Thursday, November 29, 2012

पश्चिमी सभ्यता से अलग है सिख धर्म


  रंजीत लुधियानवी
कोलकाता, 28 नवंबर। सिख धर्मa में कर्मकांड और अंधविश्वास की कोई जगह नहीं है, लेकिन लोग अज्ञान के चक्कर में पड़ कर ऐसी हरकतें करते है,ं जिनका सिख धर्म से कोई संबंध नहीं है। श्री दरबार साहिब (हरमंदिर साहिब, अमृतसर) के हेड ग्रंथी ज्ञानी जसवंत सिंह ने बुधवार को यह विचार व्यक्त किए। गुरु नानक देव जी के 544 वें पावन प्रकाश उत्सव के मौके पर महानगर कोलकाता के शहीद मिनार में आयोजित तीन दिवसीय गुरमति समागम के अंतिम दिन उन्होंने यह विचार प्रकट किए। श्री गुरू सिंह सभा,कोलकाता की ओर से गुरु नानक जयंती के मौके पर यह आयोजन किया गया। इस मौके पर स्थानीय धर्म प्रचारकों के अलावा पंजाब से पहुंचे कई प्रचारकों ने भी कथा,कीर्तन किया। मालूम हो कि अखंड पाठ के शुभारंभ के दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी यहां पहुंची थी। आज यहां आने वालों में कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चट््टोपाध्याय समेत कई लोग थे।
ज्ञानी जसवंत सिंह ने इस मौके पर कहा कि विवाह के पहले सिखों में रिंग सेरेमनी करना का प्रचलन इन दिनों खासा चल रहा है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सामने फेरे लेने से पहले यह रस्म की जा रही है। गुरू के सामने विवाह से पहले सिख धर्म में किसी पुरुष के लिए दूसरी महिला का हाथ पकड़ना और किसी महिला की ओर से दूसरे पुरुष का हाथ पकड़ना पूरी तरह से गलत है। जब तक शादी नहीं होती दोनों एक दूसरे को स्पर्श भी नहीं कर सकते। क्या पता उनका विवाह होगा भी या नहीं। लेकिन लोग इससे पहले अंगुठी पहनाने की रस्म रिंग सेरेमनी कर रहे हैं।
इसी तरह सिख धर्म अंधविश्वास का खंडन करता है। गुरू नानक देव जी ने बचपन से इस दिशा में प्रचार शुरू कर दिया था जब उन्होंने जनेउ धारण करने से इंकार कर दिया था। इसके बाद दसवें गुरू श्री गुरू गोविंद सिंह जी की ओर से खालसा पंथ की स्थापना करने के बाद साफ तौर पर एलान कर दिया गया कि सिखों को सिर्फ श्री गुरू ग्रंथ साहिब के सामने शीश झुकाना है। इसके अलावा किसी के सामने नतमस्तक नहीं होना है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। यह सीधी तौर पर धर्म विरोधी काम है।
चाची, मौसी , मामी को आंटी कहकर पुकारने पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सिंह ने कहा कि इससे रिश्ते की पहचान नहीं रहती है जबकि हमारी भाषा में अलग-अलग रिश्तों की अलग पहचान है। उसका विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में रहने के लिए बांग्ला और अंग्रेजी भाषाओं का ज्ञान सभी पंजाबियों को होना चाहिए। इसमें कुछ गलत नहीं है। यह रोजगार और कारोबार के लिए बहुत जरुरी है। लेकिन इसके साथ ही पंजाबी भाषा का ज्ञान अति आवश्यक है। बंगाली या अंग्रेजी में कोई गुरुवाणी का सटीक उच्चारण कर ही नहीं सकता है जबकि पंजाबियों के लिए प्रतिदिन गुरुवाणी का पाठ करना जरुरी है। उन्होंने कहा कि सिख धर्म पश्चिमी सभ्यता से अलग है। इसलिए विदेशियों की नकल करके आप आगे नहीं बढ़ सकते हैं।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव का जन्म दिन मनाने की प्रक्रिया सबसे पहले एक मुसलमान राजा  राय बुलार ने शुरू की थी।  उन्होंने सात तोपों की सलामी दी थी। यह जन्मदिन जब मनाया गया तब पहले गुरू हमारे बीच मौजूद थे। लेकिन इन दिनों गुरु नानक जयंती का स्वरुप ही बदल गया है।
इस मौके पर कोलकाता के मेयर शोभन चट््टोपाध्याय ने कहा कि महानगर में रहने वाले सिखों की ओर से श्रृद्धा और उत्साह से अपने धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। नगर निगम इस मामले में सभी प्रकार की मदद करता है। किसी को समस्या हो तो सीधे संपर्क किया जा सकता है। अल्पसंख्यकों के लिए हमलोग सभी प्रकार की सहायता के लिए तैयार रहते हैं।
मालूम हो कि शहीद मिनार के साथ ही डनलप के गुरुद्वारा सिख संगत में भी नानक जयंती मनाई गई। इस मौके पर अखंड पाठ की समाप्ति के बाद लंगर वितरण किया गया। जिसमें हजारों लोगों ने लंगर छका। इसके साथ ही रक्त दान शिविर का भी आयोजन किया गया।

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