Tuesday, September 6, 2011

बदलते जमाने में बदले हैं टीचिंग टिप्स

बदलते वक्त ने हर प्रफेशन की तरह टीचिंग को भी बदला है। ऐसे में टीचर्स कौन कौन सी नई टिप्स आजमा रहे हैं, टीचर्स डे (सोमवार) के मौके पर एनबीटी टीम आपको यही बता रही है टीचर्स से बात करके...
टीचर को बच्चों से बेहद संजीदगी से बात करनी चाहिए। इससे बच्चे अनुशासित रहते हैं और उनमें आज्ञाकारिता बनी रहती है। बच्चों को हमेशा यह अहसास दिलाना जरूरी है कि उनकी शरारतों की जगह स्कूल नहीं है। उन्हें यह भी बताते रहना चाहिए कि उनके हिस्से का काम क्या है और कहां उन्होंने लिमिट क्रॉस की है। लेकिन ऐसा करते हुए बच्चे को मारने या बुरी तरह डांटने से बचना चाहिए। मार या तेज डांट से उसकी सायकॉलजी पर बुरा असर पड़ता है। टीचर को अपने इमोशंस और गुस्से पर कंट्रोल रखना आना चाहिए।
हायर एजुकेशन में यह बर्ताव बदलता है। वहां ज्यादा से ज्यादा दोस्ताना बर्ताव करना चाहिए। स्टूडेंट्स को जब लगेगा कि आप उनकी उम्र और भावनाओं को समझने वालों में से एक हैं तो न सिर्फ वे आपके कहने में रहेंगे, बल्कि जो सब्जेक्ट्स आप उन्हें पढ़ाएंगे उसमें उनकी दिलचस्पी भी बढ़ेगी। हालांकि कई बार टीचर्स का दोस्ताना बर्ताव किसी स्टूडेंट में आपको लेकर एक खास किस्म की निजी दिलचस्पी भी पैदा कर सकता है। महिला टीचर को लड़कों से और पुरुष टीचर को लड़कियों से ऐसे अनएक्सपेक्टेट अट्रैक्शन से दो-चार होना पड़ता है। स्टूडेंट्स के मन में ग्रोइंग एज में ऐसा लगाव पैदा होना बहुत स्वाभाविक है। इसलिए आप कोशिश करें कि पूरी क्लास से आपका बर्ताव एक जैसा हो। आमतौर पर इस तरह के आकर्षण जल्दी खत्म हो जाते हैं। इसलिए इन्हें लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं।

अगर क्लास के अंदर टीचर के पढ़ाने के दौरान बच्चे शोर मचाते हैं तो इसमें बच्चों से ज्यादा टीचर की गलती है। यह बताता है कि कहीं-न-कहीं उनके पढ़ाने में कुछ कमी है, जिससे बच्चे क्लास में ध्यान नहीं लगा रहे। बच्चों का नेचर है शैतानी करना और शोर मचाना। टीचर क्लास में पूरे ध्यान से पढ़ाएं तो बच्चे भी ध्यान से पढ़ेंगे। छोटी क्लासेस में टीचर्स को शोर पर काबू पाने के लिए पनिशमेंट की बजाय पेशेंस का दांव खेलना चाहिए। कम उम्र के बच्चों को पनिश करना एक हद तक ही कारगर होता है, टीचर बार-बार इस नुस्खे को आजमाएंगे तो बच्चे सुधरने के बदले रिएक्ट करने लगेंगे। हां, धीरज से अगर उन्हें समझाया जाए और पढ़ाई में दिलचस्पी पैदा करने के लिए टीचर अपनी तरफ से कोशिश करें तो शोर का जोर कम पड़ता जाएगा।

बड़ी क्लासेस में यह काम स्टूडेंट्स के टेंपरामेंट (मिजाज) को समझकर आसानी से किया जा सकता है। स्टूडेंट्स के मिजाज को भांपने और उसके मुताबिक बदलने में टीचर को गुरेज नहीं करना चाहिए। दिक्कत तब पैदा होती है जब टीचर अपने सामने पढ़ने आए स्टूडेंट्स पर कोई राय कायम किए बिना कोर्स को सिर्फ पढ़ाने की गरज से पढ़ा कर क्लास का समय बिता देते हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स इंगेज नहीं हो पाते और क्लास में शोर करने के अलावा वैसी अनुशासनहीनता भी करते हैं जो उनकी फाउंडेशन को कमजोर करता है। यूनिवर्सिटी में जाकर यही स्टूडेंट्स पढ़ने की बजाय क्लास को कैसे बाधित किया जाए, इसमें एक्सपर्ट हो जाते हैं।

