज स्कूल, श्री शिक्षायतन और बालीगंज शिक्षा सदन ने मंगलवार को स्कूल बंद रखने का फैसला किया है। इसी तरह हावड़ा में भी ज्यादातर स्कूलों ने बंद का एलान कर दिया है। जबकि कुछ स्कूल के प्रबंधकों ने छुट््टी का एलान नहीं किया है लेकिन अभिभावकों को बता दिया गया है कि स्कूल बंद रहेगा बच्चों को नहीं भेजे।
डनलप से अंकुलहाटी होकर पांचला जाने वाली 79 रुट के बस चालकों का कहना है कि बंद के दिन बसें बंद रहेंगी। इसी तरह हावड़ा से आलमपुर के बीच चलने वाली रुट नंबर 61 के कंडक्टर ने भी बताया कि बंद के दिन बसें बंद रहेगी। मौड़ीग्राम-साल्टलेक के बीच चलने वाली मिनी बस चालकों और नाजिरगंज तक चलने वाले ट्रैकर चालकों का भी कहना है कि मंगलवार को उनके वाहन बंद ही रहेंगे।
गोविंद रावत के मुताबिक कोलकाता में राज्य सरकार की ओर से सरकारी बसें चलाई जाती हैं। इस बार भी ऐसा हो सकता है लेकिन हावड़ा में प्राइवेट बसें ही चलती हैं। सरकारी बसें तो यहां चलती नहीं है। इसलिए परिवहन सौ फीसद बंद रहेगा इसमें किसी तरह  का संदेह नहीं है। हालांकि राज्य के परिवहन विभाग के मंत्री मदन मित्रा का कहना है कि किसी तरह की समस्या होने पर सीधे उनके मोबाईल नंबर 98303-21032 पर संपर्क किया जा सकता है।
राज्य सरकार के सख्त रवैये को देखते हुए कुछ लोगों का मानना है कि हिंसक संघर्ष हो सकते हैं। लेकिन क्या बंद पुरानी राह पर लौटेगा जब एक दल के इलाके में बंद प्रभावहीन रहता था तो दूसरे के इलाके में शत प्रतिशत बंद रहता था या समूचा राज्य पारंपरिक तौर पर ठप रहेगा?

Sunday, February 26, 2012

माकपा के 40 नेता हिट लिस्ट में, कभी भी हो सकता है हमला

माकपा के कम से कम 40 नेता ऐसे हैं जो हिट लिस्ट में शामिल है। राजनीतिक कारणों से ही कभी भी ऐसे लोगों को मारपीट, विरोध प्रदर्शन या जन आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है। स्टेट सिक्यूरिटी रिव्यू कमेटी (एससीआरसी) के अधिकारियों की ओर से यह आंकलन किया गया है। नई सरकार के गठन के बाद खास लोगों की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में राईटर्स बिल्डिंग में बीते दिनों कमेटी की बैठक हुई थी। इस बैठक में माकपा नेताओं की सुरक्षा बहाल रखने के बारे में फैसला किया गया।


सूत्रों का कहना है कि जिलों से राज्य प्रशासन को बताया गया था कि माकपा नेताओं को सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है। लेकिन कमेटी की ओर से जिलों की ज्यादातर सिफारशें रद्द कर दी गई हैं। इस बारे में जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किया गया है। हालांकि माकपा नेताओं की सूची में प्रदीप ता का नाम शामिल नहीं है। उनकी बीते दिनों हत्या कर दी गई थी।

राज्य के सुरक्षा अधिकारी वीरेंद्र के नेतृत्व में केंद्र व राज्य समेत कोलकाता पुलिस के खुफिया विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी। इसमें सुरक्षा व्यवस्था के बारे में विचार-विमर्श के दौरान ऐसे लोगों की सूची बनाई गई जिनके नाम हिट लिस्ट में शामिल हैं। कुल मिलाकर सरकारी सुरक्षा प्रदान करने वालों की सूची में 191 लोगों के नाम हैं, इनमें कम से कम माकपा के 40 लोगों के बारे में खास तौर पर एलर्ट किया गया है।

सूत्रो के मुताबिक नई सुरक्षा व्यवस्था फरवरी के प्रथम सप्ताह से शुरू हुई है। माकपा के हिट लिस्ट में शामिल नेताओं में अमिय पात्र, सुशांत घोष, दीपक सरकार, लक्ष्मण सेठ, निरुपम सेन, अनिल बसु, रुपचंद मुर्मू, देवलीन हेमब्रग, असीमदासगुप्ता, गौतम देव, दीनेश डाकुआ, मणींद्र गोप, पार्थ दे, मानिक सान्याल, खगेन महतो, कृ ष्णपद दूले का नाम शामिल है।

