Wednesday, September 14, 2011

नई भूमि नीति पर कैबिनेट की मुहर

पश्चिम बंगाल सरकार की नई भूमि नीति के तहत वह उद्योग के लिए नहीं बल्कि जनहित कार्यो के लिए ही भूमि अधिग्रहण करेगी। उद्योग लगाने के लिए अब उद्यमियों को खुद जमीन खरीदना पड़ेगा। सरकार खेत मजदूरों के लिए लग नीति बनाने का फैसला किया है। जनहित कार्यो के लिए सरकार जिस व्यक्ति से जमीन लेगी उसे के लिए बेहतर पुनर्वास पैकेज तैयार की है, जिसमें एक मुश्त राशि के अलावा नौकरी या फिर पेंशन का प्रावधान है। यदि किसी का आवासीय जमीन ली जाएगी तो उसे 1.50 लाख रुपए घर बनाने के लिए दिया जाएगा। साथ ही वर्ष 2015 तक राज्य के प्रत्येक परिवार को जमीन व घर उपलब्ध कराने के लिए 'माई लैंड, माई होम' नामक योजना तैयार की गई है। बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में नई भूमि नीति व पुनर्वास पैकेज पर मुहर लगा दी गई।
राइटर्स सूत्रों के मुताबिक बुधवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में नई भूमि नीति पर बैठक हुई। जिसमें मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के सभी वरिष्ठ मंत्री उपस्थित थे। बैठक तीन बजे शुरू हुई जो शाम करीब पौने पांच बजे तक चली। इस बैठक का ब्यौरा मुख्यमंत्री, मंत्री या फिर गृह सचिव ने नहीं दी क्योंकि उपचुनाव को लेकर जारी आचार संहिता का उल्लंघन न हो जाए। एक मंत्री ने नाम न उजागर करने की शर्त पर हामी भरी की कैबिनेट ने नई भूमि नीति पर मुहर लगा दी है।
नई उद्योग नीति के तहत भूमि देने वाले परिवार को एक मुश्त दो लाख रुपए और एक व्यक्ति को नौकरी दी जायेगी, यदि किसी के परिवार में नौकरी नहीं लेने की सूरत में उसे पेंशन दी जाएगी।बीस वर्षो तक पेंशन दी जाएगी। इस बाबत प्रथम वर्ष प्रति माह तीन हजार रुपए तथा बाकी अवधि में दो-दो हजार रुपए दिए जाएंगे। आवासीय जमीन अधिग्रहण होने की स्थिति में डेढ़ लाख रुपए मकान बनाने के लिए अतिरिक्त दी जाएगी। सरकार नई भूमि नीति के तहत रेल, सड़क, स्वास्थ्य, सिंचाई, तटबंध आदि जनहित कार्यो के लिए तैयार होने वाली परियोजना के लिए ही भूमि अधिग्रहण करेगी।
इसमें 2015 तक राज्य में किसी को भूमिहीन व गृहहीन नहीं रहने देने का भी मसौदा तैयार किया गया है। इस योजना का नाम 'निज गृह निज भूमि' दिया गया है। पता चला है कि गरीबों का अधिक ध्यान रखा गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि इस सिलसिले में गरीबों के हितों की अनदेखी नहीं की जाएगी। बहरहाल इस पर सर्वदलीय बैठक में भी चर्चा की जायेगी और उसके बाद विधानसभा पेश किया जायेगा। अगर अधिक विरोध हुआ तो इसमें फेरबदल भी किया जा सकता है।

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