भटकाव और वापसी

प्राइमरी क्लासेस में टीचर बच्चों पर निगाह रखते हैं। उनकी हर हरकत पर ध्यान रखना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इसी उम्र में वे बहुत-सी अच्छी-बुरी आदतें सीखते हैं। ऐसे में उनसे सीधे बातचीत की दरकार होती है। इस सिलसिले में बच्चों से बहुत सीधा रिश्ता रखना चाहिए। उनकी घरेलू परिस्थितियों का भी पता रखना चाहिए। इससे बच्चों की गलती और उसके कारण को समझने में ही नहीं, बल्कि उन गलतियों से बच्चों को दूर रखने में भी मदद मिलती है।

बच्चों की गलतियों की ओर ध्यान खींचने जितना ही अहम है उसकी अच्छाइयों की ओर लगातार ध्यान दिलाना। इससे बच्चे भटकेंगे नहीं। जहां कहीं भटकाव दिखे, उसे वहीं मार्क करना और बच्चों को सही रास्ते पर लाने के लिए टीचर को समझदारी से वापसी के उन रास्तों को तलाशना चाहिए जिससे बच्चे फिर से राह पर आ सकें। मिसाल के तौर पर, एक टीचर ने जब किसी लड़के को लड़कियों में जरूरत से ज्यादा दिलचस्पी लेते देखा तो वह खुद उसके पास गए और कहा कि मैं तुम्हारे घरवालों से बात करूंगा कि वे तुम्हारी शादी कर दें। यहां आकर पैसा और वक्त बर्बाद करने की जरूरत नहीं है। लड़का घबरा गया। इसके बाद टीचर ने उसे समझाया कि तुम्हारी उम्र में पढ़ाई सबसे जरूरी है। इन कामों का वक्त अभी नहीं आया है। लड़के ने पढ़ाई में मन लगाना शुरू कर दिया।

एक टीचर की सबसे बड़ी खासियत स्टूडेंट्स को इंगेज कर पाने की उसकी क्षमता है। जो टीचर पढ़ाते हुए स्टूडेंट्स को इंगेज कर पाते हैं, सब्जेक्ट के प्रति प्रेम पैदा कर पाते हैं, उसमें आगे बढ़ने और एक्सप्लोर करने के लिए बच्चों को उकसा पाते हैं, उनके लिए पढ़ाना आनंददायक काम साबित होता है। खुद स्टूडेंट्स ऐसे टीचर से बहुत दूर तक जोड़े रहते हैं और उनके कहे पर अमल भी करते हैं। अगर टीचर इंगेज नहीं कर पाते तो यह उनकी सबसे बड़ी नाकामी है।

एक पुरानी चाइनीज कहावत है : You tell me, I will forget, you show me, I may remember, you involve me, I will understand. टीचर को सबसे ज्यादा इस कहावत के आखिरी हिस्से पर अमल करना चाहिए। उसे हर तरह से स्टूडेंट को इंवॉल्व करने का हुनर आना चाहिए। खासकर एक ऐसे वक्त में जब स्टूडेंट्स के पास सूचना और जानकारी पाने के स्त्रोत बढ़ गए हैं, टीचर को इसे अपने लिए एक चुनौती की तरह लेना चाहिए। वह यह देखें कि कैसे टेक्नीकल एंडवांसमेंट के साथ अपने टीचिंग मेथड का तालमेल बिठा सकते हैं।

मार्शल मैकलूहान ने कहा था कि टेक्नॉलजी हमारे दिमाग का ही एक्सटेंशन है। ऐसे में जब टीचर स्टूडेंट के साथ इंटरेक्ट करें, खासकर बड़ी क्लासेस में, तो तकनीकी रूप से उनकी बेहतरी को उन्हें अपने लिए एक चुनौती और मौके के तौर पर लेना चाहिए। चुनौती इस मामले में कि अब वे कुछ भी पढ़ा कर क्लास से निकल नहीं सकते, सजग स्टूडेंट दूसरे स्त्रोतों से जानकारी इकट्ठा कर दिक्कत पैदा करेंगे। लेकिन अगर टीचर खुद ज्ञान के इन नए फोरम से अपने को जोड़ेंगे तो स्टूडेंट्स के साथ उनका इंटरैक्शन बेहतर और आसान हो जाएगा। मिसाल के तौर पर हर क्लास में प्रोजेक्ट वर्क होते हैं। एक छोटा सा उदाहरण लेते हैं। टीचर स्टूडेंट्स के साथ मिलकर एक फोरम बना लें। फेसबुक पर फोरम बनाकर प्रोजेक्ट के बारे में दूसरे लोगों से भी विचार मांगे और स्टूडेंट्स से भी पूछे। इससे स्टूडेंट्स को काफी कुछ जानने का मौका मिलेगा और उसकी रुचि भी पढ़ाई में और बढ़ेगी।