Wednesday, February 22, 2012

कम्युनिस्टों ने भी हड़ताल के दिन गैर हाजिर कर्मचारियों का वेतन काटने के सर्कुलर जारी किए थे।


राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने आगामी 28 फरवरी को देशभर में होने वाली औद्योगिक हड़ताल के दिन सभी कर्मचारियों को दफ्तर पहुंचने का निर्देश जारी करते हुए कहा है कि गैर हाजिर रहने वाले कर्मचारियों का तनख्वाह काटने से लेकर सर्विस ब्रेक जैसे कदम भी उठाए जा सकते हैं। मालूम हो कि राज्य में विरोधी दल की ओर से बुलाए गए बंद को नाकाम करने के लिए राज्य में पहले भी ऐसे निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
 1996 और 2004 में विरोधी दल की ओर से प्रस्तावित तीन बंद के दौरान तत्कालीन मुख्य सचिव ने तनख्वाह काटने का निर्देश जारी किया था। मुख्य सचिव समर घोष ने 28 फरवरी की हड़ताल के मद्देनजर सर्कूलर जारी करके कहा है कि उस दिन कर्मचारियों की छुट्टी किसी भी तरह मंजूर नहीं की जाएगी। हालांकि राज्य सरकार गैर हाजिर रहने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई कर सकती है इस बारे में कुछ साफ नहीं किया गया है। इससे सरकारी कर्मचारियों में परेशानी व्याप्त है। वाहन नहीं मिलने और पारिवारिक कारणों से गैर हाजिर रहने वालों का क्या होगा, यह साफ नहीं है। हालांकि सरकारी कर्मचारियों के सर्विस नियम के तहत मंजूरी के बगैर छुट््टी लेने वाले कर्मचारी की तनख्वाह काटने के साथ ही कारण बताओ नोटिस व सर्विस ब्रेक भी किया जा सकता है। सर्विस ब्रेक होने पर कर्मचारी नियुक्ति के समय वाले पद पर लौट जाएगा, इतना ही नहीं वरिष्ठता समाप्त होने पर पद्दोन्नित (प्रमोशन) से भी वंचित रहेंगे। इससे पहले कांग्रेस के शासनकाल में गैर कांग्रेसी कर्मचारियों का सर्विस ब्रेक किया गया था। 1977 में सत्ता में आने के बाद वाममोर्चा ने निर्देश रद्द किया था।
 वाममोर्चा की सरकार ने पांच जुलाई 1996 को कांग्रेस, 17 नवंबर 2004 को एसयूसीआई और 3 दिसंबर  2004 को तृणमूल कांग्रेस की हड़ताल के दौरान गैरहाजिर रहने वाले कर्मचारियों  की तनख्वाह काटने का निर्देश जारी किया था। हालांकि 1996 के निर्देश में कहा गया था कि बीमारी, परिवहन हड़ताल या किसी और जरुरी काम के बगैर नहीं आने वालों की तनख्वाह काटी जाएगी। जबकि बाकी दोनों हड़ताल में गैरहाजिर रहने पर तनख्वाह काटने का निर्देश जारी किया गया था। लेकिन वास्तविकता यह है कि गैर हाजिर कर्मचारियों की तनख्वाह नहीं काटी गई। सूत्रों का कहना है कि सरकारी निर्देश पर गैर हाजिर रहने वाले कर्मचारियों छुट््टी के लिए आवेदनकरने को कहा जाता था, लेकिन कोई भी कर्मचारी ऐसा नहीं करता था। उनकी छुट््टी भी नहीं काटी जाती थी। हाजरी खाते में एक लकीर खींच दी जाती थी। हालांकि विरोधियों  की हड़ताल के दिन गैर हाजिर रहने वाले कर्मचारियों को आवेदन भी करना पड़ता था और छुट्टी भी काटी जाती थी।

