Monday, October 15, 2012

दस रुपए में डाक्टर बाबू


  कोलकाता, 15 अक्तूबर (जनसत्ता)। साठ साल की उम्र में अवकाश ग्रहण करने के बाद ज्यादातर लोगों को आगे क्या करना है, इस बारे में सोचते ही रहते हैं। बहुत कम लोग ऐसे हैं जिन्हें अवकाश ग्रहण करने के बाद की जिंदगी योजनाबद्ध तरीके से प्लान कर ली हो। ऐसे ही लोगों में एक नाम डाक्टर कृष्णचंद्र बारुई का है। पूर्व स्वास्थ्य अधिकारी ने अवकाश प्राप्त करने के बाद लोगों को सस्ती डाक्टरी इलाज देने की ठान ली । इसके तहत वे लोगों का इलाज कर रहे हैं। एयरपोर्ट, श्यामबाजार और बारासात के बिसरपाड़ा में उनके तीन चेंबर हैं। एक जगह उनकी फीस 10 रुपए, दूसरी जगह 20 रुपए और तीसरी जगह 40 रुपए फीस है। पहला चेंबर उनका अपना है, इसलिए दस रुपए उनकी जेब में जाते हैं जबकि दूसरी जगह 10 रुपए किराये के तौर पर और तीसरी जगह पांच रुपए किराये के तौर पर मकान मालिक को देते हैं।
पहली बार 1973 में सरकारी नौकरी मिली और 2006 में स्वास्थ्य अधिकारी बने। अवकाश प्राप्त करने के बाद पांच साल तक स्वास्थ्य विभाग के सलाहकार के तौर पर नियुक्त किये गए लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया । इसके बाद ‘गरीबों के लिए डाक्टरखाना’ 2011 में शुरू किया। महानगर में कहीं 300, 500, एक हजार रुपए तो कहीं इससे भी ज्यादा डाक्टरों की विजिटिंग फीस है। इतना ही नहीं कई प्रसिद्ध डाक्टरों ने तो अपनी पीआर एजेंसी को ठेकादे रखा है। एजेंसी का काम डाक्टरों का प्रचार-प्रसार करना होता है।
डाक्टर बारुई अपना प्रचार तो कर रहे हैं लेकिन इसके लिए किसी एजेंसी का सहारा नहीं लिया गया है। हैंडबिल और टेबुल कैलेंडर छाप कर लोगों में बांटा जा रहा है। उनका कहनाहै कि 10 रुपए में गुजारा तो मुश्किल है लेकिन आम लोगों की भलाई के लिए यह काम किया जा रहा है।

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