Sunday, October 7, 2012

वंदे मातरम से लेकर विश्व शांति की कामना के साथ मां दुर्गा का आगमन



रंजीत लुधियानवी
 मां दुर्गा के आगमन का भव्य स्वागत करने के लिए जोश-खरोश के साथ तैयारियां की जा रही हैं। एक ओर आम लोग जहां नए-नए कपड़े, टीवी, फ्रीज से लेकर दूसरा सामान खरीदने में व्यस्त हैं वहीं पूजा कमेटियों के आयोजकों की ओर से भी अपने-अपने पंडालों में ज्यादा से ज्यादा लोगों को आकर्षित करने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। हावड़ा ही नहीं हुगली और उत्तर चौबीस परगना जिलेसे हरसाल लोग बाली-बेलूड़-लिलुआ में पूजा देखने के लिए आते हैं। वंदेमातरम से लेकर विश्वशांति की थीम लेकर बाली नगर पालिका इलाके में बाली और बेलूड़ के पूजा आयोजक व्यस्त हैं।
बाली के सापुईपाड़ा इलाके में षष्ठीतला पूजा समिति की ओर से वंदे मातरम की थीम को लेकर तैयारी की जा रही है। दर्शनार्थियों को देश की आजादी के लिए लड़ने वालों की जानकारी देने के लिए पूजा कमेटी के आयोजकों की ओर से खासी मेहनत की गई है। जिससे यहां पहुंचने वाले एक बार तो सोचने के लिए मजबूर हो जाएं कि क्या यह वही देश है जिसके लिए इतने लोगों ने निस्वार्थ भाव से लड़ाई लड़ी और हंसते-हंसते अपनी जान कुर्बान कर दी। क्या आजादी के परवानों को सपने में भी इस बात की भनक थी कि देश आजाद होने के बाद घोटालों का गुलाम हो जाएगा? यहां बिचाली के घर में पंडाल के चारोंओर देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले 35 महापुरुषों की छवि लगाई जा रही है आजादी के इतिहास की स्मृतियों से पंडालका चौतरफा सजाया जाएगा। चार मंजिला मूल पंडाल में भारत माता के तौर पर मां दुर्गा दिखाई देंगी।
शांतिनगर सेवा समिति कीओर से मानवता की भलाई के लिए विश्वशांति की थीम लेकर तैयारी की जा रही है। गेरुआ कपड़े से रंगा किसी काल्पनिक मंदिर की आकृति का पंडाल देख कर लोग आकर्षित हुए बिना नहीं रहेंगे। देवी की मूर्ति पारंपरिक ही रहेगी।
नेताजी संघ ने इस बार लोगों को ओमाईगाड की तर्ज पर लोगों को स्वर्ग की सैर कराने की ठानी है। इसलिए यहां आने वालों को हिंसा के इस तौर में शांति का आनंद मिल सकेगा। देवी भी लोगों को शाति का संदेश ही देते दिखेंगी।  स्वर्ग राज्य की थीम को लेकर सिंह द्वार पार करने के बाद बादलों से गुजरते हुए यहां आने वालों को लगभग 20 फीट की चढ़ाई चढ़नी होगी। वहां देवराज इंद्र के दरबार में परियां और अप्सराएं दर्शनार्थियों का स्वागत करेंगी। यहां अप्सराओं का नृत्य देखने के बाद ही आप बगैर शस्त्र की देवी के दर्शन कर सकेंगे। देवी के दसों हाथों मेंं ही शांति का संदेश देते फूल रहेंगे।  आयोजकों का मानना है कि शांति का संदेश लेकर जाने वाले हिंसा से दूर होंगे और राज्य में हिंसा, बलात्कार जैसी घटनाओं पर रोक लगेगी।
बाली उ त्तरपल्ली सार्वजनिन (नव युवा संघ) ने 64 वें साल में पद्म फूल को अपनी थीम में पिरोते हुए पर्यावरण के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए फाईबर से 108 फूल बनाए जा रहे हैं। बाली देशबंधु क्लब सार्वजनिक दुर्गोत्सव कमेटी ने विधानसभा भवन को यहा लाने की अंतिम तैयारी कर दी है। सुरक्षा के ताम­ााम से गुजरने के बाद ही कहीं आप विधानसभा में प्रवेश कर सकेंगे। बरामदे में महान लोगों के चित्र और अंदर-बाहर लोगों को निहारते हुए सीसीटीवी कैमरें होंगे।
बाली बदामतलासार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी में राजस्थान की शिल्प कला दिखाई देगी। बाली-बैरकपुर सार्वजनिक दुर्गापूजा के पंडाल में इंद्र देव का राज दरबार पेश किया जा रहा है। बेलूड़ पालघाट लेन के इस पंडाल में प्लास्टर आफ पैरिस से बनाए दूसरे देवता भी मौजूद रहेंगे। मूर्ति कृष्णनगर से यहां लाई जाएगी, नवमी के दिन 51 किलोग्राम चावल से अन्न कूट का आयोजन होगा।
बेलूड़ निस्को हाउसिंग पूजा कमेटी की ओर से 35 फीट ऊंचा बांस का किला बनाया जा रहा है। यहां पहुंचने के लिए गहरे नाले को पार करना होगा। इस नाले में मगरमच्छ भी रहेंगे। कुमिल्लापाड़ा पल्लीमंगल समिति जयपुर के चंद्र महल की आकृति का पंडाल बना रही है। सापुईपाड़ा बालक संघ 12 नंबर पोल के नजदीक इस बार ब्हाईट हाउस की आकृति का पंडाल बना रहा है। निश्चिंदा बारोवारी पूजा कमेटी की ओर से राजबाड़ी के नाट्यमंदिर की आकृति का पूजा पंडाल बनाया जा रहा है। रजवाड़ों की याद दिलाता पंडाल, भीतर पारंपरिक मां दुर्गा देखते ही बनेगी।
दूसरी ओर लिलुआ मिताली संघ के आयोजकों की कल्पना ही अलग है। आधुनिकीकरण के दौर में जहां जमीन घटती जा रही । किसी जमाने में डाक्टर लोगों को सलाह देते थे कि सुबह घास पर चलना चाहिए, इससे तन-मन तो स्वस्थ रहता ही है आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। लेकिन जमीन नहीं रहने से महानगर के लोगों को घास के बारे में जानकारी ही नहीं है। नई पीढ़ी के लिए तो कंप्यूटर और इंटरनेट ही रह गया है। इसलिए पूजा कमेटी के आयोजकों ने लोगों को घास के बारे में बताने के लिए पूजा पंडाल ही घास से बनाने की ठान ली है।
घोषपाड़ा सार्वजनिक दुर्गापूजा  पहुंचने वालों को ऐसा महसूस होगा कि वे तिरुपति के मंदिर में पहुंच गए हैं। पंडाल के बाहर देव-देवताओं की तकरीबन 200 छोटी-बड़ी मूर्तियों के दर्शन होंगे जबकि भीतर लकड़ी की कारीगरी देखने लायक होगी। डानबास्को विवेकानंद सम्मेलनी ने   हिमाचल प्रदेश को थीम बनाया है। यहां पत्थरों के आठ मंदिरों के बाद असली मंदिर में आठ हाथों वाली मां शेरावाली के दिव्य  दर्शन होंगे।

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