Monday, January 30, 2012

एक साल बाद भी नहीं मिली पोस्टमार्टम रिपोर्ट


 पति ने एक साल पहले आत्महत्या की थी लेकिन अभी तक परिवार के लोगों को उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है। इससे मृतक की पत्नी की नौकरी से लेकर दूसरी सहूलते मिलने का राह बंद हो गया है। अस्पताल से लेकर मुख्यमंत्री के कार्यालय तक कई बार चक्कर लगानेके बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ है।
सूत्रों से पता चला है कि हावड़ा जिले के आनुलिया इलाके में देवांदी गांव के रहने वाले देवानंद कराति ने 21 जनवरी को आत्महत्या की थी। गांव में पोस्टमास्टर के पद पर कार्यरत व्यक्ति की अस्वाभाविक तरीके से हुई मौत के कारण लाश पोस्टमार्टम के लिए उलबेड़िया अस्पताल में भेजा गया था। लेकिन साल भर बाद भी लाश के पोस्टमार्टम केबारे में रिपोर्ट नहीं मिल सकी है। इससे परिवार को मिलने वाली बकाया रकम बैंक-डाकघर में रुकी पड़ी है। कराति के परिवार वाले बगैर पोस्टमार्टम रिपोर्ट के नौकरी का आवेदन भी नहीं कर सकते।
मालूम हो कि परिवार में कराति की पत्नी छंदा कराति
उनकी  दो बेटियां हैं। एक लड़कीकालेज में पढ़ती है जबकि दूसरी स्कूल में पढ़ती है। छंदा के भाई प्रणव कुमार कोले का कहना है कि बहन का परिवार एक साल से उनके घर रह रहा है। बहन छोटा-मोटा कुछ काम करती है लेकिन इससे बेटियोंकी पढ़ाई संभव नहीं है। एक डाक्टर की गलती के कारण सारा परिवार संकट में फंस गया है। लंबे समय तक उलबेड़िया अस्पताल की बाट जोहने के बाद भी जब कुछ फायदा नहीं हुआ तो प्रशासन से गुहार लगाई गई। एसडीओ से लेकर जिलास्वास्थ्य विभाग तक चक्कर लगानेके बाद भी कुछ फायदा नहीं हुआ। इसके बाद छंदा ने महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा। लेकिन पत्र मिलने के बारे में भी कुछ नहीं भेजा गया। इससे परिवार संकट में है।
लेकिन एक साल तक आखिर क्यों नहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली, इसका क्या कारण है। सूत्रों का कहना है कि डाक्टर प्रदीप भट््टाचार्य उलबेड़िया अस्पताल में पोस्टमार्टम विभाग का काम देख रहे थे। लेकिन बाद में उनका तबादला जगाछा ब्लाक में कर दियागया। इस दौरान उन्हें सरकारी तौर पर पहले रीलीज कर दिया गया लेकिन हैंडओवर बाद में हुआ। इससे एक महीने तक उनका वेतन भी रुका रहा। प्रशासनिक जटिलताओं के कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी फंस गई। भट््टाचार्य मानते हैं कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट और उनके तबादले में एक महीने का फर्क है। लेकिन इस दौरान पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्यों नहीं पेश की गई। उनका कहना है कि रिपोर्ट के लिए ज्यादा समय नहीं लगता है। लेकिन इसका मतलब यहभी नहीं है कि यह काम हड़बड़ी में पूरा किया जाए।
हावड़ा जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डाक्टर साथी दत्त का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने में देरीकी जाती है तो यह गलत काम है। यह काम जल्द से जल्द होना चाहिए। उनका कहना है कि भले ही डाक्टर का तबादला हो गया हो लेकिन वे अपनी जिम्मेवारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते। इस बारे में डाक्टर को पत्र लिख कर मामले की जानकारी मांगी गई है। लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है। इस बारे में उन्हें दोबारा निर्देश दिया जाएगा।

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