Monday, February 13, 2012

कोलकाता में वेलेंटाइन डे के मौके पर 200 रुपए का हीरा



 वेलेंटाइन दिवस के मौके पर कोलकाता, हावड़ा समेत विभिन्न इलाकों में भारी मात्रा में गुलाब के फूल बिक रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही 160 रुपए के हीरे की भारी मांग है।
हालांकि जानकारों का कहना है कि एक कैरेट हीरे की कीमत लगभग दो लाख रुपए है। हीरे की चमक उसके कट पर होती है। जितनी कारीगरी से कटाई की जाए, उतनी ही चमक बढ़ती है। लेकिन एक हीरे की कटाई के दौरान हीरे के टुकड़े या स्क्रैप निकलते हैं। इन टुकड़ों को दोबारा काटा जाता है। इसके एक हीरे का टुकड़ा मिलता है लेकिन इसका भी स्क्रैप निकलता है। ऐसे एक हीरा बनने की प्रक्रिया में ढेर सारे टुकड़े तैयार होते हैं। एक कैरेट हीरे का वजन 100 सेंट और कीमत दो लाख रुपए होती है। इसकी कटाई से निकलने वाले एक कैरेट हीरे की कीमत 30 हजार रुपए आंकी गई है। ऐसे हीरे के तीस टुकड़े करने पर उनकी कीमत एक-एक हजार रुपए होगी। लेकिन 3.3 सेंट के इस हीरे के तीन टुकड़े करने पर इसकी कीमत 160 रुपए से लेकर 200 रुपए के बीच होगी। लेकिन क्या इसे हीरा कहा जा सकता है?
व्यापारियों का कहना है कि कटते-कटते हीरे की चमक तो कम हो जाती है लेकिन आखिर वह हीरा ही तो है। इसके अलावा 24 कैरेट सोने के बजाए 18 कैरेट सोने को हीरे में गढ़ा जाता है। इससे सोने की कीमत भी लगभग आधी हो जाती है। इस तरह 160 रुपए के हीरे पर सोना लगा कर 1500 रुपए में हाल मार्क उपहार तैयार किया जा सकता है। जो युवाओं की पहली पसंद बन गया है।
हालांकि वेलेंटाइन दिवस के मौके पर सबसे ज्यादा लाल गुलाब के फूल, संगीतमय ग्रीटींग कार्ड भी जमकर बिक रहे हैं। इसके साथ ही कपड़े और गुड़िया खरीदने वालों की भी सोमवार सुबह से ही न्यू मार्केट इलाके में भीड़ लगी रही।


Sunday, February 12, 2012

ममता अब फिल्मी गीतकार भी बनेंगी


  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी   की पहचान पहले ही एक  चित्रकार और कवि के तौर पर है। अब वे एक नया काम करने जा रही हैं। पता चला है कि  जल्द ही वह एक फिल्म के गीतकार के तौर पर दिख सकती हैं। अभिनेता  से विधायक बने चिरंजीत की लड़कियों की तस्करी पर बनने वाली फिल्म के गीतों को लिखने के लिए ममता ने हामी भरी है ।
विधानसभा चुनाव तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले लोकप्रिय अदाकार ने कहा कि दीदी ने फिल्म का एक गीत लिखने के लिए हामी जताई है । इसके साथ ही उन्होंने कहा, देखिए आगे चीजें कैसे बढती हैं । अदाकार ने इस बात का खुलासा किया कि मुख्यमंत्री ने उन्हें कोलकाता के बाहरी इलाके में स्थित उनके विधानसभा क्षेत्र बारासात की सच्ची घटना पर पटकथा लिखने को भी प्रेरित किया ।  इस विषय पर  लिखी पटकथा के बाद उन्होंने गीत लिखने की बात स्वीकार की है। उनका कहना है कि दीदी में लोगों के जुड़ने की बहुत क्षमता है। इसके साथ ही वे अपने विचारों की अभिव्यक्ति भी बहुत अच्छे तरीके से करती हैं।
मालूम हो कि ममता बनर्जी के कहने पर ही उन्होेंने पहली बार 1996 में भोय (डर) नामक फिल्म का निर्देशन किया था। इसकेसाथ ही फिल्म में उन्होंने अभिनय भी किया था। अब दूसरी बार वे फिल्म का निर्देशन करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लड़कियों की तस्करी के बारे में बनने वाली फिल्म में भी एक फिल्म होगी जिसका नायक इस मामले कीखोज के लिए एक वृत चित्र का निर्माण कर रहा है। मुख्य भूमिका भी वे ही निभाएंगे। हालांकि उन्होंने फिल्म के बारे में इससे ज्यादा कुछ बताने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मेरे इलाके में लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते लेकिन घरों में केबल कनेक्शन होने के कारण हिंदी और बांग्ला फिल्में देखते हैं।

