Thursday, August 2, 2012

ममता की छांव में भी थम नहीं रहे महिलाओं के खिलाफ अपराध

 महिलाओं के खिलाफ 2011 में देशभर में हुए अपराध के मामले में पश्चिम बंगाल देश भर में पहले स्थान पर रहा है। इसके बाद आंध्र प्रदेश का नंबर है। नेशनल क्राइम ब्यूरो की प्रकाशित ताजा रपट में इसका खुलासा किया गया है। ब्यूरो का कहना है कि वह देश भर के आंकड़े राज्य सरकार की ओर से भेजे गए आंकड़ों के आधार पर प्रकाशित करता है। राज्यों की ओर से अपराध होने और उनके बारे में जानकारी भी देने का प्रावधान है। किसी मामले में राज्य अपराध का विवरण नहीं देता तो ब्यूरो की ओर से उसकी छानबीन करने के बाद आंकड़े प्रकाशित किए जाते हैं।
मालूम हो कि हाल में ही नेशनल क्राइम ब्यूरो ने 2011 में देश भर में हुए अपराध की घटनाओं के आंकड़े जारी किए हैं। इस बीच 2012 में भी सात महीने गुजर गए हैं और आठवां महीना शुरू हो गया है। क्या इस साल भी बंगाल महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के मामले में पहले स्थान पर रहेगा? ब्यूरो के सूत्रों का मानना है कि मौजूदा साल के आंकड़ों में भी फेरबदल की गुंजाइश नहीं दिख रही है। हालांकि साल पूरा होने के बाद आधिकारिक तौर पर राज्यों के आंकड़े मिलने के बाद ही साफ तौर पर कुछ कहा जा सकेगा।
गौरतलब है कि ब्यूरो में प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक राज्य की आबादी देश की साढ़े सात फीसद है लेकिन पिछले साल यहां महिलाओं के खिलाफ कुल मिलाकर अपराध की 29 हजार 133 घटनाएं हुई हैं। यह अपराध के मामलों में देश का 12.7 फीसद है। दूसरे स्थान पर आंध्रप्रदेश है, जनसंख्या के मामले में सात फीसदी आबादी वाले राज्य में 12.4 फीसदी (28246)अपराध हुए। हालांकि ब्यूरो का मानना हैकि राज्य सरकार के आंकड़ों की तुलना में वास्तविक आंकड़े कहीं ज्यादा हैं। इसका कारण यह है कि आंकड़े पुलिस थानों में दर्ज अपराध के बारे में बताते हैं लेकिन अपराध की तुलना में थानों में दर्ज नहीं होने वाले आंकड़ों की संख्या कहीं ज्यादा होती है।
ब्यूरो के आंकड़े जारी होने के पहले ही राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि पश्चिम बंगाल में बलात्कार की घटनाएं देश के दूसरे राज्यों की तुलना में औसतन  ज्यादा हैं।  आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने पत्रकारों को बताया था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य में महिलाओं के खिलाफ होने वाली अपराध की घटनाओं में वृद्धि हुई है। पहले राज्य में अपराध की घटनाएं धीरे-धीरे बढ़ रही थी लेकिन बीते दो महीनों के दौरान इसमें भारी वृद्धि दर्ज की गई है। गत अप्रैल महीने में वानसुन सायन के नेतृत्व में महिला आयोग के तीन सदस्यों के एक दल ने बलात्कार के मामले में जांच अधिकारी के स्थानांतरण पर नाराजगी प्रकट करते हुए कहा था कि जांच के लिए निष्पक्ष अधिकारी को नियुक्त करना चाहिए और पीड़ित महिला की आर्थिक और दूसरी तरह की मदद राज्य सरकार को करनी चाहिए।
मालूम हो कि आयोग का प्रतिनिधिमंडल पार्क स्ट्रीट और बांकुड़ा बलात्कार मामले में जांच अधिकारी की बदली पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि उनकी बदली क्यों की गई, इसका राज्य सरकार को अच्छी तरह पता है। मुख्यमंत्री ने पार्क स्ट्रीट बलात्कार कांड को फर्जी बताते हुए कहा था कि राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए इसका प्रचार किया जा रहा है। इसके बाद हावड़ा जिले में जगाछा थाना के सांतरागाछी और उत्तर चौबीस परगना के बारासात में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं से राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। राज्य के बुद्धिजीवियों का भी कहना है कि महिला मुख्यमंत्री के होनेके बावजूद महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध लगातार जारी हैं। इस तरह की घटनाओं के खिलाफ कई लोगों ने नाराजगी प्रकट की है।

No comments:

Post a Comment