Tuesday, September 18, 2012

ममता -सरकार -धमकी



 
    मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने विदेशी किराना, डीजल और गैस सिलेंडर के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मोर्चो खोला हुआ है. उन्होंने  कई बार  सरकार को धमकी दी है. एक नजर ममता की अब तक की धमकी और उसके नतीजे पर.

14 सितंबर 2012: विदेशी किराना और डीजल-रसोई गैस के मुद्दे पर विरोध
ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि वो विदेशी किराना और डीजल की बढ़ी कीमत के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेंगी, जबकि गैस सिलेंडर के मामले में वो चाहती हैं कि सरकार प्रति परिवार एक साल में 24 सिलेंडर का कोटा फिक्स करे.

23 अगस्त 2012: इंश्योरेंस बिल का विरोध
ममता पेंशन और इंश्योरेंस के क्षेत्र में 49 फीसदी एफडीआई का विरोध कर रही हैं. उन्हीं के विरोध की वजह से ये बिल लटका हुआ है.

13 जून 2012: राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेसी उम्मीदवार का विरोध
राष्ट्रपति चुनाव में ममता ने प्रणब मुखर्जी के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोला था. हालांकि बाद में मुलायम सिंह के पाला बदलने के बाद उन्होंने प्रणब मखर्जी का समर्थन किया था.

7 जून 2012: पेंशन बिल का विरोध
यूपीए सरकार नए पेंशन बिल के तहत इस क्षेत्र को निजी और विदेशी क्षेत्र के लिए खोलने के मूड में है, लेकिन ममता के विरोध को देखते हुए सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए.

24 मई 2012: पेट्रोल की बढ़ी कीमत का विरोध
इस दिन सरकार ने एक झटके में पेट्रोल की कीमत में प्रति लीटर 7.50 पैसे का इजाफा कर दिया था, जिसके बाद ममता ने सरकार से बाहर होने की बात तक कह डाली थी.

5 मई 2012: NCTC का विरोध
राष्‍ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र यानी एनसीटीसी के मुद्दे पर भी ममता ने केंद्र सरकार को खुली चुनौती दी थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि एनसीटीसी के जरिए केंद्र राज्य के अधिकार पर हमला कर रही है. ममता के विरोध के बाद एनसीटीसी का मामला ठंडे बस्ते में चला गया है.

31 दिसंबर 2011: लोकायुक्त की नियुक्ति का विरोध
ममता ने केंद्र के प्रस्ताविक लोकपाल विधेयक का विरोध करते हुए मांग की है कि राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति का मसला पूरी तरह राज्य सरकार के अधीन रहे.

24 नवंबर 2011: विदेशी किराना का विरोध
पिछले साल नवंबर में जब सरकार ने विदेशी किराना की बात कही थी उस समय भी ममता ने सरकार को धमकी दी थी.

6 सितंबर 2011: तीस्ता जल समझौते का विरोध
ममता बनर्जी बांग्लादेश सरकार के साथ होनेवाले तीस्ता जल समझौते के खिलाफ हैं और उन्हीं की विरोध की वजह से पिछले साल ये समझौता नहीं हो पाया था.

3 सितंबर 2011: भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध
ममता सरकार मौजूदा भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ है क्योंकि उनका मानना है कि इस बिल में किसानों के हितों की अनदेखी की गई है. ममता के विरोध की वजह से ये बिल भी लटका हुआ है. ममता पश्चिम बंगाल को विशेष आर्थिक पैकेज के मसले पर भी सरकार को कोई बार धमकी दे चुकी हैं.

वैसे ममता शुरू से इस तरह की राजनीतिक धमकी देती आई हैं. 90 के दशक में जब वो पी वी नरसिंहराव की सरकार में कांग्रेसी मंत्री थी तो उन्होंने ज्योति बसु की सरकार को हटाने की मांग करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

इसी तरह एनडीए सरकार में उन्होंने तहलका मामले के बाद तत्कालीन रक्षामंत्री जार्ज फर्नांडीज को हटाने की मांग करते हुए रेलमंत्री का पद छोड़ दिया था.

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