Sunday, September 2, 2012

जनवरी में होंगे पंचायत चुनाव


   राज्य में आगामी दिनों होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर राज्य चुनाव आयोग और सरकार में मतभेद दिखाई दे रहे हैं। सरकारी सूत्रों का मानना है कि  यह विवाद कब तक सुलझ जाएगा, इसका कुछ पता नहीं चल रहा है।
मामूल हो कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 21 जुलाई को कोलकाता की एक सभा में कहा था कि दुर्गापूजा के बाद राज्य में पंचायत चुनाव होंगे। इसके बाद मई में राज्य चुनाव आयोग के लिखे पत्र के जवाब में सरकार ने जुलाई में जवाब भेजा कि दिसंबर में हम चुनाव चाहते हैं। इसके बाद से ही तारीख को लेकर समस्या देखी जा रही है। नियमानुसार राज्य सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद ही चुनाव आयोग पंचायत चुनावकी तिथि का एलान करेगा। सूत्रों का कहना है कि बीते कई महीनों से चर्चा चल रही है लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका है।
हालांकि सरकारी सूत्रों का कहना है कि जल्द ही मामले का समाधान हो जाएगा। इसके तहत जनवरी 2013 में राज्य में चार दिन पंचायत चुनाव किये जा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि आयोग का मानना है कि पंचायत इलाका तय करने के लिए ही ढाई महीने का समय लगेगा। यह काम सितंबर से पहले शुरू नहीं किया जा सकता है। इसके बाद चुनावी प्रक्रिया शुरू करने के लिए कम से कम 75 दिन प्रतीक्षा करनी होगी। इस तरह सितंबर से काम शुरू होने पर 150 दिन सारी प्रक्रियाएं पूरी करने के लिए चाहिए। यह काम जनवरी तक पूरा होगा और दो महीने माध्यमिक, उच्च माध्यमिक और दूसरी परीक्षाओं में निकल जाएगा। इसलिए आयोग का मानना है कि अप्रैल से पहले चुनाव संभव नहीं है। इतना ही नहीं आयोग का कहना है कि मई में चुनाव होंगे तो जनवरी में नई मतदाता सूची में शामिल लोग भी मतदान में हिस्सा ले सकेंगे।
दूसरी ओर राज्य सरकार का मानना है कि इलाका पुनर्विन्यास के लिए ज्यादा से ज्यादा डेढ़ महीने लगेंगे, इसके अलावा दूसरे सारे काम चार महीने में पूरे हो जाएंगे। जनवरी में आसानी से पंचायत चुनाव करवाए जा सकते हैं। जबकि मतदान जनवरी 2012 की मतदाता सूची के आधार पर होने चाहिए। मालूम हो कि पश्चिम बंगाल में मई 2008 में पंचायत चुनाव हुए थे। तीन स्तरीय पंचायत का बोर्ड गठन होने में जून महीना गुजर गया था।

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