Tuesday, February 7, 2012

गुमराह होकर बना माओवादी


   पश्चिम मेदिनीपुर जिले में  मेदिनीपुर कोतवाली क्षेत्र स्थित जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में मंगलवार को आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी चिरंजीत महतो ने कहा कि माओवाद का रास्ता अपना कर उन्होंने बड़ी भूल की। गुमराह होकर की गई गलती को अब वह सुधारना चाहता है। मालूम हो कि मंगलवार पत्नी अनिमा महतो के साथ चिरंजीत ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया।
अपने बारे में बताते हुए उसने कहा कि  2008 में  शालबनी के शालपंट्टी हाई स्कूल की कक्षा दसवीं का छात्र था। तभी माओवादियों ने तरह - तरह का लालच दिखा कर उसे अपने दस्ते में शामिल कर लिया। उसे माओवादी नेता राखाल के अधीन काम करने की जिम्मेदारी मिली। 2009 में उसे पीडब्लयूजी में शामिल करने के साथ ही माओवादियों ने उसे बाकायदा अस्त्र प्रशिक्षण भी दिया। प्रशिक्षण के बाद 2010 में उसे लालगढ़ के कांटापहाड़ी और शालबनी के मधुपुर इलाके का डिपुटी कमांडर बनाया गया। इसके बाद 2011 में उसे एरिया कमांडर बनाया गया। लोकसभा चुनाव के समय उसे झारखंड भेज दिया गया। इस बीच 2009 को मेदिनीपुर कोतवाली थाना क्षेत्र के चंपाशोल की निवासी अनिमा से उसका परिचय हुआ, वह भी माओवादी संगठन में शामिल थी। कुछ दिनों के परिचय के बाद दोनों विवाह सूत्र में बंध गए। झारखंड जाने के बाद उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, और उन्होंने अपनी गतिविधियां काफी कम कर दी। बातचीत के क्रम में अनिमा ने कहा कि विवाह के बाद उनके विचार बदल गए, और उन्हें माओवादी गतिविधियों से चिढ़ हो गई। चिरंजीत के मुताबिक माओवादियों के बीच वह निर्मल उर्फ लंबू उर्फ कालू के नाम से जाना जाता था। सामान्य जीवन जीने की इच्छा से हमने समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया।
आईजी गंगेश्वर सिंह ने बताया कि पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा व पुरुलिया जिलों में अब तक माओवादियों ने 300 लोगों की हत्या की है। इसी के साथ 25 माओवादी अब तक पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर चुके हैं। कई माओवादी हमारे संपर्क में है। जल्द ही वे भी पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले हैं।

Saturday, February 4, 2012

अंकुरहाटी में बनेगा ज्वेलरी हब -ममता



  मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि अंकुरहाटी में ज्वेलरी हब का निर्माण किया जाएगा। शनिवार को सांकराईल में जरी हब का उद्घाटन करने के मौके पर उन्होंने एलान किया कि डोमजूड़ व अंकुरहाटी में चार एकड़ सरकारी जमीन पर हब का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही दूसरे कई इलाकों में ज्वेलरी हब बनाए जाएंगे।
मु्ख्यमंत्री ने कहा कि हावड़ा में जरी उद्योग को बढ़ावा देनेके लिए जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय बा जार तैयार किया जाए। इसके लिए लोगों को ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि बाजार में जरी की साड़ी की कीमत 20 हजार रुपए से लेकर 25 लाख रुपए तक है। हब के लोगों को ध्यान रखना होगा कि जो लोग घरों में ऐसा सामान बनाते हैं, उनका सामान वाजिब कीमत पर खरीदे।
ममता ने कहा कि इसके लिए जरी बैंक की आवश्यकता है। जहां पर जरी का सामान खरीदा जाए और यहां से उसे विदेश भजा जाए। जिससे हमारे लोगों को बाहर जाकर काम करने की जरूरत ही न हो। एक युवक घर में 10 हजार रुपए में साड़ी तैयार करता है तो उसे मुनाफे समेत कीमत मिलनी चाहिए, जरूरी नहीं कि हब में काम करने वालो को ही मुनाफा मिले। उन्होंंने कहा कि देश ही नहीं विदेश में  लोगों में लघु उद्योग लगाने पर जोर दिया जा रहा है। जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिले और हावड़ा को केंद्र में रखकर व्यापारिक गतिविधियां तय की जा सकें।