Tuesday, September 11, 2012

कोलकाता में बढ़े मकानों के दाम



रियल एस्टेट क्षेत्र में मंदी को नकारते हुए जमीन की ऊंची कीमतें कोलकाता में मकानों के दाम बढ़ा रही हैं। अच्छे इलाकों में जमीन की कीमतें 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ी हैं, क्योंकि मांग लगातार बनी हुई है, जबकि शहर के बाहरी शहरी और अद्र्ध-शहरी इलाकों में मुश्किल से ही कोई नई टाउनशिप विकसित हुई है।
सरकारी निकायों जैसे कोलकाता नगर निगम (केएमसी) और हाउसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (हिडको) द्वारा हाल ही में की गई जमीन की नीलामी से शहर में जमीन की बढ़ती कीमतों का सही पता चलता है। इस साल जून में केएमसी ने ईएम बाईपास पर 2 एकड़ का प्लॉट 115 करोड़ रुपये में बेचा था, जो शहर में अब तक का सबसे ऊंची कीमत पर हुआ जमीन का सौदा था। इससे पहले भूमि का बड़ा सौदा 2009 में हुआ था। उस समय ईएम बाईपास पर 3.35 एकड़ का प्लॉट 135 करोड़ रुपये में बेचा गया था। अभी कुछ समय पहले ही राजारहाट की आईटी टाउनशिप में हिडको ने 2.5 एकड़ का रिटेल एवं ऑफिस कॉम्पलेक्स 51.13 करोड़ रुपये में बेचा है।
शहर के एक रियल एस्टेट डेवलपर संतोष रूंगटा ने कहा, 'कोलकाता में जमीन की कीमतें करीब 50 फीसदी बढ़ी हैं, जिसका असर आने वाली परियोजनाओं में दिखाई देगा। जमीन की आपूर्ति घट रही है, लेकिन मांग लगातार बनी हुई है और इस मांग को पूरी करने के लिए मुश्किल से ही कोई नई टाउनशिप आ रही है।'
जमीन की कीमतों में भारी बढ़ोतरी पश्चिम बंगाल में नई नहीं है। वर्ष 2009 के आसपास पूववर्ती वामपंथी सरकार के शासनकाल में सरकारी एजेंसियों ने प्रमुख जगहों पर जमीन की बिक्री कर भारी राशि अर्जित की थी। उदाहरण के लिए कोलकाता और इसके आसपास जमीन के सौदे करने वाली तीन प्रमुख सरकारी एजेंसियां थींं-कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण (केएमडीए), कोलकाता नगर निगम और पश्चिम बंगाल आवास बोर्ड। इन्होंने दो वर्ष से कम समय की अवधि में 18,000 करोड़ रुपये मूल्य की 5,250 एकड़ जमीन के सौदे किए। केएमडीए ने एक दिन में रियल एस्टेट डेवलपरों के साथ 800 करोड़ रुपये से ज्यादा के सौदे किए थे।
पश्चिम बंगाल में नई टाउनशिप विकसित करने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा शहरी भूमि (सीमा और नियमन) अधिनियम (यूएलसीए), 1976 है। अधिनियम के अनुसार कोलकाता जैसे ए श्रेणी में आने वाले शहर में खाली जमीन पर सीङ्क्षलग लिमिट 7.5 कट्टा या 500 वर्ग मीटर है। पश्चिम बंगाल देश के उन कुछेक राज्यों में से एक है, जिनमें यूएलसीए जैसा कानून है। यह कदम मुख्यमंत्री की चिंताओं के समान ही है।

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