छोटी क्लासेस में भी स्टूडेंट्स को ज्यादातर वे टीचर पसंद आते हैं जो बोझिल से बोझिल सब्जेक्ट को भी दिलचस्प अंदाज में पढ़ाते हैं। ऐसा करते वक्त आम जिंदगी में उस सब्जेक्ट से जुड़े ऐप्लिकेशन बच्चों के सामने रखना चाहिए जिससे बच्चे आसानी से रिलेट कर सकें। किताबी पढ़ाई के साथ-साथ प्रैक्टिकल चीजों की जानकारी देना जरूरी है। इसलिए उसे असल जिंदगी के अनुभवों के साथ जोड़कर बताएं। उदाहरण के लिए अगर बच्चे को बारिश पर कोई कविता याद करा रहे हों तो उनकी उम्र के हिसाब से किसी फिल्मी गाने को जोड़कर समझा सकते हैं। स्पोर्ट्स की जानकारी देनी हो तो बड़े खिलाडि़यों का जिक्र करके बता सकते हैं। सब्जेक्ट्स को सवाल-जवाब के जरिए पढ़ाएं। इसके लिए खुद भी तैयारी करें। ग्राफिक टेक्नीक का इस्तेमाल करें क्योंकि बच्चों को शब्दों से ज्यादा तस्वीरें अपने करीब खींचती हैं। टीचिंग टूल्स का यूज करें।

- कई टीचर्स की आदत होती है कि वे स्कूल के दूसरे टीचर्स की बुराई स्टूडेंट्स के सामने करने लगते हैं। इससे स्टूडेंट्स के मन में टीचर्स की इज्जत कम होती है। इसके अलावा स्टूडेंट्स भी अगर दूसरे टीचर्स की बुराई किसी टीचर के सामने करते हैं तो उसमें रस लेने की बजाय उन्हें रोकें। साफ संदेश दें कि मेरी क्लास में टीचर्स की बुराई न तो की जाएगी और न सुनी जाएगी।

- ब्लैकबोर्ड पर लिखते वक्त कई बार स्टूडेंट्स टीचर्स के पीठ पीछे शरारतें करते हैं। कई बार चॉक मारने या कागजी हवाई जहाज फेंकने के वाकये सामने आते हैं। ऐसी स्थितियों से बचने के लिए बोर्ड पर इस तरह खड़े हों कि आपकी एक नजर क्लास पर भी रहे। यानी क्लास की तरफ पूरी तरह पीठ करके खड़े होकर न लिखें। लेकिन किसी की गलती पकड़ने के बाद आप सिचुएशन को कैसे हैंडल करते हैं, यह बहुत महत्वपूर्ण है। एक बार 8वीं क्लास के किसी बच्चे ने ब्लैकबोर्ड पर लिख रही अपनी टीचर पर कागज का हवाई जहाज बना कर फेंका। बजाय इस हरकत पर गुस्सा करने और क्लास को पनिश करने के टीचर ने यह कहा कि मुझे कागज का हवाई जहाज बनाना कभी नहीं आया और यह बचपन से मेरी इच्छा रही कि कोई मुझे इतना सुंदर कागजी हवाई जहाज बनाना सिखा दे। क्लास के बच्चों में से एक उठा और उसने सॉरी कहते हुए अपनी गलती न दुहराने का वादा किया। टीचर ने उसे माफ करने में एक पल न गंवाया और उससे कहा कि तुम नर्सरी के बच्चों को दो दिन उनकी क्लास में जाकर कागज के सुंदर हवाई जहाज बनाना सिखाओ और उन्हें यह भी बताओ कि वे इसे आर्ट एंड क्राफ्ट की क्लास में बनाएं, न कि दूसरे सब्जेक्ट्स की क्लास में, जब टीचर ब्लैकबोर्ड पर लिख रही हों।

