Monday, October 1, 2012

सेट टॉप बाक्स लगाएं या टीवी भूल जाएं!


 




रंजीत लुधियानवी
कोलकाता, 1 अक्तूबर (जनसत्ता)। इस महीने की 31 तारीख तक सेट टॉप बाक्स या किसी कंपनी की डिश नहीं लगाई गई तो टीवी देखना भूल जाएं क्योंकि आपका टीवी स्क्रीन काला हो जाएगा। इस तरह के विज्ञापन धड़ाधड़ टीवी पर दिखाये जा रहे हैं। किसी लोकप्रिय कार्यक्रम के बीच अचानक टीवी के पर्दे पर अंधेरा छा जाता है जिससे लोगों को पता चल सके कि महीने की अंतिम तारीख के बाद क्या हो सकता है। हालांकि महानगर कोलकाता, हावड़ा में अभी भी ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं है जिनका मानना है कि एक बार फिर परियोजना आगे बढ़ सकती है। इसलिए कई लोगों ने अभी तक सेट टाप बाक्स नहीं लगाया है तो कुछ लोग बाक्स को घर तो ले गए हैं लेकिन अभी तक लगाया नहीं है। जबकि कुछ लोग बाक्स लगाने के बावजूद अभी तक पुराने केबल पर ही कार्यक्रम देख रहे हैं।
सेट टॉप बाक्स की कीमत से लेकर मासिक भुगतान तक के बारे में अभी तक कुछ तय नहीं है। आंकड़ों के मुताबिक महानगर कोलकाता में लगभग 67 फीसद लोगों ने टीवी का डिजीटाइजेशन करवा लिया है। देश में कुल मिलाकर 146 मिलियन लोगों के घरों में टीवी है। इसमें 51 फीसद लोग केबल टीवी देखते हैं, जबकि 25 फीसद लोग डीटीएस (डायरेक्ट टू होम) के माध्यम सेटीवी देखते हैं। बाकी बचे लोग दूरदर्शन के पुराने एंटीने या डीटीएच का प्रयोग करते हैं।
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथारिटी आफ इंडिया (ट्राई) के मुताबिक टीवी देखने वाले दर्शकों को एक सौ रुपए में कम से कम 100 फ्री टू एयर चैनल दिखाई देंगे। इसमें दूरदर्शन के 18 चैनल शामिल हैं। इसमें लोकसभा और राज्यसभा टीवी चैनल शामिल हैं। इसके अलावा कम से कम पांच-पांच  समाचार और करेंट एफेयर्स, सूचनात्मक, खेल, बच्चों के चैनल, संगीत और क्षेत्रीय चैनल होने चाहिए। हालांकि दर्शक अभी तक दुविधा में फसे हुए हैं। ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं चल रहा है कि कितने रुपए प्रति माह देने होंगे।
इस बीच कुछ आपरेटरों की ओर से सेट टॉप बाक्स के चैनलों के  बारे में सूचना दी गई है। डिजीकेबल के मुताबिक 145 चैनल के लिए 180 रुपए, 151 चैनल के लिए 200 रुपए, 165 चैनल के लिए 250 रुपए देने होंगे।  सिटी केबल के मुताबिक 118 चैनल के लिए एक सौ रुपए,151 चैनल के लिए 150 रुपए प्रति माह देने होंगे जबकि मंथन के मुताबिक  200 चैनल के लिए 180 रुपए और 300 चैनलों के लिए 270 रुपए लिये जाएंगे। हालांकि इस चार्ज में 12.3 फीसद सर्विस टैक्स ( सेवा कर) के अलावा दूसरे कर  शामिल नहीं किये गए हैं।  चैनलों की कीमत में फेरबदल भी हो सकता है।
इधर दर्शक परेशान हैं कि करे तो क्या करें जिससे उन्हें अपने मनपसंद सीरियल बगैर किसी रुकावट देखने में परेशानी न हो। कई लोगोंं से ात करने पर कुछ ही लोग हैं जिन्होंने नई व्यवस्था पर खुशी जाहिरकी है जबकि ज्यादातर लोग तो परेशान ही हैं। खास करके हावड़ा जिले के लोगों में सरकारी घोषणा को लेकर भ्रम बना हुआ है। अध्यापिका मनजीत कौर डिजीटाइजेशन से खुश हैं। उनका कहना है कि खाना खजाना जैसा चैनल पहली बार देखने को मिल रहा है। इसके अलावा कई पंजाबी चैनल भी दिख रहे हैं, इसके पहले केबल पर इस तरह के चैनल नहीं दिखते थे। तस्वीर भी साफ-सुथरी है। दूसरी ओर इस बारे में पूछने पर पत्रकार परबंत मैहरी ने बताया कि शिवपुर के चौड़ा इलाके में रहने वाले ज्यादातर लोग अभी तक सेट टॉप बाक्स के बजाए केबल पर ही टीवी देख रहे हैं। कई लोगों ने सेट टाप बाक्स लिए थे लेकिन उसमें तस्वीर ठीक नहीं आ रही थी। कई बार चैनल हैंग हो जाता है। इसलिए लोग केबल पर ही टीवी देख रहे हैं। क्या आप इस बारे में सोच रहे हैं तो उनका कहना है कि स्क्रीन काला हो गया तो केबल ही कटवा देंगे। क्या जरुरत है केबल देखने की। इसके बजाए सीडी और डीवीडी घर ले आएंगे और फिल्में और दूसरे कार्यक्रम आसानी से देख सकेंगे।
इसी तरह स्कूल शिक्षिका कावेरी चटर्जी का कहना है कि मुझे नहीं लगता कि हावड़ा में ऐसा कुछ होने जा रहा है। इसलिए अभी हमलोगों ने सेट टाप बाक्स लगाने के बारे में सोचा ही नहीं है। जब टीवी बंद हो जाएगी तो देखेंगे कि क्या करना है। किताबों की दुकान चलाने वाले गोविंद रावत का कहना है कि केबल वाले से पूछा था लेकिन उसका कहना है कि हावड़ा में सेट टॉप बाक्स की कोई जरुरत नहीं है। जब तक चलता है आप लोग आराम से टीवी का मजा लें, बाद में हम लोग तो हैं ही।

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