Sunday, August 5, 2012

मशीन बाबुओं को सिखा सकेगी वर्क कल्चर?



 क्या मशीन सरकारी  बाबुओं को वर्क कल्चर (कार्य संस्कृति) सिखा सकती है। यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि सरकारी  कर्मचारी काम से जी नहीं  चुराते हैं, दिल पर हाथ रख कर कहना हो तो  यह खुद कोई सरकारी कर्मचारी भी नहीं मानेगा । अपवाद हर जगह होते हैं भले एकाध इसके अलग हों लेकिन वे किसी गिनती में नहीं आते। इसलिए प्रशासन की ओर से कर्मचारियों को कार्य संस्कृति सिखाने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाए जाते रहे हैं। तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव सुबह नौ बजे विभिन्न जगह पहुंच जाया करते थे , इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट््टाचार्य ने भी पद संभालने के बाद डू इट नाउ का नारा दिया थ। लेकिन सरकारी बाबुओं से काम कराना तो दूर उन्हें समय पर दफ्तर लाने की कोई भी योजना हाल तक कारगार नही हो  सकी है। अब राज्य की एक नगरपालिका ने यह कठिन बीड़ा उठाया है, जिसे लेकर तमाम तरह की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन के पुराने नाकाम प्रयास को बदल कर एक मिशाल कायम की जा सकेगी या इस प्रयास का नतीजा भी पहले की तरह ढाक के तीन पात वाला ही होगा।
बरानगर नगर पालिका की ओर से कर्मचारियों की हाजरी के लिए बायोमैट्रिक पद्धति की मशीने लगाई हैं। चार मशीनों की लागत लगभग पांच लाख रुपए पड़ी है। प्राइवेट दफ्तरों में तो इस तरह की मशीने पहले से सफलतापूर्वक काम कर रही हैं जिसके तहत कर्मचारियों को दफ्तर में प्रवेश के समय उंगलियों को मशीन पर रखना पड़ता है, इससे उनके पहुंचने का समय दर्ज हो जातहै। यही तरीका निकलने  (छुट््टी) के समय भी अपनाया जाता है।
नगरपालिका में कर्मचारियों के दफ्तर में प्रवेश करने का समय साढ़े तक बजे तय है, इसके बाद पहुंचने वाले कर्मचारी को देरी से आने के कारण उसके हाजरी खाते में लाल निशान लगा दिया जाता है। पौने ग्यारह बजे तक आने वाले कर्मचारी के तीन लेट होने पर एक कैजुअल छुट््टी कट जाती है। इसके बाद आनेवाले कर्मचारी को गैर हाजिर माना जाता है। लेकिन सरकारी कार्यालय में घंटों देरी से पहुंचने के बाद कर्मचारी दस बजे का समय लिख देते हैं कोई कुछ करने वाला नहीं है। इसके कई कारण हैं, एक तो युनियन की धौंस और दूसरे कर्मचारियों में सभी इस तरह का फायदा उठाना चाहते हैं, इसलिए कोई किसी के खिलाफकुछ करना नहीं चाहता। इसलिए नगरपालिका ने मशीन लगाई है जो देरी से पहुंचने वालों को लेट और गैरहाजिर बताती है। हालांकि नई व्यवस्था में अभयस्त करने के लिए कर्मचारियों को तीन महीने का समय दिया गया है। इस दौरान मशीन के साथ ही हाजरी खाते पर भी दस्तखत    करने की छूट है। तीन महीने बाद मशीन ही कर्मचारियों की हाजरी लेगी।
नगरपालिका के एक कर्मचारी का कहना है कि पहले लोग एक-दो घंटे देरी से आने के बाद भी हाजरी का समय लिख देते थे लेकिन अब ऐसा नहीं कर सकते। जबकि दूसरे एक कर्मचारी के मुताबिक चोरी करने वाले हमेशा कानून से आगे रहते हैं। इसलिए भले ही ज्यादातर कर्मचारी समय पर दफ्तर आते हैं लेकिन आउटडोर ड्यूटी लिख कर बाहर चले जाते हैं और पांच बजे से एकाध घंटे पहले दफ्तर आकर च ाय-पान करने के बाद घर चले जाते हैं। कई कर्मचारियों की मांग है कि कारखानों की तरह नगरपालिका के दरवाजे भी बंद किये जाने चाहिए। जिससे ऐसे कामचोरों को रोका जा सके।
नगरपालिका की चेयरपर्सन अपर्णा मौलिक के मुताबिक नगरपालिका कोई कारखाना तो है नहीं कि दरवाजा बंद कर दिया जाए। यहां तो आम लोगो का आना-जाना लगा ही रहता है। इसलिए दरवाजा तो खुला रखना ही होगा। उनका कहना है कि दफ्तर के काम से बाहर जाने से पहले संबंधित अधिकारी को बता कर जाने का प्रावधान है। जबकि व्यक्तिगत काम से बाहर जाने से पहले संबंधित विभाग और हमें पत्र लिखकर छुट््टी लेनी पड़ती है ।
मशीन के साथ ही नगरपालिका में क्लोज सर्किट कैमरे (सीसीटीवी कैमरे ) भी लगाए गए हैं। यह कैमरे पीडब्लूडी, लाइसेंस, कैश, कलेक्शन, जल, मोटर व्हिकल समेत सभी प्रमुख 38 विभागों में लगाए गए हैं, जहां लगातार चौबीस घंटे निगरानी की जा रही है। नगरपालिका के विरोधी दल नेता का मोबाइल चोरी हो गया था। सीसीटीवी कैमरे की मदद से चोर पकड़ा गया और मोबाइल बरामद किया गया।
उनका मानना है कि नई व्यवस्था से पहले की तुलना में भारी सुधार हुआ है। पहले मेरे पहुंचने के समय दफ्तर सूना-सूना रहता था और लोग दो- ढाई घंटे देरी सेपहुंचते थे। कई बार कहने पर भी कोई नहीं सुनता था। लेकिन मशीन के कारण बीते एक महीने से अब साढ़े दस बजे दफ्तर की लगभग सारी कुसियां भरी रहती हैं।
हालांकि नगरपालिका के विरोधी दल नेता माकपा के अशोक राय का कहना है कि यह कोई कार्पोरेट दफ्तर नहीं है। नई व्यवस्था के सफल होने की कोई उम्मीद नहीं है। यहां 20 फीसद लोग दफ्तर में रहते हैं जबकि 80 फीसद लोगों को काम के सिलसिले में बाहर रहनापड़ता है। उन्हें जब तब आना-जाना पड़त है। मशीन में हाथ लगाकर दूसरे दरवाजे से निकलने वालों के लिए विभाग और अध्यक्ष को ज्यादा सक्रिय रहना होगा। इसके साथ ही नगरपालिका के मुख्य दरवाजे पर सुरक्षा कर्मचारी भी तैनात करने होंगे। ऐसा नही किया गया तो मशीन एक   मजाक बनकर रह जाएगी। हालांकि लगभग छह महीने पहले सीसीटीवी कैमरे और बायोमैट्रिक मशीन दक्षिण दमदम नगरपालिकामें भी लगाई गई थी। वहां की प्रमुख अंजना रक्षित का मानना है कि इससे हाजरी में बहुत ज्यादा सुधार हुआ है और कार्य संस्कृति को लागू करने में मदद हासिल हुई है।

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