- छठी क्लास की एक लड़की को उसका भाई फिजिकली अब्यूज कर रहा था। लड़की को हमेशा गुम-सुम देखकर टीचर ने उससे पूछा। पहले वह कुछ नहीं बोली। बाद में टीचर के लगातार यह विश्वास दिलाने पर कि तुम्हारा सीक्रेट मेरा सीक्रेट है और कोई तुम पर नहीं हंसेगा, लड़की ने धीरे-धीरे सारी बात बताई। टीचर ने लड़की के पैरंट्स से कॉन्टैट किया और भाई के खिलाफ केस भी कराया। लेकिन, इस कामयाबी में और लड़की का भरोसा जीतने में टीचर को महीनों मेहनत करनी पड़ी।

- सरकारी स्कूल में पढ़ाना किसी चुनौती से कम नहीं होता। उसमें स्टूडेंट खासे बिगड़ैल होते हैं। एक बार एक स्टूडेंट ने स्कूल से बाहर एक छात्रा को परेशान किया। उसे पुलिस पकड़ कर स्कूल ले आई, लेकिन स्कूल टीचर्स ने उस स्टूडेंट को पुलिस से बचाया। ऐसा करके उसे सिर्फ यह बताया गया कि हम तुम्हारी गलती पर पर्दा नहीं डाल रहे, बल्कि तुम्हें यह बता रहे कि जो शरारत तुमने की थी, उसकी सजा गंभीर भी हो सकती है। इस घटना के बाद उस स्टूडेंट ने कभी ऐसी हरकत नहीं की। गलती का अहसास होने पर ही स्टूडेंट बदलता है, मारने- पीटने से फायदा नहीं होता। इसके अलावा अगर स्टूडेंट अपनी आदतों में सुधार न करें तो उसके पैरंट्स को जरूर बताना चाहिए। कई बार देखने में आता है कि पैरंट्स को बुलाने की बात जब सामने आती है तो स्टूडेंट अपनी आदतों में बदलाव लाता है।
- बच्चे के साथ लगाव और गाइडेंस जरूरी है। ऐसा तभी होगा जब टीचर बच्चे की खासियतों और खामियों, दोनों को समझने की कोशिश करें।

- क्लास के सभी बच्चों के साथ बराबर इंटरेक्ट करें। कई बार दूसरे बच्चे साथी बच्चों की ऐसी कमजोरियां बता देते हैं, जो टीचर नहीं देख पाते।

- बच्चों को रेग्युलर पॉजिटिव फीडबैक दें। किसी बच्चे में थोड़ा भी सुधार हो तो उसी वक्त फीडबैक दे दें कि तुमने कितना अच्छा किया है। आलोचना करने से बचें।

- बच्चे को उसकी खूबियां बताएं और खुद भी उन्हीं पर फोकस करें। मसलन, हो सकता है कि कोई बच्चा लिखने में अच्छा नहीं हो लेकिन बोलने में अच्छा हो। इसी बात को उसका स्ट्रॉन्ग पॉइंट बना दें। उसे ऐसे काम ही ज्यादा दें।

- हर बच्चे में यह भावना जगाएं कि वह क्लास और स्कूल का हिस्सा है। गतिविधियों में किसी-न-किसी रूप में हर बच्चे का योगदान होना चाहिए।

- कंट्रोल्ड ऑटोनमी दें यानी बच्चे को यह छूट दें कि वह क्लास में अपनी बात रख सकता है, लेकिन एक निश्चित सीमा में रहकर ही।

- टीचर को अपडेट होना चाहिए क्योंकि टीचर की इंटेलिजेंस से बच्चे बहुत प्रभावित होते हैं। अगर किसी सवाल का जवाब नहीं मालूम तो साफ बोलें कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। कल बताऊंगा।

- एक कॉलेज में फिजिक्स पढ़ाने वाले एक टीचर बोर्ड पर एक बार में पूरी फिगर बनाकर क्लास के सबसे पीछे जाकर खड़े हो जाते थे और वहीं से बोर्ड की तरफ देखकर बोलते थे और समझाते थे। इससे पूरी क्लास की गतिविधि पर उनकी नजर रहती थी और बच्चों की नजर रहती थी सिर्फ बोर्ड पर।

- एक टीचर साफ तौर पर क्लास में कह देते थे कि स्टूडेंट्स आपस में नहीं हंसेंगे। अगर कोई बात हंसने की है तो पूरी क्लास को बताओ और फिर पूरी क्लास के साथ मैं भी उस बात पर हंसूंगा।

- स्टूडेंट्स को ऐसे एक्टिविटी में शामिल करें, जिनमें वह दिलचस्पी रखता हो।
आमतौर पर बच्चों को रेड पेन से कॉपी चेक कराना अच्छा नहीं लगता। बेहतर है कि टीचर ब्लू या ब्लैक पेन से मार्किंग

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